Home पोल खोल चिदंबरम के बोल से कांग्रेस चित: मुंबई हमले पर मनमोहन और ऑपरेशन...

चिदंबरम के बोल से कांग्रेस चित: मुंबई हमले पर मनमोहन और ऑपरेशन ब्लू स्टार पर इंदिरा गांधी को बनाया निशाना

SHARE

कांग्रेस के लिए बड़ी खबर है। यह अच्छी है या बुरी, इसका फैसला भी खुद कांग्रेस के नेता ही करेंगे। दरअसल, कांग्रेस को पूर्व गृह एवं वित्त मंत्री पी चिदंबरम के रूप में एक और थरूर मिल गए हैं। चिंदबरम पूर्व मंत्री रहे शशि थरूर के नक्शेकदम पर चलते हुए कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों की जानबूझकर की गई गलतियां गिना रहे हैं। एक के बाद एक आ रहे चिंदबरम के ऐसे बयानों से अब यह साफ हो गया है कि राहुल गांधी को दूसरे दलों में राजनीतिक विरोधियों की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि उनकी खुद की पार्टी में एक के बाद एक कांग्रेस की नीतियों के धुर-विरोधी सामने आ रहे हैं। दरअसल, राहुल गांधी जिन बैसिर-पैर के मुद्दों को उठाते हैं, उनपर कई कांग्रेस नेताओं का ही मतैक्य नहीं होता। जो चापलूस और दब्बू स्वभाव के कांग्रेसी हैं, वे चुप्पी साध जाते हैं और कुछ सिर उठाकर राहुल गांधी की गलतियों और कांग्रेस की नाकामियों को गिनाकर राहुल को ही कठघरे में ले आते हैं। कांग्रेस की गलतियों का भंडाफोड़ करने की जिम्मेदारी संभालते हुए पूर्व मंत्री पी चिदंबरम ने पहले मुंबई हमले में मनमोहन सिंह की सरकार को घेरा और इस बार हमला सीधा गांधी परिवार की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर किया है।

इंदिरा गांधी ने स्वर्ण मंदिर में सेना भेजने की भयंकर गलती की
पूर्व गृह एवं वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 1984 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत ऑपरेशन ब्लू स्टार की आलोचना की और इसे गलत बताया है। उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को स्वर्ण मंदिर में सेना भेजने की भयंकर गलती की कीमत जान देकर चुकानी पड़ी। खुशवंत सिंह साहित्य महोत्सव 2025 में बोलते हुए, पूर्व केंद्रीय गृह और वित्त मंत्री ने कहा कि सिखों के सर्वोच्च पूजा स्थल से सेना को बाहर रखकर स्वर्ण मंदिर को पुनः प्राप्त करने के लिए ऑपरेशन ब्लैक थंडर सही तरीका था। चिदंबरम लेखिका हरिंदर बावेजा के साथ ‘दे विल शूट यू, मैडम: माई लाइफ थ्रू कॉन्फ्लिक्ट’ पर एक चर्चा के दौरान एक सभा को संबोधित कर रहे थे। बता दें कि ऑपरेशन ब्लू स्टार 1 जून से 10 जून 1984 तक चला 10 दिनों का सैन्य अभियान था। 6 जून 1984 को, पंजाब में जरनैल सिंह भिंडरावाले के नेतृत्व में सिख उग्रवाद को रोकने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर में धावा बोला था।

पवित्र स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार से सिख समुदाय आहत हुआ
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के ऑपरेशन में स्वर्ण मंदिर और अकाल तख्त को नुकसान हुआ था। गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी से सिख समुदाय भी बेहद आहत हो गया था। इस ऑपरेशन में सिख चरमपंथियों से 400 से अधिक लोग मारे गए थे। तब ऐसी खबर थी कि भिंडरावाले ने स्वर्ण मंदिर परिसर में भारी मात्रा में हथियार छिपा रखे थे। भिंडरावाले कट्टरपंथी सिख संगठन दमदमी टकसाल का प्रमुख था। जून 1984 में स्वर्ण मंदिर परिसर से उग्रवादियों को बाहर निकालने के लिए भारतीय सेना द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान वह अपने सशस्त्र अनुयायियों के साथ मारा गया था। इस ऑपरेशन की भारी आलोचना हुई थी। कुछ महीनों बाद, 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों ने उनके नई दिल्ली स्थित आवास पर हत्या कर दी। बेअंत सिंह और सतवंत सिंह इंदिरा गांधी के अंगरक्षक थे और उन्होंने 31 अक्टूबर 1984 को उनके आवास पर उनकी हत्या कर दी थी।

चिदंबरम बोले- पंजाब की असली समस्या उसकी आर्थिक स्थिति
वरिष्ठ कांग्रेसी और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा, ‘जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से उग्रवादियों को बाहर निकालने के लिए चलाया गया ऑपरेशन ब्लू स्टार ‘गलत तरीका’ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस गलती की कीमत अपनी जान देकर चुकाई। पूर्व मंत्री ने कहा कि किसी सैन्य अधिकारी का अपमान किए बिना मैं कहना चाहता हूं कि स्वर्ण मंदिर को वापस पाने का वह गलत तरीका था। कुछ साल बाद हमने बिना सेना के उसे वापस पाने का सही तरीका दिखाया। ब्लू स्टार गलत तरीका था। इंडिया एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, चिदंबरम शनिवार को हिमाचल प्रदेश के कसौली पहुंचे थे। यहां ‘खुशवंत सिंह लिटरेचर फेस्टिवल’ में पत्रकार हरिंदर बावेजा की किताब ‘They Will Shoot You, Madam’ की चर्चा में शामिल हुए। चिदंबरम ने बुक की चर्चा के दौरान कहा कि मेरे पंजाब दौरों के दौरान मुझे महसूस हुआ कि खालिस्तान या अलगाव की राजनीतिक मांग अब लगभग खत्म हो चुकी है। आज की मुख्य समस्या आर्थिक है, सबसे अधिक अवैध प्रवासी पंजाब से ही हैं।

आइए, दमदमी टकसाल के प्रमुख जरनैल सिंह भिंडरांवाले से लेकर ऑपरेशन ब्लू स्टार और फिर इंदिरा गांधी की हत्या पर एक नजर डालते हैं…
• जरनैल सिंह भिंडरांवाले सिखों के कट्टर धार्मिक समूह दमदमी टकसाल का प्रमुख था। 13 अप्रैल 1978 को बैसाखी के दिन निरंकारी समुदाय का समागम हुआ। इस जुलूस के विरोध में भिंडरांवाले ने दरबार साहिब के पास परंपरागत सिखों की सभा बुलाई और जोरदार भाषण दिया।
• इसके बाद अखंड कीर्तनी जत्था और दमदमी टकसाल के लोगों का एक जुलूस निरंकारियों की तरफ बढ़ा। झड़प में 13 सिख और 2 निरंकारी मारे गए। 24 अप्रैल 1980 को निरंकारी पंथ प्रमुख गुरबचन सिंह की दिल्ली में उनके घर पर हत्या कर दी गई। अगले ही साल पंजाब केसरी के संस्थापक और संपादक लाला जगत नारायण की हत्या हुई। इन हत्याओं का आरोप भिंडरांवाले और उसके नए पॉलिटिकल फ्रंट ‘दल खालसा’ पर था।
• 1982 में भिंडरांवाले ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से सटे गुरु नानक निवास को अपना ठिकाना बना लिया। मंदिर के ठीक सामने अकाल तख्त है। यहीं से भिंडरांवाले सिखों के लिए कट्टर उपदेश और आदेश जारी करने लगा था।

• केंद्र की कांग्रेस सरकार ने 82 से 84 तक कई बार भिंडरांवाले को पकड़ने की कोशिश की थी, लेकिन नाकाम रही। अप्रैल 1983 में DIG एएस अटवाल की स्वर्ण मंदिर के कैंपस में सरेआम हत्या हुई थी, जिसके बाद स्थिति बिगड़ती देख, अक्टूबर 1983 में पंजाब की विधानसभा भंग कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।
• दिसंबर 1983 में भिंडरांवाले अकाल तख्त में जा घुसा। 27 मई 1984 को शिरोमणि अकाली दल के नेताओं ने भी भिंडरांवाले को समझाने की कोशिश की थी। लेकिन इन कोशिशों को सुनियोजित तरीके से आगे बढ़ाने के बजाए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मिलिट्री ऑपरेशन का रास्ता चुना। उन्हीं के आदेश पर स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया।
• सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस पूरे ऑपरेशन में 300 से 400 लोगों की मौत हुई, जबकि 90 सैनिक शहीद हुए। हालांकि चश्मदीद और मामले को करीब से देखने वाले लोगों की मानें तो करीब 1000 लोग मारे गए और 250 जवान शहीद हुए थे।
• कुछ महीनों बाद, 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों ने उनके नई दिल्ली स्थित आवास पर हत्या कर दी। बेअंत सिंह और सतवंत सिंह इंदिरा गांधी के अंगरक्षक थे और उन्होंने 31 अक्टूबर 1984 को उनके आवास पर उनकी हत्या कर दी थी।

मुंबई आतंकी हमले के बदले को मनमोहन सिंह ने रोका था
ऑपरेशन ब्लू स्टार से पहले मनमोहन सरकार में गृह मंत्री रहे पी चिदंबरम ने खुलासा किया था कि 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के बाद उनके मन में भी बदला लेने का विचार आया था, लेकिन उस वक्त की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सैन्य कार्रवाई नहीं करने का फैसला लिया। 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के 17 साल बाद पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई न करने का फैसला अंतरराष्ट्रीय दबाव और विदेश मंत्रालय के रुख के कारण लिया गया था। मुंबई हमले में 175 लोगों की जान गई थी। 60 घंटों तक 10 आतंकियों ने मुंबई की सड़कों, ताज होटल, सीएसटी रेलवे स्टेशन, नरीमन हाउस और कामा हॉस्पिटल को निशाना बनाया था। अंधाधुंध फायरिंग की थी।

पूरी दुनिया के दबाब आगे मनमोहन सरकार झुक गई- चिदंबरम
चिदंबरम ने न्यूज चैनल को बताया- “पूरी दुनिया का दबाव था। हमें युद्ध नहीं करने के लिए समझाया जा रहा था। तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री दिल्ली आईं और उन्होंने कहा- कृपया एक्शन नहीं लीजिएगा। कोई आधिकारिक राज उजागर किए बिना मैं मानता हूं कि मेरे मन में प्रतिशोध की भावना आई थी।” “मैंने जवाबी कार्रवाई पर PM और अन्य जिम्मेदार लोगों से चर्चा की थी। PM ने तो इस पर चर्चा हमले के दौरान ही कर ली थी। विदेश मंत्रालय का मानना था कि सीधा हमला नहीं करना चाहिए। इसके बाद सरकार ने कार्रवाई नहीं करने का फैसला लिया।”

पीएम मोदी ने पाकिस्तान को घर में घुसकर बार-बार मारा
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने X पर इस इंटरव्यू की क्लिप शेयर की है। उन्होंने लिखा- पूर्व गृह मंत्री ने मान लिया है कि देश पहले से जानता था कि मुंबई हमलों को विदेशी ताकतों के दबाव के चलते सही तरीके से हैंडिल नहीं किया गया। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने आरोप लगाया कि चिदंबरम पहले तो मुंबई हमलों के बाद गृह मंत्री का पद संभालने को लेकर हिचकिचा रहे थे, वे पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई चाहते थे, लेकिन बाकी लोग भारी पड़ गए। कांग्रेस सरकार के विपरीत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पाकिस्तान की किसी भी नापाक हरकत के बख्शते नहीं है। पुलवामा से लेकर पहलगाम तक पाकिस्तान को इतने करारे जवाब मिले हैं की उनकी रूह तक कांपने लगी है। बता दें कि मोदी सरकार ने सर्जिकल और एयर स्ट्राइक करने के बाद ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान को नेस्तनाबूद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। 2008 मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा का इसी साल अप्रैल में अमेरिका से भारत प्रत्यर्पण भी किया गया है। मुंबई हमले के मास्टरमाइंड डेविड हेडली की गवाही के आधार पर तहव्वुर राणा को 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।

कर्नाटक के केएन राजन्ना ने राहुल के वोट चोरी मुद्दे की पोल खोली
पूर्व मंत्री चिदंबरम से पहले कर्नाटक सरकार के सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना भी राहुल गांधी को उनके गलत मुद्दों पर सच का सामना करा चुके हैं। तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर तो इस मामले में काफी सुर्खियों में रहे हैं, लेकिन उन पर राहुल गांधी का अभी कोई बस नहीं चला है। थरूर के ही नक्शेकदम पर चलते हुए कर्नाटक सरकार के सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना ने वोट चोरी के मुद्दे पर राहुल गांधी को ही सच का सामना करा दिया। राजन्ना ने स्पष्ट शब्दों में राहुल गांधी की ओर से लगाए गए वोट चोरी के आरोपों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ही चुनाव से पहले मतदाता सूची में कथित खामियों को दूर करने में विफल रही। इसके लिए पार्टी को शर्मिंदा होना चाहिए। क्योंकि यदि कुछ ऐसा है तो ये अनियमितताएं हमारी आंखों के सामने हुईं हैं। कांग्रेस के युवराज राहुल को अपना ऐसा विरोध बहुत ही नागवार गुजरा। उन्होंने कर्नाटक के सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करवा दिया!

हमारी थी जिम्मेदारी, उस समय हम चुप क्यों रहे- राजन्ना
कांग्रेस नेता केएन राजन्ना ने कहा, ‘कांग्रेस ने उस समय इस पर ध्यान नहीं दिया, इसलिए आगे फिर तैयार रहना होगा।’ चुनाव में गड़बड़ी को लेकर उन्होंने कहा कि महादेवपुरा में सचमुच धोखाधड़ी हुई थी। एक शख्स तीन अलग-अलग जगहों पर पंजीकृत था और उसने तीनों जगह वोट दिया। जब मतदाता सूची का मसौदा तैयार हो रहा हो तो हमें नजर रखनी चाहिए और आपत्तियां दर्ज करानी चाहिए थीं, जो हमारी जिम्मेदारी है। उस समय हम चुप क्यों रहे, लेकिन अब उसके बारे में बात कर रहे हैं। वहीं राजन्ना की इस टिप्पणी से कांग्रेस पार्टी के प्रमुख नेता नाराज हैं। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि राजन्ना पूरी तरह से दोषी हैं और पार्टी नेतृत्व उनकी टिप्पणी का जवाब देगा। राजन्ना का इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों के आरोप लगाए हैं। दिल्ली में विपक्ष के सांसदों ने संसद से चुनाव आयोग के ऑफिस तक मार्च निकाला।

अगर हमारी आंखों के सामने गड़बड़ियां हुईं तो आपत्ति नहीं की
राजन्ना ने अपनी ही पार्टी पर आरोप लगाते हुए तुमकुरु में पत्रकारों से कहा था, मतदाता सूची तब बनाई गई थी, जब कर्नाटक में पार्टी सत्ता में थी। तब उन्होंने इस पर आंखे क्यों मूंद लीं। अगर हमारी आंखों के सामने गड़बड़ियां हुईं और हमने तब आपत्ति नहीं जताई, तो आज शिकायत करने का क्या औचित्य है। तब कम आबादी वाले इलाकों में संदिग्ध नाम जोड़े गए। ये सब हमारी आंखों के सामने हुआ, लेकिन निगरानी नहीं की गई। ये पार्टी की नाकामी है।

Leave a Reply