प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज वैश्विक नेताओं का मार्गदर्शऩ कर रहे हैं। दुनिया के तमाम नेताओं में सबसे अधिक पूछे जाने वाले नेता हैं। पीएम मोदी का विजन अंतर्राष्ट्रीय है और वो ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना से काम करते हैं। पिछले एक दशक में उन्होंने दुनिया की मानवता की रक्षा के लिए ऐसे कई काम किए हैं, जो दूसरे देशों के नेताओं के लिए मिसाल बन गए हैं। अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उनकी बातों को काफी गंभीरता से लिया जाता है। यही वजह है कि आज वैश्विक नेताओं में पीएम मोदी की स्वीकार्यता बढ़ी है। हाल ही में रूस-यूक्रेन में शांति के प्रयासों के लिए रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी पीएम मोदी का आभार जताया है। दुनिया के शीर्ष नेता भी जटिल मुद्दों पर अक्सर प्रधानमंत्री मोदी की राय लेते हैं। इससे ना सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी का, बल्कि भारत का भी कद बढ़ा है। आज भारत प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विश्व गुरु बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन से लेकर राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों तक, विकसित और शक्तिशाली देशों के नेता पीएम मोदी से बात कर उनसे राय लेते हैं। जी-7 के हर सम्मेलन में उनको बुलाया जाता है। आज भारत क्वाड, शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स जैसे संगठनों का हिस्सा है। पीएम मोदी की लोकप्रियता का यह आलम है कि आज चीन, न्यूजीलैंड से लेकर अमेरिका तक सबकी नजर भारत और पीएम मोदी की ओर हैं। भारत आईं अमरीकी खुफिया प्रमुख तुलसी गबार्ड ने अपनी बातों से सभी का दिल जीत लिया।
हिंद-प्रशांत में आपसी हितों को लिए हम भारत की ओर देख रहे- न्यूजीलैंड पीएम
पहले बात न्यूजीलैंड की। इसके प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने बतौर चीफ गेस्ट 10वें रायसीना डायलॉग के उद्घाटन में शामिल हुए। उन्होंने समिट को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। न्यूजीलैंड हिंद-प्रशांत में अपने हितों के लिए भारत जैसे साझेदारों की ओर देख रहा है। मोदी के कार्यकाल में भारत में 25 करोड़ लोग घोर गरीबी से बाहर निकले। हमें भारत के साथ मजबूत संबंध और बेहतर सैन्य साझेदारी की जरूरत है। न्यूजीलैंड हिंद-प्रशांत में अपने हितों के लिए भारत जैसे साझेदारों की ओर देख रहा है। हम एक ऐसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रहना चाहते हैं, जहां देश मुक्त होकर अपना रास्ता चुनने के लिए आजाद हों, जहां कोई भी देश हावी न हो। भारत जैसे देश विश्व को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, उन्हें ग्लोबल पॉलिसी निर्माताओं की बैठक में जगह मिलना चाहिए। हम भारत के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर विचार कर रहे हैं। जल्द ही खेल बदलने वाला है क्योंकि हम टेक्नोलॉजी की दुनिया में AI के उभार से बदलाव की कगार पर हैं।
क्रिकेट में न्यूजीलैंड ही हार से दिल टूटा, पर मैं भारत को बधाई दूंगा
उन्होंने कहा कि हाल ही में दुबई में चैंपियंस ट्रॉफी में भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ जीत हासिल की। जिससे मेरा भी दिल टूटा, लेकिन मैं आपको बधाई देना चाहूंगा। रायसीना डायलॉग हर साल दुनिया भर के नेताओं को हिंद महासागर में रणनीतिक चुनौतियों पर मिलकर बात करने का मौका देता है। इस साल के सम्मेलन में अमेरिका की सीक्रेट एजेंसी डायरेक्टर तुलसी गबार्ड, यूक्रेनी विदेश मंत्री आंद्रेई सिबिहा और कई अन्य सीनियर डिप्लोमैट्स शामिल हो रहे हैं। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) और विदेश मंत्रालय की तरफ से आयोजित किया जाने वाला यह सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रही उथल-पुथल, खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर हो रहा है। 3 दिन का यह सम्मेलन 19 मार्च तक चलेगा। इस बार के रायसीना डायलॉग की ‘थीम: कालचक्र- पीपुल, प्लेस एंड प्लेनेट’ है। इसमें करीब 125 देशों के 3500 से ज्यादा लोग शामिल होंगे।
चीन ने पीएम मोदी की टिप्पणी को सराहते हुए कहा, हमारे संबंध मैत्रीपूर्ण
अब चीन की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भारत-चीन संबंधों पर ‘सकारात्मक’ टिप्पणी की चीन ने बेहद सराहना की है। पीएम मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन से हुई बातचीत में चीन से मतभेद की जगह संवाद को तरजीह देने की बात कही थी। सोमवार को इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, अक्टूबर में रूस में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सफल बैठक ने संबंधों में सुधार का रास्ता खोल दिया है। माओ ने कहा, ‘2000 वर्षों के इतिहास में दोनों देशों ने मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखे हैं। दो सबसे बड़े विकासशील देशों के रूप में, चीन और भारत एक-दूसरे की सफलता को समझते हैं और समर्थन करते हैं।हाथी (भारत) और ड्रैगन (चीन) का तालमेल ही एकमात्र सही विकल्प
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा यह 2.8 अरब से अधिक लोगों के मौलिक हितों की पूर्ति करता है। उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी का बयान दोहराया, जिसमें उन्होंने कहा था कि दोनों देशों को एक-दूसरे की सफलता में योगदान देने वाला बनना चाहिए। ‘हाथी’ (भारत) और ‘ड्रैगन’ (चीन) का तालमेल ही दोनों के लिए ‘एकमात्र सही विकल्प’ है। काबिले जिक्र है कि पीएम मोदी ने पोडकास्ट में कहा था कि भारत और चीन 2020 में एलएसी पर झड़प से पहले वाली स्थिति बहाल करने पर काम कर रहे हैं। इसमें समय लगेगा, क्योंकि 5 साल हो गए हैं। हम चाहते हैं- भारत-चीन स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करें, लेकिन यह संघर्ष में नहीं बदलना चाहिए। सदियों पीछे मुड़कर देखें तो भारत-चीन में संघर्ष का वास्तविक इतिहास नहीं है।
पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप इस्लामी आतंकवाद को हराने के लिए प्रतिबद्ध
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत-अमेरिका के बीच संबंध और प्रगाढ़ हुए हैं। इससे इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ दोनों देशों की लड़ाई को और बल मिला है। दुनिया में बढ़ते आतंकी गतिविधियों के खिलाफ मोर्चेबंदी तेज हो गई है। अमरीकी खुफिया प्रमुख तुलसी गबार्ड ने सोमवार को भारतीय नेताओं के साथ इस दिशा में मिलकर काम करने पर विचार-विमर्श किया। गबार्ड ने कहा, ‘राष्ट्रपति ट्रंप इस्लामी आतंकवाद के इस खतरे को हराने की प्रतिबद्धता के प्रति स्पष्ट रहे हैं। यह एक ऐसा खतरा है जिसे प्रधानमंत्री मोदी भी गंभीरता से लेते हैं। दोनों देश उसे हराने के लिए मिलकर काम करेंगे।’ इससे पहले रविवार को नई दिल्ली में अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी सहित बीस देशों के खुफिया प्रमुखों ने आतंकी गतिविधियों पर शिकंजा कसने की रणनीति पर चर्चा की थी।
राजनाथ सिंह ने खालिस्तानी चरमपंथियों का मुद्दा उठाया
मीडिया के चर्चा करते हुए तुलसी गबार्ड ने बांग्लादेश सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में ‘इस्लामिक खिलाफत’ (इस्लामी खलीफा का राज) का मंच तैयार करने के लिए चरमपंथियों और आतंकियों की साजिशों के बारे में भी बात की। उन्होंने इसे ‘वैश्विक पैटर्न’ बताया और कहा कि ट्रंप प्रशासन इस तरह के खतरे से निपटने में अपनी नीतियों को प्राथमिकता दे रहा है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तुलसी गबार्ड के साथ बैठक में अमरीका की धरती पर भारतीय हितों के खिलाफ काम कर रहे खालिस्तानी चरमपंथियों का मुद्दा उठाया। उन्होंने खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस की भारत विरोधी गतिविधियों की भी बात की। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत ने उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए कहा है। डोभाल और गबार्ड के बीच मुख्य रूप से खुफिया जानकारी साझा करने और सुरक्षा सहयोग करने पर हुई।
भगवान श्रीकृष्ण और भगवत गीता के बहुत प्रभावित हैं तुलसी
अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने कहा कि भगवद् गीता में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दी गईं शिक्षाएं उन्हें पूरे दिन शक्ति, शांति और आराम देती हैं। भारत दौरे पर आईं तुलसी ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और अपनी आध्यात्मिक साधना के बारे में बात की। तुलसी गबार्ड ने कहा कि मैं अपने अच्छे और बुरे समय में श्रीमद् भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षाओं का अनुसरण करती हूं। भगवान के साथ मेरा व्यक्तिगत संबंध मेरे जीवन का केंद्र है। मैं हर दिन ईश्वर को प्रसन्न करने वाला जीवन जीने की पूरी कोशिश करती हूं। ऐसा करने का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता है कि मैं ईश्वर की संतानों की सेवा करने की पूरी कोशिश करूं।
अर्जुन को दिए गए कृष्ण के उपदेशों को लगातार सीखती रहती हूं
उन्होंने कहा कि मेरे जीवन के अलग-अलग समय में चाहे वह दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में युद्ध क्षेत्रों में सेवा करना हो या फिर आज हमारे सामने आने वाली चुनौतियां हो, मैं भगवद् गीता में अर्जुन को दिए गए कृष्ण के उपदेशों का ही सहारा लेती हूं। वे मेरे सबसे अच्छे और सबसे बुरे समय में मेरे काम आते हैं। मैं कृष्ण से अर्जुन को दिए गए उपदेशों को लगातार सीखती रहती हूं। यह मुझे शक्ति, शांति और सुकून देता है। तुलसी गबार्ड ने कहा कि मुझे भारत से बहुत प्यार है। जब मैं यहां होती हूं तो मुझे हमेशा घर जैसा महसूस होता है। लोग बहुत स्वागत करने वाले और दयालु हैं। यहां खाना हमेशा स्वादिष्ट होता है। दाल मखनी और ताजा पनीर के साथ कुछ भी स्वादिष्ट होता है।