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‘युद्ध सायरन’ भारत में बजेगा और कांपने लगा पाक, ट्रंप से पुत‍िन तक सब भारत के समर्थक, पाक‍ के साथ UNSC और मुस्‍ल‍िम मुल्‍क भी नहीं

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पहलगाम हमले के बाद भारत को अमेरिका, रूस और अन्य बड़े देशों का मजबूत समर्थन मिल रहा है, लेकिन पाक‍िस्‍तान को ज्‍यादातर देशों ने दुत्‍कार द‍िया है। तुर्की-अजरबैजान जैसे कुछ देशों को छोड़ दें तो ज्‍यादातर मुस्‍लि‍म देश उसके साथ खड़े नहीं हुए हैं। खासकर खाड़ी देशों की चुप्पी तो पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है। अब आतंकवाद के आका पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी मुंह की खानी पड़ी है। सोमवार को हुई यूएनएससी की बैठक में पाकिस्तान ने सोचा था कि वह अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाकर भारत पर दबाव बना लेगा, लेकिन यूएनएससी में पाकिस्तान उल्टा फंस गया और सदस्यों ने उसे आतंकवाद को पालने-पोसने पर जमकर खरी-खोटी सुनाई है। इस बीच जहां एक ओर पाकिस्तान बार-बार यह आशंका जता रहा है कि भारत कभी भी सैन्य कार्रवाई कर सकता है, वहीं दूसरी ओर भारत ने अब बिना किसी शोर-शराबे के जमीनी तैयारियां तेज कर दी हैं। इसी सिलसिले में मोदी सरकार ने देशभर के 244 जिलों में एक साथ मॉक ड्रिल आयोजित करने का फैसला किया है। इस ड्रिल में 1971 के बाद युद्ध का साइरन पहली बार भारत देश में बजेगा, लेकिन डर से कांप रहे पाकिस्तानियों की नींद उड़ी हुई है।दुन‍िया के 195 देशों में से ज्यादातर का भारत को खुला समर्थन
पहलगाम आतंकी अटैक के बाद भारत के दुश्मनों और दोस्‍तों की भी पहचान हो रही है। बड़ा सवाल यह है कि दुन‍िया के 195 देशों में क‍ितने देशों का समर्थन भारत को हा‍स‍िल है? और 57 में से क‍ितने मुस्‍लि‍म मुल्‍क पाकिस्तान के साथ हैं? अमेर‍िकी राष्‍ट्रपत‍ि डोनाल्‍ड ट्रंप, रूस के राष्‍ट्रपत‍ि व्‍लाद‍िमीर पुत‍िन समेत दुनियाभर के बड़े-बड़े राष्ट्रों ने भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपना समर्थन दिया है। वहीं, तुर्की, अजरबैजान पाक‍िस्‍तान के साथ जाकर खड़े हो गए हैं, अब मलेश‍िया भी कुछ-कुछ उनके सुर में सुर मिला रहा है। चीन पहले से ही पाक‍िस्‍तान को बचाता रहा है। इससे साफ है कि जम्‍मू-कश्मीर में आतंकी हमले के बाद भारत को दुन‍िया से भारी सपोर्ट मिला है, जबकि पाकिस्तान अलग-थलग पड़ता दिख रहा है। डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन समेत 60 से ज्‍यादा वैश्विक नेताओं ने पहलगाम हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुट खड़े नजर आए हैं। ट्रंप ने लिखा, अमेरिका आतंक के खिलाफ भारत के साथ मजबूती से खड़ा है. प्रधानमंत्री मोदी और भारत के लोगों को हमारा फुल सपोर्ट है। अमेर‍िका उपराष्‍ट्रपत‍ि जेडी वैंस कह चुके हैं क‍ि पाक‍िस्‍तान को आतंक‍ियों पर कार्रवाई करनी होगी। इजरायल, ब्रिटेन, इटली और ईरान जैसे तमाम देशों ने कार्रवाई की बात कही है। इतना ही नहीं, पाकिस्‍तान ने यूएन सिक्‍योरिटी काउंस‍िल में बात उठाई तो वहां भी 15 में से 13 देश भारत के साथ आकर खड़े हो गए। इससे पाक‍िस्‍तान अपनी चाल में नाकाम हो गया।

आतंकवाद के मुद्दे पर मुस्लिम देशों की भी पाकिस्तान से दूरी
आतंकवाद का आका पाकिस्तान अब पूरी तरह अलग-थलग पड़ता द‍िखाई दे रहा है। उसे उम्मीद थी की मुस्लिम राष्ट्र धार्मिक आधार पर उसके साथ खड़े होंगे। लेकिन दूसरे देशों के बाद छोड़िए, खुद पाकिस्तान के मौलानाओं ने भी भारत-पाक के इस संभावित युद्ध को धार्मिक मानने से इनकार कर दिया है। केवल तुर्की और अजरबैजान ने पाकिस्तान के पक्ष में बात की है। चीन साथ तो दे रहा है मगर खुला समर्थन नहीं है। वह पहलगाम आतंकी हमले की निंदा भी कर रहा है। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे खाड़ी देशों ने पाकिस्तान का समर्थन करने से परहेज किया है। वे भारत के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि मुस्लिम बहुल देशों में भी पाकिस्तान को मनचाहा समर्थन नहीं मिला है। अधिकांश इस्लामी देशों ने या तो तटस्थ रुख अपनाया या भारत के साथ एकजुटता दिखाई है। ईरान ने भारत और पाकिस्तान दोनों से तनाव कम करने का आग्रह किया, लेकिन उसने हमले की निंदा करते हुए भारत के प्रति सहानुभूति जताई है। सऊदी अरब, यूएई, और कतर जैसे देशों ने कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया, जो पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है। मुस्लिम देशों का पाकिस्तान से दूरी बनाना इस बात का सबूत है कि आतंक के मुद्दे पर दुन‍िया की सोच बदल रही है। भारत की आर्थिक और कूटनीतिक ताकत ने खाड़ी देशों को तटस्थ रहने पर मजबूर क‍िया है।

2019 में भी मुस्लिम देशों ने पाक के साथ खड़े होने से परहेज किया
पहलगाम में हुए हिंदू नरसंहार के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव नई ऊंचाई पर पहुंच गया है। देश-विदेश के 26 पर्यटकों को आतंकियों ने जिस तरह धर्म पूछकर मारा उसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी है। इसमें इस्लामिक देश भी शामिल हैं। भारतीय कूटनीतिक सूत्रों ने बताया कि ज्यादातर मुस्लिम देश पाकिस्तान के साथ धार्मिक एकजुटता दिखाने से ज्यादा अपने भू-राजनीतिक और आर्थिक फायदों को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह रुख 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के दौरान भी देखा गया था। तब मुस्लिम देशों ने पाकिस्तान के साथ खड़े होने से परहेज किया था। ईरान और तुर्की कूटनीतिक एकजुटता की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, जबकि खाड़ी देश आर्थिक और क्षेत्रीय स्थिरता को महत्व दे रहे हैं। ईरान ने पहले ही तनाव कम करने के लिए मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया है और खुद को पाकिस्तान का समर्थन करने के बजाय एक न्यूट्रल पक्ष के रूप में स्थापित किया है। आइए समझें मुस्लिम देशों का क्या रुख रहा।

सऊदी अरब – सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), और कतर जैसे खाड़ी देश भारत के साथ व्यापार, ऊर्जा निर्यात, और लेबर क्षेत्र में जुड़े हैं। सूत्रों के अनुसार, ये देश पाकिस्तान का बिना शर्त समर्थन करने से बच रहे हैं, क्योंकि भारत उनके लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदार है। सऊदी अरब ने पहलगाम हमले पर पाक के पक्ष में कोई बयान नहीं दिया और वह कश्मीर को भारत-पाक का द्विपक्षीय मसला मानता है। दरअसल, सऊदी अरब किसी भी विवाद में नहीं फंसना चाहता और ‘विजन 2030’ के तहत अपना फोकस कमाई का जरिया बढ़ाने पर केंद्रित कर रहा है, जिसमें भारत की भूमिका अहम है।
कतर – कतर ने भी इस मामले में तटस्थता बरती है। 2017-2021 की खाड़ी नाकाबंदी के बाद उसकी विदेश नीति आर्थिक स्थिरता और क्षेत्रीय विवादों में तटस्थ रहने पर केंद्रित है। अनुच्छेद 370 हटने के दौरान कतर ने भारत की निंदा करने से बचते हुए बातचीत की वकालत की थी। इस बार भी उसका रुख यही है, जो आर्थिक हितों को धार्मिक एकजुटता से ज्यादा तरजीह देता है।
यूएई – यूएई भी पाकिस्तान का खुलकर समर्थन नहीं किया है। 2024 में भारत के साथ यूएई का 85 बिलियन डॉलर का व्यापार और भारतीय श्रम व निवेश पर उसकी निर्भरता उसे संतुलित रुख अपनाने के लिए मजबूर करती है। 2019 में यूएई ने अनुच्छेद 370 को भारत का आंतरिक मामला बताया था, जो दोनों देशों के बीच मजबूत व्यापार और सुरक्षा सहयोग का प्रतीक था।
ईरान- ईरान ने पहलगाम हमले के बाद तनाव कम करने के लिए मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा है और खुद को तटस्थ पक्ष के रूप में पेश किया है। अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के समय ईरान ने चुप्पी साधे रखी थी, क्योंकि वह अमेरिका और सऊदी अरब के साथ अपने तनाव से जूझ रहा था। सूत्रों का कहना है कि ईरान की मौजूदा कूटनीति क्षेत्रीय स्थिरता और भारत के साथ आर्थिक संबंधों को बनाए रखने की कोशिश है। ईरान भारत को एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार मानता है, खासकर चाबहार बंदरगाह परियोजना के संदर्भ में, और इसलिए वह पाकिस्तान के पक्ष में खुलकर नहीं बोल रहा है।

 

यूएनएससी ने पहलगाम हमले में लश्कर ए तैयबा की भूमिका पर पूछे सवाल
पाकिस्तान का भारत के खिलाफ हर पैंतरा उस पर ही भारी पड़ रहा है। ताजा मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक का है, जहां पाकिस्तान मदद मांगने गया था, लेकिन सुरक्षा परिषद ने उल्टे पाकिस्तान को ही लताड़ दिया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने पाकिस्तान से ही मुश्किल सवाल पूछे और पहलगाम आतंकी हमले पर जवाबदेही तय करने को कहा। यूएनएससी की बैठक में सदस्यों ने पाकिस्तान से पूछा कि क्या पहलगाम आतंकी हमले में लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है या नहीं। दरअसल पाकिस्तान ये दिखाने की कोशिश कर रहा है कि भारत पहलगाम आतंकी हमले की आड़ में उस पर हमला करना चाहता है। हालांकि सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान के इस तर्क को खारिज कर दिया और उल्टे हमले में लश्कर ए तैयबा की भूमिका पर ही सवाल पूछ लिए।

पाकिस्तान को उकसावे वाली कार्रवाई करने के लिए लगाई फटकार
संयुक्त राष्ट्र परिषद की बैठक में पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई और इसकी जवाबदेही तय करने की भी मांग की गई। कुछ सदस्यों ने खासकर इस बात पर सवाल उठाए कि पहलगाम में पर्यटकों से उनका धर्म पूछकर निशाना बनाया गया। इसकी भी सदस्यों ने कड़ी निंदा की। पाकिस्तान द्वारा हाल ही में बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया गया है। सुरक्षा परिषद के कई सदस्यों ने इस पर भी नाराजगी जताई और इसे पाकिस्तान की उकसावे वाली कार्रवाई बताया। पाकिस्तान की कोशिश थी कि मामले को सुरक्षा परिषद में उठाकर इसका अंतरराष्ट्रीयकरण किया जाए और भारत पर दबाव बनाया जाए कि वह सैन्य कार्रवाई न करे, लेकिन उसकी यह कोशिश धरी की धरी रह गई और सुरक्षा परिषद ने ही पाकिस्तान को सलाह दी कि वे भारत के साथ मिलकर द्विपक्षीय तरीके से मुद्दे को सुलझाए।

 

भारत की गैरमौजूदगी में पाक ने अपना एजेंडा चलाने की साजिश रची थी
गौरतलब है कि पाकिस्तान इस समय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का गैर स्थायी सदस्य है। भारत फिलहाल सुरक्षा परिषद का हिस्सा नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान ने सोचा कि वह भारत की गैरमौजूदगी में सुरक्षा परिषद में अपना एजेंडा चलाने में सफल रहेगा। क्योंकि उसके आरोपों पर जवाब देने के लिए भारत यूएनएससी का हिस्सा नहीं है, लेकिन ये भारत की बढ़ती कूटनीतिक अहमियत का उदाहरण है कि भारत की गैरमौजूदगी में भी पाकिस्तान का एजेंडा नहीं चला और बाकी सदस्य देशों ने पाकिस्तान को ही घेर लिया। सुरक्षा परिषद की बैठक में पाकिस्तान की स्थिति काटो तो खून नहीं वाली हो गई, जबकि वहां मौजूद ना होने के बावजूद भारत का रुतबा और बढ़ गया।modi rajnath amit shahराज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 7 मई को व्यापक मॉक ड्रिल होगी
इस बीच आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण हो चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को निर्देशित किया है कि 7 मई को जिला स्तर से लेकर गांव स्तर तक व्यापक मॉक ड्रिल आयोजित की जाए। इसका उद्देश्य नागरिक सुरक्षा तंत्र की वास्तविक स्थिति को परखना और किसी भी आपात स्थिति में उसकी प्रतिक्रियाशीलता बढ़ाना है। गृह मंत्रालय ने यह कदम सुरक्षा हालातों की गंभीरता और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए उठाया है। मॉक ड्रिल की तारीख 7 मई तय की गई है और इसे लेकर मंगलवार को गृह सचिव ने एक उच्चस्तरीय बैठक भी ली,  जिसमें सभी राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों से सीधे संवाद किया जाएगा। ड्रिल के दौरान इन गतिविधियों को शामिल किया गया है
• हवाई हमलों की चेतावनी देने वाले सायरनों का संचालन
• नागरिकों को हमले की स्थिति में सुरक्षा के तौर-तरीकों का प्रशिक्षण
• बंकरों व खाइयों की जांच और साफ-सफाई
• ब्लैकआउट योजनाओं का अभ्यास
• अहम सरकारी प्रतिष्ठानों की रक्षा और आपात निकासी योजनाओं का पूर्वाभ्यास
• रेडियो संचार और हॉटलाइन की कार्यप्रणाली का परीक्षण
• नियंत्रण कक्षों और वैकल्पिक नियंत्रण केंद्रों की समीक्षा

इसलिए जरूरी है यह तैयारी, हर स्तर पर होगी भागीदारी
इस अभ्यास में केवल प्रशासनिक अधिकारी ही नहीं, बल्कि नागरिक स्तर पर भी बड़ी भागीदारी सुनिश्चित की गई है। होम गार्ड, एनसीसी, एनएसएस, नेहरू युवा केंद्र के सदस्य, स्कूली और कॉलेज छात्र—सभी को इस अभ्यास में शामिल किया जाएगा। इससे न केवल वास्तविक स्थिति में जवाबदेही बेहतर होगी, बल्कि जनता के बीच सुरक्षा को लेकर जागरूकता भी बढ़ेगी। गृह मंत्रालय के अंतर्गत अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड महानिदेशालय ने साफ किया है कि वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में नागरिक सुरक्षा को केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि प्राथमिकता बनाना होगा। पत्र में कहा गया है कि यह अभ्यास ना केवल प्रशिक्षण है, बल्कि यह देश की आंतरिक सुरक्षा का हिस्सा है।

वाटर स्ट्राइक के चलते पानी संकट से पाकिस्तान में हाहाकार
आतंकी हमले के बाद भारत पाकिस्तान के खिलाफ एक के बाद एक सधे हुए और सख्त कदम उठा रहा है। पाकिस्तान पहले ही सर्जिकल और एयर स्ट्राइक से मिले जख्मों को सहला रहा है। इस बीच वाटर स्ट्राइक ने पाकिस्तान के जख्म फिर से हरे कर दिए हैं। मोदी सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी वाटर स्ट्राइक को अंजाम दिया है। भारत ने जम्मू के रामबन स्थित बगलिहार बांध में चिनाब नदी के पानी को रोक दिया है। इससे पाक के सियालकोट में चिनाब नदी के पानी का लेवल 6 फीट गिरकर 22 फीट रह गया है। सियालकोट में चिनाब का डेड लेवल 12 फीट है, यानी इस लेवल से पानी नीचे जाने के बाद यहां से पानी नहीं लिया जा सकेगा। चिनाब की नहरों से सियालकोट में लगभग 12 हजार एकड़ क्षेत्र में सिंचाई होती है। इस बीच, भारत ने किशनगंगा बांध पर पाकिस्तान जाने वाले झेलम नदी के पानी को भी रोकने की पूरी तैयारी कर ली है। पाकिस्तान के डरे-सहमे नेता युद्ध के पहले ही इंग्लैंड भागने के लिए बेताब नजर आ रहे हैं और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऐलान कर दिया है कि चाहे कुछ भी हो जाए भारत की जनता जो चाहती है, वो होकर रहेगा।

जम्मू के रामबन में बने बागलिहार बांध से चिनाब का पानी रोका
पहलगाम में देश-विदेश के पर्यटकों पर निर्दयता से आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कूटनीतिक शिकंजा कसते हुए बड़ी कार्रवाई की है। पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि सस्पेंड करने के बाद भारत ने अब चिनाब नदी का पानी रोक दिया है। न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू के रामबन में बने बागलिहार बांध से चिनाब का पानी रोका गया है। चिनाब नदी पर बने बगलिहार डैम से पानी के फ्लो को रोकने के बाद सोमवार को सलाल डैम से भी पानी को रोक दिया गया है। वहीं कश्मीर में किशनगंगा बांध के जरिए झेलम नदी का पानी रोकने की प्लानिंग चल रही है। सिंधु जल समझौते के सस्पेंशन के बाद भारत के इन कदमों से पाकिस्तान पानी-पानी के लिए मोहताज हो जाएगा। वहीं पंजाब के फिरोजपुर में सेना ने कैंट एरिया और सीमावर्ती गांवों में ब्लैकआउट एक्सरसाइज की गई। 30 मिनट तक पूरे इलाके में अंधेरा रखा गया, बिजली काटी गई। पाकिस्तान ने लगातार 11वें दिन 4-5 मई की रात पुंछ सेक्टर में सीजफायर तोड़ा। भारतीय सेना ने भी इसके जवाब में फायरिंग की।भारत के पास है पानी छोड़ने के समय को रेगुलेडेट करने की क्षमता
दरअसल रामबन में बगलिहार डैम, रियासी में सलाल डैम और कश्मीर में किशनगंगा बांध भारत को पानी छोड़ने के समय को रेगुलेडेट करने की क्षमता प्रदान करते हैं। पहलगाम में आतंकवादी हमले में 26 लोगों की हत्या के बाद भारत ने दशकों पुरानी संधि को निलंबित करने का फैसला किया है। विश्व बैंक की ओर से मध्यस्थता की गई सिंधु जल संधि ने 1960 से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के उपयोग को नियंत्रित किया था। पाकिस्तान ने अतीत में विश्व बैंक की मध्यस्थता की मांग की थी। चंदरकोट के पास रामबन जिले में बगलिहार बांध दोनों पड़ोसियों के बीच लंबे समय से विवाद का विषय रहा है। रामबन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सुबह-सुबह ही बगलिहार डैम से पानी रोक दिया गया था। क्योंकि बांध के सभी गेट बंद थे। कुछ दिन पहले ऊपरी इलाकों में भारी बारिश हुई थी और रियासी की ओर पानी के प्रवाह की अनुमति देने के लिए गेट खोले गए थे और सलाल डैम से पानी का प्रवाह फिर से रोक दिया गया था। रियासी और अखनूर के निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। इससे पाकिस्तान में कुछ नुकसान हुआ। लेकिन सुबह बगलिहार डैम के गेट बंद कर दिए गए और पानी का बहाव पूरी तरह बंद हो गया।

रामबन और डाउनस्ट्रीम में चिनाब नदी का तल पूरी तरह सूखा
इसके साथ ही रामबन और डाउनस्ट्रीम में चिनाब नदी का तल पूरी तरह सूख गया है। रियासी में सलाल डैम से पानी का बहाव भी कम हो गया है और अखनूर और जौरियन में भी पानी का स्तर काफी कम हो गया है। इससे पाकिस्तान में पानी का संकट और बढ़ गया है। सूत्रों ने बताया कि बगलिहार बांध में पर्याप्त जलभराव बनने में करीब तीन दिन लगते हैं। पुल डोडा से आगे, बटोटे-किश्तवाड़ रोड पर डोडा जिले के प्रेम नगर कस्बे के पास एक बड़ी झील बन जाती है। रियासी में सलाल हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट में एनएचपीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक डोडा और किश्तवाड़ के ऊपरी इलाकों में बारिश हुई है और बगलिहार में जलाशय ऊपर तक भर गया है। बाढ़ के साथ गाद बनती है और फ्लशिंग की प्रक्रिया जरूरी हो जाती है। इस कारण पहले गेट खोले जाते हैं ताकि गाद और कीचड़ बाहर निकल जाए और फिर बंद कर दिए जाते हैं। इसके बाद डाउनस्ट्रीम में नदी सूख जाती है और जलाशय को फिर से भरने में कुछ समय लगता है।

जम्मू जिले को पानी के लिए अखनूर से बड़ी नहर बनाने की तैयारी
बता दें कि पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाक के खिलाफ सख्त कदम उठाए थे। इसमें सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित करना प्रमुख था। इस संधि में सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, सतलुज और ब्यास नदी के जल का पाक को बंटवारा होता है। एनएचपीसी अधिकारी के मुताबिक बमुश्किल दो दिन पहले ही अखनूर और जौरियां क्षेत्रों में चिनाब नदी में भारी बाढ़ आई थी। बांध भर जाने के बाद सलाल बांध के गेट खोल दिए गए थे। गाद को बाहर निकाल दिया गया है और यह प्रक्रिया जारी है। सूत्रों ने खुलासा किया कि भारतीय अधिकारी अखनूर से एक और बड़ी नहर बनाने पर विचार कर रहे हैं, ताकि जम्मू जिले के शेष क्षेत्रों को रामगढ़ और सांबा और कथूस जिलों के कुछ हिस्सों में सिंचाई की जा सके। अखनूर, जौरियां और खौर क्षेत्र के कुछ हिस्सों में पड़ने वाली पुरानी प्रताप नहर को एडवांस करने और पानी को अंतिम छोर तक ले जाने की व्यवहार्यता की भी जांच की जा रही है। इतना ही नहीं अधिकारी परगवाल सेक्टर के लगभग 35 गांवों और घरोटा और कोट भलवाल के कंडी बेल्ट को भी चिनाब नदी के पानी का लाभ देने की योजना बना रहे हैं।अगर भारत के साथ युद्ध छिड़ा तो इंग्लैंड भाग जाऊंगा-शेर अफजल
कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच काफी ज्यादा तनाव बढ़ गया है। पाकिस्तानी नेता कई बार युद्ध की खोखली चेतावनी दे चुके हैं। इस बीच पाकिस्तान के एक सांसद ने कहा है कि अगर भारत के साथ युद्ध छिड़ गया तो वो इंग्लैंड भाग जाएंगे। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य शेर अफजल मरवत से एक पत्रकार ने पूछा कि अगर भारत के साथ युद्ध छिड़ा तो क्या वो बंदूक लेकर बॉर्डर पर जाएंगे। इस पर मरवत ने कहा- अगर भारत के साथ युद्ध छिड़ा तो मैं इंग्लैंड चला जाऊंगा। इसके बाद जब उनसे पूछा गया कि क्या कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तनाव कम करने के लिए पीछे हट जाना चाहिए? इस पर मरवत ने कहा- क्या मोदी मेरी खाला (मौसी) के बेटे हैं कि मेरे कहने से पीछे हट जाएंगे? मरवत का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल है। कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें अपनी सेना पर भरोसा नहीं है। मरवत पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सदस्य है।

हमारा एयरशिप प्लेटफॉर्म 17 किमी की ऊंचाई से जासूसी करेगा
इस बीच डीआरडीओ ने मध्य प्रदेश के श्योपुर ट्रायल साइट से ‘स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म’ का पहला सफल फ्लाइट ट्रायल किया। 62 मिनट चले ट्रायल में एयरशिप में ‘एनवेलप प्रेशर कंट्रोल सिस्टम’ और ‘इमरजेंसी डिफ्लेशन सिस्टम’ को सक्रिय किया गया। स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म 17 किलोमीटर की ऊंचाई से जमीन पर हर हलचल पर नजर रखेगा। एक ही स्थान पर स्थिर रहकर एयरशिप प्लेटफॉर्म ग्राउंड कंट्रोल को रियल टाइम डाटा भेज सकता है। ये दुर्गम पैट्रोलिंग क्षेत्रों में ‘जासूसी आंख’ की तरह से काम करेगा।

भारत ने खरीदीं रूसी पोर्टेबल मिसाइलें, ये ड्रोन को मार गिराएंगी
भारत ने डिफेंस सेक्टर को और मजबूत करने के लिए रूस से पोर्टेबल मिसाइलें खरीदी हैं। भारत ने रूस से इगला-एस मिसाइलें खरीदी हैं। 260 करोड़ रुपए की डील से हवाई सुरक्षा और मजबूत होगी। छोटी, कंधे पर ले जाने वाली ये पोर्टेबल मिसाइलें ड्रोन सहित विमानों व चॉपर को मार गिराएंगी। फास्ट ट्रैक खरीद में सेना ने 48 अन्य रॉकेट लॉन्चर, 90 शोरेड्स का टेंडर भी जारी किया है। इगला-एस मिसाइल दुश्मन के ड्रोन, विमान, चॉपर को 8 किमी पहले ही डिटेक्ट कर मार गिरा सकती है। ये मिसाइल 3.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ रहे किसी भी टारगेट को लोकेट कर तबाह कर सकती है। ये इंफ्रा रेड सेंसर की सहायता से काम करती हैं।

भारत देश की जनता जो चाहती है, वो होकर रहेगा – राजनाथ सिंह
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री समेत कई राजनेता भारत की ओर से सैन्य कार्रवाई की आशंका जता रहे हैं। भारत में भी लगातार ऐसे बयान आ रहे हैं जिनमें पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की जा रही है। अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली के एक कार्यक्रम में कहा है कि यह उनकी ज़िम्मेदारी है कि वो ‘सेना के साथ मिलकर देश के ऊपर आंखें उठाने वालों को मुंहतोड़ जवाब’ दें। इसके साथ ही रक्षा मंत्री ने कहा कि मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि आप (देशवासी) जो चाहते हैं वह निश्चित रूप से होकर रहेगा। इस दौरान उन्होंने ना ही पहलगाम हमले और ना ही पाकिस्तान का नाम लिया, लेकिन इशारों-इशारों में कई सार बातें कह दीं। रक्षा मंत्री ने कार्यक्रम में लोगों के सामने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में भारत के भौतिक स्वरूप की सुरक्षा हमारे वीर सैनिकों ने हमेशा की है। वहीं भारत के आध्यात्मिक स्वरूप की सुरक्षा हमारे ऋषियों और मनीषियों ने की है। जहां एक तरफ़ हमारे सैनिक रणभूमि में लड़ते हैं वहीं दूसरी तरफ़ हमारे संत जीवन भूमि में लड़ते हैं। अब सेना के लिए वो घड़ी आई है जबकि वह भारत पर बुरी नजर रखने वालों को मुंहतोड़ जवाब दे।आतंकवाद के खिलाफ एक्शन के लिए भारत को दुनिया का समर्थन

पहलगाम में पाकिस्तान की शह पर आतंकी हमला करने वालों को भारत अब बख्शने वाला नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि वे ऐसे आतंकियों को घर में घुसकर मारने वाले हैं। उन्हीं की तर्ज पर गृहमंत्री अमित शाह ने भी दहाड़ मारी है कि आतंकियों को चुन-चुन कर सजा दी जाएगी। मोदी सरकार की एक के बाद एक कूटनीनिक कार्रवाईयों से पाकिस्तान डरा-सहमा हुआ है और उसे पीओके पर कभी भी अटैक होने की आशंका हो रही है। इस बीच भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ दुनिया के अधिकांश देशों से रणनीतिक समर्थन हासिल करने में कामयाबी पाई है। खुद पीएम मोदी ने एक दर्जन से ज्यादा बड़े देशों से पहलगाम में आतंकी हमले के बारे में बातचीत की है। इसके अलावा दुनियाभर में करीब 100 विदेशी मिशनों को पाकिस्तान की घिनौनी हरकत के बारे में ब्रीफिंग की गई है। वैश्विक समर्थन मिलने से भारत के लिए पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने में कोई दिक्कत नहीं आने वाली है। इस बीच एलओसी पर दहशत और पीओके में इमरजेंसी जैसे हालात बन गए हैं। पाकिस्तान भारत की संभावित जवाबी कार्रवाई से बेहद डरा हुआ है और पीओके के लोगों को दो माह का राशन रखने के आदेश दिए गए हैं।

अमेरिका-रूस समेत 10 से ज्यादा बड़े देशों से सीधी बात कर लिया समर्थन
पहलगाम आतंकी हमले में निर्दयता से पर्यटकों के नरसंहार के बाद से पाक के खिलाफ कार्रवाई का आधार बनना शुरू हो गया है। दुनियाभर के देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने ना सिर्फ आतंकी हमले की घोर भर्त्सना की है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के हर एक्शन को समर्थन देने का ऐलान किया है। अमेरिकी अखबार एनवाईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘पीएम नरेंद्र मोदी अब तक दर्जनभर से ज्यादा देशों के नेताओं से खुद फोन पर आतंकी हमले के बारे में खुलकर बात कर चुके हैं। इसके अलावा पहलगाम आतंकी हमले और इसमें पाकिस्तान के शामिल होने के बारे में दिल्ली में 100 से ज्यादा विदेशी मिशनों के राजनयिकों को विदेश मंत्रालय में ब्रीफिंग दी है। मोदी सरकरा की यह कवायद तनाव को कम करने के साथ ही पाकिस्तान के खिलाफ संभावित सैन्य कार्रवाई के लिए समर्थन जुटाने की दिशा में भी दिख रही है।

पीएम मोदी के पाक के खिलाफ लगातार कूटनीतिक और रणनीतिक फैसले
पीएम मोदी ने बिना पाकिस्तान का नाम लिए एक बार फिर दोहराया कि आतंक के अड्डों को नेस्तनाबूद किया जाएगा और दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी। इस बीच, सीमा पर दोनों देशों के बीच रुक-रुक कर गोलीबारी भी हो रही है। कश्मीर में भारतीय सुरक्षाबलों ने सख्त अभियान चलाते हुए सैकड़ों गिरफ्तारियां की हैं। भारत ने सिंधु जल समझौता रोकने और पाक राजनयिकों व नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश भी दिया है। पाक ने भी द्विपक्षीय संधियों से हटने की धमकी दी है। ऐसे में भारत पर वैश्विक दबाव बेहद कम है, जिससे उसे अपनी रणनीति आगे बढ़ाने में सहूलियत मिल रही है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से कुछ भी आयात करने पर रोक लगा दी है। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान को झटका देते हुए एक और बड़ा फैसला किया है। डायरेक्टर जनरल ऑफ शिपिंग ने आदेश जारी किया है कि किसी भी पाकिस्तानी फ्लैग शिप को किसी भी भारतीय पोर्ट पर प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस आदेश में भारतीय शिप्स को निर्देश देते हुए कहा गया है कि अब से कोई भी भारतीय फ्लैग शिप पाकिस्तान के किसी भी बंदरगाह पर भी नहीं जाएगी।

हर आतंकी को चुन-चुन कर जवाब दिया जाएगा – अमित शाह
इस बीच जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने का संकल्प दोहराया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने भी ऐसी कायराना वारदात को अंजाम दिया है, उन्हें चुन-चुन कर जवाब दिया जाएगा। शाह ने चेतावनी भरे अंदाज में कहा, ये लड़ाई का अंत नहीं, ये केवल एक पड़ाव है। हर शख्स को चुन-चुन कर जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर, वामपंथी उग्रवाद का क्षेत्र हो या कश्मीर पर आतंकवाद की छाया हो, सरकार ने सबका मजबूती से जवाब दिया है। अगर कोई कायराना आतंकी हमला कर समझता है कि ये उनकी बड़ी जीत है। उन्होंने कहा, 1990 के दशक से कश्मीर में जो आतंकवाद चला रहे हैं, उनके खिलाफ पीएम मोदी ने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। सरकार मजबूती से उनके खिलाफ लड़ाई लड़ रही है।

2016 और 2019 में भी भारत ने आतंकी हमलों का दिया करारा जवाब
पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन के मुताबिक, मोदी सरकार पर सैन्य कार्रवाई कर सकती है। 2016 और 2019 में भी भारत ने आतंकी हमलों के जवाब में पाकिस्तान को सख्ती से जवाब दिया था। सरकार कश्मीर को स्थिर और सुरक्षित क्षेत्र बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। ऐसे में यहां आतंकी हमला किसी भी सूरत में नाकाबिले बर्दाश्त है। इसलिए पाक को सबक जरूर सिखाया जाएगा। हालांकि मेनन का मानना है कि हालात बेकाबू होने की संभावना कम है। उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों का समर्थन किया है। 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक की थी। उस समय हमलावरों का संबंध जैश-ए-मोहम्मद से स्पष्ट था। इस बार हमले की जिम्मेदारी को लेकर स्थिति कुछ धुंधली है। हालांकि एक कम चर्चित संगठन टीआरएफ ने सोशल मीडिया पर हमले की जिम्मेदारी ली है। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े भारतीय अधिकारियों का मानना है कि यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा है। इस बार भारत ठोस सबूतों के आधार पर पाक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।

भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर कई बंकरों की सफाई का काम शुरू
भारत और पाक में पहलगाम हमले के बाद बढ़े तनाव के चलते जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती गांवों में लोग सतर्क हो गए हैं। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए बंकरों की सफाई और जरूरी सामान का इंतजाम किया जा रहा है। जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास 1 हजार से ज्यादा बंकर बने हैं। इनमें से कई बंकर सीमा से ० से 3 किमी के दायरे में हैं। ये बंकर मोटी कंक्रीट की दीवारों से बने हैं और इनमें 6 से 10 लोग शरण ले सकते हैं। फरवरी 2021 में भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम समझौते के बाद से ये बंकर कम इस्तेमाल हुए थे, पर अब फिर से इन्हें तैयार किया जा रहा है। सीमावर्ती इलाकों में किसान फसलें तय समय से पहले काट रहे हैं। डर है, सीमा पर गोलीबारी शुरू हुई तो खड़ी फसलें बर्बाद हो जाएंगी। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने खुद को हाई अलर्ट पर रखा है। किसी भी गोलीबारी या हमले की स्थिति में घायलों को तुरंत इलाज मिल सके, इसके लिए दवाइयों और एंबुलेंस की व्यवस्था की जा रही है।

वार हुआ तो कुछ दिन ही टिक पाएगा कंगाल और बदहाल पाकिस्तान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक दशक पहले सत्ता संभालने से पूर्व भारत रक्षा सहित कई क्षेत्रों में आयात पर निर्भर था, लेकिन पिछले दस वर्षों पीएम मोदी के दूरदर्शी विजन के चलते मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान की बदौलत देश रक्षा जैसे अहम क्षेत्र में अपनी जरूरत पूरी करने के साथ ही निर्यात में लंबी छलांग लगाई है। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पहले रूसी मीडिया और अब अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की तैयारी में दिख रही है। बड़ा सवाल यह है कि यदि जंग के हालात बनते हैं तो भारत की सामरिक ताकत के आगे पाकिस्तान कितने दिन टिक पाएगा? भारत की सैन्य ताकत के आगे पाकिस्तान बेहद कमजोर है। ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक 145 देशों की लिस्ट में अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथे नंबर पर है, जबकि पाकिस्तान टॉप टेन से भी बाहर 12वें नंबर पर है। आर्थिक बदहाली के चलते पाकिस्तान की सैन्य ताकत लगातार घट रही है। इस लिस्ट में 2023 में पाकिस्तान 7वें स्थान पर था। 2024 में फिसलकर 9वें पर पहुंच गया और 2025 में टॉप 10 देशों की लिस्ट से बाहर हो गया। यानी भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना है, जबकि पाकिस्तान 8 नंबर पीछे है। डिफेंस एक्सपर्ट के मुताबिक अगर युद्ध हुआ तो पाकिस्तान बमुश्किल आठ-दस दिन टिक पाएगा।

जवाबी कार्रवाई से डरे पाक अधिकृत कश्मीर में इमरजेंसी जैसे हालात
उधर पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान भारत की संभावित जवाबी कार्रवाई से बेहद डरा हुआ है। उसे आशंका है कि भारत कभी भी हमला कर सकता है। इसी दहशत से पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में इमरजेंसी जैसे हालात पैदा हो गए है। पीओके के लोगों को दो माह का राशन रखने का आदेश दिया है। लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) के पास रहने वाले लोगों को खास सतर्क रहने के लिए कहा गया है। पीओके के ‘प्रधानमंत्री’ चौधरी अनवर उल हक ने शुक्रवार को विधानसभा में बताया कि हमने खाद्य पदार्थ, दवाइयों और अन्य बुनियादी आवश्यकताओं के लिए एक अरब रुपए (3.5 मिलियन डॉलर) का आपातकालीन कोष भी बनाया है। इसके साथ ही एलओसी के नजदीक स्थित इलाकों में आपातकाल में सड़कों को सुचारू रखने के लिए मशीनरी को तैनात किया गया है। इस बीच पाकिस्तानी अधिकारियों ने कश्मीर में करीब 1,000 से अधिक मदरसों को 10 दिन के लिए बंद कर दिया है। मुजफ्फराबाद और एलओसी के पास के कस्बों में स्कूलों में भी ट्रेनिंग कैंप बना दिए है। इन कैंपों में 11 साल के बच्चों को भी आग बुझाने, प्राथमिक उपचार करने और घायलों को स्ट्रेचर पर ले जाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। चकौटी जैसे गांवों में बंकरों को सही किया जा रहा है।


पीएम का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि आतंकियों को छोड़ने वाले नहीं
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत-पाक में तनाव के बीच पिछले दिनों पीएम मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ हाई-लेवल मीटिंग की है, जिसमें NSA अजित डोभाल, CDS अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के मुखिया मौजूद रहे। मीटिंग में PM मोदी ने कहा, ‘आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का तरीका, लक्ष्य और समय सेना तय करे।’ उधर गृह मंत्री अमित शाह ने भी NSG, BSF, CRPF और SSB के सीनियर अधिकारियों के साथ बैठक की है। पीएम मोदी के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए यह तो आसानी से कहा जा सकता है कि वे आतंकी हमलावरों को छोड़ने वाले नहीं हैं। इससे पहले सर्जिकल और एयर स्ट्राइक करके उन्होंने अपने मंसूबे एकाधिक बार जाहिर कर दिए हैं। ऐसे में निर्दोष पर्यटकों का धर्म पूछकर निर्दयता से नरसंहार करने वालों को पीएम मोदी पाताल से खोजकर भी सजा देंगे। इसी परसैप्शन के चलते पाकिस्तान हमले की आशंका से डरा-दुबका बैठा है। उसे लग रहा है कि आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान पर हमला जरूर होगा। और यह जंग की शक्ल अख्तियार कर सकता है।

ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स में भारत के सामने पाक बेहद कमजोर
भारत-पाक के बीच जहां तक जंग की शुरुआत का सवाल है तो भारत की सैन्य और सामरिक क्षमता के आगे पाकिस्तान बेहद कमजोर देश है। ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक 145 देशों की लिस्ट में अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथे नंबर पर है, जबकि पाकिस्तान 12वें नंबर पर है। 2023 में पाकिस्तान 7वें स्थान पर था। 2024 में फिसलकर 9वें पर पहुंच गया और 2025 में टॉप 10 देशों की लिस्ट से बाहर हो गया। यानी भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना है, जबकि पाकिस्तान 8 नंबर पीछे है। दरअसल, ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स में 60 अलग-अलग पैरामीटर्स पर देशों की ताकत को परखा जाता है। किसी देश की ताकत उसके स्कोर पर निर्भर करती है। जिस देश का स्कोर जितना ज्यादा होता है, उसकी ताकत उतनी ही कम आंकी जाती है। भारत का स्कोर 0.1184 है, जबकि पाकिस्तान का स्कोर 0.2513 है।कारगिल की लड़ाई एक सीमित जंग थी, अब फुल फ्लेज्ड वॉर होगी!
भारत-पाक युद्ध के मसले पर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) रामेश्वर रॉय के मुताबिक ‘कोई भी देश जंग का ऐलान करके जंग नहीं लड़ता है। किसी एक देश की कार्रवाई के बदले में दूसरी तरफ से जैसा रिएक्शन आता है, उसके हिसाब से तय होता है कि आगे का एक्शन कितना सख्त होगा। इसके लिए हम लोग अंग्रेजी का मुहावरा ‘Escalate the ladder’ इस्तेमाल करते हैं।’ यानी अगर दोनों तरफ से कार्रवाई बढ़ती है तो कहा जाता है कि अब संघर्ष बढ़ रहा है। इस संघर्ष में जब आर्मी, एयरफोर्स और नेवी यानी सेना के तीनों अंग शामिल हो जाते हैं तो इसे फुल फ्लेज्ड वॉर यानी ‘पूरी तरह से शुरू हो चुकी जंग’ कहा जाता है। रॉय के मुताबिक 1999 में हुई कारगिल की लड़ाई एक सीमित जंग यानी लिमिटेड वॉर थी। हमारे टारगेट्स तय थे कि हमें अपनी जमीन को वापस पाना है। लड़ाई में हमने अपने पॉइंट्स वापस पा लिए और जंग में जीत की घोषणा की। अभी ऐसा नहीं लग रहा कि जंग छिड़ जाएगी, लेकिन अगर दोनों तरफ से जवाबी कार्रवाई बढ़ी तो बात जंग तक पहुंच सकती है।

पाकिस्तान के मुकाबले भारत के पास हथियारों का बहुत बड़ा जखीरा
पीएम मोदी के दूरदर्शी विजन के चलते पाकिस्तान के मुकाबले भारत के पास हथियारों का बहुत बड़ा जखीरा है। ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स के मुताबिक भारत के पास पाकिस्तान की तुलना में करीब 3 गुना ज्यादा बड़ा हथियारों का जखीरा है। भारत के पास मिसाइल अटैक, ड्रोन अटैक या समुद्री, जमीनी लड़ाई के लिए हथियारों का बड़ा जखीरा और हर तरह के युद्धपोत हैं। जमीनी जंग में भारत मजबूत, रात में लड़ाई करने के हथियार भारत के पास टी-90 भीष्म और अर्जुन जैसे ताकतवर टैंक हैं। हालांकि, स्वचालित आर्टिलरी यानी तोपों के मामले में पाकिस्तान के पास कुछ बढ़त है, लेकिन मोबाइल आर्टिलरी यानी एक जगह से दूसरी जगह ले जाई जा सकने वाली तोपें भारत के पास बहुत ज्यादा हैं। पाकिस्तान के मुकाबले भारत के पास 1.6 गुना ज्यादा तोपें हैं। भारत के पास रात में लड़ाई करने के लिए अपग्रेडेड हथियार हैं। वहीं डिजिटल वॉरफेयर के मामले में भारत बहुत आगे है।राफेल और सुखोई जैसे फाइटर जेट से इंडियन एयरफोर्स बहुत मजबूत
भारत के पास राफेल और सुखोई जैसे फाइटर जेट पाकिस्तान के मुकाबले इंडियन एयरफोर्स कहीं ज्यादा मजबूत है। राफेल और सुखोई जैसे भारतीय फाइटर जेट के आगे पाकिस्तानी F-16 जैसे जेट्स कमजोर हैं। भारत के पास हेरॉन, हारोप और हर्मीस जैसे इजराइली ड्रोन हैं, जो 450 किमी. से लेकर 1000 किमी. तक वार कर सकते हैं। भारत के पास अमेरिकी MQ-9B रीपर जैसे बड़े और सबसे ताकतवर ड्रोन हैं, जो INS विक्रांत युद्धपोत से समुद्र में उड़कर टारगेट पर हमला कर सकते हैं। हेरॉन, हारोप और हर्मीस जैसे इजराइली ड्रोन भी हैं। भारत के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर, मजबूत समुद्री बेड़ाकैरियर, मजबूत समुद्री बेड़ा भारत के पास INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत जैसे भारी विमानवाहक युद्धपोत हैं, जबकि पाकिस्तान के पास कोई विमानवाहक युद्धपोत नहीं है। भारत और पाकिस्तान के बीच लंबी कोस्टल लाइन यानी समुद्री तटरेखा है, ऐसे में ये युद्धपोत भारत के लिए समुद्र से फाइटर जेट्स लॉन्च करने में मददगार होंगे। इसके अलावा भारत के पास न्यूक्लियर सबमरीन्स हैं, जो अभी पाकिस्तान के पास नहीं हैं। पाकिस्तान तो अभी बाबर जैसी मिसाइल्स को पनडुब्बियों से लॉन्च करने की तकनीक डेवलप करने में लगा है।

न्यूक्लियर पावर में भी भारत आगे, हमारे पास बेहतर मिसाइल्स
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट की स्टेटस ऑफ वर्ल्ड न्यूक्लियर फोर्सेस रिपोर्ट, 2025 के मुताबिक, भारत के पास पाकिस्तान से ज्यादा 180 परमाणु हथियार हैं। यानी न्यूक्लियर पावर के मामले में भी भारत की ताकत पाकिस्तान से ज्यादा है। न्यूक्लियर वेपन्स को भारत पृथ्वी और अग्नि सीरीज की मिसाइल्स (रेंज 700 से 8000 किमी.) से लॉन्च कर सकता है। INS अरिहंत और INS अरिघात जैसी न्यूक्लियर सबमरीन से K-15 सागरिका और K-4 मिसाइल्स लॉन्च कर न्यूक्लियर अटैक किया जा सकता है। वहीं मिराज-2000 और जगुआर जैसे जहाज न्यूक्लियर मिसाइल लॉन्च कर सकते हैं। भारत के पास S-400 एयर डिफेंस सिस्टम है जो पाकिस्तान की दागी हुई मिसाइल्स को ट्रैक करके हवा में ही खत्म कर सकता है। वेपन्स को भारत पृथ्वी और अग्नि सीरीज की मिसाइल्स (रेंज 700 से 8000 किमी.) से लॉन्च कर सकता है।कंगाल और खस्ताहाल पाक के पास युद्ध लड़ने के लिए नहीं है पैसा
पाकिस्तान की माली हालत भी ऐसी नहीं है कि वह किसी देश से लंबा युद्ध लड़ सकता है। दरअसल, फुल फ्लेज्ड वॉर में दोनों देशों को बहुत पैसा खर्च करना पड़ता है। फुल फ्लेज्ड वॉर की स्थिति में रोजाना का खर्च सेना की तैनाती, हथियारों के इस्तेमाल, लॉजिस्टिक्स, ईंधन, रखरखाव और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर करता है। सरकारें कभी भी जंग में रोजाना के खर्च का ऑफिशियल ब्योरा जारी नहीं करतीं। हालांकि, रक्षा बजट, सैन्य संसाधनों और युद्ध की लागत से अनुमान लगा सकते हैं। जंग के मुहाने पर भारत की इकोनॉमी पाकिस्तान से बेहद मजबूत है। 2024 में भारत की प्रति व्यक्ति आय, पाकिस्तान से 1.7 गुना ज्यादा थी। इस साल भारत में प्रति व्यक्ति सालाना आय 2.26 लाख रुपए और पाकिस्तान में 1.32 लाख रुपए रही। आज भारत की अर्थव्यवस्था कई और पैरामीटर्स पर भी पाकिस्तान से कई गुना बेहतर है।कारगिल युद्ध में भारत ने पाक से चार गुना ज्यादा खर्च किया था
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान भारत ने रोजाना करीब 1400 करोड़ रुपए, जबकि पाकिस्तान ने सिर्फ 370 करोड़ रुपए खर्च किए थे। यानी भारत ने करीब 4 गुना ज्यादा पैसा जंग में खर्च किया। अब 26 साल बाद अगर फुल फ्लेज्ड वॉर की स्थिति बनती है, तब भी भारत, पाकिस्तान से कहीं ज्यादा पैसा खर्च करने की क्षमता रखता है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो भारत जंग में करीब 1500 से 2000 करोड़ रुपए प्रतिदिन खर्च कर सकता है और पाकिस्तान 400 से 600 करोड़ रुपए खर्च कर सकता है। हालांकि यह अनुमानित खर्च है। जरूरत पड़ने पर भारत फॉरेक्स रिजर्व, कर्ज और इमरजेंसी पड़ने पर अलग से पैसा जुटा सकता है।

बदहाल पाकिस्तान ने पैसे की कमी से रोके दिए थे युद्धाभ्यास
पाकिस्तान की खराब माली हालत का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि इस समय पाकिस्तान में डीजल की कीमत 280 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा है। यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई 2023 में पाकिस्तान ने पूरे साल के लिए सभी युद्धाभ्यास रोक दिए थे, उसकी वजह थी कि रिजर्व फ्यूल और लुब्रिकेंट्स की कमी। कर्नल (रिटायर्ड) दानवीर सिंह के मुताबिक, ‘पाकिस्तान के पास ईंधन नहीं है। पाकिस्तानी टैंक T-80 एक किमी. चलने में 2 लीटर फ्यूल खाता है। 1990 के दशक में अर्थव्यवस्था चरमराने से भारतीय सेना ने ऐसा ही महसूस किया था। युद्धाभ्यास में हमें गोला-बारूद चलाने की अनुमति नहीं थी।’ इसके अलावा, 2022 में पाकिस्तान ने शुक्रवार को ‘ड्राई डे’ घोषित किया था। इस दिन सरकारी गाड़ियां सिर्फ इमरजेंसी में चलती थीं। पाक सेना को कोविड फंड और हथियार खरीदने के लिए मिले 300 करोड़ रुपए भी पाकिस्तान सरकार को वापस करने पड़े थे।आर्मी चीफ ने माना कि पाकिस्तान के टैंक और व्हीकल जंग खा चुके
फरवरी 2021 में पाक आर्मी चीफ जनरल कमर बाजवा ने भी पत्रकारों के सामने माना था कि पाकिस्तान के टैंक और व्हीकल जंग खा चुके हैं और उनकी सेना के पास जंग लड़ने के लिए पर्याप्त रसद नहीं है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ा, तो पाक कितने दिन टिक पाएगा? मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत के पास 40 (I) लेवल का गोला-बारूद है। इसका मतलब है कि ‘फुल फ्लेज्ड वॉर’ यानी पूरी तरह जंग छिड़ जाए तो भारत का गोला-बारूद 40 दिन तक चलेगा। जबकि पाकिस्तान के पास ऐसी वाल के लिए बमुश्किल आठ-दस दिन का गोला-बारूद ही है। रिस्क और फाइनेंस ऑडिट करने वाली फर्म KPMG और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) ने 2024 में ‘Ammo India 2024’ नाम की एक रिपोर्ट जारी की थी। इसके मुताबिक, बीते सालों में भारत से गोला-बारूद का निर्यात बढ़ा है।

भारत गोला-बारूद के मामले में 88 प्रतिशत से ज्यादा आत्मनिर्भर
वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत ने 837 करोड़ रुपए के 47 लाख एम्यूनिशन यानी गोला-बारूद दूसरे देशों को खरीदा था, जबकि इसी साल भारत ने 1,230 करोड़ रुपए का गोला-बारूद बेचा। दिसंबर 2024 में एक अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत गोला-बारूद के मामले में 88 प्रतिशत तक आत्मनिर्भर हो चुका है। अलग-अलग साइज और टाइप के कुल 175 तरह के गोला-बारूद में से भारत 154 तरह के गोला-बारूद खुद बना रहा है। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि भीषण जंग की स्थिति में पाकिस्तान के पास करीब 7 दिन तक लड़ने का गोला-बारूद है। इसके अलावा महंगाई की मार झेल रहे पाकिस्तान के लिए जंग के दौरान दूसरे खर्च उठाना भी मुश्किल है। ले. जन. (रि.) रामेश्वर रॉय के मुताबिक, जब सेना के सारे फ्रंट खुल जाते हैं तब ये आंकड़े देखे जाते हैं। हालांकि, फुल फ्लेज्ड वॉर के दौरान चाहे पाकिस्तान हो या भारत, दोनों ही अपनी सैन्य ताकत और गोला-बारूद बढ़ा सकते हैं। दूसरे देशों से भी मदद ले सकते हैं।इस साल एक लाख 75 हजार करोड़ रुपये के रक्षा उत्‍पादन का लक्ष्‍य
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले दिनों कहा था कि भारत 2025 तक एक लाख 75 हजार करोड़ रुपये के रक्षा उत्‍पादन के लक्ष्‍य को पूरा करके रक्षा क्षेत्र में आत्‍मनिर्भरता हासिल कर लेगा। इस लक्ष्‍य में 35 हजार करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है। उन्‍होंने स्‍पष्‍ट किया कि आत्‍मनिर्भरता का मतलब अलग-थलग रहने से नहीं है, बल्कि भारत का संकल्‍प विश्‍व को आशा और राहत प्रदान करने से है। सिंह ने कहा कि देश का रक्षा निर्यात पूर्व के एक हजार नौ सौ करोड़ रुपये की तुलना में 13 हजार करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी का आत्‍मनिर्भर भारत का दृष्टिकोण भारत को विश्‍व में सबसे मजबूत और सबसे सम्‍मानित देशों में से एक बना रहा है। सरकार आत्‍मनिर्भर नये भारत की जरूरतों, विशेष रूप से सुरक्षा से संबंधित आवश्‍यकताओं को पूरा करने के सपनों को साकार करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इन फैसलों से भारत के रक्षा क्षेत्र में एक दावेदार और प्रदाता के रूप में छवि को बदलने में मदद मिली है। उन्‍होंने कहा कि भारत में नवीनतम रक्षा मंच का विनिर्माण करने की क्षमता और योग्‍यता है।

कभी रक्षा उत्पाद आयात करने वाला भारत आज निर्यातक बना
आजादी के बाद से कई दशकों तक भारत दुनिया में रक्षा उत्पादों के सबसे बड़े आयातकों में से एक था। लेकिन पीएम मोदी के दूरदर्शी सोच और दृढ़ इच्छाशक्ति ने इस स्थिति को बदल दिया है। अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश भी भारत की तकनीकी सफलता का लोहा मानने लगे हैं और अपनी नौसेना के जंगी जहाज को मरम्मत के लिए भारत भेज रहे हैं। आज भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के साथ ही दूसरे देशों को भी निर्यात कर रहा है। रक्षा उत्पादों का बाजार बहुत बड़ा है। आत्मनिर्भर होते भारत की कहानी देखिए कि आज से कुछ साल पहले तक समुद्री पनडुब्बियों में इस्तेमाल होने वाली बैटरी लोडिंग ट्राली एक बहुतायत से इस्तेमाल होने वाला उपकरण है। इसे मैसर्स नेवल ग्रुप फ्रांस से आयात किया जाता था, जिसे अब हैदराबाद की स्टार्टअप कंपनी एसईसी इंडस्ट्रीज द्वारा तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा पनडुब्बियों में इस्तेमाल होने वाले वातानुकूलन संयंत्र का आयात मैसर्स सनोरी फ्रांस से हो रहा था, जिसे कारद स्थित श्री रेफ्रीजरेशन ने तैयार कर लिया है। इसी प्रकार वेंटीलेसन वालव्स का आयात ब्रिटेन से किया जा रहा था, जिसका निर्माण अहमदाबाद की कंपनी मैसर्स चामुंडा वालव्स द्वारा किया जा रहा है। रिमोट कंट्रोल वालव्स का आयात ब्रिटेन की कंपनी थामपसन से किया जा रहा था, जिसका निर्माण पुणे की कंपनी मैसर्स डेलवाल ने शुरू कर दिया है। पीएम मोदी की संकल्पशक्ति और विजन से आज दुनिया भर में भारत दबदबा बढ़ा है।

कश्मीर में आतंकी हमले पर वर्ल्ड लीडर्स का भारत को पुरजोर समर्थन
पहलगाम में हुए क्रूर आतंकवादी हमले के बाद, शीर्ष वैश्विक नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संपर्क कर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के प्रति अपना समर्थन दोहराया। प्रधानमंत्री मोदी को फोन करने वालों में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, इटली के प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा समेत कई वैश्विक हस्तियां शामिल हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प – कश्मीर के पहलगाम से बहुत परेशान करने वाली खबर आई है। आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका भारत के साथ मजबूती से खड़ा है।

रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन – कश्मीर घाटी के पहलगाम में आतंकी हमले के अपराधियों को सख्त से सख्त सजा मिलेगी। हम आतंकवाद के खिलाफ पूरी तरह से भारत के साथ हैं।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस – मैं और उषा भारत के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं। पिछले कुछ दिनों में, हम इस देश और इसके लोगों की खूबसूरती से प्रभावित हैं। हम भारत और पीड़ितों के साथ हैं।

इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मिलोनी – आज भारत में हुए आतंकवादी हमले से बहुत दुख हुआ, जिसमें अनेक लोग हताहत हुए। इटली पीड़ित परिवारों, घायलों, सरकार और सभी भारतीय लोगों के लिए अपनी संवेदना जाहिर करता है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इटली के पूर्ण समर्थन की बात दोहराई। उन्होंने वैश्विक आतंकवाद विरोधी प्रयासों को बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग जारी रखने पर भी सहमति जताई।

सऊदी क्राउन प्रिंस – सऊदी अरब में भारतीय राजदूत सुहेल एजाज खान ने कहा कि PM मोदी और सऊदी क्राउन प्रिंस ने कश्मीर में हुए आतंकी हमले पर बात की। क्राउन प्रिंस ने इस हमले की निंदा और इम मामले में भारत को हर संभव मदद की पेशकश की है।

इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू- हम इस आतंकी हमले की निंदा करते हैं। यह “कश्मीर में इस्लामी आतंकवादी हमला” है। प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक स्तर पर आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी प्रतिबद्धता बार-बार जताई है और हम पूरी तरह से उनके साथ हैं।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों – उन्होंने भारत के लोगों के साथ पूरी एकजुटता व्यक्त की और कहा कि बर्बरता के ऐसे कृत्य पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति मैक्रों को उनके समर्थन संदेश के लिए धन्यवाद दिया और जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए भारत के दृढ़ संकल्प की फिर से पुष्टि की।

जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय – उन्होंने अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए हमले को “भयावह” बताया और निर्दोष लोगों की जान जाने को बेहद दुखद बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद को उसके सभी रूपों में खारिज किया जाना चाहिए और इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता।

जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा – जापान के पीएम ने हमले की निंदा करते हुए कहा, “मैं कश्मीर में आतंकवादी हमले में हुई बड़ी संख्या में मौतों को लेकर बहुत सदमे और गुस्से से भर गया हूँ। मैं इस तरह के क्रूर हमले की कड़ी निंदा करता हूँ। जापानी सरकार और लोगों की ओर से, मैं उन लोगों के परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूँ जिन्होंने अपनी जान गंवाई और घायलों के प्रति हार्दिक सहानुभूति व्यक्त करता हूँ।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद को किसी भी परिस्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता। आतंकवाद से लड़ने के लिए भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने की जापान की प्रतिबद्धता दोहराई।

 

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