Home पोल खोल राहुल के बाद प्रियंका का झूठ: बिहार की मिंता देवी को 124...

राहुल के बाद प्रियंका का झूठ: बिहार की मिंता देवी को 124 नॉट आउट बताया, वो 35 की निकली, उधर SC ने SIR को वोटर फ्रेंडली बताया

SHARE

किसी शायर ने क्या खूब कहा है कि झूठ दर झूठ बोले हैं तुमने सनम, सोचोगे तो दिल भी दहल जाएगा…गांधी परिवार के झूठ के कारोबार पर यह पंक्तियां एकदम सटीक बैठती हैं। क्योंकि गांधी परिवार के सदस्य एक के बाद एक कितने झूठ बोल रहे हैं कि इसका अंदाजा खुद उन्हें भी नहीं हैं। सोनिया गांधी नेशनल हेराल्ड के करोड़ों के झूठ में फंसी हैं। उनके दामाद वाड्रा बेशकीमती संपत्तियों के झूठ में उलझे हैं। राहुल गांधी ने तो चीन से लेकर पाकिस्तान तक, सेना से लेकर राफेल तक और ईवीएम से लेकर वोट चोरी तक इतने झूठ बोले हैं कि खुद झूठ को ही अपने-आपसे शर्म आ रही है। झूठ की इस कतार में लड़की हूं, लड़ सकती हूं कहने वाली राहुल की बहना कहां पीछे रहने वाली थी। वोटर लिस्ट के झूठ की बहती गंगा में प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी टी-शर्ट पहनकर डुबकी मार ली है। झूठा दावा किया कि बिहार की वोटर लिस्ट में 124 साल की मिंता देवी भी दर्ज हैं। इतनी आयु तो दुनियाभर में किसी जीवित व्यक्ति की नहीं है। इतना ही नहीं, प्रियंका वाड्रा तो मिंता देवी की तस्‍वीर वाली टीशर्ट पहनकर संसद भी जा पहुंची। मिंता देवी की फोटो और नाम के साथ ही टी-शर्ट पर लिखा था- ‘124 नॉट आउट।’ लेकिन उस वक्त अजीबोगरीब स्थिति बन गई, जब मिंता देवी ही प्रियंका गांधी के झूठ पर भड़क गईं और बताया कि चुनाव आयोग के मुताबिक उनकी उम्र सिर्फ 35 साल है।

प्रियंका के झूठ ने अचानक से सुर्खियों में आई बिहार की मिंता देवी
बिहार की 35 साल की मिंता देवी को प्रियंका गांधी वाड्रा के झूठ ने अचानक से देशभर में सुर्खियों में ला दिया है। दरअसल, कांग्रेस और राहुल गांधी बिहार में विशेष इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर सवाल खड़े कर रहे हैं। यह अलग बात है कि आयोग से लेकर कोर्ट तक ने राहुल गांधी को ही कठघरे में ला दिया है। अब बहन प्रियंका गांधी उनकी पैरवी करने निकली तो उसने भी भाई की तरह झूठ का ही सहारा लिया। इसके लिए कांग्रेस महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी एक टीशर्ट पहनकर संसद में पहुंची। मिंता देवी की फोटो और नाम के साथ ही टी-शर्ट पर लिखा था- ‘124 नॉट आउट।’ इसके जरिए प्रियंका गांधी ने बिहार में वोटर लिस्‍ट में गड़बड़ी की ओर इशारा किया, जिससे राहुल गांधी और तेजस्वी यादव बिहार में मुद्दा बना रहे हैं।

प्रियंका ने 35 साल की मिंता देवी को 124 की बता दिया
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने अनर्गल आरोप लगाया कि सीवान के दरौंदा विधानसभा क्षेत्र के अरजानीपुर गांव की निवासी मिंता देवी की वोटर कार्ड में आयु 124 साल दर्ज है। हालांकि असलियत यह है कि अरजानीपुर निवासी धनंजय कुमार सिंह की पत्नी मिंता देवी 35 साल की हैं। पहली बार उनका नाम वोटर लिस्ट में जोड़ा गया है। मिंता देवी ने बताया कि मेरे आधार कार्ड में जन्‍मतिथ‍ि 15/7/1990 है। प्रियंका गांधी द्वारा उनकी फोटो और नाम की टी-शर्ट पहनने पर मिंता देवी भड़क गईं। उन्‍होंने सवाल किया कि प्रियंका गांधी को यह अधिकार किसने दिया है।

प्रियंका की टी-शर्ट पर फोटो को लेकर जताई नाराजगी
मिंता देवी ने प्रियंका गांधी के उनके नाम का टीशर्ट और फोटो छपवाने पर नाराजगी जताई और कहा कि मैं यही कहूंगी मेरा टी शर्ट पहनकर विरोध करने का अधिकार प्रियंका को किसने दिया है? साथ ही उन्‍होंने प्रियंका गांधी के उनके नाम और तस्‍वीर वाला टीशर्ट पहनकर विरोध करने पर भी आपत्ति जताई। उन्‍होंने कहा कि प्रियंका गांधी कौन होती है। मैंने कोई गलती नहीं की है। उन्‍होंने प्रियंका गांधी के कारण परेशानी झेलने का भी आरोप लगाया और कहा कि आज सुबह से ही मीडिया वाले और अन्‍य लोग फोन कर रहे हैं और द्वार पर आ रहे हैं। इससे मुझे बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

प्रियंका गांधी कौन है, मेरी क्‍या लगती हैं: मिंता देवी
जब उन्‍हें बताया गया कि प्रियंका गांधी वायनाड से सांसद हैं। इस पर मिंता देवी ने कहा कि प्रियंका उनको कहां से सपोर्ट कर रही हैं। वो मेरा सपोर्ट और विरोध करने वाली वो कौन होती हैं? मेरी क्या लगती हैं? मेरा कौन सा रिश्ता है? मेरी फोटो लगी टीशर्ट पहनेंगी और मेरे नाम का पर्चा पहनकर क्यों घूमेगी? दुनिया को क्यों दिखाएंगी? मिंता देवी की उम्र को लेकर जब उनके ससुर तेज बहादुर सिंह से हमारी टीम ने बात की तो उन्होंने बताया कि जब टीवी और मोबाइल पर देखा तब परिजनों को इस मामले के बारे में पता चला। उन्होंने बताया कि मेरे बेटे और बहू सिवान से बाहर छपरा जिले में रहते हैं।

वोट चोरी के मामले में फिर राहुल गांधी का झूठ पकड़ा गया!
आजतक ने अपनी इस रिपोर्ट में लिखा है: ‘कर्नाटक की वोटर लिस्ट में ‘Aditya Shrivastava’ नाम का एक व्यक्ति दर्ज है। लेकिन लखनऊ और महाराष्ट्र, दोनों स्थानों पर जब उसी नाम और एपिक नंबर से खोज की गई, तो ‘No result found’ दिखाया गया।’ राहुल ने देश को गुमराह करते हुए दावा किया कि ‘आदित्य श्रीवास्तव’ नाम का वोटर कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र, तीनों राज्यों की वोटर लिस्ट में दर्ज है। सच्चाई यह है कि चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में यह नाम सिर्फ कर्नाटक में पंजीकृत है। राहुल गांधी ने झूठ बोलकर जनता को भड़काने और चुनाव आयोग जैसी लोकतांत्रिक संस्था की साख पर कीचड़ उछालने का काम किया। यह केवल एक झूठ नहीं, बल्कि भारत के चुनावी तंत्र की विश्वसनीयता पर सीधा हमला है।

चीन पर बोले झूठ पर कोर्ट से राहुल गांधी को मिली फटकार
दरअसल एक के बाद एक झूठ से भाजपा के इस दावे में दम दिखता है कि राहुल गांधी, भारत की संस्थाओं को बदनाम करने का एजेंडा चला रहे हैं? वो भारत को कमजोर करना चाहते हैं? इससे पहले भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा भारतीय सेना को लेकर दिए गए बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने सख़्त रुख अपनाया था। कोर्ट ने राहुल गांधी से सवाल किया कि क्या उनके पास इस बयान को साबित करने के लिए कोई ठोस दस्तावेज़ है। सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा, “अगर आप नेता प्रतिपक्ष हैं तो ऐसी बातें सदन में करें, सोशल मीडिया पर क्यों?” उन्होंने पूछा, “आपको यह कैसे पता चला कि 2000 वर्ग मीटर क्षेत्र चीन के कब्जे में चला गया है? क्या आपके पास ऐसा कहने के लिए कोई कंक्रीट डॉक्यूमेंट है? विश्वसनीय जानकारी क्या है?” कोई भी देशभक्त व्यक्ति इस तरह के दावे नहीं कर सकता है।

राहुल गांधी को नोटिस भेजकर आयोग ने मांगे प्रासंगिक दस्तावेज
उधर राहुल गांधी बिहार से कर्नाटक तक वोट चोरी के अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। राहुल के झूठे दावे करने के कारण अब कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी ने राहुल गांधी से सबूत मांगे हैं, जिनके आधार पर उन्होंने दावा किया था कि एक महिला ने दो बार वोट डाला। आयोग ने कहा कि बिना प्रमाण ऐसे आरोप चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं। राहुल गांधी ने यह बयान हाल ही में दिया था। यह मामला राजनीतिक और चुनावी नियमों के लिहाज से गंभीर माना जा रहा है। चुनाव आयोग का कहना है कि ऐसे आरोपों की पुष्टि के लिए ठोस प्रमाण जरूरी हैं। नोटिस में कहा गया कि आपसे अनुरोध है कि आप वे प्रासंगिक दस्तावेज उपलब्ध कराएं जिनके आधार पर आपने यह निष्कर्ष निकाला है कि श्रीमती शकुन रानी या किसी और ने दो बार मतदान किया है, ताकि इस कार्यालय द्वारा विस्तृत जांच की जा सके।

 

शकुन रानी ने दो बार नहीं, केवल एक बार किया मतदान- आयोग
राज्य के शीर्ष निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक ये दस्तावेज उनके कार्यालय को विस्तृत जांच करने में मदद करेंगे। गांधी ने पिछले हफ्ते राष्ट्रीय राजधानी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये दस्तावेज दिखाए थे। आयोग ने कहा कि राहुल गांधी ने यह दावा भी किया था कि मतदान अधिकारी द्वारा दिए गए रिकॉर्ड के अनुसार, श्रीमती शकुन रानी ने दो बार मतदान किया था। जांच करने पर, श्रीमती शकुन रानी ने कहा है कि उन्होंने केवल एक बार मतदान किया है, दो बार नहीं, जैसा कि राहुल गांधी ने आरोप लगाया है। नोटिस में कहा गया है कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में यह भी पता चला है कि कांग्रेस नेता द्वारा प्रस्तुत प्रस्तुति में दिखाया गया सही का निशान वाला दस्तावेज मतदान अधिकारी द्वारा जारी नहीं किया गया था।

 

राहुल गांधी की मतदाता सूची को आयोग ने बताया भ्रामक
कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने सख्त रुख दोहराया है। आयोग ने कहा है कि राहुल गांधी या तो समय रहते इस मामले में एक घोषणा पत्र दें या फिर अपने आरोपों के लिए देश से माफी मांगें। भारत के चुनाव आयोग ने रविवार को कांग्रेस राहुल गांधी की तरफ से जारी उस मतदाता सूची को पूरी तरह गलत और भ्रामक बताया है, जिसमें 30,000 मतदाताओं के पते फर्जी होने का दावा किया है। चुनाव आयोग ने फैक्ट चेक के बाद कहा कि विधि सम्मत प्रक्रिया को ध्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं और जितना भी संभव हो सकता है, उतना ज्यादा लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने अपने आधिकारिक एक्स सोशल मीडिया पर कांग्रेस की पोस्ट को साझा करते हुए लिखा, यह बयान पूरी तरह भ्रामक है। अगर राहुल गांधी को लगता है कि उनकी तरफ से साझा की जा रही सूची वाकई सही है तो उन्हें कानूनी प्रक्रिया का पालन करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्हें बिना देरी कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को जवाब भेजना चाहिए।

बिहार मतदाता सूची के लिए दस दिन में किसी दल ने नहीं किया संपर्क
चुनाव आयोग ने कहा कि एक अगस्त को बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद से अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने के लिए संपर्क नहीं किया है। आयोग के मुताबिक, ड्राफ्ट सूची पर एक सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं, जिसमें पात्र नागरिकों के नाम शामिल करने या अयोग्य नाम हटाने का प्रावधान है। आयोग ने बताया कि एक अगस्त से 10 अगस्त दोपहर तीन बजे तक किसी भी राजनीतिक दल के बूथ-स्तरीय एजेंट ने दावा-आपत्ति की प्रक्रिया में भाग नहीं लिया। जून में शुरू हुई विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के दौरान विभिन्न दलों ने कुल 1.61 लाख बीएलए तैनात किए थे। इस अवधि में व्यक्तिगत स्तर पर 8,341 फॉर्म नाम जोड़ने या हटाने के लिए प्राप्त हुए। यह ड्राफ्ट सूची बिहार में चल रही मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण का हिस्सा है। विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया का विरोध करते हुए आरोप लगाया है कि आवश्यक दस्तावेजों की कमी के चलते कई पात्र नागरिकों के नाम सूची से बाहर हो सकते हैं। चुनाव आयोग ने आश्वासन दिया है कि कोई भी पात्र नागरिक मतदाता सूची से बाहर नहीं रहेगा। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।

मतदाता हितैषी है बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण प्रक्रिया- सुप्रीम कोर्ट
इस बीच न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने चुनावी राज्य बिहार में विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) कराने के चुनाव आयोग के 24 जून के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर से सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण में मतदाताओं से मांगे गए दस्तावेजों की संख्या 11 है, जबकि मतदाता सूची के सारांश पुनरीक्षण में 7 दस्तावेजों पर विचार किया जाता था। यह दर्शाता है कि एसआईआर मतदाता हितैषी है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए मतदाता के पास 11 दस्तावेजों का विकल्प है, जबकि पहले किए गए संक्षिप्त पुनरीक्षण में सात दस्तावेज मांगे गए थे, इससे यह साफ दिखता है कि प्रक्रिया मतदाताओं के लिए अनुकूल है।

चुनाव आयोग की प्रक्रिया वास्तव में सबको साथ में लेकर चलने वाली
इससे पहले न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने चुनावी राज्य बिहार में विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) कराने के चुनाव आयोग के 24 जून के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। पीठ ने कहा कि इस दलील के बावजूद कि आधार को स्वीकार न करना अनुचित था, लेकिन अन्य दस्तावेजों के विकल्प भी दिए गए थे, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि प्रक्रिया वास्तव में सबको साथ में लेकर चलने वाली है। पीठ ने कहा, ‘राज्य में पहले किए गए संक्षिप्त पुनरीक्षण में दस्तावेजों की संख्या सात थी और एसआईआर में यह 11 है, जो दिखाता है कि यह मतदाता के लिए ठीक या उचित है। हम आपकी दलीलों को समझते हैं कि आधार को स्वीकार न करना ठीक नहीं है, लेकिन दस्तावेजों की अधिक संख्या वास्तव में समावेशात्मक है।’ शीर्ष अदालत ने कहा कि मतदाताओं को सूची में शामिल 11 दस्तावेजों में से कोई एक जमा करना जरूरी था।

फाइल फोटो

वोटर को शामिल करना या बाहर करना चुनाव आयोग का अधिकार क्षेत्र
पीठ ने कहा कि राज्य में 36 लाख पासपोर्ट धारकों का कवरेज ठीक दिखाई देता है। न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ‘अधिकतम कवरेज सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों से फीडबैक लेने के बाद आमतौर पर दस्तावेजों की सूची तैयार की जाती है।’ इससे पहले 12 अगस्त को शीर्ष अदालत ने कहा कि मतदाता सूची में नागरिकों या गैर-नागरिकों को शामिल करना या बाहर करना चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में है। कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के एसआईआर में आधार और मतदाता कार्ड को नागरिकता के प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं करने के अपने रुख को दोहराया। संसद के अंदर और बाहर चल रहे एसआईआर पर विवाद बढ़ने के बीच शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि यह विवाद काफी हद तक विश्वास की कमी का मुद्दा है। इसलिए इंडी गठबंधन के दलों को संवैधानिक संस्थाओं में पूरा विश्वास दिखाना चाहिए।

Leave a Reply