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ट्रंप टैरिफ को बेअसर करने को मिशन मोड में मोदी सरकार, खुदरा निवेशकों पर असर नहीं, 62 प्रतिशत कंपनियों ने बढ़ाई हिस्सेदारी

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ को बेअसर करने के लिए मोदी सरकार मिशन मोड में आ चुकी है। इस सिलसिले में आने वाले दिनों में कुछ बड़े आर्थिक फैसले लिए जाएंगे। सरकार ने अगले 100 दिन में लिए जाने वाले संभावित बड़े अर्थिक फैसलों पर काम करना शुरू कर दिया है। इन फैसलों में चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों को नरम करना, ई-कामर्स एक्सपोर्ट हब की शुरुआत, चमड़ा उद्योग के लिए पर्यावरण नियमों के में छूट, स्टार्टअप को टैक्स में और छूट, जीएसटी में सुधार, तंबाकू और फार्मा व्यापारियों रजिस्ट्रेशन नवीनीकरण की समय सीमा को बढ़ाना और तेजी से औद्योगिक मंजूरी के पोर्टल को अपडेट करना शामिल है। पीएमओ इस दिशा में नीति आयोग, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार और कैबिनेट की अर्थिक समिति के सदस्यों के साथ बैठक कर रहा है। उधर शेयर बाजार में भी लगातार पांचवें दिन हरियाली बरकरार है।

देश में जल्द ही ई-कामर्स एक्सपोर्ट हब की होगी शुरुआत
प्रधानमंत्री मोदी किसी भी सूरत में ट्रंप टैरिफ के आगे झुकने वाले नहीं है। आपदा को अवसरों में बदलना उनकी नीति रही है। एक बार फिर वह इसी रणनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, देश में जल्द ही ई-कामर्स एक्सपोर्ट हब की शुरुआत हो सकती है, ताकि निर्यात को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन मिल सके। मोदी सरकार विदेशी निवेश को लेकर चीन के प्रस्ताव पर केस-टू-केस आधार पर विचार कर सकती है। पिछले कुछ वर्षों से चीन के निवेश प्रस्ताव की मंजूरी के लिए काफी कठिन नियम लागू है।

जीएसटी सुधार से 0.7% बढ़ेगी देश की जीडीपी- मॉर्गन स्टेनली
लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने डबल दिवाली तोहफे की घोषणा की है। इसके तहत जीएसटी की दरों को और तर्कसंगत बनाया जाएगा। जीएसटी में इस कटौती से कई चीजें सस्ती होंगी। अमरीकी फाइनेंशियल कंपनी मॉर्गन स्टेनली का कहना है कि इस फैसले से भारत की आर्थिक विकास दर में 0.5% से 0.7% तक का इजाफा हो सकता है। मॉर्गन स्टेनली का अनुमान है कि जीएसटी में इस सुधार से बाजार में करीब 2.40 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त मांग आएगी।

खुदरा निवेशकों पर असर नहीं, 62 प्रतिशत कंपनियों में बढ़ाई हिस्सेदारी
अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की और से भारत पर टैरिफ लगाने की घोषणा से जहां कुछ विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली शुरू कर दी, वहीं खुदरा निवेशकों ने इन शेयरों को बड़े पैमाने पर खरीदा है। यानी टैरिफ का खुदरा निवेशकों पर कोई असर नहीं हुआ। वित्त वर्ष 2025-26 की जून तिमाही में 62 प्रतिशत कंपनियों में खुदरा निवेशकों ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई, जिनकी आय का बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता है। मार्च तिमाही में यह संख्या सिर्फ 23 प्रतिशत थी। घरेलू म्यूचुअल फंड्स मे भी जून तिमाही में 77 प्रतिशत कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाई।

जीएसटी पर सरकार के नए रिफॉर्म्स के संकेतों ने मार्केट सेंटीमेंट सुधरे
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स के वीके विजयकुमार ने कहा, जीएसटी पर सरकार के नए रिफॉर्म्स के संकेतों ने मार्केट सेंटीमेंट तो सुधारे हैं, पर असली बदलाव तब होगा जब कंपनियों के प्रॉफिट में उछाल आएगा। लगातार और मजबूत रैली तभी संभव है जब अर्निंग्स का सुधार साफ दिखे। कंपनियों की कमाई त्योहार सीजन में बढ़ेगी। अमरीकी ब्रोकिंग फर्म जेफरीज क्रिस्टोफर वुड ने कहा कि भारत पर ट्रंप की 50 प्रतिशत टैरिफ पॉलिसी को बेचने का कारण नहीं मानना चाहिए, बल्कि खरीदने का मौका समझना चाहिए। वे मानते हैं कि ट्रंप इस स्टैंड से पीछे हटेंगे।

इस बात की संभावना कि विदेशी निवेशक भी भारत में निवेश बढ़ाएंगे
भारतीय शेयरों का वैल्यूएशन 10 साल के औसत के आसपास है, इसलिए भारत से निवेश घटाना देर से लिया गया कदम होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक घरेलू निवेशक लंबी अवधि की सोच के साथ गुणवत्ता और मांग पर भरोसा करते हैं। इसके विपरीत, विदेशी आमतौर पर अल्पकालिक निवेशक होते हैं और नीतिगत अनिश्चितता में बाहर निकल जाते हैं। अब चूंकि पीएम मोदी ने हाल ही में देश में जीएसटी सुधारों की घोषणा की है और एसएंडपी ग्लोबल ने 18 साल बाद भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को बढ़ाकर बीबीबी कर दिया है, ऐसे में इस बात की संभावना बढ़ी है कि विदेशी निवेशक भी भारत में निवेश बढ़ाएंगे।

शेयर बाजार में लगातार पांचवे दिन तेजी बरकरार
शेयर बाजार बुधवार को लगातार पांचवे दिन तेजी में बंद हुए। मौबाइल टैरिफ बढ़ाने के बाद रिलायंस के शेयरों में 3 प्रतिशत तेजी आई। चीन की ओर से रेयर अर्थ मैग्नेट्स की सप्लाई पर लगा बैन हटने से ऑटोमोबाइल शेयरों में जबरदस्त खरीदारी हुई। सरकार की ओर से 30 सितंबर तक कपास आयात पर सीमा शुल्क में अस्थायी छूट की घोषणा से टेक्सटाइल स्टॉक्स उछल गए। अमेरिका में भारतीय प्रोडक्ट्स पर ऊंचा टैरिफ लागू होने के बावजूद शेयर बाजार मोटे तौर पर बेअसर रहा है। 2025 में अब तक बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी 3 प्रतिशत से ज्यादा चढ़े हैं। निफ्टी ने अपने 100-दिन के ईएमए को बनाए रखा है। इस बीच रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने कहा है कि अमेरिकी टैरिफ से भारत की आर्थिक तरक्की प्रभावित नहीं होगी, क्योंकि यह निर्यात आधारित इकोनॉमी नहीं है। ज्यादातर बड़े अंतरराष्ट्रीय और घरेलू ब्रोकरेज फर्म्स और विश्लेषकों का मानना है कि अब सेंसेक्स और निफ्टी की तेजी जारी रह सकती है।

चीन से आई राहत, ऑटो शेयर चमके

कंपनी                 तेजी
मदरसन सुमी         5.87%
एक्साइड इंडस्ट्री      4.70%
टाटा मोटर्स           3.62%
ट्यूब इन्वेस्टमेंट       3.24%
हीरो मोटोकॉर्प        2.66%
बजाज ऑटो          2.12%

आयात शुल्क में राहत मिलने से टेक्सटाइल शेयर चढ़े

कंपनी                   तेजी
अंबिका कॉटन मिल्स   7.28%
लंबोदर टेक्सटाइल     7.11%
वर्धमान टेक्सटाइल्स    5.76%
अरविंद लिमिटेड       4.01%
वेलस्पन लिविंग         3.89%
गोकलदास एक्सपोर्ट   2.55%

सरकार ने 25 हजार करोड़ का एक्सपोर्ट सपोर्ट मिशन किया तैयार
इससे पहले भी अमरीकी ट्रंप टैरिफ को बेअसर करने के लिए पीएम मोदी के दिशा-निर्देशन में सरकार ने अहम कदम उठाए हैं। वाणिज्य मंत्रालय ने करीब 25,000 करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम तैयार किए हैं। इसके लागू होने के बाद हाई यूएस टैरिफ से पैदा हुई अनिश्चितताओं का पुरजोर मुकाबला किया जा सकेगा। कॉमर्स मंत्रालय ने यह प्रस्ताव वित्त मंत्रालय हो मंजूरी के लिए भेज दिया है। वित्त मंत्रालय भी इस पर सिद्धांत: सहमत है। एक्सपोर्ट सपोर्ट मिशन की ये स्कीमें कैबिनेट की स्वीकृति के बाद लागू की जाएंगी। रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के अंतर्गत तैयार की इन स्कीमों में विश्व व्यापार साठन (डब्ल्यूटीओ) के सुझाव भी शामिल होंगे। जिनका ध्यान ट्रेड फाइनेंस और एक्सपोर्टर्स के लिए मार्केट एक्सेस को आसान बनाने पर होगा।

भविष्य में जोखिमों को कम करने के लिए एक्सपोर्ट बॉस्केट को विस्तार
भारत सरकार ने कहा है कि यह एक्सपोर्ट सपोर्ट मिशन उन चुनौतियों का समाधान करता है जो टैरिफ और ट्रेड-वार से जुड़ी अनिश्चितताओं तक ही सीमित नहीं है। यह टैरिफ से कहीं आगे जाता है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि हम दीर्घकालीन रणनीति पर काम कर रहे हैं। सरकार भविष्य में जोखिमों को कम करने के लिए एक्सपोर्ट बॉस्केट को विस्तार देना चाहती है और अफ्रीका-लैटिन उमरीका में नए बाजार खोज रही है।

अगले साल सेंसेक्स 1 लाख का स्तर छू सकता है: मॉर्गन स्टेनली

1.जुलाई-सितंबर में कंपनियों की आय बढ़ने की ठोस वजहें
सालभर से भारतीय बाजार को दबाव में रखने रखने वाली सबसे बड़ी चुनौती कंपनियों की आय रही है। आईटी और बैंक जैसे सेक्टरों के नतीजे अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं आए। लेकिन ये बाजार के बढ़े हुए वैल्युएशन को वाजिब ठहराने में सफल रहे। इसलिए अब जुलाई-सितंबर तिमाही से कंपनियों की आय बढ़ने की उम्मीद है।
2. ट्रम्प के चलते तेज आर्थिक सुधार पर सरकार का फोकस
ट्रंप टैरिफ प्रकरण के बाद सरकार साहसिक सुधारों की दिशा में कदम बढ़ा रही है। सरकार के निरंतर चल रहे उपायों में इन्फ्रा और मैन्युफैक्चरिंग प्रोजेक्ट्स पर जोर है। घरेलू मांग को बढ़ावा देने के चौतरफा उपाय किए जा रहे हैं। ब्रिटेन जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) हुए हैं।
3. रूस-यूक्रेन थमने से भारत की राह और आसान होगी
भारत की सबसे बड़ी ताकत घरेलू खपत है। लेकिन कोई भी देश अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक घटनाक्रम से अछूता नहीं रह सकता। अब रूस-यूक्रेन युद्ध की समाप्ति करीब आ रही है। मध्य-पूर्व में तनाव भी कम हो रहा है। यह स्थिति भारत के अनुकूल टैरिफ की राह निकालेगी।

4. भारत में मजबूत विदेशी पूंजी आने की ठोस वजहें मौजूद
खास तौर पर कोविड महामारी के बाद भारतीय शेयर बाजार में रिटेल निवेशकों का दबदबा बढ़ा है। ऐसे में विदेशी संस्थागत निवेशक के आने-जाने का असर कम हो गया। हाल के महीनों में इसके ठोस संकेत नजर भी आए हैं। वैल्युएशन के संतुलित होने पर विदेशी निवेशक भी वापसी तय है।
5. जुलाई में कारों की बिक्री स्थिर, स्कूटरों की 16 प्रतिशत बढ़ी
जुलाई में कारों की थोक बिक्री लगभग स्थिर रही। कंपनियों ने डीलरों को 3,40,772 कारों की सप्लाई की। इसके मुकाबले जून में डीलरों को 3,41,510 कारें डिस्पैच की गई थी। सियाम के मुताबिक, बीते माह दोपहिया की बिक्री 8.7 प्रतिशत बढ़कर 15.7 लाख हो गई। स्कूटरों की बिक्री में 16 प्रतिशत से ज्यादा इजाफा हुआ।
6. कम महंगाई, सस्ते लोन से भारत में बढ़ेगी घरेलू खपत
इस बात की गुंजाइश बढ़ी है कि रिजर्व बैंक क्रेडिट पॉलिसी और ढीली कर सकता है। इससे पहले ही उसने रेपो रेट एक प्रतिशत घटा दिया है। इससे रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों में मांग बढ़ सकती है। इससे इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा।

एमएसएमई निर्यातकों को बिना गिरवी के लोन देने जैसी सुविधा मिलेगी
निर्यात प्रोत्साहन के लिए निर्यात ऋण विकास स्कीम, ई-कामर्स एक्सपोर्ट क्रेडिट कार्ड, फोकस्ड मार्केट इंसेंटिव स्कीम, एमएसएमई निर्यातकों को बिना गिरवी के लोन देने जैसी सुविधा दी जा सकती है। वैश्विक बाजार के साथ अमरीका में भारत का मुकाबला चीन, वियतनाम, इंडोनेशिया, कंबोडिया, ताइवान, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों से हैं, जहां भारत की तुलना में निर्यातकों को कम ब्याज दर पर लोन मिलता है। यहां नीतिगत ब्याज दरें 3 प्रतिशत से भी कम है। ऐसे में भारतीय निर्यातकों की लागत कम करने के लिए उन्हें भी कम ब्याज दर पर लोन देने की विशेष व्यवस्था बनाई जा सकती है। इस व्यवस्था का नाम निर्यात ऋण विकास दिया जा सकता है। नेशनल मैन्यूफैक्चरिंग मिशन में ऑटो कंपोनेंट और लेदर समेत करीब 15 सेक्टरों पर फोकस होगा। सूत्रों के मुताबिक, इस मिशन के तहत क्लीन टेक्नोलॉजी वाले सेक्टर पर विशेष जोर होगा। इसमें सोलर पीवी सेल, ईवी बैटरी, विंड टर्बाइन, ट्रांसमिशन इक्विपमेंट आदि का घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर फोकस होगा। इस मिशन के तहत सरकार इन सेक्टर्स को इंफ्रा जैसी बुनियादी सुविधा देगी। इसमें टेक्नोलॉजी. क्वालिटी प्रोडक्ट, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और स्किल डवलपमेंट को बढ़ावा देने पर फोकस होगा।

क्या है भारत का प्लान, नई स्कीम में क्या होगा?
वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सरकार सक्रिय हो गई है। बिज़नेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 25,000 करोड़ रुपये की एक समर्थन योजना तैयार की है, जो छह साल की अवधि में लागू होगी। यह प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा जा चुका है और मंजूरी मिलने के बाद कैबिनेट की स्वीकृति के लिए रखा जाएगा। नई योजना के तहत छोटे निर्यातकों को कोलैटरल-फ्री लोन की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा, उच्च जोखिम वाले बाज़ारों में निर्यात करने वालों को विशेष सहायता मिलेगी और क्रॉस-बॉर्डर फैक्टरिंग जैसे वैकल्पिक वित्तीय साधनों को भी बढ़ावा दिया जाएगा। निर्यातकों का मानना है कि सरकार को जल्द से जल्द ठोस कदम उठाएगी, ताकि अमेरिकी टैरिफ के असर को कम किया जा सके और भारत के निर्यात को सुरक्षित रखा जा सके।

 

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