दिल्ली में कोरोना का संक्रमण डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ में बढ़ता जा रहा है। अब एम्स के एक रेजिडेंट डॉक्टर और उनकी पत्नी को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। डॉक्टर की पत्नी गर्भवती थी, जिसने एम्स में ही एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है। राहत की खबर यह है कि नवजात में कोरोना का लक्षण नहीं मिला है। अब महिला और बच्चे की आगे की जांच की जा रही है। वहीं डॉक्टर दंपत्ति को आइसोलेशन में रखकर इलाज किया जा रहा है।
#Update: A resident doctor of AIIMS who was tested positive for COVID19 earlier today, his 9 months pregnant wife (a doctor posted at Emergency) has also been tested positive. She has been isolated and her delivery will take place at AIIMS. https://t.co/2e6lZ3NBua
— ANI (@ANI) April 2, 2020
एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद अस्पताल में खलबली मच गई है। क्योंकि अभी तक एम्स में कोरोना का इलाज नहीं हो रहा है और यहां के डॉक्टरों की भी ड्यूटी भी नहीं लगी है, इसके बावजूद संक्रमण होना सबको हैरान कर रहा है। एम्स प्रशासन ने पॉजिटिव डॉक्टर के संपर्क में आए लगभग एक दर्जन डॉक्टरों को क्वारंटीन किर दिया है। एम्स में डॉक्टर का इलाज न्यू प्राइवेट वॉर्ड में एडमिट कर किया जा रहा है। हालांकि, एम्स को अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि उनमें कोरोना का संक्रमण कैसे हुआ।

मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि कोरोना मरीज़ों के इलाज के दौरान इनफ़ेक्शन हुआ जबकि ऐसा नहीं है, क्योंकि डॉक्टर दंपत्ति कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में शामिल ही नहीं थे। यहां तक कि फिजियोलॉजी विभाग के डॉक्टर का संबंध सीधे मरीज से नहीं है, क्योंकि वो मरीज को नहीं देखते। इसलिए उनके संपर्क में किसी मरीज के आने की संभवना बहुत कम है। लेकिन सवाल उठता है कि पति और पत्नी दोनों डॉक्टर हैं। उनकी न तो कोई ट्रैवल हिस्ट्री है, न ही उन्होंने किसी कोरोना मरीज का इलाज किया था। ऐसे में डॉक्टर दंपत्ति कोरोना पॉजिटिव कैसे हो गए?

ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि उक्त डॉक्टर ने अपनी बीमारी क्यों छिपाई? एम्स के सूत्रों के मुताबिक डॉक्टर मालवीय नगर में रहते हैं। लगभग 20 से 25 दिन पहले उनकी तबीयत थोड़ी खराब रह रही थी। उन्होंने दवा भी ली थी। इसके बाद 26 मार्च से उन्हें दोबारा बुखार और गले में दिक्कत हुई। पिछले सोमवार को कोरोना स्क्रीनिंग कॉनर में जांच के लिए पहुंचे, जहां पर सैंपल लिया गया था। यह भी बताया जा रहा है कि वो 20 मार्च के आसपास मालवीय नगर की मस्जिद में गए थे, जहां संभवत: तबलीगी जमात वाले भी जाते थे। वहीं पर उन्हें संक्रमण हुआ। कोरोना के लक्षणों के बावजूद वो मस्जिद जाते रहे।

सूत्र बताते हैं कि डॉक्टर 31 मार्च को फिजियोलॉजी विभाग के एक प्रोफसर्स के रिटायरमेंट कार्यक्रम में भी शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम में कई सीनियर फैकल्टी और रेजिडेंट डॉक्टर शामिल हुए थे। यह भी बताया जा रहा है कि लॉकडाउन के बाद एम्स ने अपने स्टाफ के आने जाने के लिए बस की सुविधा उपलब्ध कराई है, और वह पिछले कई दिनों से बस से ही एम्स जाते थे। सूत्र कहते हैं कि इससे भी संक्रमण हो सकता है।

हॉस्पिटल कर्मचारियों में ग़ुस्सा है कि डॉक्टर ने जानबूझ कर अस्पताल में संक्रमण फैलाया। जिस बस में वह जाते थे, उसके सारे कर्मचारियों और ड्राइवर वग़ैरह को क्वारंटाइन कर दिया गया है। लोगों का कहना है कि एक डॉक्टर होते हुए वह मामले की गंभीरता को जान रहे थे। लेकिन उन्होंने इसे फैलने दिया।

स्टाफ डॉक्टर के इस व्यवहार से बेहद नाराज हैं क्योंकि उन्होंने जानबूझकर अपनी बीमारी छिपाई और अस्पताल के दूसरे स्टाफ को भी संक्रमित किया। एम्स के सूत्रों के मुताबिक़, यह मामला डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया तक भी पहुँचाया गया है। स्टाफ़ को उम्मीद है कि डायरेक्टर इस मामले में कोई कड़ा एक्शन लेंगे। ऐसा इसीलिए, क्योंकि संक्रामक रोगों के मामले में एम्स के बेहद कड़े नियम-कायदे हैं। सभी कर्मचारियों को उनका पालन करना होता है। अगर कोई लापरवाही बरतता है तो नियमानुसार कार्रवाई होती है।

एम्स के एक नर्स का कहना है कि उक्त डॉक्टर की ही ग़लती है लेकिन जानबूझ कर उन्हें हीरो बनाया जा रहा है। मीडिया में फैलाया जा रहा है कि वह मरीजों का इलाज करते हुए बीमार पड़े, उन्हें मरीजों से संक्रमण हुआ, जबकि ऐसा कुछ नहीं है।