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ईरान-इजरायल War Zone से भारतीयों की वापसी के लिए ऑपरेशन सिंधु, PM Modi की संवेदनशीलता फिर बनी संकटमोचक

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संवेदनशीलता और लोकप्रियता ही है कि जब भी उन्हें पता चलता है कि दुनिया के किसी भी कौने में भारतीय संकट में हैं, तो वे उनकी सकुशल वापसी के लिए संकटमोचक की भूमिका में आ जाते हैं। ऐसा एक नहीं कई बार, कई देशों में फंसे भारतीयों के साथ हो चुका है। संकट से जूझ रहे भारतीयों की उम्मीदों का आखिरी सहारा पीएम मोदी ही बने हैं। वह चाहे कोरोना काल हो या रूस-यूक्रेन युद्ध, या फिर किसी देश में कोई और संकट हो, हर बार हजारों भारतीयों की सकुशल स्वदेश वापसी हुई है। अब ताजा उदाहरण इजराइल-ईरान युद्ध का है। पीएम मोदी ने इस भीषण युद्ध के बीच ‘ऑपरेशन सिंधु’ चलाकर भारतीयों की सकुशल वापसी कराई है। इस ऑपरेशन के तहत ईरान की मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे लगभग 110 भारतीय छात्र सुरक्षित भारत पहुंच गए हैं। इनमें से 90 छात्र कश्मीर के हैं। ईरान-इजराइल जंग से ऑपरेशन सिंधु के माध्यम से भारत पहुंचे छात्रों के मुताबिक वहां के हालात हर दिन खराब होते जा रहे हैं। खासकर तेहरान में स्थिति बहुत भयावह बनी हुई है। युद्ध इसलिए बहुत खराब है, क्योंकि इसमें इंसानियत ही खत्म हो जाती है।

अकेले ईरान में स्टूडेंट्स समेत दस हजार से ज्यादा भारतीय फंसे
ईरान और इजरायल के बीच में जारी जंग लगातार भीषण होती जा रही है। इजरायल जहां ईरान में राजधानी तेहरान, न्यूक्लियर साइट और सैन्य ठिकानों को टारगेट कर रहा है। वहीं ईरान भी इजरायल में सैन्य ठिकानों को तबाह करने में लगा है। जंग के बीच हजारों भारतीय ईरान और इजरायल में फंसे हुए हैं। अकेले ईरान में ही 10000 से ज्यादा भारतीय फंसे हैं जिनमें आधे से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं। इनमें भी मेडिकल स्टूडेंट्स सबसे ज्यादा हैं। भारत सरकार ने युद्ध के बीच से भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन सिंधु लॉन्च किया है। इस ऑपरेशन के तहत ईरान से निकाले गए ये छात्र मंगलवार को आर्मेनिया पहुंचे थे, जहां उन्हें राजधानी येरेवन के होटलों में ठहराया गया। इसके बाद इन्हें कतर के रास्ते भारत लाया गया। इंडिगो की एक फ्लाइट आर्मेनिया के येरेवन एयरपोर्ट से इन छात्रों को लेकर कतर की राजधानी दोहा के लिए रवाना हुई थी। इसके बाद एक दूसरी फ्लाइट से इन्हें दोहा से नई दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट लाया गया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने छात्रों को ईरान से बाहर निकालने की पुष्टि की है।

ईरान से लौटने वाले भारतीय छात्रों में 54 लड़कियां भी शामिल
इन छात्रों को आर्मेनिया बॉर्डर पर नॉरदुज चौकी से बसों में निकाला गया। ईरान में 1,500 स्टूडेंट्स सहित लगभग दक हजार भारतीय फंसे हैं। ईरानी विदेश मंत्रालय के मुताबिक मौजूदा हालात में देश के एयरपोर्ट भले ही बंद हैं, लेकिन लैंड बॉर्डर्स खुले हुए हैं। मंत्रालय ने विदेशी नागरिकों से ईरान छोड़ने से पहले अपना नाम, पासपोर्ट नंबर, गाड़ी डिटेल्स, देश से निकलने का समय और जिस बॉर्डर से जाना चाहते हैं, उसकी जानकारी मांगी थी।

ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान से 110 छात्रों का ग्रुप दिल्ली पहुंच चुका है। इन छात्रों को आर्मेनिया के रास्ते भारत लाया गया है। इंडिगो एयरलाइंस की फ्लाइट देर रात 3 बजकर 43 मिनट पर दिल्ली लैंड हुई। इन 110 छात्रों में 94 जम्मू-कश्मीर से हैं जबकि 16 लोग अन्य 6 राज्यों से है। ईरान से लौटने वाले छात्रों में 54 लड़कियां भी शामिल हैं। सकुशल देश वापस आने के बाद इन छात्रों के चेहरे पर खुशी का साफ झलक रही थी।

ईरान-इजरायल के बीच जंग में राजधानी तेहरान पर भारी बमबारी
वहीं, आपको बता दें कि इजरायल और ईरान के बीच जारी जंग का आज 7वां दिन है। जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, दोनों देशों के बीच जंग भीषण होती जा रही है। बुधवार को इजरायल ने तेहरान पर जबरदस्त अटैक किया। इजरायल के 50 से ज्यादा लड़ाकू विमानों ने ईरान की राजधानी तेहरान पर भारी बमबारी की। इजरायल की एयरफोर्स ने तेहरान और उसके पास कराज में ईरान की न्यूकिलयर साइट को निशाना बनाया। इन दोनों ही न्यूक्लियर फैसेलिटीज में ईरान यूरेनियम एनरिचमेंट में इस्तेमाल होने वाले सेंट्रीफ्यूज बनाता है। इजरायली सेना ने दावा किया कि 25 फाइटर जेट ने ईरान के वेस्टर्न सिटी करमनशाह में ईरान के 5 अटैक हेलीकॉप्टर्स को बर्बाद कर दिया। इजरायल के फाइटर जेट्स ने ईरान की उन साइट पर भी जोरदार अटैक किया जहां से इजरायल पर मिसाइल्स फायर की जा रही थी। इजरायल के हमलों में अब तक ईरान के करीब छह सौ लोग मारे जा चुके हैं और 1300 से ज्यादा लोग घायल हैं।

भारत ने फंसे लोगों को निकालने के लिए आर्मेनिया को क्यूं चुना?
दरअसल, ईरान का बॉर्डर 7 देशों से लगता है। ये देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अजरबैजान, आर्मेनिया, तुर्किये और इराक हैं। इसके अलावा समुद्री सीमा ओमान के साथ है। आर्मेनिया को ही चुनने की बड़ी वजह यह है कि आर्मेनिया का बॉर्डर ईरान के प्रमुख शहरों से कम दूरी पर है। आर्मेनिया के साथ भारत के संबंध काफी अच्छे हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा समझौते भी हुए हैं। इसके अलावा आर्मेनियां को चुनने की कुछ प्रमुख वजहें हैं…
• आर्मेनिया राजनीतिक रूप से स्थिर है और भारत से उसके दोस्ताना संबंध हैं। वहां से फ्लाइट ऑपरेशन तेजी से संभव है, क्योंकि येरेवन एयरपोर्ट पूरी तरह चालू है।
• ईरान और आर्मेनिया के बीच फिलहाल कोई सीमा विवाद या सैन्य तनाव नहीं है।
• दूसरी तरफ ईरान का पूर्वी पड़ोसी पाकिस्तान है। पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्ते ऑपरेशन सिंदूर के बाद और उसके पहले से ही तनावपूर्ण हैं। ऐसे में भारत के पास पाकिस्तान के रास्ते छात्रों को लाने का विकल्प नहीं है।
• इराक पहले से ही ईरान के साथ चल रहे तनाव में शामिल है। कई बार इजराइल ने इराक में भी ईरानी ठिकानों को निशाना बनाया है। इसलिए वहां से गुजरना खतरे से भरा हो सकता था।
• हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अजरबैजान खुलकर पाकिस्तान के समर्थन में आया था। उसने भारत की कार्रवाई की निंदा भी की थी। ऐसे में भारत उसकी मदद नहीं लेगा।
• तुर्किये भले ही स्थिर देश है, लेकिन ईरान से सड़क के जरिए वहां तक पहुंचना काफी लंबा है। हाल ही में भारत और तुर्किये के बीच तनातनी देखने को मिली है। दरअसल तुर्किये ने भी ऑपरेशन सिंदूर की निंदा करते हुए खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया था।

ईरान से इसलिए भारतीय छात्रों को सीधे नहीं लाया जा रहा
भीषण जंग के चलते इस वक्त ईरान और इजराइल के बीच हालात काफी तनावपूर्ण हैं। कई शहरों में हमले हो चुके हैं और सुरक्षा का खतरा बना हुआ है। ऐसे में भारतीय छात्रों को सीधे ईरान से एयरलिफ्ट करना फिलहाल संभव नहीं है। ईरान के ज्यादातर इंटरनेशनल एयरपोर्ट इस समय नागरिक उड़ानों के लिए बंद हैं। युद्ध जैसे हालात की वजह से वहां से फ्लाइट उड़ाना सुरक्षित नहीं है। ईरान के कई इलाकों में इजराइली हमले हो चुके हैं। ऐसे में फ्लाइट्स पर भी हमले का खतरा बना रहता है। सीधे ईरान से भारतीय एयरलाइंस को भेजना काफी जोखिम भरा है। इसके लिए ईरान की इजाजत के साथ-साथ मजबूत सुरक्षा इंतजाम भी चाहिए होंगे, जो युद्ध की स्थिति में संभव नहीं हैं। नॉरदुज बॉर्डर सुरक्षित माना जा रहा है। आर्मेनिया में हालात स्थिर हैं और वहां से फ्लाइट्स भी आसानी से उड़ाई जा सकती हैं।

पीएम मोदी इससे पहले भी कई बार विदेशों में संकटग्रस्त भारतीयों के लिए सुरक्षा कवच बने हैं। मोदी सरकार ने बेहद मुश्किल परिस्थितियों में फंसे भारतीयों की पहले भी सकुशल वापसी कराई है… 

कतर से भारतीय नौसेना के सभी आठ पूर्व नौसैनिकों को रिहा कराया

कतर की अदालत ने 12 फरवरी को भारतीय नौसेना के सभी आठ पूर्व नौसैनिकों को रिहा कर दिया। इसमें से सात नौसैनिक भारत लौट आए हैं। आठों पूर्व नौसैनिकों पर जासूसी करने के आरोप लगाए गए थे और वे कतर की जेल में कैद थे। इन्हें कतर की अदालत ने मौत की सजा भी सुना दी थी, जिसके बाद इनकी रिहाई मुश्किल हो गई थी। 26 अक्टूबर 2023 को कतर की अदालत ने जब इन पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई तब समूचा देश मोदी सरकार के साथ खड़ा था और प्रार्थना कर रहा था कि इनकी जल्द रिहाई हो। लेकिन नफरत की राजनीति करने वाली कांग्रेस और लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम को मुद्दा मिल गया। जब मौत की सजा सुनाई गई थी तब इसे सरकार की कूटनीतिक विफलता करार दिया गया। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कूटनीतिक प्रयासों से आज (12 फरवरी 2024) जब इनकी रिहाई हुई है तब उनके मुंह एक जोरदार तमाचा पड़ा है। चाहे पाकिस्तान से विंग कमांडर अभिनंदन को वापस लाना हो, यूक्रेन, लीबिया, सूडान, इजराइल, अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को वापस लाना हो या फिर उत्तराखंड सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित सकुशल लाना हो, आज नए भारत की ताकत पूरा विश्व देख रहा है।

भारत की कूटनीतिक चतुराई से रुकी मौत की सजा
कतर की अदालत की तरफ से जब पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा का ऐलान किया गया था, तो भारत ने अपने कूटनीतिक चतुराई पेश करते हुए, इसके खिलाफ अपील की थी। इसका फायदा भी देखने को मिला था, क्योंकि 28 दिसंबर, 2023 को भारत की अपील को ध्यान में रखते हुए आठों नागरिकों को सुनाई गई मौत की सजा पर रोक लगा दी गई थी। पूर्व नौसैनिकों की रिहाई उस समय हुई है, जब पिछले सप्ताह ही दोनों देशों के बीच एक अहम समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत भारत कतर से लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) खरीदेगा। ये डील अगले 20 सालों के लिए हुई है और इसकी लागत 78 अरब डॉलर है। भारत की पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड (पीएलएल) कंपनी ने कतर की सरकारी कंपनी कतर एनर्जी के साथ ये करार किया है। इस समझौते के तहत कतर हर साल भारत को 7.5 मिलियन टन गैस निर्यात करेगा। इस गैस से भारत में बिजली, उर्वरक और सीएनजी बनाई जाएगी।

आज हम आपके सामने खड़े नहीं होते
पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बिना हमारे लिए यहां खड़ा होना संभव नहीं होता। आज हम आपके सामने खड़े नहीं होते अगर हायर लेवल पर हस्तक्षेप नहीं होता। विशेष रूप से भारत सरकार के अथक प्रयास से कि वे लगातार लगे रहे।

हम पीएम के बेहद आभारी हैं
हमने भारत वापस आने के लिए लगभग 18 महीने तक इंतजार किया। हम पीएम के बेहद आभारी हैं। यह उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप और कतर के साथ उनके समीकरण के बिना संभव नहीं होता। हम भारत सरकार द्वारा किए गए हर प्रयास के लिए तहे दिल से आभारी हैं और उन प्रयासों के बिना यह दिन संभव नहीं होता।”

ऑपरेशन अजय: जुबां पर मोदी और भारत माता की जय के नारे
इजरायल में फंसे 18 हजार भारतीयों को निकालने के लिए भारत सरकार ने 12 अक्टूबर 2023 को ‘ऑपरेशन अजय’की शुरुआत की। इजरायल के तेल अवीव एयरपोर्ट से 212 भारतीयों को लेकर पहला चार्टर विमान भारत पहुंचा। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि हमारी प्राथमिकता उन्हीं भारतीयों को सकुशल वापस लाने की है, जो लौटना चाहते हैं। जैसे-जैसे लौटने के आग्रह मिलते रहेंगे, उसी हिसाब से उड़ानें तय की जाएंगी। भारतीयों का पहला जत्था जब विमान में सवार हुआ, तो उनके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। विमान में सवार भारतीयों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाए। साथ ही इस ऑपरेशन के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया।

सुरक्षित वापसी के लिए पीएम मोदी को दिया धन्यवाद
ऑपरेशन अजय के तहत इजरायल से भारत लौटने पर लोगों ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि वो अब सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। भारत लौटे एक नागरिक ने कहा कि इजरायल में युद्ध शुरू होने के बाद हमें भारत से हमारे परिवार और दोस्तों के फोन आने लगे थे। सभी हमारे लिए चिंतित थे। उन्होंने कहा कि हमारे लिए इस ऑपरेशन के तहत इजरायल से सुरक्षित लाए जाने के लिए भारत सरकार और भारत के विदेश मंत्रालय को धन्यवाद देता हूं। वहीं दिल्ली लौटीं भारतीय छात्रा द्युति बनर्जी ने पीएम मोदी को धन्यवाद दिया। द्युति ने कहा कि हमें एक सूचना मिली और 24 घंटे के भीतर सब कुछ व्यवस्थित हो गया।

भारत सरकार की सक्रियता की तारीफ
इजरायल पर हमास के हमले के बाद पहले दिन से ही भारतीयों को सुरक्षित निकालने की तैयारियां शुरू कर दी गई थीं। अडवाइजरी जारी करने के साथ ही भारतीय दूतावास को सक्रिय कर दिया गया था। इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया था। दूतावास ने भारतीयों से संपर्क स्थापित किया और हर तरह से सहयोग करने का भरोसा दिया। इज़रायल से भारत लौटी एक महिला ने कहा कि जब हमास ने हमला शुरू किया तो दूतावास सक्रिय हो गया, उसके दूसरे दिन से ही हम भारत सरकार के संपर्क में थे। वे व्हाट्सएप समूहों पर सक्रिय थे और हमारे साथ संपर्क में थे। वे हमारे साथ सहयोग कर रहे थे, सारी जानकारी मुहैया करा रहे थे।

उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित निकाला गया
ऑपरेशन अजय शुरू करने के ठीक एक महीने बाद 12 नवंबर 2023 को उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने का अभियान शुरू किया गया। 17 दिन की मशक्कत के बाद इन कामगारों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। इसके लिए मोदी सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ से लेकर टनल के अन्य विशेषज्ञों को इस काम लगाया। इसके साथ ही अत्याधुनिक औजार और उपकरण भी मंगाए जिससे जल्द-जल्द उन्हें कुशलतापूर्वक बाहर निकाला जा सके। 17वें दिन इसमें सफलता मिली। पहले दो मजदूरों को सुरंग से निकाला गया। इसके बाद बारी-बारी से सभी को सुरंग से निकाला गया। एनडीआरएफ और एसडीआरफ की टीम सुरंग के अंदर पहुंची और मजदूरों को बाहर निकालकर लाई। सुरंग से बाहर आते ही एंबुलेंस के जरिए सभी श्रमिकों को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया है जहां उनकी स्वास्थ्य जांच की गई।

पीएम मोदी ने कहा- कितना खुश हूं ये शब्दों में बयां नहीं कर सकता’
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है। 17 दिनों के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद NDRF औप SDRF की टीमों ने मजदूरों को बाहर निकाला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टनल से बाहर आए 41 मजदूरों से फोन पर बात की। पीएम मोदी ने कहा कि आप लोगों के बाहर आने पर मैं कितना खुश हूं ये शब्दों में बयां नहीं कर सकता। आपने इतने दिन बड़ी हिम्मत दिखाई है और एक दूसरे का हौसला बढ़ाया। पीएम ने कहा कि टनल के अंदर पाइप से चीजें भेजी गईं, रोशनी, ऑक्सीजन से लेकर खानेपीने की चीजें। पीएम से बात करते हुए एक मजदूर ने कहा कि टनल के अंदर वे सभी एक दूसरे के साथ हिम्मत के साथ रहे। उन्होंने बताया कि टनल के अंदर ढाई किलोमीटर का एरिया है। सभी मजदूर सुबह टनल के अंदर ही वॉक करते थे। उन्होंने वहां योगा भी किया। मजदूरों ने उत्तराखंड सरकार और बचावकर्मियों को धन्यवाद दिया।

अभिनंदन की रिहाई भी मोदी सरकार की एक बड़ी कूटनीतिक जीत
भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान 1 मार्च 2020 को भारी सुरक्षा वाली वाघा-अटारी सीमा चौकी (पीटीआई) के माध्यम से घर लौट आए। अभिनंदन की रिहाई भी मोदी सरकार की एक बड़ी कूटनीतिक जीत थी। जब अभिनंदन पाकिस्तान में थे वो तीन भारत बेचैन था और पाकिस्तान सहमा हुआ था। पाकिस्तान किस कदर सहमा हुआ था इसका खुलासा पाकिस्तान के एक सांसद ने पाकिस्तानी संसद में किया। उसने कहा कि इमरान खान ने भारत के हमले के खौफ में विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को रिहा किया था। पीएमएल-एन के सांसद अयाज सादिक ने नेशनल असेंबली में कहा कि विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि अगर हम विंग कमांडर अभिनंदन को नहीं छोड़ते हैं तो भारत रात 9 बजे तक हम पर हमला कर देगा।

ऑपरेशन कावेरी : सूडान से लौटे भारतीयों ने कहा, ‘मोदी है तो भरोसा है’
भारत के 130 करोड़ लोगों के भरोसे का नाम नरेन्द्र मोदी हैं। जब-जब विदेशों में भारतीयों पर संकट आया प्रधानमंत्री मोदी ने देवदूत बनकर उनकी मदद की। इससे विदेशों में रहने वाले भारतीयों का भरोसा और मजबूत होता गया। इसकी झलक गृहयुद्ध से जूझ रहे सूडान में भी देखने को मिला था। जहां फंसे भारतीयों ने प्रधानमंत्री मोदी से बचाने की गुहार लगाई थी। इसके बाद तुरंत प्रधानमंत्री संकटमोचक बनकर सामने आए और फंसे भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन कावेरी की शुरुआत की थी। सूडान से सकुशल अपने वतन लौटें लोगों ने जहां ऑपरेशन कावेरी को लेकर मोदी सरकार की जय-जयकार की थी, वहीं महिलाएं प्रधानमंत्री मोदी को दीर्घायु होने की कामना कर रही थी। 

दरअसल ऑपरेशन कावेरी के तहत भारतीयों को सूडान से सऊदी के शहर जेद्दाह होते हुए भारत लाया गया था। सूडानी आर्मी और पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्सेस के बीच 72 घंटे का सीजफायर बढ़ाने पर सहमति बनने के बाद भारत ने वहां फंसे अपने नागरिकों को बाहर निकालने के प्रयास तेज कर दिए थे। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के मुताबिक भारतीय वायुसेना के सी-130जे विमान पोर्ट सूडान से जेद्दाह के लिए उड़ान भर रहे थे। भारतीयों के 11 जत्थों को सूडान से सुरक्षित जेद्दाह पहुंचाया गया था,जहां भारतीयों के स्वागत के लिए केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन जेद्दाह में मौजूद थे। 

सूडान से अपने वतन पहुंचने पर भारतवासियों ने राहत की सांस ली थी और प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया था। भारत लौटे निशा मेहता ने प्रधानमंत्री मोदी का शुक्रिया किया था। उन्होंने कहा था कि हम अपने देश में लौटकर बहुत खुश है। एक अन्य व्यक्ति अवतार सिंह ने कहा था कि हिंदुस्तान वापस लौटकर उन्हें बेहद खुशी हो रही हैं। वहीं भारत लौटी एक बुजुर्ग महिला यात्री ने भावुक होते हुए कहा था, “भारत देश महान है। प्रधानमंत्री मोदी हजार साल जिएं।” 

ऑपरेशन गंगा : 2022 में युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए चलाया गया 

रूस – यूक्रेन युद्ध के बीच यूक्रेन से अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के मामले में भारत सबसे आगे दिखाई दिया। मोदी सरकार द्वारा शुरू किया गया ‘ऑपरेशन गंगा’ काफी सफल रहा। 20000 के करीब भारतीय छात्रों और नागरिकों को वतन वापस लाया गया। यूक्रेन संकट पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 28 फरवरी, 2022 की शाम को एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इसमें ‘ऑपरेशन गंगा’ को तेज करने पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने देश के नागरिकों की सुरक्षा को लेकर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी बात की और उन्हें अपनी चिंताओं से अवगत कराया। ‘ऑपरेशन गंगा’को सफल बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी ताकत झोंक दी। उन्होंने यूक्रेन से भारतीयों को सुरक्षित निकालने के काम को पूरी गंभीरता से लिया और तत्काल फैसले लेकर अधिकारियों और मंत्रियों को जिम्मेदारियां सौंपी।

ऑपरेशन देवी शक्ति : 2021 में अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए चलाया गया

हिंसाग्रस्त अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए बड़े पैमाने पर चलाए गए राहत और बचाव अभियान को ‘ऑपरेशन देवी शक्ति’ नाम दिया गया था। इस ऑपरेशन का नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘ऑपरेशन देवी शक्ति रखा था। अफगानिस्तान में फंसे हजारों भारतीय नागरिकों सहित वहां के हिन्दुओं और सिखों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देवदूत बनकर सामने आए थे। एयर फोर्स और एअर इंडिया की फ्लाइट के जरिये काबुल एयरपोर्ट से 23 अगस्त, 2021 तक 700 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था। इसके साथ ही भारतीय विदेश मंत्रालय और भारतीय वायुसेना के प्रयासों की बदौलत श्री गुरु ग्रंथ साहिब की 3 प्रतियों को सुरक्षित काबुल एयरपोर्ट तक पहुंचाया गया। इसके बाद श्री गुरु ग्रंथ साहिब की 3 प्रतियों के साथ 46 अफगान सिख और हिंदुओं को भी भारतीय वायुसेना के विमान से सुरक्षित भारत रवाना किया गया।

‘वंदे भारत’ मिशन :  मई 2020 में लॉकडाउन के कारण विदेश में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए चलाया गया

प्रधामनमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने मई 2020 में लॉकडाउन के कारण विदेश में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए वंदे भारत मिशन चलाया था। इस दौरान एयर इंडिया के दो विमान यूएई में फंसे 363 भारतीयों को वापस लेकर आए। दूसरे दिन यानी शुक्रवार को सिंगापुर, लंदन, ढाका, रियाद और सैन फ्रांसिस्को से एयर इंडिया की फ्लाइट्स बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों को दिल्ली और मुंबई के एयरपोर्ट पर लेकर आईं। वंदे भारत मिशन के तहत एयर इंडिया के विमानों से 12 देशों में फंसे करीब एक लाख 93 हजार भारतीय नागरिकों को वापस लाया गया था। 

ऑपरेशन संकट मोचन : 2016 में साउथ सूडान में फंसे 600 भारतीयों को निकाला गया

साउथ सूडान में फंसे अपने 600 नागिरकों को निकालने के लिए मोदी सरकार ने दो C-17 विमान जुबा भेजा था। भारत सरकार ने इसे ऑपरेशन संकटमोचन का नाम दिया था और इस अभियान का नेतृत्व तत्कालीन विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने किया था। साउथ सूडान के जूबा शहर के कई हिस्सों में पूर्व विद्रोही और सैनिकों के बीच भारी संघर्ष हुआ था। भारतीय वायुसेना का विमान युद्धग्रस्त दक्षिणी सूडान से सैकड़ों लोगों को लेकर वापस देश पहुंचा था। दक्षिण सूडान से लाए गए लोगों में 600 भारतीय नागरिकों के अलावा नेपाली नागरिक भी शामिल थे। उस समय वीके सिंह ने यह भी कहा था कि वे दक्षिण सूडान के विदेश मंत्री और उप-राष्ट्रपति से मिलकर बात की तो उन्हें वादा किया गया कि स्थिति खराब होने की हालत में हर संभव मदद की जाएगी।

ऑपरेशन राहत : 2015 के यमन संकट के दौरान 41 देशों के नागरिकों के साथ 4640 भारतीयों को निकाला गया

तत्कालीन विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह के नेतृत्व में यमन में ‘ऑपरेशन राहत’ चलाया गया था। यमन के ‘वार जोन’ से 4640 भारतीय निकाले गए थे। 10 दिन चले ऑपरेशन में भारतीय सेना के जांबाजों ने 5600 लोगों को बाहर निकाला था, जिनमें 41 देशों के 960 नागरिक भी शामिल थे। सिर्फ सना से ही भारतीय वायुसेना ने 2900 लोगों की एयर लिफ्ट किया था और 18 स्पेशल विमानों से स्वदेश लाया था। 9 अप्रैल को आखिरी दिन 630 लोगों को सना से एयरलिफ्ट किया गया था। भारतीय नेवी ने कुल 1670 लोगों को अदन, अलहुदायदाह और अल-मुकाला से लोगों को निकाला था आखिरी दिन 9 अप्रैल को INS सुमित्रा ने 349 लोगों की नई जिंदगी दी थी। इनमें 46 भारतीय और 303 विदेशी थे। 1 अप्रैल से 9 अप्रैल, 2015 की सुबह तक भारतीय वायुसेना के विमानों ने तकरीबन 18 उड़ानों के जरिए ऑरपेशन राहत को सफलता के अंजाम तक पहुंचाया था।

ऑपरेशन मैत्री : 2015 में नेपाल भूकंप के दौरान भारतीयों को बाहर निकालने के लिए चलाया गया

मोदी सरकार ने 2015 में पड़ोसी देश नेपाल में आए भूकंप के दौरान ‘ऑपरेशन मैत्री’ चलाया था। दो दिनों तक आए लगातार भूकंप को देखते हुए भारत ने वहां मदद पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार की तत्परता से भूकंप आने के मात्र छह घंटे बाद ही नेपाल पहुंचकर भारतीय सेना ने राहत कार्य की मुहिम शुरू कर दी थी। भारतीय वायु सेना के सी-130 जे और सी-17 ग्लोबमास्टर-3 जैसे बड़े विमान ना सिर्फ बड़ी मात्रा में राहत सामग्री और बचाव व राहत दल के लोगों के साथ पहुंचे थे, बल्कि वहां फंसे हिंदुस्तानियों को वापस लाने में भी जुटे थे। इसी तरह नेपाल में मुस्तैद भारतीय दल घायलों को निकालने, अस्पताल पहुंचाने और प्रभावित लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाने से लेकर इस आपदा से हुए नुकसान का हवाई सर्वे करने तक नेपाल की लगातार मदद की थी। भारत के मौजूदा विदेश मंत्री और विदेश मंत्रालय के तत्कालीन सचिव एस. जयशंकर ने बताया था कि भूकंप से तबाह नेपाल में राहत कार्य के लिए 13 सैन्य विमान और तीन नागरिक विमान भेजे गए थे। 

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