भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच एक सबसे बड़ा अंतर को विचारधारा का है। आप की राजनीति स्व से शुरू होकर स्व पर खत्म होती है। यानी कोई विचारधारा है ही नहीं। दूसरी ओर भाजपा की राजनीति में समष्टि का भाव है। यानी सबका साथ, सबका विकास। दिल्ली के पूर्व सीएम केजरीवाल के भ्रष्टाचार के गवाह बने ‘शीशमहल’ में भी कुछ ऐसी ही विचारधारा परिलक्षित हो रही है। केजरीवाल ने सिर्फ और सिर्फ निजी स्वार्थ के लिए सीएम आवास को शीशमहल में बदलने के लिए जनता के करोड़ों रुपये स्वाहा कर दिए। ‘शीशमहल’ के भ्रष्टाचार को विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी ने जोर-शोर से उठाया था। बीजेपी ने यह भी कहा था कि अगर वह सत्ता में आई तो उसका मुख्यमंत्री शीशमहल में नहीं रहेगा। बीजेपी ने ना सिर्फ अपना यह वादा पूरा किया है, बल्कि विचारधारा की लड़ाई में भी आप से बहुत आगे निकल गई है। दिल्ली की भाजपा सरकार इस ‘शीशमहल’ का उपयोग अपने लिए नहीं, बल्कि सबके लिए करने जा रही है। दरअसल दिल्ली सरकार के पास कोई स्टेट गेस्ट हाउस नहीं है। दिल्ली को दूसरे राज्यों की तरह एक राज्य अतिथि गृह की जरूरत है। इसलिए अब शीशमहल की जगह और इलाके को देखते हुए इसे अतिथि गृह के रूप में नई पहचान देने पर विचार किया जा रहा है।
दूसरे राज्यों की तरह दिल्ली में नहीं है अपना गेस्ट हाउस
दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने के बाद सवाल यही उठ रहे कि आखिर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सरकार इस बंगले का क्या इस्तेमाल करेगी? बीजेपी नेताओं ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वो इस बंगले को नहीं लेंगे। इस बीच बंगले को लेकर बीजेपी सरकार ने खास प्लानिंग की है। पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल का यह आवास सिविल लाइन्स इलाके में है, जहां राज भवन, दिल्ली विधानसभा और सचिवालय मौजूद हैं। यह बेहद प्राइम लोकेशन पर है और दिल्ली में देशभर के राज्यों के गेस्ट आते हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 90 के दशक में एक प्रॉपर्टी 33 शाम नाथ मार्ग को स्टेट गेस्ट हाउस बनाया गया था। लेकिन तीन-चार साल के बाद इस विचार को त्याग दिया गया और उसके बाद से दिल्ली में कोई स्टेट गेस्ट हाउस नहीं है। है। आम आदमी पार्टी सरकार के दौरान 33, शाम नाथ मार्ग, डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन ऑफ दिल्ली का पता था। यह एक थिंक टैंक था जिसे सरकार को नीतियों पर सलाह देने के लिए बनाया गया था।
2015 से 2024 तक इस बंगले में रहे अरविंद केजरीवाल
शीशमहल यानी, 6 फ्लैग स्टाफ रोड का बंगला, जिसमें पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल रहा करते थे। इसका निर्माण 1942 में हुआ था। केजरीवाल 2015 में अपने परिवार के साथ इस आवास में शिफ्ट हुए। अक्टूबर 2024 तक इसमें उनका परिवार रह रहा था। कोरोना काल में केजरीवाल सरकार ने बंगले की मरम्मत कराने के बहाने इसपर अनाप-शनाप करोड़ों रुपये खर्च कर दिए। इसके लिए महंगे-महंगे सामान विदेशों तक से आयात किए गए। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने इस आलीशान बंगले का वीडियो भी जारी किया था। बीजेपी ने कहा था कि केजरीवाल खुद को आम आदमी कहते हैं लेकिन उन्होंने सरकारी बंगले पर करोड़ों रुपये खर्च कर दिए।‘शीशमहल’ को स्टेट गेस्ट हाउस बनाने पर कर रही विचार
चूंकि बीजेपी ने यह घोषणा की थी कि अगर वह सत्ता में आई तो सीएम उस आवास में नहीं रहेंगे। इसलिए फिलहाल इस करोड़ों के शीशमहल का कोई उपयोग नहीं हो रहा है। अब यह जानकारी सामने आ रही है कि उसे स्टेट गेस्ट हाउस बनाने पर विचार किया जा रहा है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि दिल्ली को एक गेस्ट हाउस की जरूरत है जहां गणमान्य हस्तियां ठहर सकें। दिल्ली सरकार के पास दूसरे राज्यों की तरह अपना कोई गेस्ट हाउस नहीं है। शीशमहल के क्षेत्र और स्थान को देखते हुए उसे गेस्ट हाउस में बदलने पर विचार किया जा रहा है।” अधिकारी ने ये भी बताया कि इस बारे में अंतिम फैसला जल्द ही ले लिया जाएगा।
कैग रिपोर्ट ने खोली शीशमहल में करोड़ों के खर्च की पोल
केजरीवाल के बाद आप की मुख्यमंत्री बनीं आतिशी कुछ ही दिन शीशमहल में रहीं, लेकिन 9 अक्टूबर को PWD ने उनसे बंगला खाली करने के लिए कहा। PWD ने कहा कि केजरीवाल ने आधिकारिक तौर पर संपत्ति उन्हें नहीं सौंपी है। PWD ने जनवरी में आतिशी को बंगला आवंटित करने का प्रस्ताव रद्द कर दिया। उधर, बीजेपी सरकार बनने पर 6, फ्लैग स्टाफ रोड पर CAG की रिपोर्ट सार्वजनिक की गई। रिपोर्ट में कहा गया कि मार्च 2020 में, तत्कालीन PWD मंत्री सत्येंद्र जैन ने भूतल पर बंगले का नवीनीकरण और एक अतिरिक्त मंजिल का निर्माण करने का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने इसे सबसे जरूरी बताया था। CAG रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि शुरुआती अनुमानित लागत 7.91 करोड़ रुपये थी, लेकिन 2022 में नवीनीकरण पूरा होने तक यह बढ़कर 33.66 करोड़ रुपये हो गई।
अब जानिए 6 प्लैग स्टाफ रोड इस बंगले का इतिहास
6, फ्लैग स्टाफ रोड बंगला 1942 में बना था। इसमें पांच बेडरूम और एक ऑफिस था। यह लुटियंस दिल्ली के बाहर सबसे बड़ी संपत्तियों में से एक है। 1960 के दशक से यह प्रॉपर्टी दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) के पास है। पहले यह बंगला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चौधरी प्रेम सिंह का घर था। वह दो बार दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रहे। बाद में यह बंगला दिल्ली सरकार के अधिकारियों को दिया गया। केजरीवाल 2015 में अपने माता-पिता, पत्नी और दो बच्चों के साथ इस बंगले में रहने आए थे। वह अक्टूबर 2024 तक यहां रहे। दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कुछ दिनों बाद उनको भारी मन से शीशमहल छोड़ना पड़ा। अब वह अपने परिवार के साथ 5, फिरोजशाह रोड बंगले में रहते हैं। यह बंगला AAP के पंजाब से राज्यसभा सांसद अशोक मित्तल को आवंटित किया गया है।
आम आदमी से कई गुना ज्यादा था केजरीवाल का बिजली बिल
अब यह शीशे की तरह साफ हो गया है कि आम आदमी का लेबल लगाकर अरविंद केजरीवाल अपने शीशमहल में किस तरह की अय्याशियां कर रहे थे और दिल्ली की जनता के पैसे से लग्जरी लाइफ का आनंद उठा रहे थे। केजरीवाल ने शीशमहल के निर्माण नियम-कायदों को ताक पर रखकर करोड़ों की फिजूलखर्ची की। एक आरटीआई में हैरतअंगेज खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट ने केजरीवाल के असली चेहरे को उजागर कर दिया है। आरटीआई से पता चला है कि अरविंद केजरीवाल ने शीशमल में पिछले दो सालों में ही 41.5 लाख रुपये की बिजली खपत की है, जिससे उनकी वित्तीय जिम्मेदारी पर सवाल उठ रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि केजरीवाल की बिजली खपत औसतन 23,000 यूनिट प्रति माह या 770+ यूनिट प्रति दिन है। यानि आम जनता जितनी बिजली पूरे एक माह में जलाती है, उससे तीन गुना बिजली तो केजरीवाल के बंगले में एक ही दिन में फूंक दी जाती थी।
शीशमहल में बिजली की फिजूलखर्ची औसतन 5,700 रुपये प्रतिदिन के बराबर
केजरीवाल के शीशमहल में बिजली की खपत आम आदमी का प्रतिनिधित्व करने के पार्टी के दावों के बिल्कुल विपरीत है। आरटीआई से पता चला है कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल ने पिछले दो सालों में 41.5 लाख रुपये की बिजली खपत की है। अक्टूबर 2022 से अक्टूबर 2024 तक का यह महत्वपूर्ण खर्च लगभग 5,700 रुपये प्रतिदिन है, जो कुल मिलाकर 5,60,000 यूनिट से अधिक बिजली है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि केजरीवाल की बिजली खपत औसतन 23,000 यूनिट प्रति माह या 770+ यूनिट प्रति दिन है।
केजरीवाल और उनकी पार्टी बहुत ज़्यादा खर्च के लिए जांच के घेरे में
यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब केजरीवाल और उनकी पार्टी बहुत ज़्यादा खर्च करने के लिए जांच के घेरे में हैं, खास तौर पर उनके आधिकारिक आवास के नवीनीकरण के मामले में। शीश महल – एक आलीशान आवास को लेकर लगे आरोपों ने सरकार की वित्तीय पारदर्शिता के बारे में लोगों के संदेह को और बढ़ा दिया है, खास तौर पर केजरीवाल की ओढ़ी हुई फेक छवि को देखते हुए यह खुलासा बेहद चौंकाने वाला है।
आप के मंत्रियों ने भी बिजली बिलों पर लाखों रुपए उड़ाए
अरविंद केजरीवाल ना सिर्फ मुख्यमंत्री रहे, बल्कि आम आदमी पार्टी के संयोजक भी हैं। जब मुखिया का चालचलन ऐसा हो, तो उसके नेता-मंत्री भला पीछे क्यों रहें? केजरीवाल की बिजली खपत कोई अकेला मामला नहीं है। आरटीआई के जवाब में यह भी खुलासा हुआ है कि आप के अन्य मंत्रियों की बिजली खपत भी इसी तरह अधिक है। कुल मिलाकर, इन मंत्रियों ने उसी दो साल की अवधि में 1.15 करोड़ रूपये की बिजली खपत की। जिससे पार्टी की कार्यप्रणाली को लेकर विवाद और बढ़ गया।
सिसोदिया का 14.95 लाख और गोपाल राय का 21.72 लाख बिल
आरटीआई के जवाब के अनुसार, शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के मथुरा रोड स्थित आवास पर 26 सितंबर 2022 से 30 सितंबर 2024 तक 126,749.75 यूनिट के लिए 14, 95,722 रुपये का बिजली बिल आया। सामान्य प्रशासन मंत्री गोपाल राय के घर पर इसी अवधि के दौरान 161,883.14 यूनिट के लिए कुल 21,72,700 रुपये का बिल आया और स्वास्थ्य मंत्री के 8, राज निवास मार्ग स्थित आवास पर 68,581.46 यूनिट के लिए 10,53,520 रुपये का बिल आया।
शीशमहल की सजावट में मितव्ययिता और पारदर्शी शासन की धज्जियां
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भी आप सरकार को अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास के नवीनीकरण में दिखाई गई भव्यता के लिए कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। इस आवास को अक्सर “शीश महल” के रूप में जाना जाता है। इस भव्य परिवर्तन में साफ तौर पर महंगे फर्नीचर, उच्च-स्तरीय उपकरण और शानदार सजावट शामिल थी, जिसकी कीमत करोड़ों रुपये में थी। यह केजरीवाल की मितव्ययिता और पारदर्शी शासन की वकालत करने वाले नेता के रूप में उनकी स्वयं-घोषित छवि के एकदम विपरीत है।
Taxpayer’s money lights up Kejriwal’s bungalow, while common citizens face power cuts!
Kejriwal’s ‘Aam Aadmi Drama’ runs on ₹41.51 lakh electricity in just 2 years (₹5,700 per day). pic.twitter.com/9NMK9Q9wcR
— Delhi Darshan (@Delhikadarshan) February 25, 2025
फिजूलखर्ची पर अब दिल्ली की जनता भी मांगने लगी जवाब
अरविंद केजरीवाल के बिजली बिलों और आप मंत्रियों द्वारा कुल खपत के चौंकाने वाले विवरण ने पार्टी की मितव्ययिता के सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। भव्य नवीनीकरण और अब उच्च बिजली खपत के आरोपों के साथ, पार्टी की पारदर्शिता और राजकोषीय जिम्मेदारी एकदम सूक्ष्म नजर आती है। जैसे-जैसे यह विवाद सामने आ रहा है, दिल्ली की आम जनता और राजनीतिक विरोधी समान रूप से आप नेतृत्व की खर्च करने की प्रथाओं के बारे में स्पष्ट उत्तर मांग रहे हैं।
Kejriwal should be renamed BIJLIWAL
As per RTI reply he consumed power of ₹41 lakh in 2 years :₹5700 for 770+ units daily
Real Aam Aadmi consumes about 250 units/month
Bijliwal daily consumption > 3x AamAadmi monthly consumption
Shock ⚡️ lagaa?😳pic.twitter.com/7vyiVkiZ9r
— Sameer (@BesuraTaansane) February 24, 2025
शीशमहल के खर्च न बताया केजरीवाल क्या चीज है!
एक आरटीआई रिपोर्ट का हवाला देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि आप आम आदमी के लिए बिल्कुल भी नहीं है। उन्होंने एक्स पर लिखा, “आखिरकार क्या यह आम आदमी नहीं है? आरटीआई के जवाब के अनुसार अरविंद केजरीवाल ने अक्टूबर 2022 से अक्टूबर 2024 तक 2 साल की अवधि में 41.51 लाख रुपये की बिजली खपत की। प्रतिदिन 770+ यूनिट के हिसाब से अनुमानित बिल 5,700 रुपये है। आम आदमी हर महीने करीब 250-300 यूनिट बिजली खपत करता है! यह केजरीवाल का असली चेहरा है।
आप के मंत्रियों की विलासिता और पाखंडी चेहरा भी सामने आया
अरविंद केजरीवाल और AAP के अन्य मंत्रियों के बिजली के बिलों के बारे में खुलासे आम आदमी की हिमायत करने के पार्टी के दावों के बिल्कुल उलट हैं। जबकि केजरीवाल और उनके मंत्री विलासिता में जी रहे हैं, आम नागरिक बढ़ती लागतों से जूझ रहे हैं। यह AAP के भीतर के पाखंड को उजागर करता है, यह दर्शाता है कि यह अपने कामों में “आम आदमी” होने से कोसों दूर है। इस सब को लेकर अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें और बढ़नी शुरू हो गई हैं। केंद्रीय सतर्कता आयोग ने बीजेपी के ‘शीशमहल’ के आरोपों को लेकर विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में केजरीवाल पर कानूनी संकट का नया शिकंजा कसता नजर आ रहा है।पीएम मोदी ने केजरीवाल की पार्टी आप को दिया ‘आप’दा नाम
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आम आदमी पार्टी यानी आप को आप-दा का नया नाम दिया था। आप को यह नाम करोड़ों का अवैध कारोबार करके शीशमहल खड़ा करने, शराब घोटाला करने और दिल्ली की जनता के लिए आपदा बन जाने के लिए मिला। अरविंद केजरीवाल के राज में बने इस चमचमाते शीशमहल का नया वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसी बंगले में पूर्व CM केजरीवाल रहते थे। 14 मिनट के इस वीडियो में केजरीवाल के पुराने आवास का वीडियो सार्वजनिक किया गया है। इसमें दिखाए गए कई महंगे और आलीशान सामानों की कीमतें भी सार्वजनिक हुई। केजरीवाल के आवास में स्मार्ट एलईडी टर्नटेबल लाइट्स की कीमत 19.5 लाख रुपये, बॉडी सेंसर और रिमोट वाले 80 पर्दों की कीमत चार करोड़ से 5.6 करोड़ रुपये के बीच है। भाजपा ने X पर वीडियो शेयर करके लिखा- आइए आपको सैर कराएं महाठग अरविंद केजरीवाल की अय्याशी के शीशमहल की। इससे पहले नारीशक्ति से लेकर झुग्गी-झौंपड़ी तक, व्यापारियों से लेकर पुजारियों-ग्रंथियों तक ने इस बार केजरीवाल की हार और भाजपा की जीत की राह सुनिश्चित कर दी है।