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प्रधानमंत्री मोदी के 53 दौरे: ‘जंगलराज’ से ‘विकासराज’ तक परिवर्तन के 11 साल

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पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के 53 दौरे किए। यह संख्या महज एक राजनीतिक कैलेंडर नहीं, बल्कि बिहार को पिछड़ेपन और हाशिये से निकालकर विकास की मुख्यधारा में लाने के उनके संकल्प की गवाही है। हर यात्रा के साथ बिहार को नई परियोजनाएं, नई सौगातें और नई संभावनाएं मिलीं। आज राज्य सड़क, रेल, शिक्षा, कृषि, ऊर्जा, खेल और उद्योग हर क्षेत्र में नई रफ्तार से आगे बढ़ रहा है।

बिहार में विकास का नया दौर 

2014 में केंद्र में एनडीए सरकार बनने के तुरंत बाद पीएम मोदी ने बिहार के लिए विकास का रोडमैप तैयार किया। शुरुआती दौरों में मुख्य ध्यान बुनियादी ढांचे पर रहा। नदियों पर पुलों का निर्माण, राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का विस्तार और बिजली आपूर्ति को बेहतर करने के प्रोजेक्ट्स पर फोकस किया गया। इस दौरान बिहार के दूर-दराज के इलाकों में पहली बार 24 घंटे बिजली और बेहतर सड़क कनेक्टिविटी का सपना साकार होने लगा।

शिक्षा और सांस्कृतिक पुनर्जागरण

पीएम मोदी ने बिहार की गौरवशाली शिक्षा व्यवस्था को एक नया जीवन देने का संकल्प लिया। विक्रमशिला विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा, नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण पर बल, भागलपुर, पटना और गया को उच्च शिक्षा के नए केंद्र के रूप में विकसित करने की योजनाएं राज्य में  शिक्षा और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के बड़े उदाहरण हैं।

इतना ही नहीं रेल कनेक्टिवी पर फोकस कर रेल यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ानें , सफर का समय कम करने और आर्थिक विकास पर जोर देने के प्रयास भी किए गए। पटना, बक्सर, सासाराम जैसे रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प और नई वंदे भारत ट्रेनों की शुरुआत से बिहार में रेल यात्रियों का सफर और आसान हुआ।

आत्मनिर्भर भारत, आत्मनिर्भर बिहार

कोविड-19 महामारी के दौरान बिहार को बड़े पैमाने पर केंद्र की योजनाओं का लाभ मिला। पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त राशन, उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त गैस सिलेंडर, और पीएम किसान सम्मान निधि की किस्तें सीधे खातों में पहुंचीं। इसी दौरान बिहार के लिए कई औद्योगिक कॉरिडोर, मल्टी-लेन एक्सप्रेसवे और कृषि-प्रोसेसिंग हब की नींव रखी गई

कृषि और ग्रामीण समृद्धि पर फोकस

पीएम मोदी ने बिहार के किसानों के कल्याण के लिए निरंतर प्रयास किए हैं।  मखाना को वैश्विक ब्रांड बनाने के लिए मखाना बोर्ड का गठन, बरौनी खाद कारखाने का पुनर्जीवन, और धन-धान्य योजना के तहत पिछड़े जिलों को कृषि में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य तय किया गया। ‘लखपति दीदी’ मिशन के तहत हजारों स्वयं सहायता समूहों को फंडिंग दी गई, जिससे ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार हुआ।

मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर से मिलेगी नई पहचान

पीएम मोदी ने बिहार के विकास के लिए कोई कोर कसर नहीं रखी है। 2025 में पीएम मोदी के कई अहम दौरों से राज्य के विकास को नई गति मिली है।

  • जुलाई 2025, मोतिहारी: ₹7,217 करोड़ की 200 से अधिक परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास। इसमें सड़क, रेल और कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कई प्रोजेक्ट शामिल हैं।
  • मई 2025, बिक्रमगंज: ₹48,500 करोड़ की योजनाओं की सौगात, जिसमें नबीनगर का 2400 मेगावाट का सुपर थर्मल पावर प्लांट और पटना-सासाराम एक्सप्रेसवे प्रमुख रहे।
  • फरवरी 2025, भागलपुर: पीएम किसान सम्मान निधि की 19वीं किस्त जारी करने के साथ ही कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए विशेष योजनाओं का ऐलान किया।

अपने इन दौरों के दौरान पीएम मोदी ने विपक्ष के ‘जंगलराज’ वाले दौर को याद दिलाते हुए कहा कि “पंजा और लालटेन के शिकंजे” ने बिहार को पलायन का प्रतीक बना दिया था, जबकि आज बिहार समृद्धि और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।

अगस्त 2025, गया दौरा: मगध के विकास का पैकेज

अब पीएम मोदी एक बार फिर बिहार के दौरे पर जाने वाले हैं, बिहार के विशेषकर मगध के लोगों को उम्मीद है कि उनके गया दौरे में भी बिहार को विकास की नई सौगात मिलने वाली है। इससे ना सिर्फ क्षेत्रीय विकास को गति मिलेगी बल्कि पर्यटन के साथ ही रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा।

जंगलराज से विकासराज तक

पीएम मोदी की इन 53 यात्राओं ने बिहार को एक स्पष्ट संदेश दिया है। राज्य में विकास अब चुनावी नारा नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत है।

  • सड़क और रेल के जाल से कनेक्टिविटी बेहतर हुई
  • औद्योगिक और कृषि उत्पादन को वैश्विक बाजार से जोड़ा गया
  • शिक्षा, खेल और सांस्कृतिक धरोहरों को नई पहचान मिली
  • सुरक्षा और कानून-व्यवस्था में सुधार से निवेश का माहौल बना

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मोतिहारी में कहा था —जब बिहार आगे बढ़ेगा, तो देश आगे बढ़ेगा।” यह केवल एक भाषण की लाइन भर नहीं है। बल्कि उनके 53 दौरों में लिखी गई एक विकास गाथा है।

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