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न्याय पर दोहरा रवैया! सोशल मीडिया के जमाने में लोग निकाल देते हैं कुंडली, आप भी देखिए लोग कैसे कस रहे हैं तंज

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आजकल सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को लेकर देश में राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले के कारण आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के अधिकारों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। हाल ही तमिलनाडु के राज्यपाल बनाम राज्य सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को कहना पड़ा कि कुछ जज सुपर संसद की तरह बर्ताव करते हैं। राष्ट्रपति को निर्देश देने के मामले में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट शक्ति का दुरुपयोग कर रहा है।

उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि न्यायपालिका को पहले खुद की तरफ देखना चाहिए। जज के घर पर नकदी बरामद होने के मामले में अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।

इसके बाद वक्फ मामले में सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि जब हमने वक्फ बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, तो कोर्ट ने हमसे पूछा कि हम सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आ गए। कोर्ट ने हमें हाईकोर्ट जाने के लिए कहा और हमें कोई अंतरिम राहत नहीं दी, जबकि यह क्या मापदंड है कि कोई दूसरा पक्ष सुप्रीम कोर्ट आए तो उनकी न सिर्फ सुनवाई हो बल्कि अंतरिम आदेश से जुड़ी बातें भी कही जाए।

इसके बाद यह सवाल भी उठा कि कानून बनाने का अधिकार संसद का है और काफी विचार-विमर्श व चर्चा के बाद बिल को पास किया जाता हैं, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट उस कानून पर रोक लगा सकता है क्या? वप्फ मामले में सुप्रीम कोर्ट के इसी कदम पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि अगर देश को CJI और SC ही चलाएगा तो संसद को बंद कर दो। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है। अगर हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है, तो संसद और विधानसभा का कोई मतलब नहीं है, इसे बंद कर देना चाहिए।

निशिकांत दुबे के यह बयान देते ही कांग्रेसी नेता उनपर निशाना साधने लगे। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवीर ने दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने की मांग की। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप इसे दायर करिए। इसके लिए अनुमति की जरूरत नहीं है। सु्प्रीम कोर्ट से यह अनुमति मिलते ही कांग्रेस ने बीजेपी पर हावी होने की कोशिश की, तो लोगों ने कांग्रेसी नेताओं के पुराने बयान निकाल उन्हें बैकफुट पर धकेल दिया। सोशल मीडिया के जमाने में लोग पुराने कुंडली निकाल सब कुछ सामने ला देते हैं। इसी क्रम में लोग जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक के पुराने बयान वायरल कर रहे हैं। सबसे पहले आप देखिए की सुप्रीम कोर्ट के लेकर देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू ने क्या कहा था।

जवाहर नेहरू ने कहा था कि If the Supreme Court gives a judgment that conflicts with the will of the people, then Parliament must correct it. अब आप सुप्रीम कोर्ट के लेकर उनकी पुत्री और देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के भी विचार जान लीजिए। इंदिरा गांधी ने तो आपातकाल से समय न्यायपालिका पर भी लगाम लगाने की कोशिश की थी।

सीनियर वकील और कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद भी कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट के जज भी हम जैसे लोग हैं। वो भी गलती कर सकते हैं। लेकिन तब किसी कांग्रेसी नेता ने कोई हंगामा नहीं किया।

कोर्ट को लेकर कांग्रेसी नेता और राज्यस्थान के पूर्व मुख्यमंत्र अशोक गहलोत के विचार भी आप सुन लीजिए।

ऐसे में बीजेपी नेता निशिकांत दुबे के बयान पर प्रतिक्रिया देने वाले कांग्रेसी नेताओं को यह भी जान लेना चाहिए कि नवंबर 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने जब राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई का आदेश दिया, तो कांग्रेस ने इसे “पूरी तरह अस्वीकार्य और पूरी तरह गलत” करार दिया।

इसके पहले कांग्रेस ने शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा था कि मुस्लिम महिलाओं को भी संविधान के तहत समान अधिकार हैं और तलाक के बाद शाहबानो को गुजारा भत्ता दिया जाए। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दबाव में आकर इस फैसले को पलटने के लिए संसद में कानून बनाया, जिससे न्यायपालिका के फैसले पर सीधा हस्तक्षेप हुआ था।​

आजादी के बाद अब तक कांग्रेसी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर कई तरह के बयान दिए, लेकिन किसी पर अवमानना की बात नहीं उठी। किसी भी कांग्रेसी नेता ने नहीं कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट पर दबाव बनाने की कोशिश है। ऐसे में पिछले दो-तीन दिन से लोग कोर्ट को लेकर अन्य बयान भी सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट की भी कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं…

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