पीएम मोदी के नेतृत्व में प्रगति की पटरी पर बिहार
बीते 11 वर्षों में भारतीय रेलवे ने अभूतपूर्व प्रगति की है। इस दौरान बिहार में भी रेलवे का ऐतिहासिक विस्तार और आधुनिकीकरण हुआ है। कनेक्टिविटी, कैपैसिटी और यात्री सुविधाओं में जो प्रगति हुई है, उसने न केवल राज्य के करोड़ों लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाया है, बल्कि राज्य की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संभावनाओं को भी नई उड़ान दी है।
आज बिहार का रेल नेटवर्क विकास की धड़कन बन चुका है। यह राज्य को भारत के अन्य हिस्सों से जोड़ने के साथ-साथ स्थानीय व्यापार, पर्यटन, शिक्षा और रोजगार के लिए भी नए रास्ते खोल रहा है।
नए रेलवे ट्रैक का विस्तार: पटरी पर बढ़ता बिहार
रेलवे ट्रैक विस्तार के मामले में बिहार ने 2014 के बाद एक अभूतपूर्व गति पकड़ी है।
- 2009 से 2014 के दौरान, राज्य में औसतन केवल 63.6 किलोमीटर नए ट्रैक प्रतिवर्ष बने थे।
- लेकिन 2014 से 2025 तक यह औसत बढ़कर 172.6 किलोमीटर प्रतिवर्ष हो गया। यह औषत पहले के मुकाबले करीब ढ़ाई गुना ज्यादा है।
- साल 2023–24 में ही 361 किलोमीटर नए ट्रैक चालू किए गए।
बिहार में रेलवे का यह विस्तार सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि इससे रेल यात्रियों के लिए सुविधआएं भी तेजी से बढ़ रही हैं।
रेल बजट में ऐतिहासिक वृद्धि: केंद्र का विशेष फोकस
बिहार के रेलवे बजट में पिछले एक दशक में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है:
- 2009–2014 के बीच जहां वार्षिक औसत आवंटन केवल ₹1,132 करोड़ था,
- वहीं 2025–26 तक यह बढ़कर ₹10,066 करोड़ हो गया है।
यह लगभग नौ गुना की बढ़ोतरी है। इस बजट से न केवल ट्रैक और स्टेशन का विकास हुआ है, बल्कि नई ट्रेनें, पुल, इलेक्ट्रिफिकेशन और यात्रियों की सुविधाएं भी बेहतर हुई हैं। इसके साथ ही इससे पता चलता है कि केंद्र की मोदी सरकार ने बिहार की रेल जरूरतों को गंभीरता से लिया है और इसे नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
वंदे भारत, अमृत भारत और नमो भारत से जुड़ा बिहार
बिहार वासियों का सफर नई हाई स्पीड ट्रेनों से आसान हो रहा है। वंदे भारत, अमृत भारत और नमो भारत जैसी आधुनिक ट्रेनों ने बिहार को देश के नक्शे पर विकास और गति का नया प्रतीक बना दिया है। इन ट्रेनों ने न केवल यात्रा को आसान और आरामदायक बनाया है, बल्कि बिहार के गौरवशाली अतीत को भविष्य की प्रगति से जोड़ने का काम भी किया है। अभी बिहार से आठ अमृत भारत एक्सप्रेस, 13 वंदे भारत एक्सप्रेस व एक नमो भारत ट्रेन चलाई जा रही है। इतना ही नहीं आने वाले वक्त में तीन नई अमृत भारत और वंदे भारत एक्सप्रेस और बढ़ने जा रहा है। इसके बाद अमृत भारत ट्रेन की संख्या 11 व वंदे भारत ट्रेनें की संख्या 14 हो जाएगी।
यात्री सुविधाओं में तेजी से हो रहा बदलाव
बिहार में यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कई महत्त्वपूर्ण सुधार किए गए हैं:
- 2014 से अब कर बार में 115 नई ट्रेनों की शुरुआत हुई है।
- 300 से अधिक जोड़ी ट्रेनों को अतिरिक्त स्टॉपेज दिए गए हैं, जिससे ग्रामीण और छोटे शहरों को कनेक्टिविटी मिली है।
- किसानों को सशक्त करने हेतु बिहार की पहली किसान रेलगाड़ी शुरू की गई, जिससे कृषि उत्पाद अब दूर-दराज के बाजारों तक पहुंचने लगे हैं।
ये सुविधाएं यात्रियों के लिए सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण का माध्यम बन चुकी हैं।
जमीनी बदलाव और आंकड़ों से आगे की कहानी
रेलवे विकास केवल आंकड़ों में नहीं, बल्कि ज़मीनी हकीकत में भी दिखाई दे रहा है:
- नई लाइनों का निर्माण ग्रामीण और औद्योगिक क्षेत्रों को जोड़ रहा है।
- विद्युतीकरण से डीजल पर निर्भरता घट रही है और पर्यावरण की दृष्टि से भी यह लाभकारी है।
- दोहरीकरण से ट्रेनों की गति, समयबद्धता और सुरक्षा में बढ़ोत्तरी हुई है।
- आधुनिक पुलों और जंक्शनों का निर्माण राज्य में यातायात के नए आयाम खोल रहा है।
ये सब बदलाव बिहार को एक मजबूत और आधुनिक रेल नेटवर्क की ओर ले जा रहे हैं।
बिहार के भविष्य की नींव मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाएं
यह परियोजनाएं मुख्य रेल मार्गों पर ट्रैफिक दबाव को कम करने और समय की बचत के लिए की जा रही हैं।
- नई रेलवे लाइनों का विस्तार- ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों को मुख्य शहरों से जोड़ने के लिए नई रेलवे लाइनें बिछाई जा रही हैं, जिससे उन इलाकों में भी विकास की रोशनी पहुंच सके।
- आधुनिक ट्रेनें- वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी नई पीढ़ी की ट्रेनों ने बिहार के यात्री अनुभव को बदल दिया है। इन ट्रेनों की गति, सुरक्षा और सुविधा ने रेलवे की छवि को पूरी तरह से नया रूप दिया है।
अमृत भारत स्टेशन योजना: स्टेशन नहीं, स्मार्ट केंद्र
रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण के लिए अमृत भारत स्टेशन योजना शुरू की गई है, जिसमें बिहार के 98 स्टेशनों को शामिल किया गया है।
बिहार में रेलवे विकास की नई दिशा: बुनियादी ढांचे में ऐतिहासिक परिवर्तन
बिहार के 98 रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास कार्य जारी है। इन स्टेशनों को आधुनिक तकनीक, डिज़ाइन और सुविधाओं से लैस किया जा रहा है, जिससे यात्रियों को बेहतर, सुरक्षित और सुविधाजनक रेल अनुभव मिल सके। स्टेशनों पर प्रतीक्षालयों, स्वच्छता व्यवस्था, एस्केलेटर, लिफ्ट, बेहतर टिकटिंग सिस्टम और यात्री सूचना तंत्र जैसी सुविधाओं को प्राथमिकता दी जा रही है।
- पहले चरण में पीरपैंती और थावे स्टेशन को आधुनिक रूप दिया गया।
- गया, मुजफ्फरपुर, लखीसराय जैसे प्रमुख स्टेशनों पर काम तेजी से चल रहा है।
इन स्टेशनों को अब केवल यात्री चढ़ने-उतरने की जगह नहीं, बल्कि आधुनिक सुविधाओं से युक्त मिनी-हब में बदला जा रहा है।
आधुनिक रेल सेवाएं: नवाचार और सुविधा का संगम
22 अगस्त 2025 को दो प्रमुख रेल सेवाएं शुरू हुईं
- गया–दिल्ली अमृत भारत एक्सप्रेस
- वैशाली–कोडरमा बौद्ध सर्किट ट्रेन
इन सेवाओं ने ना केवल तीव्र गति से सफ़र को आसान बनाया, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को भी बढ़ावा दिया।
बिहार में तेजी से बढ़ रही वंदे भारत की पहुंच
देश में चल रही 144 वंदे भारत ट्रेनों में से 20 ट्रेनें बिहार से होकर गुजरती हैं, जो राज्य के लिए गौरव की बात है।
पर्व-त्योहारों के दौरान विशेष सेवाएं
2025 की दिवाली–छठ सीजन में रेलवे ने 12,000+ विशेष ट्रेनें चलाईं, जिससे लाखों यात्रियों को सफर की राहत मिली। यह रेलवे की तैयारी और और पर्व त्योहार को लेकर रेलवे की संवेदनशीलता का प्रमाण है।
आध्यात्मिक संपर्क: सांस्कृतिक चेतना को जोड़ता रेल नेटवर्क
बिहार की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को जोड़ने की दिशा में भी रेलवे ने ऐतिहासिक पहल की है।
- अयोध्या से सीतामढ़ी तक 256 किमी लंबी रेल लाइन की भी योजना है। यह परियोजना केवल एक रेल मार्ग नहीं, बल्कि रामायण सर्किट जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक यात्राओं को सुलभ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
विकास की रफ्तार, भविष्य की दिशा
बिहार का रेलवे नेटवर्क अब सिर्फ पटरियों और ट्रेनों का जाल नहीं है। यह राज्य के विकास की धड़कन बन चुका है। आर्थिक गतिविधियों का वाहक, सामाजिक एकता का माध्यम और सांस्कृतिक समृद्धि का संवाहक। रेल नेटवर्क के विकास ने यह सिद्ध किया है कि जब संकल्प शक्ति मजबूत हो तो कोई भी राज्य पिछड़ा नहीं रह सकता।