Home विपक्ष विशेष हाईकमान के चक्कर में राजस्थान, मप्र और पंजाब में डूबी कांग्रेस, अब...

हाईकमान के चक्कर में राजस्थान, मप्र और पंजाब में डूबी कांग्रेस, अब कर्नाटक की बारी, खरगे बोले- हाईकमान फैसला लेगा!

SHARE

कर्नाटक में हाल ही में कई कांग्रेसी विधायकों ने अपनी ही पार्टी की कांग्रेसी सरकार के कामकाज पर गहरा असंतोष जताया है। सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में सहकारिता मंत्री के.एन राजन्ना ने कुछ दिन पहले ही सितंबर के बाद राज्य में क्रांतिकारी राजनीतिक घटनाक्रम और बदलाव का संकेत देते हुए टिप्पणी की थी। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें फिर से शुरू हो गई हैं। पार्टी हलकों में मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के बदलाव की भी चर्चा है। यहां तक कि सियासी हलकों में विवादों में घिरे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बदलाव के बारे में भी कयास लग रहे हैं। कर्नाटक कांग्रेस में अंदरूनी कलह के संकेतों के बीच, राज्य के प्रभारी और पार्टी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला कर्नाटक का दौरा कर सभी विधायकों के साथ अलग-अलग बैठकें कीं हैं। इस पर मीडिया के सीधे सवालों का जवाब देते हुए सुरजेवाला ने गोल-मोल जवाब दिया कि सरकार और विभिन्न मंत्रालयों के कामकाज की जांच हो रही है। यानी उन्होंने ये तो माना कि कर्नाटक सरकार में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। इसीलिए उन्हें राज्य के दौरे पर विधायकों के रोष को शांत करने के लिए आना पड़ा है।

कांग्रेस पर सुरजेवाला के पर्दे को मल्लिकार्जुन खरगे ने तार-तार कर दिया
कर्नाटक के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने जिस अंसतोष पर छीना सा पर्दा डालने का असफल कोशिश की है, उसके पार्टी अध्यध मल्लिकार्जुन ने सरेआम कर दिया है। एक बार फ‍िर कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया को बदलने की चर्चा शुरू हुई तो कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मीडिया से कह द‍िया, “कर्नाटक मामले में हाईकमान फैसला करेगा।” यह भी और भी दिलचस्प तथ्य है कि कांग्रेस जब भी संकट की स्थिति या बदलाव की बयार चलती है, तो पार्टी नेता एक ही लाइन पर आकर खड़े हो जाते हैं और कहने लगते हैं क‍ि अंतिम फैसला तो ‘हाईकमान’ ही करेगा। आपको याद होगा कि पंजाब, राजस्‍थान से लेकर मध्‍य प्रदेश तक में भी जब कांग्रेस और सरकार के बीच पेच फंसा तो यही शब्‍द वहां के प्रभारी और दूसरे कांग्रेस नेताओं के थे। तो क्‍या कर्नाटक भी उसी राह पर चल निकला है? क्‍या ज‍िस तरह इन तीनों प्रदेशों में कांग्रेस की नैया डूब गई, ठीक वैसा ही कर्नाटक में पेंच फंस गया है?

कांग्रेस का ‘हाईकमान’ तो भूत की तरह सब जगह पर मौजूद
दूसरी ओर मल्लिकार्जुन खरगे के ‘हाईकमान’ संबंधी शब्‍द पर बीजेपी भी मजे ले रही है। वो पूछ रही क‍ि जब कांग्रेस अध्‍यक्ष खरगे ही खुद कह रहे हैं क‍ि ‘हाईकमान फैसला करेगा’ तो पार्टी का असली नेता कौन है? बेंगलुरु साउथ से सांसद तेजस्वी सूर्या ने चुटकी ली, कांग्रेस का हाईकमान भूत की तरह है। अदृश्‍य, अनसुना, लेकिन हर फैसले पर असर डालता है। यहां तक कि कांग्रेस अध्यक्ष, जिन्हें लोग हाईकमान समझते थे, वे भी इसका नाम फुसफुसाते हैं और कहते हैं कि यह वे नहीं हैं। बीजेपी नेता आरोप लगाते हैं क‍ि सोनिया गांधी और उनके बच्चे- राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा- पर्दे के पीछे से पार्टी चलाते रहते हैं। अब यह पूरी तरह से एक्सपोज हो गया है कि मल्लिकार्जुन खरगे तो सिर्फ मुखौटा हैं। इसीलिए सवाल भी पूछा जा रहा क‍ि क्‍या अब कर्नाटक में लुट‍िया डूबने वाली है, क्‍योंक‍ि ऐसा ही कुछ पंजाब, राजस्थान, एमपी में भी हुआ था।

पार्टी में अपने खिलाफ असंतोष और घोटालों के घिरे CM सिद्धारमैया
दरअसल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एक नहीं, कई मुश्किलों के बीच चौतरफा घिर गए हैं। उनको लेकर विधायकों में तो असंतोष है ही, दूसरी ओर उप मुख्यमंत्री से भी उनकी पटरी नहीं बैठ रही है। उनपर भ्रष्टाचार के तो आरोप हैं ही, सिद्धारमैया व अन्य के खिलाफ करोड़ों के घोटाले के सबूतों से छेड़छाड़ के लिए जांच करने और मामला दर्ज करने की भी मांग की गई है। शिकायत में मुख्यमंत्री के बेटे यतींद्र सिद्धारमैया का भी नाम है। इस शिकायत के बाद सीएम के साथ ही उनके पुत्र भी ईडी के रडार पर आ गए हैं। कहा भी गया है कि पाप का घड़ा आज नहीं तो कल फूटता जरूर है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के भी बरसों पुराने ‘पाप’ अब सबके सामने आने लगे हैं। यही वजह है कि सिद्धारमैया की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले पा रही हैं। करोड़ों के घोटाले में लोकायुक्त, ईडी की जांच और कोर्ट के कोड़े के बाद अब सिद्धारमैया के खिलाफ एक और नई शिकायत हुई है। उन पर आरोप लगा है कि उन्होंने पत्नी को 14 बेशकीमती प्लॉट दिलाने में ही अहम भूमिका नहीं निभाई, बल्कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) के इस करोड़ों के घोटाले में जब अंगुलियां उनकी ओर उठने लगीं तो मुख्यमंत्री ने सबूतों को भी नष्ट कराने की अहम कोशिश की। प्रदीप कुमार नाम के व्यक्ति ने प्रवर्तन निदेशालय को लेटर लिखकर यह शिकायत दर्ज कराई है।

कर्नाटक भी कांग्रेस शासित उन राज्यों की राह पर चल निकला है, जहां बड़े कांग्रेसी नेताओं के बीच असंतोष के चलते सरकारें काम नहीं करा पाईं और फिर जनता ने उनकी छुट्टी कर दी…

पंजाब: कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के झगड़ा
2021 में कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच राजनीतिक लड़ाई सड़कों पर आ गई थी। सिद्धू हर सूरत में कैप्टन को मुख्यमंत्री की कुर्सी से उतारना चाहते थे। लेकिन अमरिंदर सिंह पहले तो डटे रहे, लेकिन उनके झगड़े में हाईकमान महीनों तक मूकदर्शक बना रहा। नतीजा हुआ क‍ि पार्टी के द‍िग्‍गज नेता कैप्टन अमर‍िंदर सिंह को बाहर जाना पड़ा। सिद्धू नाराज हैं और पार्टी का जमीनी जनाधार ढह गया। तब कैप्टन अमरिंदर सिंह आर-पार की लड़ाई के मूड में दिखे थे। कैप्टन ने नवजोत सिद्धू को मूर्ख, जोकर और ड्रामेबाज तक कह दिया। पार्टी प्रधान होने के बावजूद कैप्टन ने सिद्धू के खिलाफ बयानबाजी की। यहां तक कि उन्होंने सिद्धू को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा तक बता दिया। उन्होंने कहा कि सिद्धू पार्टी के प्रदेश प्रधान हैं, इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर ऐसा है तो वे मुझे कांग्रेस पार्टी से निकाल दे। इसके बाद हाईकमान ने कैप्टन को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया और बाद में हुए चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ासाफ हो गया।

राजस्‍थान: जादूगर गहलोत और निक्कमे पायलट के बीच हाईबोल्ट ड्रामा
कमोबेश पंजाब जैसा ही कुछ राजनीतिक घटनाक्रम राजस्‍थान में भी हुआ। बस यहां किरदार दूसरे थे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच में जमकर घमासान हुआ। पूरे पांच साल तक अशोक गहलोत और सच‍िन पायलट खेमों में खिंचाव बना रहा। पहले तो मूकदर्शक बना हाईकमान टालता रहा और मुद्दा लटकता रहा। जब वह थोड़ा एक्शन लेने के मूड में आया को गहलोत की राजनीतिक चालों ने हाईकमान के हो ही चारों खाने चित्त कर दिया। ना सिर्फ उन्होंने पायलट को सत्ता से दूर रखा, बल्कि हाईकमान के चाहने के बावजूद वे पार्टी अध्यक्ष नहीं बने। गहलोत और पायलट की लड़ाई के चलते पार्टी के कार्यकर्ता असमंजस में रहे, नतीजा जनता से दूरी बन गई। विधानसभा चुनाव में पार्टी सत्‍ता से बाहर हो गई।

मध्‍य प्रदेश: ज्‍यो‍त‍िराद‍ित्‍य सिंधिया की बगावत को हाईकमान ने हल्का समझा
एमपी की कहानी तो और भी ज्यादा दिलचस्प और हाईकमान की निष्क्रियता की मिसाल है। मध्य प्रदेश में बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच हाईकमान सोचा रहा और कांग्रेस के हाथ से सत्ता के सूत्र निकल गए। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश की राजनीति की कहानी में भी कांग्रेस हाईकमान का जबरदस्त पेच है। दरअसल, 2020 में जीत के बाद ज्‍यो‍त‍िराद‍ित्‍य सिंधिया की बगावत को हाईकमान हल्का समझता रहा। कांग्रेस हाईकमान से सिंधिया को हल्के में लेने का नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस की सरकार ही गिर गई और बीजेपी ने बिना चुनाव लड़े ही सत्ता हथिया ली। इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ऐतिहासिक बहुमत से सत्ता में आई।

कर्नाटक में जमीनों के खेल में किए गए पाप होने लगे उजागर अब कर्नाटक में भी कांग्रेस के भीतर असंतोष की खबरें हैं। इसके साथ ही मल्‍ल‍िकार्जुन खरगे के बयान ने आग पर घी डाल दिया है, क्योंकि वे खुद कर्नाटक से हैं और फिर भी फैसला ‘दिल्‍ली’ पर छोड़ रहे हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनकी पत्नी पर भी जमीनों के खेल में ईडी शिकंजा कसती जा रही है। दिग्गज कांग्रेस नेता सिद्धारमैया के दबाव में मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) से उनकी पत्नी ने उस जमीन के बदले मैसूर के पॉश इलाके में 14 प्लॉट हासिल कर लिए, जो कानूनन उनकी थी ही नहीं। इस जमीन घोटाले मामले में मैसूर लोकायुक्त ने राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, साले और अन्य के खिलाफ FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। दूसरी ओर प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने 30 सितंबर को इन सभी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। ईडी की जांच से डरी सिद्धारमैया की पत्नी बीएन पार्वती अब MUDA को 14 विवादित प्लॉटों को वापस करने जा रही हैं। इससे यह अपने-आप ही साबित हो रहा है कि उन्होंने न सिर्फ घोटाला किया है, बल्कि अपनी गंभीर गलती मान भी ली है।सीएम के बेटे यतींद्र सिद्धारमैया की भी 14 साइटों के अवैध अधिग्रहण में भूमिका
प्रदीप ने सत्ता का दुरुपयोग कर 14 साइटों को अवैध रूप से हासिल करने का आरोप लगाया गया है। ईडी को 2 अक्टूबर को लिखे पत्र में प्रदीप कुमार ने दावा किया, “सिद्धारमैया ने 8 जून 2009 से 12 मई 2013 के बीच और फिर 10 अक्टूबर 2019 से 20 मई 2023 के बीच कर्नाटक विधानसभा में विपक्षी दल के नेता के रूप में कार्य किया। सिद्धारमैया 13 मई 2013 से 15 मई 2018 के बीच कर्नाटक के सीएम भी थे। सिद्धारमैया के साथ-साथ उनके बेटे यतींद्र सिद्धारमैया, जिन्होंने 12 मई 2018 से 13 मई 2023 के बीच विधानसभा सदस्य के रूप में वरुणा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था, ने भी अपने माता-पिता सिद्धारमैया और पार्वती सिद्धारमैया के व्यक्तिगत आर्थिक लाभ के लिए अपने सार्वजनिक पद का दुरुपयोग करके गंभीर अपराध किया है।” उन्होंने कर्नाटक के राज्यपाल से भी सिद्धारमैया द्वारा कानून के प्रावधानों के विपरीत 14 साइटों के अवैध अधिग्रहण के बारे में शिकायत की थी।

सीएम MUDA के अधिकारियों का इस्तेमाल करके सबूतों को नष्ट कर रहे
ईडी को भेजे शिकायती पत्र में उन्होंने आगे कहा है, “इस बीच सिद्धारमैया अपने आधिकारिक पद का इस्तेमाल कर रिकॉर्ड से छेड़छाड़ कर रहे हैं और खुद के साथ-साथ MUDA के अधिकारियों का इस्तेमाल कर सबूतों को नष्ट कर रहे हैं।” इससे पहले कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा, जो MUDA घोटाले में याचिकाकर्ता हैं, गुरुवार को बेंगलुरु में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समक्ष पेश हुए। उन्होंने कहा कि MUDA मामले में हजारों करोड़ रुपये शामिल हैं। ED ने उन्हें तलब किया और कथित MUDA घोटाले से संबंधित सभी दस्तावेज और रिकॉर्ड पेश करने को कहा। यह कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ ED को की गई उनकी ईमेल शिकायत के संबंध में है।

MUDA बना हुआ है घोटालों का अड्डा, सिद्धारमैया का केस बड़ा उदाहरण
इस बीच याचिकाकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने कहा, “मैं अपने परिवार और अपनी आय पृष्ठभूमि से संबंधित कुछ आवश्यक दस्तावेजों जैसे पैन कार्ड, आधार कार्ड और अन्य के साथ ED अधिकारियों के समक्ष पेश होने आई थी। मैंने अपनी शिकायत से संबंधित दस्तावेज दिए हैं। सिद्धारमैया के मुद्दे को एक उदाहरण के रूप में लिया गया है। MUDA मामले में हजारों करोड़ रुपये शामिल हैं। इसलिए मैंने गहन जांच की मांग की है।” ईडी द्वारा कर्नाटक के सीएम पर कथित MUDA भूमि आवंटन घोटाले से जुड़े एक मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किए जाने के बाद, उनकी पत्नी ने MUDA आयुक्त को पत्र लिखकर प्राधिकरण द्वारा उन्हें आवंटित किए गए 14 प्लॉट को सरेंडर करने की पेशकश की।

उस जमीन के बदले 14 प्लॉट दिए, जो कानूनन सीएम की पत्नी की नहीं थी
आइये पहले जानते हैं कि मूडा (MUDA) का यह मुद्दा असल में क्या है। दरअसल, कई साल पहले अर्बन डेवलपमेंट संस्थान मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने रिहायशी इलाके विकसित करने के लिए किसानों से जमीनें ली थी। इसके बदले MUDA ने 50:50 की स्कीम दी। इसके तहत जमीन मालिकों को विकसित भूमि में 50 प्रतिशत साइट या एक वैकल्पिक साइट देने का प्रावधान किया गया। आरोप है कि MUDA ने 2022 में सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूरु के कसाबा होबली स्थित कसारे गांव में 3.16 एकड़ जमीन के बदले मैसुरु के एक पॉश इलाके में 14 साइट्स आवंटित की। इन साइट्स की कीमत पार्वती की जमीन की तुलना में की गुना ज्यादा थी। सबसे बड़ी बात तो यह कि इस 3.16 एकड़ जमीन पर भी पार्वती का कोई कानूनी अधिकार ही नहीं था। ये जमीन पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन ने उन्हें 2010 में गिफ्ट में दी थी। MUDA ने इस जमीन को अधिग्रहण किए बिना ही सिद्धारमैया की पत्नी को प्लॉट आवंटन दे दिया।

गवर्नर ने दिए जांच के आदेश, सिद्धारमैया की याचिका हाईकोर्ट में खारिज
इस करोड़ों के घोटाले का खुलासा एक्टिविस्टों के माध्यम से हुआ। कर्नाटक के एक्टिविस्ट टीजे अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा ने आरोप लगाया था कि CM ने MUDA अधिकारियों के साथ मिलकर 14 महंगी साइट्स को धोखाधड़ी से हासिल किया। इन लोगों का आरोप है कि MUDA में 5 हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। इधर राज्यपाल ने 16 अगस्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 218 के तहत सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दी थी। CM ने 19 अगस्त को इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 24 सितंबर को हाईकोर्ट ने MUDA स्कैम में सिद्धारमैया के खिलाफ जांच करने के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत के आदेश को बरकरार रखा। जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने राज्यपाल के आदेश के खिलाफ सिद्धारमैया की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा, ‘याचिका में जिन बातों का जिक्र है, उसकी जांच जरूरी है। केस में मुख्यमंत्री का परिवार शामिल है, इसलिए याचिका खारिज की जाती है।’

और ये रही सीएम सिद्धारमैया पर लगे इन आरोपों की फेहरिस्त

  • सिद्धारमैया की पत्नी को MUDA की ओर से मुआवजे के तौर पर मिले विजयनगर के प्लॉट की कीमत कसारे गांव की उनकी जमीन से बहुत ज्यादा है।
  • स्नेहमयी कृष्णा ने सिद्धारमैया के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। इसमें उन्होंने सिद्धारमैया पर MUDA साइट को पारिवारिक संपत्ति का दावा करने के लिए डॉक्युमेंट्स में जालसाजी का आरोप लगाया गया है।
  • 1998 से लेकर 2023 तक सिद्धारमैया कर्नाटक में डिप्टी CM या CM जैसे प्रभावशाली पदों पर रहे। इसलिए उनके इस घोटाले से जुड़े होने की संभावना बहुत ज्यादा हैं। उन्होंने अपनी पावर का इस्तेमाल कर करीबी लोगों की मदद की।
  • सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन ने साल 2004 में डिनोटिफाई 3 एकड़ जमीन अवैध रूप से खरीदी थी। 2004-05 में कर्नाटक में फिर कांग्रेस-JDS गठबंधन की सरकार में सिद्धारमैया डिप्टी CM थे।
  • योजना के तहत, जिन लैंड ओनर्स की भूमि MUDA द्वारा अधिग्रहित की गई है। उन्हें मुआवजे के रूप में वैकल्पिक साइटें आवंटित की गई हैं। साथ ही रियल एस्टेट एजेंट्स को भी इस स्कीम में जमीन दी गई है।
  • भूमि आवंटन घोटाले का खुलासा एक RTI एक्टिविस्ट ने करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में 50:50 योजना के तहत 6,000 से अधिक साइटें आवंटित की गई हैं।

 

2014 में जब सिद्धारमैया CM थे तब भी ने मुआवजे के लिए किया था आवेदन
घोटाले की जांच की मांग की गई 5 जुलाई 2024 को एक्टिविस्ट कुरुबरा शांथकुमार ने गवर्नर को चिट्ठी लिखते हुए कहा कि मैसुरु के डिप्टी कमिश्नर ने MUDA को 8 फरवरी 2023 से 9 नवंबर 2023 के बीच 17 पत्र लिखे हैं। 27 नवंबर को शहरी विकास प्राधिकरण, कर्नाटक सरकार को 50:50 अनुपात घोटाले और MUDA कमिश्नर के खिलाफ जांच के लिए लिखा गया था। बावजूद, MUDA के कमिश्नर ने हजारों साइटों को आवंटित किया। सिद्धारमैया बोले कि 2014 में जब मैं CM था तो पत्नी ने मुआवजे के लिए आवेदन किया था। भू-आवंटन में गड़बड़ी मामले में मैसुरु में लोकायुक्त पुलिस द्वारा 27 सितंबर को दर्ज की गई एफआइआर में सिद्दरमैया, उनकी पत्नी बीएम पार्वती, उनके साले मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू (जिनसे स्वामी ने जमीन खरीदकर पार्वती को उपहार में दी थी) तथा अन्य को नामजद किया गया है।

अंतरात्मा की आवाज सुनकर भूखंडों को वापस करने का लिया फैसला
इसके साथ ही सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। लोकायुक्त और ईडी की एफआईआर डरी मुख्यमंत्री की पत्नी की अंतरात्मा जाग गई। सिद्धारमैया की पत्नी बीएन पार्वती ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) को पत्र लिखकर केसर गांव में 3.16 एकड़ भूमि के के मुआवजे के बदले विजयनगर चरण 3 और 4 में उन्हें आवंटित 14 भूखंडों को वापस करने की पेशकश की। ये वही प्लॉट हैं, जो उनके परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों के केंद्र में हैं। एक बयान उन्होंने कहा कि वह अपनी अंतरात्मा की आवाज सुन रही हैं। इसलिए इन भूखंडों को वापस करने जा रही हैं। बड़ा सवाल यह है कि यदि सीएम की पत्नी को प्लॉटों को आवंटन सही हुआ था तो उन्होंने खुद ही इन्हें वापस करने की पेशकश क्यों की। इससे साफ है जमीनों के इस घोटाले में बहुत बड़ा खेल हुआ है। जिसकी परतें अब खुलने लगी हैं।

सीएम के खिलाफ शिकायत करने वाली एक्टिविस्ट के खिलाफ कराई एफआइआर
एक ओर सीएम की पत्नी प्लॉटों को वापसी की बात कर रही हैं, तो दूसरी ओर सीएम के खिलाफ शिकायत करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता को प्रताड़ित किया जा रहा है। MUDA घोटाले में शिकायतकर्ता स्नेहमयी कृष्णा के खिलाफ एक महिला की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है। महिला ने आरोप लगाया है कि कृष्णा ने संपत्ति के मामले में उसे धमकाया था। पुलिस के मुताबिक मैसुरु जिले के नंजनगुड की रहने वाली शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि कृष्णा ने 18 जुलाई को उसे और उसकी मां को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी और कहा था कि वह अपने ससुराल वालों के साथ एक संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद से दूर रहे। कृष्णा ने आरोप को फर्जी बताते हुए मांग की है कि पुलिस मामले की गहन जांच करे ताकि सच सामने आ सके। सीएम के खिलाफ शिकायत करने के चलते ही उन्हें फंसाने की साजिश की जा रही है।

भाजपा बोली- प्लॉट लौटाने का मतलब है सीएम की पत्नी ने गलती मानी
भाजपा के प्रवक्ता शहवाज पूनावाला ने कहा, “अब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को कोई नैतिक और कानूनी अधिकार नहीं बनता कि वो मुख्यमंत्री बने रहें। आज कांग्रेस पार्टी ‘भ्रष्टाचार की दुकान’ बन चुकी है। भाजपा सांसद और प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि यह 3 हजार से 4 हजार करोड़ रुपए का घोटाला है। इसमें सिद्धारमैया का परिवार शामिल है। कांग्रेस इस पर चुप्पी साधे हुए है। कर्नाटक भाजपा प्रमुख बी.वाई. विजयेंद्र ने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के प्लॉट लौटाने का फैसला घोटाले में गलती मानने के समान है। विजयेंद्र ने उनके इस कदम को राजनीतिक नाटक बताया और कहा कि करोड़ों का जमीन घोटाला करने वाले सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री पद से तत्काल हट जाना चाहिए। दूसरी ओर पत्नी के जमीन वापस करने के फैसले का बचाव करते हुए CM सिद्धारमैया ने X पर लिखा, ‘मेरी पत्नी पार्वती ने मैसूर में MUDA को जमीन वापस कर दी है। मेंटर टॉर्चर झेलने से परेशान मेरी पत्नी ने ये प्लॉट वापस करने का फैसला लिया है, जिससे मैं भी हैरान हूं। सीएम चाहे जो कहें, लेकिन यह बात किसी के भी गले नहीं उतर रही है कि यदि 14 प्लॉटों को आवंटन नियमों के अनुरूप किया गया था, तो उनको अंतरात्मा का आवाज पर वापस करने की नौबत क्यों आई?

 

 

 

Leave a Reply