प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक तरफ जहां विश्व आर्थिक पटल पर तेजी से उभर रहा है, वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर अचानक से 25% आयात शुल्क लगाने का ऐलान वैश्विक राजनीति में हलचल मचा रहा है। क्या यह केवल व्यापारिक निर्णय है या फिर भारत की बढ़ती ताकत से उपजा राजनीतिक असंतुलन? इस पूरे घटनाक्रम की तह में जाएं तो तस्वीर कहीं अधिक पेचीदा और रणनीतिक प्रतीत होती है।
भारत का बढ़ता वर्चस्व – एक नई चिंता की वजह
Goldman Sachs की रिपोर्ट ने 2023 में दुनिया को चौंका दिया था। रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया कि भारत 2075 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, अमेरिका को भी पीछे छोड़ते हुए। भारत की विशाल युवा आबादी, तकनीकी क्षमता और घरेलू मांग ने उसे वैश्विक विकास का अगुआ बना दिया है। यह वही भारत है जिसे कभी “निर्भर” अर्थव्यवस्था कहा जाता था — अब वह पश्चिमी शक्तियों के लिए एक आर्थिक चुनौती के रूप में उभर रहा है।
World’s biggest economies in 2075, projected by Goldman Sachs:
🇨🇳 China: $57 trillion
🇮🇳 India: $52.5 trillion
🇺🇸 United States: $51.5 trillionThank you for your attention to this matter.
— World of Statistics (@stats_feed) July 31, 2025
डोनाल्ड ट्रंप, जो “अमेरिका फर्स्ट” की नीति के कट्टर समर्थक रहे हैं, इस उभरती शक्ति को हल्के में नहीं ले सकते थे। उनका मानना है कि भारत ने वर्षों से अमेरिकी उदार व्यापार नीतियों का लाभ उठाया है, लेकिन बदले में अपनी सीमाएं अमेरिकी कंपनियों के लिए काफी हद तक बंद रखी हैं। उन्हें यह असंतुलन नागवार गुजरा और उन्होंने भारत को एक बार फिर “टैरिफ किंग” कहते हुए कठोर टैक्स थोप दिया।
तो ट्रंप चचा ने भारत पर 25% #Tariff लगाने की बात कर दी है। वजहें भी उन्होंने गिना दी हैं। अरे! आप तो कह रहे थे कि, ट्रेड की धमकी देकर आपने युद्ध रुकवाया। क्या हो गया? अब रूस से तेल और हथियार खरीदना याद आ गया। चचा ओ डोनाल्ड चचा। तुम्हारे हथकंडे भारत पर काम नहीं आने वाले pic.twitter.com/KitU96FxGh
— हर्ष वर्धन त्रिपाठी 🇮🇳Harsh Vardhan Tripathi (@MediaHarshVT) July 30, 2025
सीज़फायर पर दावे और पीएम मोदी का प्रतिकार
पहलगाम आतंकी हमले के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत–पाकिस्तान संघर्ष के संदर्भ में राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने पर्दे के पीछे मध्यस्थता कर संघर्ष विराम में मदद की थी। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में दो टूक कह दिया कि “दुनिया के किसी नेता ने युद्ध रोकने के लिए फोन तक नहीं किया।” यह बयान ट्रंप की अंतरराष्ट्रीय भूमिका के दावों पर करारा तमाचा था।
दुनिया के किसी भी नेता ने हमे युद्ध रोकने के लिए नहीं कहा
अरे पप्पू @RahulGandhi अपने सारे अंग खोलकर सुनले 🔥 pic.twitter.com/b7j3E8slCD
— Sandeep Thakur (@thakurbjpdelhi) July 29, 2025
यह वही क्षण था जब ट्रंप की सार्वजनिक प्रतिक्रिया आई। पहले ट्विटर जैसे सोशल प्लेटफॉर्म पर भारत की आलोचना, फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीखे शब्द और अंततः भारत पर 25% टैरिफ की घोषणा कर डाली।
टाइमिंग देखिए- कल भारत के प्रधानमंत्री का बयान ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद में आया।
ठीक कुछ घंटे बाद डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ को लेकर घोषणा आ जाती है।
1 अगस्त से भारत पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया।
उन्होंने टैरिफ की घोषणा के साथ और भी बातें कही-
“याद रखिए, भारत हमारा मित्र है,… pic.twitter.com/pgh8UIbmM3
— Ankit Kumar Avasthi (@kaankit) July 30, 2025
रूस से संबंध: भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर आपत्ति
भारत की ऊर्जा नीति और रक्षा सौदों में रूस की प्रमुख भूमिका को लेकर ट्रंप की नाराजगी नई नहीं है। भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदा, और S-400 मिसाइल प्रणाली का सौदा किया। वह भी उस समय जब पश्चिमी देश रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा रहे थे। ट्रंप को यह अच्छा नहीं लगा। उनका आरोप है कि भारत एक ओर अमेरिका से रणनीतिक साझेदारी की बात करता है और दूसरी ओर रूस को हथियारों और तेल के जरिए संसाधन पहुंचाता है। यही कारण है कि टैरिफ के साथ-साथ ट्रंप ने अतिरिक्त “penalty tariffs” की भी चेतावनी दी है।
अमरीकी कंपनियाँ पाकिस्तान में तेल ढूँढेंगी और एक दिन पाकिस्तान भारत को तेल बेचेगा : डोनाल्ड ट्रंप
सही है, कनाडा अमरीका का 51वां राज्य बन गया, रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त हो गया, चीन घुटनों पर आ गया, बस अब पाकिस्तान का वर्ल्ड पावर बनना रह गया 😎#ट्रंप pic.twitter.com/zeltlMMXO9
— ANUPAM MISHRA (@scribe9104) July 30, 2025
मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि भारत रूस के साथ क्या करता है। मुझे बस यही फर्क पड़ता है कि वे मिलकर अपनी मृत अर्थव्यवस्थाओं को कैसे गिरा सकते हैं। हमने भारत के साथ बहुत कम व्यापार किया है, उनके टैरिफ़ बहुत ऊंचे हैं, दुनिया में सबसे ऊंचे। इसी तरह, रूस और अमेरिका भी लगभग कोई… pic.twitter.com/WIPNGz87yH
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 31, 2025
पाकिस्तान के साथ समीकरण – भारत को कूटनीतिक घेरा?
भारत पर आक्रामक रुख अपनाने के तुरंत बाद ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ प्राथमिकता व्यापार समझौते (PTA) की घोषणा कर दी। इसे कई विश्लेषकों ने एक “काउंटर इंडिया स्ट्रैटेजी” के रूप में देखा। पाकिस्तान के साथ नए आर्थिक रिश्ते बनाकर ट्रंप भारत पर दबाव बनाना चाहते हैं कि वह अमेरिकी हितों को प्राथमिकता दे। यह रणनीति केवल व्यापार की नहीं, बल्कि एक भू-राजनीतिक चाल है, जिसमें ट्रंप चीन, रूस और भारत के संभावित गठजोड़ को तोड़ना चाहते हैं।
#WATCH | डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान से समझौते की घोषणा की
-तेल भंडार विकसित के लिए पाकिस्तान-US में समझौता @anchorjiya | https://t.co/smwhXUROiK #DonaldTrump #Pakistan #America #ABPNews pic.twitter.com/4ks0ZBd4eP
— ABP News (@ABPNews) July 31, 2025
भारत की प्रतिक्रिया: संयम, लेकिन स्पष्ट संकेत
भारत सरकार ने ट्रंप की घोषणा पर उग्र प्रतिक्रिया नहीं दी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अपने फैसले “स्वतंत्र रूप से और राष्ट्रहित में” लेता है। मोदी सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति और रणनीतिक संतुलन बनाए रखने की कूटनीति भारत को केवल एक बाजार नहीं, बल्कि एक संप्रभु शक्ति के रूप में स्थापित कर रही है। भारत ने यह भी साफ कर दिया कि वह व्यापारिक मुद्दों को राजनीतिक दबाव से अलग देखता है और द्विपक्षीय संबंधों को सम्मान, पारस्परिकता और समानता के सिद्धांत पर आगे बढ़ाना चाहता है।
सरकार ने कहा-भारत फर्स्ट!
अमेरिका द्वारा 25% टैरिफ की घोषणा के बाद भारत सरकार की प्रतिक्रिया आई है-
“…सरकार हमारे किसानों, व्यापारियों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) के कल्याण की रक्षा और उसे बढ़ावा देने को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।
…सरकार राष्ट्रीय हितों की… pic.twitter.com/ftolHCeTE9
— Ankit Kumar Avasthi (@kaankit) July 30, 2025
ट्रंप की रणनीति: डर, ईर्ष्या या चुनावी दांव?
ट्रंप की यह पूरी प्रतिक्रिया चुनावी रणनीति का हिस्सा भी मानी जा रही है। 2026 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के मद्देनजर वह अपने समर्थकों के बीच यह संदेश देना चाहते हैं कि वे अमेरिका के आर्थिक हितों के लिए किसी भी कीमत पर खड़े हो सकते हैं — चाहे वह भारत जैसा “मित्र” देश ही क्यों न हो।
इसके पीछे एक मनोवैज्ञानिक पहलू भी है। भारत जैसे देश का विश्व शक्ति बनना पश्चिमी देशों के उस वर्चस्व को चुनौती देता है, जिसे वे दशकों से बनाए हुए थे। ट्रंप जैसे नेता, जो सत्ता में रहते हुए एकध्रुवीय नेतृत्व की बात करते हैं, भारत की बहुपक्षीय विदेश नीति को स्वीकार नहीं कर पाते।
भारत विरोध या विश्व नेतृत्व की बेचैनी?
डोनाल्ड ट्रंप का भारत के खिलाफ टैरिफ लगाना केवल एक व्यापारिक निर्णय नहीं है। यह उस बेचैनी और असुरक्षा का संकेत है जो पश्चिमी नेतृत्व तब महसूस करता है जब कोई विकासशील देश तेजी से आगे बढ़कर उसके बराबरी की कुर्सी पर बैठने लगे। भारत को अब इस स्थिति का जवाब अपने वैश्विक दृष्टिकोण, आर्थिक सुधारों और रणनीतिक संतुलन से देना होगा। यह समय भारत के लिए परीक्षा की घड़ी है — जहां उसे एक ओर वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को सशक्त बनाना है और दूसरी ओर पुराने साझेदारों के साथ मतभेदों को संवाद से सुलझाना भी है। वैसे भी अभी देश में मोदी सरकार है जो किसी दबाव में नहीं आती।