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डबल इंजन सरकार के दौर में बिहार: मेगा प्रोजेक्ट्स से विकास की नई उड़ान!

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बिहार की गिनती एक समय देश के सबसे पिछड़े राज्यों में होती थी, लेकिन अब ये राज्य एक नए युग की ओर बढ़ रहा है। जेडीयू और बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने जिस तरह बुनियादी ढांचे, ऊर्जा, उद्योग, शहरीकरण और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में मेगा परियोजनाओं की नींव रखी है, उसने बिहार को नई पहचान मिल रही है।

ये परियोजनाएं सिर्फ आर्थिक ढांचे को नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और जीवन स्तर को भी नई ऊंचाई देने वाली है। इतना ही नहीं ये राज्य के बेहतर भविष्य की गारंटी भी बन रही हैं। केवल राजधानी पटना की ही बात करें तो एनडीए सरकार में विकास की तेज रफ्तार ने शहर की सूरत तेजी से बदल रही है। मेट्रो हो या गंगापथ इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की ओर तेजी से बढ़ते ये कदम, बिहार में विकास की नई गाथा लिख रहे हैं।

पटना के जेपी गंगा पथ को दीघा से कोइलवर के वीर कुंवर सिंह सेतु तक और दीदारगंज से मोकामा तक बढ़ाने की मंजूरी मिल गई है। जेपी गंगा पथ के विस्तार से उत्तर और दक्षिण बिहार का सफर आसान हो जाएगा। इस पथ से सात पुल जुड़ेंगे। इससे लोगों को आने-जाने में बहुत सुविधा होगी। इसके साथ ही मुंगेर से भागलपुर के सबौर तक बनने वाले गंगा नदी के किनारे मरीन ड्राइव के निर्माण से पूर्वी बिहार में विकास और पर्यटन का एक नया अध्याय शुरू होगा। इस सड़क को “गंगा एक्सप्रेस वे” के रूप में विकसित किया जाएगा। इससे ना सिर्फ लोगों का जीवन आसान होगा बल्कि गंगा किनारे बसे ऐतिहासिक शहरों को जोड़ने वाली यह सड़क धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यावसायिक रूप से भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। 

पटरी पर दौड़ने को तैयार पटना मेट्रो 

राजधानी पटना के लोगों का इंतजार खत्म होने वाला है। इस शहर में भी मेट्रो परियोजना जल्द ही शुरू होने वाली है। पहला ट्रायल प्रायोरिटी कॉरिडोर पर होगा, जो मलाही पकड़ी से न्यू ISBT के बीच है। पटना मेट्रो की ब्लू लाइन कुल 14.56km लंबी है। ये पटना जंक्शन से न्यू ISBT तक जाएगी। इसका लगभग 6.6km हिस्सा एलीवेटेड है। जबकि बाकी भूमिगत है। प्रायोरिटी कॉरिडोर के बाद बाकी सेक्शन चरणों में खोले जाने की योजना है। 

इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी में ऐतिहासिक परिवर्तन

बिहार की कनेक्टिविटी को  और गति देने वाला औंटा से सिमरिया महासेतु बन कर तैयार है। मोकामा के औंट घाट और बेगूसराय के सिमरिया को जोड़ने वाला 6 लेन का यह पुल अब बिहार की नई पहचान बनने वाला है। नया पुल पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ने के लिए भी काफी महत्‍वपूर्ण होने वाला है। 8.15 किमी लंबे इस महासेतु से  इस क्षेत्र में  उद्योग और व्यापार को लाभ होगा। इसके साथ ही राजधानी पटना और उत्तर बिहार के बीच सफर करने वाले लोगों को भी नए पुल से बहुत बड़ी राहत मिलने वाली है। इससे महात्मा गांधी सेतु पर लगने वाला भीषण जाम भी खत्म होगा। इसके लिए दीघा से सोनपुर तक जेपी सेतु के समानांतर एक और नया छह लेन पुल बन रहा है। इसका निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। यह पुल आने वाले समय में उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार को जोड़ने में काफी अहम साबित होने वाला है।

बीते 10-11 साल में बिहार में करीब 55 हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनी हैं, डेढ़ करोड़ से ज्यादा घरों को बिजली के कनेक्शन से जोड़ा गया है। डेढ़ करोड़ लोगों को, वहां के घरों को पानी का कनेक्शन दिया गया है, 45 हजार से ज्यादा कॉमन सर्विस सेंटर्स बनाए गए हैं, आज बिहार के छोटे-छोटे शहरों में नए-नए स्टार्ट-अप्स खुल रहे हैं। बीते सालों में बिहार के अनेक शहरों के लिए पानी की पाइप लाइन और सीवेज ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट बनाए गए। दर्जनों और शहरों के लिए पाइप लाइन और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स स्वीकृत किए गए हैं। इन प्रोजेक्ट से गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों का जीवन और बेहतर होने वाला है। 

रेल नेटवर्क का निरंतर विस्तार

आज बिहार में रोड, रेल, हवाई यात्रा और जलमार्ग, हर प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। बिहार को लगातार नई ट्रेनें मिल रही हैं।, जिनमें वंदे भारत और अमृत भात जैसी आधुनिक ट्रेनें भी हैं। रेलवे क विस्तार और रेल यात्रा को लोगों के लिए सुगम और सुलभ बनाने की दिशा में भी निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। एनडीए सरकार बिहार में बुनियादी ढांचे और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। इस क्षेत्र में रेलवे के बुनियादी ढांचे से जुड़े प्रोजेक्टस पर विशेष फोकस दिया जा रहा है। 400 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली नई वैशाली-देवरिया रेलवे लाइन परियोजना हो या फिर उत्तर बिहार में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मुजफ्फरपुर और बेतिया के रास्ते पाटलिपुत्र और गोरखपुर के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस इसके उदाहरण हैं। 

“मेक इन इंडिया – मेक फॉर द वर्ल्ड” विजन को आगे बढ़ाते हुए गिनी गणराज्य के लिए मढौरा प्लांट में निर्मित अत्याधुनिक लोकोमोटिव को रवाना किया गया। इसके साथ ही राज्य में रेलवे का तेज गति से विस्तार हो रहा है। 

  • पटना-गोरखपुर वंदे भारत एक्सप्रेस: यह ट्रेन पटना और गोरखपुर के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगी, जिससे यात्रियों को आरामदायक सफर का आनंद को मिलेगा ही, समय की भी बचत होगी। 
  • वैशाली-देवरिया नई लाइन: यह नई रेलवे लाइन वैशाली और देवरिया के बीच यात्रा को आसान बनाएगी। इससे इस क्षेत्र में पर्यटन और रोजगार को और गति मिलने वाली है।
  • दरभंगा-नरकटियागंज लाइन डबलिंग: लाइन डबलिंग से इस रूट पर ट्रेनों की गति बढ़ेगी और भीड़भाड़ कम होगी, जिससे यात्रियों को बेहतर सुविधा मिलेगी।  
  • पाटलिपुत्र स्टेशन पर आधुनिक सुविधाएं: आधुनिक सुविधाओं के विकास से यात्रियों को बेहतर अनुभव मिलेगा और स्टेशन को एक प्रमुख रेलवे हब के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी। इनसे इन क्षेत्रों के आर्थिक और सामाजिक विकास को भी एक नई ऊर्जा मिलने वाली है। इसके साथ ही ये प्रोटेक्ट्स दूरदराज़ के क्षेत्रों को देश की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में भी एक अहम कदम हैं।

ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर

भागलपुर के पीरपैंती में 2,400 मेगावाट का मेगा पावर प्रोजेक्ट और नबीनगर का एनटीपीसी प्लांट बिहार को ऊर्जा आत्मनिर्भर राज्य में बदलने की दिशा में मील का पत्थर हैं। इससे जहां औद्योगिक निवेश को बल मिलेगा, वहीं किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को भी निरंतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।

औद्योगिक और आर्थिक विकास की नई दिशाएं

बिहार में औद्योगिक निवेश को सशक्त करने के लिए भी अनेक पहल की गई है। ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ODOP) योजना से बिहार के स्थानीय उत्पादों को दुनियाभर के बाजार तक पहुंचाने में बहुत मदद मिलने वाली है।

इतना ही नहीं सारण के मरहौरा में बनी लोकोमोटिव फैक्ट्री ने तो कमाल ही कर दिया है। हाल ही में यहां से ‘मेड इन बिहार’ पहला एक्सपोर्ट इंजन अफ्रीकी देश को भेजा गया,  जो बिहार के औद्योगिक सामर्थ्य का प्रतीक है।

किसानों के कल्याण के लिए निरंतर प्रयास 

NDA सरकार के प्रयासों के बाद से ही बिहार के मखाना की कीमतें बढ़ी हैं। यहां के मखाना किसानों को बड़े बाजार से जोड़ा। हम मखाना बोर्ड का गठन कर रहे हैं। इसके अलावा केला, लीची, मर्चा चावल, कटारनी चावल, जरदालू आम, मगही पान, अभी ऐसे कितने ही उत्पाद और हैं, जिन्हें दुनिया भर के मार्केट से जोड़ने की योजना है। प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का सीधा लाभ देश के करीब पौने दो करोड़ किसानों को होने वाला है। इसमें बहुत बड़ी संख्या बिहार के किसान भाई-बहनों की भी है। 

शहरी और ग्रामीण विकास की संतुलित पहल

शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में विकास के संतुलन को बनाए रखने के लिए कई बड़े कदम उठाए गए हैं। पक्के घरों का निर्माण, गंडक, कोसी और कमला नदियों पर बाढ़ नियंत्रण प्रोजेक्ट्स और पटना के साथ ही कई शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स लगाए गए हैं। इन्हें स्वास्थ्य और स्वच्छता की दिशा में एक बड़ी पहला माना जा रहा है। पिछले 11 वर्षों में पीएम आवास योजना के तहत देश में गरीबों के लिए 4 करोड़ से ज्यादा घर बनाए गए हैं। इनमें से करीब 60 लाख घर अकेले बिहार में गरीबों के लिए बनाए गए हैं। यानी नॉर्वे, न्यूज़ीलैंड और सिंगापुर जैसे देशों की जितनी कुल आबादी है, उससे ज्यादा लोगों को हमने अकेले बिहार में गरीबों को पक्के घर दिये हैं। इतना ही नहीं बिहार में भी करीब साढ़े 3 करोड़ महिलाओं के जनधन खाते खुले हैं। वृद्ध, दिव्यांग और विधवा माताओं को मिलने वाली पेंशन को 400 रूपये से बढ़ाकर 1100 रुपए महीना कर दिया गया है। पूरे देश में अब तक डेढ़ करोड़ बहनें लखपति दीदी बन चुकी हैं, वहीं अकेले बिहार में इनकी संख्या 20 लाख से ज्यादा है। बिहार में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए मुद्रा योजना जैसे अभियानों को भी और गति दी गई है। 

स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव  

डबल इंजन सरकार के नेतृत्व में बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक सुधार हुआ है। बिहार सरकार के 2006 के आंकड़ों की माने तो उस वक्त यहां के प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों पर एक माह में आने वाले मरीजों की संख्या केवल 39 हुआ करती थी। मगर आज हर महीने 11,600 से अधिक मरीज इलाज के लिए प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों पर आ रहे हैं। यह स्वास्थ्य के क्षेत्र में बदलते बिहार की तस्वीर है। वहीं राज्य में एशिया का दूसरा बड़ा अस्‍पताल बनाया जा रहा है। बिहार दूसरा ऐसा राज्‍य होगा जहां दो एम्‍स होंगे। पटना में एम्‍स बन चुका है। वहीं दरभंगा में एम्‍स का निर्माण शुरू हो गया है। एक आंकड़े के मुताबिक 2005 से पहले बिहार में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या बिहार में 6 हुआ करती थी। जो अब बढ़कर 11 हो चुकी है। वहीं, इस संख्या के जल्द 15 तक पहुंचने की उम्मीद है। इसके अलावा 9 जिलों में नए मेडिकल कॉलेज 9 बनाने का भी प्रस्ताव है। पीएमसीएच के विस्‍तार का काम चल रहा है। इसके पूरा होते ही साढ़े पांच हजार बेड वाल यह अस्‍पताल दूसरे राज्‍यों के लिए भी स्‍वास्‍थ्‍य सेवा उपलब्‍ध करा सकेगा। 

बिहार में हवाई सफर की ऊंची उड़ान

बिहार कभी पटना हवाई अड्डे पर ही निर्भर था,  लेकिन आज, दरभंगा हवाई अड्डा कार्यशील है, जहां से दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु के लिए सीधी उड़ान की सुविधा है।  पटना हवाई अड्डे के टर्मिनल का आधुनिकीकरण किया गया है। अब एक करोड़ यात्रियों के लिए इसे सक्षम बनाया गया है। इसके साथ ही बिहटा हवाई अड्डे में 1,400 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है। दरभंगा एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित किया गया है। राजगीर और भागलपुर में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट्स की योजना है। इसके साथ ही रक्सौल एयरपोर्ट के आधुनिकीकरण जैसे कदम बेहतर कनेक्टिविटी की दिशा में बेहद निर्णायक साबित होने वाले हैं। इसका सीधा लाभ राज्य के पर्यटन और व्यापार को मिलेगा।

सामाजिक कल्याण और मानव संसाधन विकास

शिक्षा के क्षेत्र में नए केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना के साथ ही गया और राजगीर में मंदिर कॉरिडोर के विकास से टूरिज्म आधारित इन्फ्रास्ट्रक्चर को बहुत बढ़ावा मिलने वाला है। इनसे युवाओं के लिए रोजगार के नए-नए अवसर भी बनने वाले हैं। इनके अलावा सिंचाई परियोजनाएं, महिला सशक्तिकरण योजनाएं, और सस्ती आवास योजनाएं समाज के हर वर्ग को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

ग्रीन एनर्जी और जल संसाधन में इनोवेशन

बिहार अब ग्रीन एनर्जी की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है। दरभंगा और सुपौल में फ्लोटिंग सोलर प्लांट्स बनाए जाने हैं। इसके अलावा उत्तर बिहार में संभावित हाई डैम परियोजनाएं न केवल राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेंगी, बल्कि इनसे जल संकट का समाधान भी होगा।

मेगा प्रोजेक्ट्स के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

इन परियोजनाओं से ना सिर्फ बिहार की आर्थिक रफ्तार तेज होगी, बल्कि सामाजिक समावेशन और जीवन स्तर में भी बड़ा सुधार आएगा। बेहतर कनेक्टिविटी, स्थायी बिजली आपूर्ति, औद्योगिक वातावरण और स्वच्छ एवं सुरक्षित शहरी जीवन से राज्य को गरीबी और पिछड़ेपन की छवि से बाहर निकलने में मदद मिलेगी। इन कदमों से बिहार में पलायन की समस्या पर भी रोक लगेगी। कई बड़ी परियोजनाओं से बिहार उद्योग, कृषि, पर्यटन, शिक्षा और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में देश के अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण बन सकता है।

जेडीयू-भाजपा गठबंधन सरकार के इन प्रयासों के माध्यम से बिहार ने एक नई विकास यात्रा शुरू की है। सही दिशा में जनसहयोग से तेजी से आगे बढ़ रही इन परियोजनाओं से बिहार देश का अगला औद्योगिक और सामाजिक मॉडल बन सकता है। यह बदलाव न केवल राज्य के लिए, बल्कि समूचे देश के लिए भी एक संदेश होगा कि संकल्पशक्ति, नीति, नेतृत्व और जनभागीदारी से कोई भी पिछड़ा राज्य प्रगति के पथ पर तेज गति से आगे बढ़ सकता है।

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