मुर्शिदाबाद में हिंसा के मामले में ममता बनर्जी सरकार कदम-कदम पर बुरी तरह फेल साबित हुई है। अब यह बड़ा खुलासा हुआ है कि यहां पर हिंसा की सुनियोजित साजिश तीन महीने से ज्यादा समय से चल रही थी। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद को छोटा बांग्लादेश बनाने के लिए उपद्रवियों और दंगाइयों के पास पैसा तुर्किए तक से आ रहा था। पत्थरबाज, उपद्रवी और आगजनी करने वालों को बकायदा इसके लिए पांच-पांच सौ रुपए तक दिए गए। पश्चिम बंगाल में हिंदुओं के खिलाफ माहौल बनाने के लिए विदेशों तक से फंडिंग हो रही थी और राज्य की तृणमूल सरकार हाथ पर हाथ धरे मौन ही बैठी रही। इसका खामियाजा निर्दोष हिंदुओं ने आगजनी, मारपीट और पलायन के रूप में भुगता। वक्फ कानून को लेकर विरोध में पश्चिम बंगाल में भारी हिंसा देखने को मिली। मुर्शिदाबाद में हिंसा में 4 लोगों को मौत का शिकार होना पड़ा। सैकड़ों लोग घायल हुए तो वहीं कई लोगों को अपना घर छोड़कर दूसरी जगह पलायन को मजबूर होना पड़ा। हिंसा को देखते हुए केंद्रीय सुरक्षा बल को तैनात किया गया और हिंसाग्रस्त इलाके में कड़ा पहरा है।
वक्फ बिल के नाम पर आतंकवाद फैलाने का नया तरीका
इस बीच मुर्शिदाबाद दंगा मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। भारतीय जांच एजेंसियों के सूत्रों की मानें तो इस हिंसा की प्लानिंग लंबे समय से की जा रही थी। पिछले 3 महीनों से इलाके के लोग इस घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। इसके लिए विदेशों से फंडिंग की गई थी। पूरे मामले की जांच के दौरान एजेंसी ने पाया कि यह आतंकवाद फैलाने का नया तरीका है। दो महीने पहले अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एटीबी) के दो जाने-माने सदस्य मुर्शिदाबाद आए और कहा कि एक बड़ी दावत होगी। वे ट्रिगर पॉइंट का इंतजार कर रहे थे। शुरू में रामनवमी की तारीख तय थी, लेकिन सुरक्षा के कारण चीजें बदल गईं, लेकिन वक्फ बिल ने ट्रिगर पॉइंट दे दिया।उपद्रवकारियों को विदेशों से हो रही थी फंडिंग और ट्रेनिंग
सुरक्षा जांच एजेंसियों के मुताबिक हमलावरों और उपद्वियों से कहा गया था कि वे जितनी ज्यादा चीजों को खराब करेंगे उन्हें उतना ही ज्यादा पैसा दिया जाएगा। शुरू में एक सूची बनाई गई थी कि यदि वे अपने किए का ब्यौरा देंगे तो उन्हें कितना धन दिया जाएगा। इसी कड़ी में ट्रेनों को बाधित करना, सरकारी संपत्ति को खत्म करना, हिंदुओं की हत्या करना, घरों को लूटना उनका टारगेट था। इसके लिए उन्हें बकायदा विदेशों से फंडिंग और ट्रेनिंग भी दी गई। बता दें कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में 10 अप्रैल से हिंसा जारी है। मुर्शिदाबाद में पहले से ही सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के करीब 300 जवान तैनात हैं और केंद्र ने व्यवस्था बहाल करने में मदद के लिए केंद्रीय बलों की पांच अतिरिक्त कंपनियां तैनात की हैं।
मुर्शिदाबाद को छोटा बांग्लादेश बनाने की थी साजिश
मुर्शिदाबाद हिंसा की प्लानिंग और पूरे खर्च का दारोमदार तुर्की और बांग्लादेश के भरोसे चल रहा था। यहीं से हिंसा को लेकर पूरा फंड दिया जा रहा था। जांच एजेंसियों की माने तो इस योजना में शामिल हर हमलावर और पत्थरबाजों को लूटपाट के लिए 500-500 रुपए दिए गए थे। इनकी पिछले तीन महीनों से लगातार ट्रेनिंग चल रही थी। साजिशकर्ताओं ने बंगाल को भी छोटा बांग्लादेश बनाने की योजना बनाई थी। जैसे दंगे बांग्लादेश हिंसा में देखने को मिले थे, ठीक वैसे ही यहां भी प्लान था। बता दें कि केंद्र सरकार के वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर भड़की हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों को आग लगा दी, सड़कों पर मारपीट और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की भी घटनाओं को अंजाम दिया गया।मुर्शिदाबाद हिंसा और उपद्रव में बांग्लादेशी कट्टरपंथी भी शामिल
हाल ही में मुर्शिदाबाद हिंसा में बांग्लादेशी कनेक्शन भी सामने आया। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने खुफिया रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि बांग्लादेश के दो कट्टरपंथी संगठनों जमात-उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) ने इसे अंजाम दिया था। हिंसा में पिता-पुत्र की हत्या मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है। एक आरोपी बीरभूम और दूसरा बांग्लादेश बॉर्डर से पकड़ा गया है। इनके नाम कालू नदाब और दिलदार नदाब हैं। मुर्शिदाबाद हिंसा में 4 लोगों की मौत हुई, जबकि 15 पुलिसकर्मी घायल हैं। अब तक 300 से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए हैं। हिंसाग्रस्त इलाकों में केंद्रीय सुरक्षा बलों के 1600 जवान तैनात हैं।
दहशतजदा लोग बोले- BSF हटाई तो फिर होगी दिक्कत
मुर्शिदाबाद में हिंसा के 5 दिन बाद हालात सामान्य हो गए हैं। प्रशासन ने कहा- हिंसा वाले शहर धुलियान में स्थिति नियंत्रण में है। लोग अब धीरे-धीरे काम पर लौट रहे हैं। धुलियान से पलायन कर चुके 500 से ज्यादा लोग अब वापस आ रहे हैं। हिंसा प्रभावित शमशेरगंज के एक निवासी हबीब-उर-रहमान ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा- BSF और CRPF की तैनाती होने के बाद ही माहौल कुछ शांत हुआ है। प्रशासन ने हमसे दुकान खोलने और अनुशासन बनाए रखने को कहा है। कई लोगों ने BSF की स्थायी तैनाती की मांग भी की है। उनका कहना है कि अगर BSF हटी तो फिर से हालात खराब हो सकते हैं। दूसरी ओर राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने मुर्शिदाबाद में हुई हालिया हिंसा की जांच के लिए एक जांच कमेटी बनाई है। आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर खुद हिंसा-प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगी और पीड़ितों से मुलाकात करेंगी। NCW ने यह भी कहा है कि महिलाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी।हिंदुओं को मौत की नींद सुलाने के लिए पानी में मिलाया जहर
इससे पहले पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में उपद्रवकारियों की एक और करतूत का खुलासा हुआ था। इन आताताइयों ने हिंदुओं को मौत की नींद में सुलाने के लिए इनके क्षेत्र की पानी की टंकी में जहर मिला दिया! ताकि जहरीला पानी पीने के बाद लोग मौत के शिकार बन जाएं और इन पर कोई शक भी ना करे। इतना ही नहीं उपद्रवकारियों ने नैतिकता की सारी सीमाएं लांघकर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की और कई गैस सिलेंडरों को आग के हवाले कर दिया। एक जाति विशेष के इन बदमाश अपराधियों ने अपना इतना खौफ पैदा कर दिया कि हिंसाग्रस्त इलाकों से हिंदुओं का पलायन करना ही शुरू हो गया है। इतना सब होने के बावजूद पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। सरकारी अमले ने इस ओर से आंखें मूंद लीं है। इससे दंगाइयों के हौंसले और बढ़ गए हैं।
पीड़ितों का दर्द सुनकर आगबबूला हो जाएंगे आप
मुर्शिदाबाद में हिंसा की वजह से हिंदुओं को पलायन को मजबूर होना पड़ रहा है। उपद्वियों के डर से भागे लगभग 500 हिंदू परिवारों ने मालदा जिले के एक स्कूल में शरण ली है। उनकी आंखों में अब भी डर और असुरक्षा की झलक साफ देखी जा सकती है। उन्होंने जो आपबीती बताई, उसे सुनकर आप भी आगबबूला हो जाएंगे। शमशेरगंज और धुलियान जैसे हिंसा-प्रभावित इलाकों से भागे हुए लगभग 500 परिवारों ने मालदा जिले के वैष्णवनगर परलाल हाई स्कूल में शरण ली है। पीड़ितों के मुताबिक, उन्हें अपने घर जलते हुए छोड़कर नाव के सहारे नदी पार करनी पड़ी। अब वे एक स्कूल के छोटे-छोटे कमरों में बेजान हालात में जी रहे हैं। शुक्रवार और शनिवार को प्रदर्शन के नाम पर हिंसा, आगजनी और लूटपाट का ऐसा तांडव हुआ कि लोग जान बचाकर गांव छोड़ने को मजबूर हो गए। इस हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं।
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*In Murshidabad, poison has been mixed into the water tanks used by Bengalis so they can be wiped out!*Today, in Murshidabad, Bengali Hindus are refugees in their own homeland. What was the fault of a five-month-old baby? Why was poison mixed into the water meant for her? pic.twitter.com/nxwZw5dKTg
— Tushar Kanti Ghosh (@TusharKantiBJP) April 13, 2025
जहरीला पानी पीने से कई लोग बीमार पड़े
मुर्शिदाबाद से एक बेहद चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यहां के कुछ इलाकों में पानी की टंकियों में जहर मिलाए जाने की बात सामने आई है। यह जहर उन टंकियों में मिलाया गया, जिनका उपयोग स्थानीय बंगाली हिंदू समुदाय द्वारा किया जा रहा था। इस घटना ने इलाके में डर और गुस्से का माहौल पैदा कर दिया है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, इस जहरीले पानी से कई लोग बीमार पड़ गए हैं, जिनमें छोटे बच्चे भी शामिल हैं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में लोग सवाल कर रहे हैं कि इस पांच महीने की मासूम बच्ची की क्या गलती थी? इस घटना के बाद से लोग आक्रोशित हैं और इंसाफ की मांग कर रहे हैं। कुछ परिवारों ने तो यहां तक कहा है कि वे अब अपने ही घर में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे और पलायन का मन बना रहे हैं।
अगर बीएसएफ और पुलिस ना होती, तो शायद ही जिंदा होते
अपना घर-बार छोड़ने के मजबूर हुई एक महिला ने रोते हुए बताया, ‘हमारे पास जो कुछ भी था, सब दंगाइयों ने जला दिया गया। उन्होंने पेट्रोल छिड़ककर घरों में आग लगा दी। पानी की टंकी में जहर मिला दिया। बच्चों ने सुबह से कुछ नहीं खाया है। हमें पीने तक को पानी नहीं मिल रहा। हम नाव से जान बचाकर भागे हैं। अगर बीएसएफ और पुलिस नहीं होती, तो शायद हम जिंदा न होते।’ हिंसा के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। केंद्रीय बलों की 17 कंपनियां मुर्शिदाबाद में तैनात की गई हैं। अर्धसैनिक बल स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। अफवाहों के चलते मुर्शिदाबाद, मालदा और बीरभूम के कुछ इलाकों में इंटरनेट सेवाएं 15 अप्रैल तक अस्थायी रूप से बंद कर दी गई हैं।
महिलाओं के साथ छेड़छाड़, गैस सिलेंडर में आग
अभी लोग संदेशखाली में महिलाओं के साथ बदसलूकी की घटनाओं को नहीं भूले हैं कि मुर्शिदाबाद और अन्य इलाकों में ऐसी घटनाएं सामने आने लगी हैं। पीड़ितों ने आरोप लगाया कि हिंसा के दौरान हथियारबंद उपद्रवियों ने महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की। यहां तक उन्होंने लड़कियों तक को नहीं छोड़ा। एक महिला ने बताया कि हमलावर दंगाई ‘बम, बंदूक और चाकू लेकर आए थे। उन्होंने घरों में लूटपाट की, गैस सिलेंडर में आग लगा दी।’ कुछ ने बताया कि महिलाओं को धमका कर बदसलूकी की गई और घरों में रखे गहनों, फर्नीचर और यहां तक कि मवेशियों तक को नहीं छोड़ा गया। स्कूलों में शरण लिए लोगों की आंखों में डर, बेबसी और असहायता साफ झलक रही है। जिनका सब कुछ लूट चुका है, उनके लिए यह भयावह मंजर एक सपने की तरह है जो कभी खत्म नहीं होता।
Lesson for Hindus : schemes like Lakshmi Bhandar Scheme will give your women Rs 1000 per month but know that it also amounts to sacrificing safety of women of your household – today it is this woman of Samserganj, tomorrow it could be anyone from your own districts- Save Hindu… pic.twitter.com/x4S5B0yTAx
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) April 12, 2025
हिंसाग्रस्त इलाकों के पीड़ितों से मिले बीजेपी विधायक
भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार पर सीधा हमला बोला है। नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने साफ कहा कि हिंदुओं की हत्या, दुकानें लूटना और मंदिर तोड़ना – यही तुष्टिकरण की राजनीति है। रविवार को बीजेपी के पांच विधायकों का प्रतिनिधिमंडल पीड़ितों से मिलने मालदा पहुंचा। इसके अलावा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने पीड़ितों से मिलकर कहा, ‘बंगाल के हिंदू अब समझ चुके हैं कि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल को लाइट बांग्लादेश बनाने में सफल हो गई हैं। हम वादा करते हैं कि बीजेपी की सरकार बनने के बाद ऐसे हमलावरों को सीधा बाहर निकालने की जिम्मेदारी हमारी होगी।’
धुलियान से 400 से ज्यादा हिंदू परिवार पलायन को मजबूर
वक्फ संशोधन कानून के विरोध में बंगाल में हिंसक प्रदर्शन के बाद बड़ी संख्या में लोग हिंसा प्रभावित इलाकों से घर छोड़कर पलायन कर रहे हैं। बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर बताया कि कट्टरपंथियों के डर से मुर्शिदाबाद के धुलियान से 400 से ज्यादा हिंदू नदी पार कर लालपुर हाई स्कूल, देवनापुर-सोवापुर जीपी, बैसनबनगर, मालदा में शरण लेने को मजबूर हुए हैं। इसी बीच, रविवार को मुर्शिदाबाद के फरक्का इलाके में भी तनाव फैल गया। हिंसा के बाद सैकड़ों लोग अपने घर छोड़कर भागने के लिए बाध्य हुए हैं। आगजनी, तोड़फोड़ और पानी में जहर मिलाने की घटनाओं से लोग आतंकित हैं। मालदा में शरणार्थियों ने घरों में हुई तोड़फोड़ और अपने खोए हुए घर-बार की पीड़ा बयां की है।
सीमावर्ती जिलों को अफस्पा कानून के तहत अशांत क्षेत्र घोषित करें
भाजपा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा, जिसमें कहा कि ‘ बंगाल के सीमावर्ती जिलों को अफस्पा कानून के तहत अशांत इलाके घोषित कर देना चाहिए।’ महतो ने बंगाल में हिंदुओं के पलायन की तुलना 1990 में कश्मीरी पंडितों के पलायन से की। भाजपा नेता प्रदीप भंडारी ने हिंसा के लिए सीएम ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराया। अन्य भाजपा नेताओं ने भी हिंसा के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया। वहीं, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने बताया कि ‘किसी को भी कानून हाथ लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।’
#WATCH | Kolkata: Union Minister and West Bengal BJP President Sukanta Majumdar says, “The situation has improved a bit (in Murshidabad) after the deployment of central forces, but the situation is still not such that Hindus can live freely with their heads held high. People who… pic.twitter.com/zyYxAcFXKz
— ANI (@ANI) April 13, 2025
मुर्शिदाबाद हिंसा से निपटने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाएं
मुर्शिदाबाद में हिंसा, उपद्रव और आगजनी की घटनाओं के लेकर भाजपा ही नहीं इंडी गठबंधन में अपनी सहयोगी तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ कांग्रेस पार्टी भी हमलावर है। मालदा दक्षिण के कांग्रेस सांसद ईशा खान चौधरी ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार से मुर्शिदाबाद जिले में शांति बहाल करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने की अपील की। इस बीच राज्यपाल सीवी आनंद बोस में सीएम ममता बनर्जी से बात की और केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र भेजा है। उधर, बंगाल फ्रंटियर के आईजी करणी सिंह शेखावत ने कहा, मुर्शिदाबाद में बीएसएफ की 10 और सीआरपीएफ की 5 कंपनियां तैनात की गई हैं।
चाय की चुस्कियों के बीच सनातन धर्म की चर्चा
इस बीच पश्चिम बंगाल के ओल्ड मालदा के बुलबुली मोड़ पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सीनियर लीडर दिलीप घोष ने स्थानीय लोगों के साथ चाय पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों पर खुलकर बात की और सनातन धर्म की रक्षा के लिए लोगों से एकजुट होने का आह्वान किया। इस कार्यक्रम में सबसे पहले बुलबुली मोड़ पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके बाद चाय की चुस्कियों के बीच उन्होंने आम लोगों से उनकी समस्याएं सुनीं और पार्टी की योजनाओं के बारे में बताया। और सनातन धर्म की रक्षा के लिए लोगों से एकजुट होने का आह्वान किया। इस अवसर पर उत्तर मालदा के भाजपा सांसद खगेन मुर्मू, विधायक गोपाल साहा, कई भाजपा नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे। चर्चा के दौरान दिलीप घोष ने हाल ही में मोथाबाड़ी में हुई घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह रामनवमी के अवसर पर लोग एकजुट होकर सड़कों पर उतरे, उसी तरह सनातन धर्म को बचाने के लिए भी लोगों को एकजुट होना होगा।
आइए, हिंदू विरोधी ममता बनर्जी के शासनकाल की अराजकता, तानाशाही और हिंदू विरोधी मानसिकता पर एक नजर डालते हैं…
सबूत नंबर-21
राम नाम मास्क बांटने पर बीजेपी नेता गिरफ्तार
पश्चिम बंगाल के हुगली में जय श्रीराम मास्क बांटना ममता बनर्जी की पुलिस को रास नहीं आया। पुलिस मास्क बांटने वाले बीजेपी नेताओं को पकड़कर ले गई। हुगली के सेरामपुर में बीजेपी नेता अमनिश अय्यर लोगों को ‘जय श्रीराम’ लिखा मास्क बांट रहे थे। इसी दौरान पुलिस वहां पहुंची और बीजेपी नेता को गिरफ्तार करके ले गई। इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने विरोध जताते हुए जमकर जय श्रीराम के नारे लगाए। बीजेपी ने मास्क बांटने पर पार्टी नेता को गिरफ्तार करने को पूर्ण तानाशाही करार दिया है।
Absolute Dictatorship!
BJP worker arrested by Serampore, Hooghly police. His ‘grave crime’ was that he dared to wear & distribute “Jai Shri Ram” masks.
This is Pishi’s Bengal where Democracy has died a thousand deaths! pic.twitter.com/k4OzZNW5Aa
— BJP Bengal (@BJP4Bengal) February 10, 2021
ममताजी की दमनकारी नीति के खिलाफ शेरदिल कार्यकर्ताओं का आंदोलन…
राम नाम के मास्क बाँटना भी अपराध है। pic.twitter.com/2rtVX8knyN
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) February 10, 2021
सबूत नंबर-20
भगवा टीशर्ट पहनने और जय श्रीराम बोलने से रोका
इसके पहले 7 फरवरी, 2021 को भगवा टीशर्ट पहनने और जय श्रीराम बोलने वालों को धमकाया गया। कोलकाता के इको पार्क में पुलिस के एक अधिकारी ने लोगों से साफ कहा कि आप लोग यहां जय श्री राम का नारा नहीं लगा सकते हैं।
Are we in Pakistan?
Is there any democracy left in Bengal?
Sad to see that the public of Bengal can’t say “Jai Shri Ram” nor they can wear “bhagwa” t-shirt in bengal.
We DO NOT want this bengal?@TajinderBagga @KapilMishra_IND @TheShaktiSpeaks @KailashOnline @MenonArvindBJP pic.twitter.com/Y1Tra2xPkG— Manish Sharma (@idigitalmanish) February 7, 2021
सबूत नंबर-19
पार्टी नेता ने जय श्रीराम बोलने वालों को धमकाया
हाल ही में उनकी पार्टी के एक नेता ने जय श्रीराम बोलने वालों को धमकाया। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक नेता ने लोगों को धमकाते हुए कहा कि अगर बंगाल में रहना चाहते हो तो यहां ‘जय श्री राम’ के नारे नहीं लगा सकते। वीडियो में किसी सभा को संबोधित करते हुए टीएमसी नेता ने बंगाली में कहा कि राज्य में जय श्री राम बोलने की अनुमति नहीं है। यहां इन सब चीजों की अनुमति नहीं दी जाएगी। जो लोग इसका जाप करना चाहते हैं वे मोदी के राज्य गुजरात में जाकर ये कर सकते हैं।
One cannot even utter “Jai Shree Ram” in Mamata’s Bengal! TMC leader openly threatening and asking people to move to Gujarat, if they want to chant Jai Shri Ram… pic.twitter.com/xiNEFg9yEE
— BJP Bengal (@BJP4Bengal) November 19, 2020
सबूत नंबर-18
मुर्शिदाबाद में काली मां की मूर्ति जला डाला
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुस्लिम तुष्टिकरण और वोटबैंक को लेकर इतनी अंधी हो चुकी है कि राज्य में हिन्दू विरोधी हरकतों पर कुछ भी एक्शन नहीं लेती हैं। कभी मंदिर में पूजा करने पर पिटाई की जाती है तो कभी हिन्दुओं के घर और मंदिर जला दिए जाते हैं। कभी रामनवमी और दुर्गापूजा पर तो कभी सरस्वती पूजा पर रोक लगा दी जाती है। इससे राज्य को मुसलमानों का हौसला बुलंद है और जब भी मौका मिलता है हिंदुओं को प्रताड़ित करते रहते हैं। हाल ही में 1 सितंबर, 2020 को मुर्शिदाबाद के एक मंदिर में काली मां की मूर्ति जला दिया गया। बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह ने एक ट्वीट कर आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद इलाके के एक मंदिर पर हमला कर मां काली की मूर्ति जला दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि दीदी की राजनीति का जिहादी स्वरूप अब हिंदू धर्म और संस्कृति को नष्ट करने पर तुला हुआ है।
The jihadi nature of Didi’s politics is now hell bent on destroying Hindu religion and culture.
See how one religious group has attacked and destroyed a temple and burned the idol of Maa Kali in Murshidabad area of West Bengal.Shameful. pic.twitter.com/lTnyiV9ctV
— Arjun Singh (@ArjunsinghWB) September 1, 2020
सबूत नंबर-17
मंदिर में पूजा करने पर पुलिस ने की पिटाई
ममता राज में तो हिन्दुओं को मंदिरों में भी पूजा करने की आजादी नहीं है। 5 अगस्त, 2020 को जब पूरे विश्व के हिन्दू अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन को लेकर उत्साहित थे। वहीं पश्चिम बंगाल की पुलिस लॉकडाउन के बहाने हिन्दुओं पर जुल्म ढा रही थी। मंदिर में पूजा कर रहे लोगों पर पुलिस ने लाठियां बरसाईं और सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया।
ममता दीदी तेरे दिन लद गए। पश्चिम बंगाल की सबसे शर्मनाक तस्वीरें आज की।@myogiadityanath @AmitShah @AMISHDEVGAN pic.twitter.com/Sa2kJs8QOE
— Ravi Yadav (@MODIfied_ravi) August 5, 2020
खड़गपुर में स्थानीय लोग राम मंदिर शिलान्यास के उत्सव में मंदिर में पूजा कर रहे थे। लेकिन ममता की पुलिस को यह बर्दाश्त नहीं हुआ। इससे सार्वजनिक व्यावस्था और लॉकडाउन का उल्लंघन नहीं हो रहा था। फिर भी शांतिपूर्वक पूजा कर रहे लोगों को पुलिस ने घसिटकर मंदिर से बाहर निकाला। लोग पुलिस से पूजा करने का आग्रह करते रहे, लेकिन पुलिस ने उन्हें पूजा करने की अनुमति नहीं दी।
#WATCH पश्चिम बंगाल, खड़गपुर: राम मंदिर शिलान्यास के उत्सव में मंदिर में पूजा कर रहे भाजपा कार्यकर्ता और समर्थकों को पुलिस ने लॉकडाउन का उल्लंघन करने की वजह से हिरासत में लिया।
आज वेस्ट मिदनापुर जिले में कुल 258 लोगों और भाजपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। pic.twitter.com/Rp3SdyVB5O
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 5, 2020
बीजेपी कार्यकर्ता ने नारायणपुर इलाके में ‘यज्ञ’ आयोजित करने का प्रयास किया लेकिन ममता के गुंडों ने उन्हें रोक दिया। हिन्दुओं और ममता के गुंडों के बीच झड़प हो गई। जिसके बाद पुलिस ने लोगों को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया। जिसमें कई लोगों को चोटें आईं। उधर खड़गपुर में श्री राम मंदिर के लिए पूजा का आयोजन किया गया था। लेकिन ममता बनर्जी की पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया, महिलाओं को भी नहीं छोड़ा।
बंगाल के खड़गपुर में श्री राम मंदिर के लिए पूजा का आयोजन किया गया था। लेकिन ममता दीदी की पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया, महिलाओं को भी नहीं बख़्सा। बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण। pic.twitter.com/NcwVmtj7sU
— Friends of RSS (@friendsofrss) August 5, 2020
सबूत नंबर-16
तेलिनीपाड़ा में जला दिए गए हिन्दुओं के घर और मंदिर
राज्य के हुगली जिले के चंदर नगर के तेलिनीपाड़ा में मई, 2020 के महीने में कई दिनों तक हिंदुओं के खिलाफ खुलकर हिंसा हुई। हिंदुओं के घर जलाए गए। जिले के तेलिनीपाड़ा के तांतीपारा, महात्मा गांधी स्कूल के पास शगुनबागान और फैज स्कूल के पास जमकर हिंसा, आगजनी और लूटपाट की गई। प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। मालदा के शीतला माता मंदिर में भी तोड़फोड़ और आगजनी की गई।
हुगली के तेलिनीपाड़ा से एक और वीडियो सामने आया।
लोग मुझे ऐसे वीडियो निरंतर भेज रहे हैं। साफ -साफ दिख रहा है कि पुलिस के होते हुए यह दशा है। मंदिर पर हमले की भी खबर है। प्रशासन से आग्रह है कि यदि मंदिर को क्षति हुई है तो तुरंत मरम्मत हो। पुलिस निष्पक्ष होकर अपना कर्तव्य निभाये। pic.twitter.com/cCAFq2AM2E— Arjun Singh (@ArjunsinghWB) May 12, 2020
बंगाल के हुगली जिले के तेलिनीपाड़ा का वीडियो।
बंगाल की गलियों में लोग तलवार लेकर और अल्लाहु अकबर का नारा लगाकर निकल आये हैं। हिंदुओं के रामनवमी पर तलवार निकालने पर मनाही और लोगों का कत्लेआम करने पर सिर्फ निन्दा? @BJP4Bengal @KailashOnline @shivprakashbjp @DilipGhoshBJP @me_locket pic.twitter.com/nygDf23wfJ— Arjun Singh (@ArjunsinghWB) May 12, 2020
पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के टेलनीपारा में हिन्दुओं के घरों को जलाया जा रहा है। pic.twitter.com/FryAqHw0Cw
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) May 12, 2020
पश्चिम बंगाल के हुगली के टेलनिपारा में हिंसा लगातार बढ़ रही है। वहां के प्रशासन की तरफ से हिंसा रोकने के कोई कदम नहीं उठाए जा रहे है।
ममताजी आपके राज्य में हिंसा फैल रही है और आप मौन है! pic.twitter.com/G7m72RAjBa
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) May 12, 2020
पश्चिम बंगाल के हुगली में अब हिंदुओं के खिलाफ खुलकर हिंसा शुरू हो गई। घर जलाए जा रहे हैं, हमले हो रहे हैं। पर, प्रशासन और ममता सरकार आंख मूंदकर बैठा है।
ये @MamataOfficial की तुष्टिकरण की राजनीति है, जो वोटों के लिए हो रही है। pic.twitter.com/7hUkGzquXs
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) May 12, 2020
अजमेर शरीफ़ से मालदा लौटे समुदाय विशेष के कुछ लोग कोरोना संक्रमित निकले। फिर भी उन्होंने अपनी दुकाने खोली,जिसका हिन्दूओं ने विरोध किया और अपने इलाके की घेराबंदी कर ली,जिससे चिढ़कर समुदाय विशेष द्वारा मंदिर और हिन्दुओं के घरों पर हमला किया।
ममताजी,क्या ये रोका नहीं जा सकता था? pic.twitter.com/zFmnPpUYma— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) May 11, 2020
धर्म विशेष समुदाय ने आज मालदा में हिन्दू मंदिर पर हमला किया और देवी की मूर्ति खंडित कर दी।
वहाँ का प्रशासन मूकदर्शक क्यों बना हुआ है ?#KothayAcheMamata pic.twitter.com/7R9SkvewNj
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) May 11, 2020
सबूत नंबर-15
पुस्तक मेले में हनुमान चालीसा के वितरण पर लगाया प्रतिबंध
पश्चिम बंगाल में ममता की पुलिस ने कोलकाता में 44वें अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा बांटी जा रही हनुमान चालीसा की पुस्तकों पर रोक लगा दी। पुलिस ने बताया कि हनुमान चालीसा के वितरण से शहर में कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है और पुस्तक मेले में आने वाले लोग भावनाओं में बह सकते हैं।
Kolkata: Police Stop VHP From Handing Out Hanuman Chalisa; Later Allow After They Ask Why Bible, Quran Are Being Distributedhttps://t.co/zMB7TMiLId
— Swarajya (@SwarajyaMag) February 10, 2020
विहिप के अधिकारियों ने पुलिस के इस कार्रवाई का विरोध किया। साथ ही पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब मेले में कुरान और बाइबिल की पुस्तकें बांटी जा सकती हैं तो हनुमान चालीसा की क्यों नहीं? बढ़ते विरोध को देखते हुए कोलकाता पुलिस बैकफुट पर आ गई और हनुमान चालीसा के वितरण से रोक को हटा लिया। विहिप ने कहा कि हनुमान चालीसा धार्मिक पुस्तक है और इसमें किसी भी तरह की आपत्तिपूर्ण सामग्री नहीं है। लेकिन ममता राज में हिंदुओं की धार्मिक पुस्तक का विरोध किया जा रहा है।
सबूत नंबर-14
ममता बनर्जी ने स्कूली बच्चों को धर्म के नाम पर बांटा
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन दिनों गंभीर हताशा और निराशा में हैं। लोकसभा चुनाव में मुंह की खाने के बाद उन्हें विधानसभा चुनाव में भी भयानक हार पहले से ही दिखाई देने लगी है। यही वजह है कि ममता बनर्जी अपना वोट बैंक बचाने के लिए जोरशोर से मुस्लिम तुष्टिकरण में जुट गई हैं।
West Bengal Government seeks names of Government & aided schools having more than 70% minority students, to send a proposal for the construction of dining hall for mid-day meal in schools. pic.twitter.com/2u5i2aHsBE
— ANI (@ANI) 28 June 2019
ममता बनर्जी ने राजनीतिक निर्लज्जता की सभी सीमाओं को पार करते हुए स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को भी मजहब के नाम पर बांट दिया। ममता बनर्जी की सरकार ने राज्य के स्कूलों को निर्देश दिया कि वे मुस्लिम स्टूडेंट्स के लिए अलग से मिड-डे मील हॉल रिजर्व करें। यह आदेश राज्य के उन सरकारी स्कूलों पर लागू होगा जहां पर 70 प्रतिशत या उससे ज्यादा मुस्लिम छात्र हैं। राज्य अल्पसंख्यक और मदरसा शिक्षा विभाग की ओर उन सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों का नाम मांगा, जहां पर 70 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम बच्चे पढ़ते हैं। इन सरकारी स्कूलों में अल्पसंख्यक बच्चों के लिए अलग से मिड-डे मील डायनिंग हॉल बनाया जाएगा।
सबूत नंबर-13
ममता बनर्जी ने ‘जय श्रीराम’ बोलने वालों को दी धमकी
मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति करने वाली ममता बनर्जी को जय श्रीराम का उद्घोष अब गाली की तरह लगने लगा है। राज्य के 24 परगना जिले में ममता बनर्जी का काफिला गुजर रहा था तभी रास्ते में भीड़ में खड़े लोगों ने जय श्रीराम का उदघोष कर दिया। जय श्रीराम सुनते ही ममता बनर्जी को गुस्सा आ गया और गाड़ी से उतरकर उन्होंने लोगों को धमकाना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं ममता बनर्जी ने जय श्रीराम कहने वालों को गिरफ्तार करने की धमकी भी दी और उन्हें दूसरे प्रदेश का बता दिया। यह कोई पहली बार नहीं है, इससे पहले चुनाव के दौरान भी ममता बनर्जी ने इसी तरह जय श्रीराम कहने वालों को जेल में डालने की धमकी दी थी।
सबूत नंबर-12
ममता बनर्जी का जय श्रीराम बोलने से इंकार, बताया गाली
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में कहा कि वे किसी हाल में जय श्रीराम नहीं बोलेंगी। ममता का कहना है कि जय श्रीराम बीजेपी का नारा है लेकिन पीएम नरेन्द्र मोदी लोगों को यह बोलने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। सच्चाई यह है कि देश में जय श्रीराम बोलने की सदियों पुरानी परंपरा है। इसके एक दिन पहले ही बंगाल में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें तृणमूल कार्यकर्ता जय श्रीराम का नारा लगा रही भीड़ को खदेड़ रहे हैं। पूरे राज्य में हिंदुओं को इसी तरह प्रताड़ित किया जा रहा है। ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के इस रवैये से बंगाल के लोगों में जबरदस्त गुस्सा है। राज्य में जगह-जगह पर इसका विरोध हो रहा है और इसका असर वोटिंग पर भी पड़ना तय है। दरअसल, राज्य में अपनी पार्टी की खिसकती जमीन से ममता परेशान हो गई हैं। इससे घबराई ममता अब राज्य में धार्मिक आधार पर वोटों को बांटने की कोशिश कर रही हैं। हिंदुओं के खिलाफ बयानबाजी कर मुसलमान वोटर्स को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही हैं।
सबूत नंबर-11
मुस्लिम प्रेम और हिंदू विरोध में देवताओं को बांटने पर तुली ममता बनर्जी
हिंदुओं के धार्मिक रीति-रिवाज, पूजा-पद्धति और पर्व-त्योहार पर लगाम लगाने के बाद ममता बनर्जी हिंदू देवी-देवताओं को बांटने में भी लग गई। हिंदुओं को बांटने के लिए ममता बनर्जी ने कहा कि हम दुर्गा की पूजा करते हैं, राम की पूजा क्यों करें? झरगाम की एक सभा में ममता ने कहा कि, ‘बीजेपी राम मंदिर बनाने की बात करती है, वे राम की नहीं रावण की पूजा करती है। लेकिन हमारे पास हमारी अपनी देवी दुर्गा है। हम मां काली और गणपति की पूजा करते हैं। हम राम की पूजा नहीं करते।’
सनातन संस्कृति में शस्त्रों का विशेष महत्त्व है। अलग-अलग पर्व त्योहारों पर धार्मिक यात्राओं में तलवार, गदा लेकर चलने की परंपरा रही है, लेकिन ममता बनर्जी ने धार्मिक यात्राओं और शस्त्र को भी साम्प्रदायिक और सेक्युलर करार दिया। गौरतलब है कि जब यही शस्त्र प्रदर्शन मोहर्रम के जुलूस में निकलते हैं तो सेक्युलर होते हैं, लेकिन रामनवमी में निकलते ही साम्प्रदायिक हो जाते हैं।
सबूत नंबर-10
राम के नाम से नफरत कई बार हो चुकी है जाहिर
ममता बनर्जी कई बार हिंदू धर्म और भगवान राम के प्रति अपनी असहिष्णुता जाहिर करती रही हैं। हालांकि कई बार कोर्ट ने उनकी इस कुत्सित कोशिश को सफल नहीं होने दिया। वर्ष 2017 में जब लेक टाउन रामनवमी पूजा समिति’ ने 22 मार्च को रामनवमी पूजा की अनुमति के लिए आवेदन दिया तो राज्य सरकार के दबाव में नगरपालिका ने पूजा की अनुमति नहीं दी थी। इसके बाद जब समिति ने कानून का दरवाजा खटखटाया तो कलकत्ता हाईकोर्ट ने पूजा शुरू करने की अनुमति देने का आदेश दिया।
सबूत नंबर-9
बंगाल सरकार ने पाठ्यक्रम में रामधनु को कर दिया रंगधनु
भगवान राम के प्रति ममता बनर्जी की घृणा का अंदाजा इस बात से भी जाहिर हो गई, जब तीसरी क्लास में पढ़ाई जाने वाली किताब ‘अमादेर पोरिबेस’ (हमारा परिवेश) ‘रामधनु’ (इंद्रधनुष) का नाम बदल कर ‘रंगधनु’ कर दिया गया। साथ ही ब्लू का मतलब आसमानी रंग बताया गया है। दरअसल साहित्यकार राजशेखर बसु ने सबसे पहले ‘रामधनु’ का प्रयोग किया था, लेकिन मुस्लिमों को खुश करने के लिए किताब में इसका नाम ‘रामधनु’ से बदलकर ‘रंगधनु’ कर दिया गया।
सबूत नंबर-8
हिंदुओं के हर पर्व के साथ भेदभाव करती हैं ममता बनर्जी
ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हुआ कि ममता बनर्जी ने हिंदुओं के साथ भेदभाव किया। कई ऐसे मौके आए हैं जब उन्होंने अपना मुस्लिम प्रेम जाहिर किया है और हिंदुओं के साथ भेदभाव किया है। सितंबर, 2017 में कलकत्ता हाईकोर्ट की इस टिप्पणी से ममता बनर्जी का हिंदुओं से नफरत जाहिर होता है। कोर्ट ने तब कहा था, ”आप दो समुदायों के बीच दरार पैदा क्यों कर रहे हैं। दुर्गा पूजन और मुहर्रम को लेकर राज्य में कभी ऐसी स्थिति नहीं बनी है। उन्हें साथ रहने दीजिए।”
सबूत नंबर-7
दशहरे पर शस्त्र जुलूस निकालने की नहीं दी थी अनुमति
हिंदू धर्म में दशहरे पर शस्त्र पूजा की परंपरा रही है। लेकिन मुस्लिम प्रेम में ममता बनर्जी हिंदुओं की धार्मिक आजादी छीनने की हर कोशिश करती रही हैं। सितंबर, 2017 में ममता सरकार ने आदेश दिया कि दशहरा के दिन पश्चिम बंगाल में किसी को भी हथियार के साथ जुलूस निकालने की इजाजत नहीं दी जाएगी। पुलिस प्रशासन को इस पर सख्त निगरानी रखने का निर्देश दिया गया। हालांकि कोर्ट के दखल के बाद ममता बनर्जी की इस कोशिश पर भी पानी फिर गया।
सबूत नंबर-6
कई गांवों में दुर्गा पूजा पर ममता बनर्जी ने लगा रखी है रोक
10 अक्टूबर, 2016 को कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश से ये बात साबित होती है ममता बनर्जी ने हिंदुओं को अपने ही देश में बेगाने करने के लिए ठान रखी है। बीरभूम जिले का कांगलापहाड़ी गांव ममता बनर्जी के दमन का भुक्तभोगी है। गांव में 300 घर हिंदुओं के हैं और 25 परिवार मुसलमानों के हैं, लेकिन इस गांव में चार साल से दुर्गा पूजा पर पाबंदी है। मुसलमान परिवारों ने जिला प्रशासन से लिखित में शिकायत की कि गांव में दुर्गा पूजा होने से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचती है, क्योंकि दुर्गा पूजा में बुतपरस्ती होती है। शिकायत मिलते ही जिला प्रशासन ने दुर्गा पूजा पर बैन लगा दिया, जो अब तक कायम है।
सबूत नंबर-5
छठ पूजा मनाने पर लगा दी रोक
ममता राज में साल 2017 में राज्य के सिलीगुड़ी में महानंदा नदी में छठ पूजा मनाने पर रोक लगा दी गई। जनसत्ता अखबार की खबर के अनुसार दार्जिलिंग की डीएम ने एनजीटी के आदेश का हवाला देकर महानंदा नदी में छठ पूजा मनाने पर बैन कर दिया। दार्जिलिंग की जिलाधिकारी ने नदी में छठ के लिए अस्थायी घाट बनवाने से भी इनकार कर दिया और कहा कि जो कोई भी यहां छट मनाते देखा गया उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। एनजीटी ने एक अजीबोगरीब तर्क दिया कि छठ के कारण नदी में प्रदूषण हो रहा है। जबकि छठ में ऐसा कुछ भी नहीं होता जिससे नदी प्रदूषित हो। भगवान सूर्य को अर्घ्य के रूप में नदी का ही पानी अर्पित किया जाता है उसमें थोड़े से फूल और पत्ते और चावल के दाने होते हैं। ये सब प्राकृतिक चीजे हैं जिन्हें नदी में पलने वाली मछलियां और दूसरे जीव खाते हैं। ये सारी चीजें सूप में रखकर चढ़ाई जाती हैं, यानी पॉलीथिन फेंके जाने की भी आशंका नहीं होती।
सबूत नंबर-4
ममता बनर्जी ने सरस्वती पूजा पर भी लगाया प्रतिबंध
एक तरफ बंगाल के पुस्तकालयों में नबी दिवस और ईद मनाना अनिवार्य किया गया तो एक सरकारी स्कूल में कई दशकों से चली आ रही सरस्वती पूजा ही बैन कर दी गई। ये मामला हावड़ा के एक सरकारी स्कूल का है, जहां पिछले 65 साल से सरस्वती पूजा मनायी जा रही थी, लेकिन मुसलमानों को खुश करने के लिए ममता सरकार ने इसी साल फरवरी में रोक लगा दी। जब स्कूल के छात्रों ने सरस्वती पूजा मनाने को लेकर प्रदर्शन किया, तो मासूम बच्चों पर डंडे बरसाए गए। इसमें कई बच्चे घायल हो गए।
सबूत नंबर-3
हनुमान जयंती पर निर्दोषों को किया गिरफ्तार, लाठी चार्ज
11 अप्रैल, 2017 को पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के सिवड़ी में हनुमान जयंती के जुलूस पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण ममता सरकार से हिन्दू जागरण मंच को हनुमान जयंती पर जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी। हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं का कहना था कि हम इस आयोजन की अनुमति को लेकर बार-बार पुलिस के पास गए, लेकिन पुलिस ने मना कर दिया। धार्मिक आस्था के कारण निकाले गए जुलूस पर पुलिस ने बर्बता से लाठीचार्ज किया। इसमें कई लोग घायल हो गए। जुलूस में शामिल होने पर पुलिस ने 12 हिन्दुओं को गिरफ्तार कर लिया। उन पर आर्म्स एक्ट समेत कई गैर जमानती धाराएं लगा दीं।
सबूत नंबर-2
ममता राज के 8000 गांवों में एक भी हिंदू नहीं
पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं का उत्पीड़न जारी है। दरअसल ममता राज में हिंदुओं पर अत्याचार और उनके धार्मिक क्रियाकलापों पर रोक के पीछे तुष्टिकरण की नीति है। लेकिन इस नीति के कारण राज्य में अलार्मिंग परिस्थिति उत्पन्न हो गई है। प. बंगाल के 38,000 गांवों में 8000 गांव अब इस स्थिति में हैं कि वहां एक भी हिन्दू नहीं रहता, या यूं कहना चाहिए कि उन्हें वहां से भगा दिया गया है। बंगाल के तीन जिले जहां पर मुस्लिमों की जनसंख्या बहुमत में हैं, वे जिले हैं मुर्शिदाबाद जहां 47 लाख मुस्लिम और 23 लाख हिन्दू, मालदा 20 लाख मुस्लिम और 19 लाख हिन्दू, और उत्तरी दिनाजपुर 15 लाख मुस्लिम और 14 लाख हिन्दू। दरअसल बंगलादेश से आए घुसपैठिए प. बंगाल के सीमावर्ती जिलों के मुसलमानों से हाथ मिलाकर गांवों से हिन्दुओं को भगा रहे हैं और हिन्दू डर के मारे अपना घर-बार छोड़कर शहरों में आकर बस रहे हैं।
सबूत नंबर-1
ममता राज में घटती जा रही हिंदुओं की संख्या
पश्चिम बंगाल में 1951 की जनसंख्या के हिसाब से 2011 में हिंदुओं की जनसंख्या में भारी कमी आयी है। 2011 की जनगणना ने खतरनाक जनसंख्यिकीय तथ्यों को उजागर किया है। जब अखिल स्तर पर भारत की हिन्दू आबादी 0.7 प्रतिशत कम हुई है तो वहीं सिर्फ बंगाल में ही हिन्दुओं की आबादी में 1.94 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो कि बहुत ज्यादा है। राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों की आबादी में 0.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि सिर्फ बंगाल में मुसलमानों की आबादी 1.77 फीसदी की दर से बढ़ी है, जो राष्ट्रीय स्तर से भी कहीं ज्यादा दर से बढ़ी है।