आजकल सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को लेकर देश में राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले के कारण आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के अधिकारों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। हाल ही तमिलनाडु के राज्यपाल बनाम राज्य सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को कहना पड़ा कि कुछ जज सुपर संसद की तरह बर्ताव करते हैं। राष्ट्रपति को निर्देश देने के मामले में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट शक्ति का दुरुपयोग कर रहा है।
राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा निर्धारित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के कुछ दिनों बाद, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका के लिए कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां अदालतें राष्ट्रपति को… pic.twitter.com/LvrU1eqBgQ
— IANS Hindi (@IANSKhabar) April 17, 2025
उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि न्यायपालिका को पहले खुद की तरफ देखना चाहिए। जज के घर पर नकदी बरामद होने के मामले में अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।
लोगों का भरोसा सुप्रीम कोर्ट से उठ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ये कैसे तय कर सकता है कि भारत के राष्ट्रपति को क्या करना चाहिए।
: जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति pic.twitter.com/uk2quPdbND
— Panchjanya (@epanchjanya) April 17, 2025
इसके बाद वक्फ मामले में सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि जब हमने वक्फ बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, तो कोर्ट ने हमसे पूछा कि हम सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आ गए। कोर्ट ने हमें हाईकोर्ट जाने के लिए कहा और हमें कोई अंतरिम राहत नहीं दी, जबकि यह क्या मापदंड है कि कोई दूसरा पक्ष सुप्रीम कोर्ट आए तो उनकी न सिर्फ सुनवाई हो बल्कि अंतरिम आदेश से जुड़ी बातें भी कही जाए।
जब हमने वक्फ बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, तो कोर्ट ने हमसे पूछा था कि हम सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आए और सुझाव दिया था कि हमें हाई कोर्ट जाना चाहिए, और हमें कोई अंतरिम राहत नहीं मिली, जबकि अलग-अलग हाई कोर्ट में 140 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं। अब क्या… pic.twitter.com/771skMh5Zn
— Vishnu Shankar Jain (@Vishnu_Jain1) April 17, 2025
इसके बाद यह सवाल भी उठा कि कानून बनाने का अधिकार संसद का है और काफी विचार-विमर्श व चर्चा के बाद बिल को पास किया जाता हैं, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट उस कानून पर रोक लगा सकता है क्या? वप्फ मामले में सुप्रीम कोर्ट के इसी कदम पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि अगर देश को CJI और SC ही चलाएगा तो संसद को बंद कर दो। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है। अगर हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है, तो संसद और विधानसभा का कोई मतलब नहीं है, इसे बंद कर देना चाहिए।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, “…देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है…अगर हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है, तो संसद और विधानसभा का कोई मतलब नहीं है, इसे बंद कर देना चाहिए…” pic.twitter.com/B0CVWpnVM8
— NBT Hindi News (@NavbharatTimes) April 19, 2025
निशिकांत दुबे के यह बयान देते ही कांग्रेसी नेता उनपर निशाना साधने लगे। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवीर ने दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने की मांग की। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप इसे दायर करिए। इसके लिए अनुमति की जरूरत नहीं है। सु्प्रीम कोर्ट से यह अनुमति मिलते ही कांग्रेस ने बीजेपी पर हावी होने की कोशिश की, तो लोगों ने कांग्रेसी नेताओं के पुराने बयान निकाल उन्हें बैकफुट पर धकेल दिया। सोशल मीडिया के जमाने में लोग पुराने कुंडली निकाल सब कुछ सामने ला देते हैं। इसी क्रम में लोग जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक के पुराने बयान वायरल कर रहे हैं। सबसे पहले आप देखिए की सुप्रीम कोर्ट के लेकर देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने क्या कहा था।
❗Nehru in 1951 said — “Social policy of the Country must be DETERMINED by Parliament or the State Legislature.”
— Congress attacking the Modi govt should first explain: “Was Nehru lying in 1951…?” pic.twitter.com/rcZludWtRE
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) April 21, 2025
जवाहर नेहरू ने कहा था कि If the Supreme Court gives a judgment that conflicts with the will of the people, then Parliament must correct it. अब आप सुप्रीम कोर्ट के लेकर उनकी पुत्री और देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के भी विचार जान लीजिए। इंदिरा गांधी ने तो आपातकाल से समय न्यायपालिका पर भी लगाम लगाने की कोशिश की थी।
इंदिरा गांधी जी ने अंग्रेजी में बोला तो लोकतंत्र सही था
निशिकांत दुबे जी ने हिंदी में बोला तो हंगामा क्यों है है बरपा ? pic.twitter.com/Wx5BPo57eC— Naveen kr Jindal (@naveenjindalbjp) April 21, 2025
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस शाह कौन होते हैं हमें आदेश देने वाले ? क्या सुप्रीम कोर्ट संसद को डायरेक्शन देगा ? क्या हम देश की अर्थव्यवस्था को चंद फैसलों की वजह से बर्बाद होने दें
इंदिरा गांधी ने भारत के सुप्रीम कोर्ट और जज लोगों को क्या जबरदस्त आईना दिखाया था pic.twitter.com/3oBUlIQuip
— 🇮🇳Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) April 20, 2025
बीबीसी ने यह विस्तार से इंदिरा गांधी का इंटरव्यू लिया था
जिसमें इंदिरा गांधी ने भारत की न्यायपालिका को बहुत कड़ा आईना दिखाया था
और कहा था कि भारत की न्यायपालिका कभी अपने हद में नहीं रहती उसे अपना हद पार करने में बहुत मजा आता है pic.twitter.com/eR4McN7CM5
— 🇮🇳Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) April 20, 2025
सीनियर वकील और कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद भी कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट के जज भी हम जैसे लोग हैं। वो भी गलती कर सकते हैं। लेकिन तब किसी कांग्रेसी नेता ने कोई हंगामा नहीं किया।
कांग्रेस का चरित्र केवल और केवल अपना हित अपना वोट बैंक साधना है…
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंतिम है, हम उस पर सवाल नहीं उठा सकते..
तो वह राम मंदिर फैसले पर सवाल उठाने वालों को यही उपदेश क्यों नहीं देते? यह भी SC का फैसला था..… pic.twitter.com/7GIeslCnm1
— Bharat Katyayan (@bharatkatyayan) April 18, 2025
कोर्ट को लेकर कांग्रेसी नेता और राज्यस्थान के पूर्व मुख्यमंत्र अशोक गहलोत के विचार भी आप सुन लीजिए।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद बता रहे हैं कि भारत का न्याय तंत्र सड़ चुका है न्यायपालिका भ्रष्ट है
यह यहां तक कह रहे हैं कि कई वकील तो खुद फैसला लिख कर लाते हैं और जज उस पर सिर्फ सिग्नेचर करता है
यकीन मानिए केजरीवाल के केस में भी बिल्कुल यही हुआ है
अभिषेक मनु… pic.twitter.com/bXARJk7IHi
— 🇮🇳Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) May 11, 2024
ऐसे में बीजेपी नेता निशिकांत दुबे के बयान पर प्रतिक्रिया देने वाले कांग्रेसी नेताओं को यह भी जान लेना चाहिए कि नवंबर 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने जब राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई का आदेश दिया, तो कांग्रेस ने इसे “पूरी तरह अस्वीकार्य और पूरी तरह गलत” करार दिया।
इसके पहले कांग्रेस ने शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा था कि मुस्लिम महिलाओं को भी संविधान के तहत समान अधिकार हैं और तलाक के बाद शाहबानो को गुजारा भत्ता दिया जाए। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दबाव में आकर इस फैसले को पलटने के लिए संसद में कानून बनाया, जिससे न्यायपालिका के फैसले पर सीधा हस्तक्षेप हुआ था।
आजादी के बाद अब तक कांग्रेसी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर कई तरह के बयान दिए, लेकिन किसी पर अवमानना की बात नहीं उठी। किसी भी कांग्रेसी नेता ने नहीं कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट पर दबाव बनाने की कोशिश है। ऐसे में पिछले दो-तीन दिन से लोग कोर्ट को लेकर अन्य बयान भी सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट की भी कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं…
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सीमाएं लांगी हैं- वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश शर्मा pic.twitter.com/MN7Y38acri
— Naveen kr Jindal (@naveenjindalbjp) April 20, 2025
एंकर ने जब पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई से भारत की न्याय व्यवस्था के बारे में सवाल पूछा तब पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि मैं चाह कर भी भारत की न्यायपालिका को सुधार नहीं सकता क्योंकि हमारा अदालती सिस्टम कुछ बड़े फिक्सरों (दलालो) के कब्जे में है और यह बड़े फिक्सर जब चाहे जो… pic.twitter.com/TBsYNvR7zB
— 🇮🇳Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) April 21, 2025
गुजरात हाइकोर्ट द्वारा गिरफ्तारी का आदेश देने के बाद तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत देने के लिए पूर्व CJI DY चंद्रचूड़ ने गर्मियों में शनिवार के दिन शाम को अति सक्रियता दिखाते हुए जिस तरह दो बार खंड पीठ का गठन किया था, के खिलाफ पटना हाइकोर्ट के पूर्व जस्टिस राकेश कुमार ने राष्ट्रपति… pic.twitter.com/3Ech5SfoSV
— P.N.Rai (@PNRai1) April 20, 2025
भारत के पूर्व मुख्य न्यायधीश डी वाई चंद्रचूड़ के खिलाफ पटना हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज राकेश कुमार ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत देने के मामले में सीबीआई जांच की मांग की है 🤔
पूरा मामला क्या है ❓
गुजरात दंगो में मोदी को फंसाने के लिए मोदी जी के खिलाफ…
— विष्णु तिवारी (Modi Ka Parivar) (@VishnuMTiwari1) April 21, 2025
मैंने सुप्रीम कोर्ट से पूछा -“गुस्ताख़ ए रसूल की एक ही सजा- सिर तन से जुदा” नारा hate स्पीच है या नहीं!
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- “आज यह पिटीशन में take up नहीं करूंगा.. ” 🥺
एडवोकेट @Vishnu_Jain1 pic.twitter.com/MgxUMSvNXe— 𝙼𝚛 𝚃𝚢𝚊𝚐𝚒 (@mktyaggi) April 21, 2025
अब सुप्रीम कोर्ट ही DOगला हो.. तो क्या ही कहा जाए..! pic.twitter.com/9DRhSi61k3
— Bhaskar Mishra (@Bhaskar_m11) April 19, 2025
राम जन्मभूमि, पर सुप्रीम कोर्ट कागज़ माँग सकती है
कृष्ण जन्मभूमि का केस सुनने को तैयार नहीं है
पर जैसे ही वक़्फ़ का मुद्दा आया तो तुरंत सुनवाई कर ली..
– संघ विचारक संगीत रागी 🔥 pic.twitter.com/BwGqE54cbT
— Apurva Singh (@iSinghApurva) April 20, 2025
अब तो “जज” साहब फंस गये?
या बोल देंगे कि पुराने वाले जज दूसरी किताब पढे थे?
क्योंकि सुप्रीम कोर्ट कई बार मान चुका है “वक्फ बोर्ड” धार्मिक संस्था नहीं है…. तो फिर इसमें नॉन मुस्लिम भी रहेंगे।
Twotier Judiciary #Abolish_Collegium_System pic.twitter.com/ORbeOyG6Az
— Vijay Gautam 🚩 (@Vijay_Gautamm) April 20, 2025
विष्णु जैन इस देश का वो दर्द बयान कर रहे है जो आज हर भारतीय महसूस कर रहा है।
एक पक्ष की याचिका कुछ विशेष वकीलों के प्रभाव में सुप्रीम कोर्ट एक हफ़्ते के अंदर या कभी कभी तो एक दिन के अंदर सुनता है।
और दूसरा पक्ष याचिका के बाद सुवनाई के लिए सालो साल भटकता रहता है। pic.twitter.com/HCrJ2l7UzD
— Baliyan (@Baliyan_x) April 17, 2025
डॉ. @nishikant_dubey ने जो कहा, उसमें कुछ भी गलत नहीं था।
यहां मैं ऐसे नौ स्पष्ट उदाहरण दे रहा हूं, जहां सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं के खिलाफ खुलेआम भेदभाव को नजरअंदाज करके और उसकी निगरानी करके न केवल आक्रोश को बढ़ावा दिया, बल्कि धार्मिक युद्ध की संभावना को भी बढ़ावा दिया: pic.twitter.com/wBpWQ8fUUM
— Ishwar Chandra (@chandraji141) April 21, 2025
“2021 में जब मैंने वक्फ एक्ट को चुनौती दी थी, तो सुप्रीम कोर्ट ने उनसे यह पूछा था कि उनकी कितनी जमीन पर कब्जा किया गया है,
लेकिन अब इमरान प्रतापगढ़ी और ओवैसी जैसे कई लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, तो कोर्ट ने उनसे यह क्यों नहीं पूछा कि उनके पूर्वजों ने कितनी जमीन वक्फ को दिया है।” pic.twitter.com/meoyvVZuco
— Panchjanya (@epanchjanya) April 21, 2025
जज अच्छा काम करेंगे तो ताली मिलेगी। बुरा काम करेंगे तो गाली मिलेगी। इसमें उनको बुरा नहीं मानना चाहिए।
गलत फ़ैसले की आलोचना का अधिकार हमें कटेंप्ट ऑफ कोर्ट कानून से मिलता है। कानून में साफ लिखा है कि न्याय संस्था और फ़ैसले की आलोचना की जा सकती है। बस, नीयत ख़राब न हो और आलोचना… pic.twitter.com/DMKYiK5epv
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) April 21, 2025
शाहबानो को महज तीन सौ रुपए Alimony निर्वाह निधी देने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश संविधान में संशोधन करके बदल दिया था मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने वो क्या था?
How many times did Congress Overturned SC Judgment? pic.twitter.com/lgA0ntelCg— Vinod bharat bonapart (@Vinod74606019) April 20, 2025
कितनीं बार कांग्रेस नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का किया अपमान, जानें इतिहास*
* भारत का संविधान न्यायपालिका को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाता है। लेकिन जब राजनीति की भाषा, लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानी न्यायपालिका को कटघरे में खड़ा करने लगे, तब सवाल उठना लाज़िमी है। खासकर जब यह काम देश की… pic.twitter.com/UPnRCyBXpn
— 🇮🇳Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) April 20, 2025
हमारी न्यायपालिका कितनी क्यूट है, आइये थ्रेड के माध्यम से देखते हैं:
थ्रेड 1
सुप्रीम कोर्ट ने मुर्शिदाबाद हिंसा की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने से ही इनकार कर दिया
बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग पर कहा कि हम कार्यपालिका में हस्तक्षेप नहीं कर सकते जबकि… pic.twitter.com/JQvjRi2of1
— Abhay Pratap Singh (बहुत सरल हूं) (@IAbhay_Pratap) April 21, 2025