चुनाव का मौसम है, हर कोई अपने-अपने आकलन दे रहा है। कोई ओपिनियन पोल, कोई चुनावी सर्वे, कोई पर्सनल ओपिनियन तो कोई कुछ और। आंकड़े दिखाइये, ग्राफिक्स बनाइये, कौन कितनी सीट जीतेगा, कितने पर्सेंट वोट मिलेंगे। सब कुछ बताइये-दिखाइये, माफ है। बस उसे एक्जिट पोल का नाम मत दीजिए।
ये सवाल इसलिए जहन में आ रहे हैं क्योंकि दैनिक जागरण के खिलाफ जिस तेजी से और जितनी बड़ी कार्रवाई हुई है, क्या उसे सही कहा जा सकता है। चुनाव आयोग की सक्रियता का आलम यह है कि दैनिक जागरण ने घंटे भर के लिए एक्जिट पोल के नाम से आंकड़े क्या प्रकाशित कर दिए, दनादन कार्रवाइयां शुरू हो गईं। ये आंकड़े किसी अखबार में नहीं छपे, ऑनलाइन… वो भी सिर्फ एक घंटे के लिए प्रकाशित हुआ था, लेकिन 15 जिलों में FIR दर्ज कर ली गई। सुबह होते-होते संपादक को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
सवाल यह है कि पंजाब चुनाव के बाद NDTV के मालिक प्रणव रॉय ने जो किया, वह क्या एक्जिट पोल से अलग था? पंजाब चुनाव के बाद उनके ओपनिनियन को टीवी पर दिखाया गया, जागरण की तरह ऑनलाइन प्रकाशित भी किया गया। प्रणव रॉय ने कहा कि उन्होंने पंजाब में सैकड़ों लोगों से बात की है। इस आधार पर उनका आकलन यह है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी के जीतने की संभावना 55-60 फीसदी तक है।
प्रणव रॉय के खिलाफ कार्रवाई न करना और दैनिक जागरण के संपादक शेखर त्रिपाठी की गिरफ्तारी से कई सवाल खड़े होते हैं –
क्या दैनिक जागरण सैकड़ों लोगों से हुई बातचीत को ओपिनियन पोल बनाकर छाप देता तो वह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होता?
क्या ओपिनियन को सिर्फ एक्जिट पोल का नाम दे देना चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है?
अगर दैनिक जागरण के खिलाफ कार्रवाई सही है तो सवाल यह है कि क्या प्रणव रॉय ने आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया?
सैकड़ों लोगों से बातचीत कर अपनी राय इस तरह से रखना क्या यह एक्जिट पोल नहीं है?
बात सिर्फ NDTV की ही नहीं है। कई दूसरे मीडिया हाउसेस के बड़े पत्रकार भी जो आकलन कर रहे थे, क्या वो आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है?
Final analysis of yesterday’s polling: BJP biggest loser,RLD likely 2 make big gains,Alliance done better than expected, BSP holds on 2 base
— Rohini Singh (@Rohinisgh_ET) February 12, 2017
31 seats jotted down by BJP leader for me which he claims party is winning 100% in Ph1. Bulk of seats of Meerut, Noida, Agra, Ghaziabad ???
— Aman Sharma (@AmanKayamHai_ET) February 11, 2017
गौरतलब है कि दैनिक जागरण ने एक्जिट पोल से संबंधित खबर को लेकर जो बयान जारी किया, उसे भूल बताते हुए फौरन वेबसाइट से हटा लिया गया।
क्या कहता है कानून
कानून के मुताबिक कोई भी व्यक्ति या संस्था 4 फरवरी की सुबह 7 बजे से लेकर 8 मार्च के शाम साढ़े 5 बजे तक कोई एग्जिट पोल नहीं कर सकता या इनके नतीजों को प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रकाशित नहीं कर सकता। दोषी पाए जाने पर दो साल की कैद या जुर्माना या दोनों ही सजा का प्रावधान है।
जाहिर तौर पर अगर दैनिक जागरण ने इस कानून का उल्लंघन किया है तो NDTV के मालिक प्रणव रॉय और बाकी पत्रकारों ने भी कानून तोड़ा है। क्या उनके खिलाफ कोई कार्रवाई होगी?