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डबल इंजन सरकार में समृद्ध बिहार का निर्माण : 2014-24 के दौरान मोदी सरकार ने दी 9.23 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक मदद

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बिहार आज विकास की एक प्रेरणादायक गाथा लिख रहा है। पिछले एक दशक में केंद्र सरकार द्वारा राज्य को दी गई अभूतपूर्व वित्तीय सहायता ने बिहार की समृद्धि की राह खोल दी है। पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के दौरान, 2004-14 की तुलना में बिहार को मिलने वाली आर्थिक सहायता तीन गुना से अधिक बढ़कर 2014-24 के दौरान ₹9.23 लाख करोड़ तक पहुंच गई। यह निवेश न केवल राज्य की सामाजिक और आर्थिक संरचना को बदल रहा है, बल्कि बिहार को पूर्वी भारत का प्रमुख आर्थिक हब बनाने में भी मददगार बन रहा है।

सड़क और राजमार्ग विकास: अर्थव्यवस्था में तेजी से विभिन्न वर्ग के लोगों को फायदा- बिहार में सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में अभूतपूर्व प्रगति हुई है।

  • राज्य के लगभग 90 प्रतिशत राष्ट्रीय राजमार्ग अब डबल लेन या उससे अधिक चौड़े हैं।
  • पिछले 5 वर्षों में 850 किलोमीटर से अधिक लंबे 4-लेन और उससे अधिक चौड़े राष्ट्रीय राजमार्ग बन चुके हैं।
  • इस तेज़ विकास से क्षेत्रीय संपर्क मजबूत हुआ है, यात्रा की सुविधा बढ़ी है और माल एवं सेवाओं की आवाजाही में सुधार हुआ है।

ग्रामीण संपर्क और स्थानीय अर्थव्यवस्था में सुधार

राष्ट्रीय राजमार्ग-120 के बिक्रमगंज-दावथ-नवानगर-डुमरांव खंड को पक्की दो-लेन सड़क में अपग्रेड किया गया। इस परियोजना ने ग्रामीण संपर्क को मजबूत किया। इससे किसानों, व्यापारियों और श्रमिकों को अपने उत्पाद बाजार तक पहुंचाने में सुविधा हुई है।

18 जुलाई 2025 को प्रधानमंत्री ने आरा बाईपास (NH-319) को चार लेन बनाने की आधारशिला रखी, जिससे आरा-मोहनिया और पटना-बक्सर के बीच यातायात का प्रवाह बेहतर होगा। साथ ही ₹820 करोड़ की लागत से NH-319 के पररिया से मोहनिया खंड का उद्घाटन हुआ है। इससे क्षेत्रीय व्यापार और परिवहन को नई ऊर्जा मिल रही है।

बिहार बन रहा पूर्वी भारत का लॉजिस्टिक्स हब- बिहार में ग्रीनफील्ड पटना-आरा-सासाराम कॉरिडोर (NH-119A) जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर काम चल रहा है।

  • यह 120.10 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर लगभग ₹3,712.4 करोड़ की लागत से विकसित किया जा रहा है।
  • यह राज्य के राजमार्गों पर यातायात की भीड़ को कम करेगा। यह NH-19, NH-319, NH-922, NH-131G, NH-120 जैसे राष्ट्रीय राजमार्गों से जोड़ता है।
  • परियोजना के पूरा होने पर दो हवाई अड्डे, चार रेलवे स्टेशन और पटना के अंतर्देशीय जल टर्मिनल जुड़े होंगे।
  • इसके अलावा, एनएच-22 (पटना-गया-डोभी खंड) का चार लेन विस्तार ₹5,520 करोड़ की लागत से पूरा हुआ है।
  • एनएच-119ए, एनएच-319बी और एनएच-119डी को छह लेन बनाने का कार्य जारी है।
  • गंगा नदी पर बक्सर और भरौली के बीच नया पुल भी निर्माणाधीन है।

औंटा-सिमरिया पुल: बिहार की कनेक्टिविटी में एक मील का पत्थर- हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय राजमार्ग-31 पर 8.15 किलोमीटर लंबे औंटा-सिमरिया पुल का उद्घाटन किया। इस परियोजना में गंगा नदी पर 1.86 किलोमीटर लंबा छह लेन का पुल शामिल है, जिसका निर्माण लगभग ₹1,870 करोड़ की लागत से हुआ।

यह पुल, सात दशक पुराने राजेंद्र सेतु के समानांतर बनाया गया है और पटना जिले के मोकामा और बेगूसराय के बीच सीधा संपर्क बनाता है। इससे भारी वाहनों की यात्रा दूरी लगभग 100 किलोमीटर तक घट गई है, जिससे परिवहन व्यवस्था में सुधार हुआ है। साथ ही, यह पुल महाकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मभूमि और पवित्र सिमरिया धाम तक आसान पहुंच भी बनाता है।

बिहार में बुनियादी ढांचे का व्यापक प्रभाव- राज्य में सड़क और पुल परियोजनाओं से केवल कनेक्टिविटी मजबूत नहीं हुई है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार और रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। राज्य में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच संपर्क बेहतर हुआ है, जिससे आर्थिक और सामाजिक विकास दोनों को नई गति मिली है। बुनियादी ढांचे के इस तेजी से विकसित हो रहे नेटवर्क के माध्यम से बिहार अब पूर्वी भारत का एक आधुनिक लॉजिस्टिक्स हब बनने की दिशा में अग्रसर है। यह विकास न केवल बिहार की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगा, बल्कि पूरे क्षेत्र के समग्र विकास में भी योगदान देगा।

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