प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। उनके नेतृत्व में भारत इस साल 2025 में जापान को पछाड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ-IMF) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2025 में भारत की नॉमिनल जीडीपी बढ़कर 4,187.017 अरब डॉलर हो जाएगी। वहीं, जापान की जीडीपी का आकार 4,186.431 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। इससे भारत जीडीपी के मामले में जापान को पीछे छोड़ देगा। भारत अभी दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। जीडीपी के मामले में अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान अभी भारत से आगे हैं। वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में IMF ने यह भी कहा है कि अगले तीन साल में भारत जर्मनी को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। आईएमएफ का कहना है कि 2028 तक भारत के जीडीपी का आकार 5.584 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंचने की उम्मीद है, जबकि इस दौरान जर्मनी की जीडीपी का आकार 5.251 ट्रिलियन डॉलर ही रहने का अनुमान है।
A proud day for every Bharatiya!
India has now officially overtaken Japan, becoming the fourth largest economy of the world with a GDP of $4.187 trillion, according to the latest IMF report.
This historic feat goes beyond mere statistics; it is the path we have walked together… pic.twitter.com/GAQR73EKUN
— Rekha Gupta (@gupta_rekha) May 6, 2025
अप्रैल में कंपोजिट पीएमआई आठ महीने के हाई पर
पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच एक और अच्छी खबर है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के बाद अप्रैल में सर्विस सेक्टर में भी तेजी देखने को मिली है। एचएसबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक सेवा क्षेत्र का परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स यानी पीएमआई बढ़कर 58.7 हो गया, जबकि मार्च में यह 58.5 था। इसके साथ ही कंपोजिट पीएमआई, जो दोनों क्षेत्रों मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस को मिलाकर तैयार होती है, अप्रैल में बढ़कर 59.7 हो गया है, जो कि मार्च में 59.5 था। यह 8 महीने का सबसे ऊंचा स्तर है। एचएसबीसी इंडिया की प्रमुख अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि भारत की सर्विस एक्टिविटी में मार्च की तुलना में ज्यादा तेजी देखी गई है। खास बात यह रही कि नए निर्यात ऑर्डर अप्रैल में जुलाई 2024 के बाद सबसे तेज रफ्तार से बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि अप्रैल में सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी का मुख्य कारण नए निर्यात ऑर्डर और बेहतर मूल्य निर्धारण की शक्ति रही है। परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स’ (पीएमआई) अगर 50 से ऊपर होता है तो अर्थव्यवस्था में तेजी का संकेत है, वहीं 50 से नीचे होने पर गिरावट को दर्शाता है।
10 महीने के हाई पर मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर रही है। अर्थव्यवस्था के हर सेक्टर में सुधार दिखाई दे रहा है। कारोबार में बढ़त के चलते हर क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी आई है। मांग बढ़ने से मार्च के महीने में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में बंपर तेजी आई है। नए ऑर्डर और उत्पादन में तेजी से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां अप्रैल में 10 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) अप्रैल में 58.2 पर रहा। यह जून 2024 के बाद मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की सबसे मजबूत तेजी है। एचएसबीसी के मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि मजबूत ऑर्डरों के कारण विनिर्माण उत्पादन वृद्धि दस महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स’ (पीएमआई) का 50 से अधिक रहना गतिविधियों में विस्तार और इससे नीचे का आंकड़ा सुस्ती का संकेत है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश-प्रतिदिन नई उपलब्धियों को हासिल कर रहा है। आइए एक नजर डालते हैं प्रमुख उपलब्धियों पर…
अप्रैल में 2.37 लाख करोड़ के साथ रिकॉर्ड GST कलेक्शन
वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी कलेक्शन अप्रैल, 2025 में 12.6 प्रतिशत बढ़ गया है। अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा 2.37 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। यह अब तक का सबसे बड़ा संग्रह है। इससे पहले अप्रैल 2024 में रिकॉर्ड 2.10 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। वित्त मंत्रालय के अनुसार अप्रैल, 2025 में घरेलू लेनदेन से जीएसटी संग्रह 10.7 प्रतिशत बढ़कर 1.9 लाख करोड़ रुपए हो गया, जबकि आयातित वस्तुओं से राजस्व 20.8 प्रतिशत बढ़कर 46,913 करोड़ रुपए हो गया। अप्रैल के दौरान रिफंड जारी करने की राशि 48.3 प्रतिशत बढ़कर 27,341 करोड़ रुपए हो गई।
खुदरा महंगाई दर छह साल के निचले स्तर पर
मोदी राज में आम लोगों को महंगाई के मोर्चे पर एक और बड़ी राहत मिली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण मार्च में खुदरा महंगाई दर में खासी गिरावट देखने को मिली है। खुदरा महंगाई दर मार्च में घटकर 3.34 प्रतिशत हो गई है। यह अगस्त 2019 के बाद खुदरा महंगाई का सबसे निचला स्तर है। उस समय यह 3.28 प्रतिशत थी। यानी खुदरा महंगाई मार्च में घटकर 67 महीने के निचले स्तर पर आ गई। मार्च 2025 में महंगाई दर में गिरावट का मुख्य कारण सब्जियों, अंडों, दालों, मांस और मछली, अनाज और दूध की महंगाई में कमी है।
थोक महंगाई दर 4 महीने के निचले स्तर पर 2.05 प्रतिशत पर
मार्च के महीने में थोक महंगाई में भी गिरावट आई है। थोक कीमतों पर आधारित महंगाई दर (WPI) मार्च 2025 में घटकर 4 महीने के निचले स्तर 2.05 प्रतिशत पर आ गई है। इस साल फरवरी में यह 2.38 प्रतिशत थी। वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार खाने-पीने की वस्तुओं के दाम घटने के कारण थोक मूल्य पर आधारित महंगाई मार्च में घटकर 2.05 प्रतिशत रह गई है, जो चार महीने के निचले स्तर पर है। फल-सब्जियों की आवक में सुधार होने से थोक बाजार में हाल के महीनों में खाने-पीने की चीजों की कीमतों में गिरावट आई है।
आम आदमी को राहत, अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई दर कम होने का सीधा असर आम जनता पर पड़ता है। इससे आम जरूरत की चीजें सस्ती होने लगती हैं। जो आम जनता के जेब पर पड़ रहे बोझ को कम करती है। यह किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है। महंगाई से मिली राहत के लिए मोदी सरकार की नीतियों की तारीफ की जा रही है। अमेरिकी टैरिफ वॉर, कोरोना महामारी, हमास- इजरायल संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से इस समय पूरा विश्व मंदी और महंगाई से जूझ रहा है। अमेरिका जैसे सबसे विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश भी महंगाई को रोक पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। ऐसे में भारत ने महंगाई पर लगाम लगाकर आर्थिक मोर्चे पर बड़ी सफलता हासिल की है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों, अर्थव्यवस्था में आई तेजी और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई कमी से महंगाई दर में खासी गिरावट देखने को मिली है। इससे मोदी सरकार और देश की जनता को बड़ी राहत मिली है।
फरवरी में 2.9 प्रतिशत रहा IIP ग्रोथ का आंकड़ा
आर्थिक मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन से फरवरी 2025 में औद्योगिक उत्पादन (IIP-आईआईपी) की वृद्धि दर बढ़कर 2.9 प्रतिशत रही है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, फरवरी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सालाना आधार पर 2.9 प्रतिशत, खनन क्षेत्र में 1.6 प्रतिशत, जबकि बिजली उत्पादन में 3.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके साथ ही कैपिटल गुड्स के उत्पादन में 8.2 प्रतिशत, इंफ्राट्रक्चर से जुड़ी वस्तुओं के उत्पादन में 6.6 प्रतिशत, जबकि कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में 3.8 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गई है।
शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 16 प्रतिशत बढ़कर 17 लाख करोड़ रुपये
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आर्थिक मोर्चे पर लगातार अच्छी खबर आ रही है। अब टैक्सपेयर ने सरकार का खजाना भर दिया है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह रिफंड के बाद मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 में 12 जनवरी तक 15.88 प्रतिशत बढ़कर 16.90 लाख करोड़ रुपये हो गया है। एक अप्रैल से 12 जनवरी के बीच सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 20 प्रतिशत बढ़कर 20.64 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। इस दौरान 3.74 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए हैं। इससे वित्तीय वर्ष के अंत तक बजटीय प्रत्यक्ष कर संग्रह के लक्ष्य को प्राप्त करने की उम्मीद बढ़ गई है।
प्रत्यक्ष कर संग्रह में उछाल मजबूत आर्थिक विकास का संकेत
भारत के प्रत्यक्ष कर संग्रह में लगातार वृद्धि देश के बढ़ते आधार और बेहतर अनुपालन उपायों को दर्शाता है। इसके साथ ही प्रत्यक्ष कर संग्रह में यह उछाल कॉर्पोरेट आय में वृद्धि, रोजगार और आय के बढ़ते स्तर को रेखांकित करता है। कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत आयकर संग्रह दोनों में मजबूत वृद्धि बताता है कि भारत का आर्थिक सुधार महत्वपूर्ण गति प्राप्त कर रहा है। भारत की आर्थिक मजबूती विकास को भी गति देने में कारगर साबित होगी। आखिरकार इसका लाभ टैक्सपेयर को ही मिलेगा।
मुद्रा भंडार 700 अरब डॉलर के पार
मोदी राज में विदेशी मुद्रा भंडार 700 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है। यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है। अपना देश अब चीन, जापान और स्विटजरलैंड के बाद 700 अरब डॉलर के भंडार को पार करने वाली दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था बन गया है। देश का मुद्रा भंडार 27 सितंबर 2024 को समाप्त सप्ताह के दौरान 12.59 अरब डॉलर उछलकर 704.89 अरब डॉलर के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया है। 12.59 अरब डॉलर की यह वृद्धि विदेशी मुद्रा भंडार में किसी एक सप्ताह में अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि में से एक है। यह लगातार सातवां सप्ताह है जबकि अपने विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हुई है। विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ इस साल 2024 में अब तक 87.6 अरब डॉलर बढ़ चुका है। रिजर्व बैंक के अनुसार विदेशी करेंसी एसेट्स में भी जोरदार तेजी देखने को मिली है और ये 10.47 अरब डॉलर बढ़कर 616.15 अरब डॉलर, जबकि गोल्ड रिजर्व 2.18 अरब डॉलर बढ़कर 65.79 अरब डॉलर हो गया है।
विदेशी मुद्रा भंडार ने 4 जून, 2021 को 6.842 अरब डॉलर बढ़कर 600 अरब डॉलर के ऐतिहासिक आंकड़े को पार किया था। इसके पहले विदेशी मुद्रा भंडार ने 5 जून, 2020 को खत्म हुए हफ्ते में पहली बार 500 अरब डॉलर के स्तर को पार किया था। इसके पहले यह आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब डॉलर के करीब था। मोदी राज में विदेशी मुद्रा भंडार दो गुना से ज्यादा बढ़ चुका है।
नए शिखर की ओर सेंसेक्स और निफ्टी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय शेयर बाजार की रिकॉर्डतोड़ रफ्तार जारी है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के सूचकांक सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के सूचकांक निफ्टी रोज नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। गुरुवार 26 सितंबर को सेंसेक्स और निफ्टी नए शिखर पर पहुंच गए। बाजार खुलने के कुछ देर बाद ही सेंसेक्स 85,425 और निफ्टी 26,065 पर पहुंच गया। इसके पहले बुधवार 25 सितंबर को सेंसेक्स 85000 के ऐतिहासिक स्तर के पार 85,169 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी भी 26000 के लेवल से ऊपर 26,004 के रिकॉर्ड हाई पर बंद हुआ। इसके पहले 20 सितंबर 2024 को सेंसेक्स 84000 के स्तर को पार कर 84544.31 पर बंद हुआ।
मार्केट बंद होने के हिसाब से अगर शेयर बाजार के रिकॉर्ड पर नजर डाला जाए तो सेंसेक्स पहली वार 17 सितंबर को 83 हजार के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर 83, 079.66 पर बंद हुआ। 29 अगस्त 2024 को सेंसेक्स 82,134.61 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच कर बंद हुआ। जबकि, निफ्टी 25,151.95 के लेवल पर बंद हुआ। इसके पहले 18 जुलाई को सेंसेक्स 81000 का लेवल पार कर 81,343.46 के रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ। जबकि, निफ्टी 24,800.85 के लेवल पर बंद हुआ। इसी महीने 04 जुलाई, 2024 को सेंसेक्स 62.87 अंक मजबूत होकर 80,049.67 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 15.66 अंक उछलकर 24,302.15 के लेवल पर बंद हुआ। इससे पहले 27 जून सेंसेक्स 79000 के लेवल को पार कर 79243 पर बंद हुआ। सेंसेक्स 25 जून को 78000 के लेवल को पार कर 78053 पर और निफ्टी 23700 का लेवल पार कर 23721 पर बंद हुआ। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक 18 जून को 77,301 पर बंद हुआ। 3 जून, 2024 को बीएसई सेंसेक्स 76000 के स्तर को पार करते हुए 76,469 पर बंद हुआ। इसके पहले 10 अप्रैल, 2024 बीएसई का सेंसेक्स 75,000 के पार 75,038.15 पर बंद हुआ। जबकि एनएसई का निफ्टी 111.05 अंक की बढ़त के साथ 22,753.80 के रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ। इसके पहले 6 फरवरी को सेंसेक्स पहली बार 74000 के पार 74,085.99 के स्तर पर बंद हुआ।
इसके पहले 15 जनवरी, 2024 को बीएसई का सेंसेक्स पहली बार 73,000 के पार 73,327 पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी 22,082 के लेवल पर पहुंच गया। इससे पहले 27 दिसंबर, 2023 को सेंसेक्स 72,000 के पार निकल 72,038 अंक पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 21654 अंक पर बंद हुआ। 15 दिसंबर, 2023 को सेंसेक्स 71,483 के लेवल पर, जबकि निफ्टी 21456 के लेवल पर बंद हुआ। एक दिन पहले ही 14 दिसंबर को सेंसेक्स 70000 का लेवल पार करते हुए 70514 पर बंद हुआ और निफ्टी भी 21000 से ऊपर जाकर 21,182 पर बंद हुआ। इसके पहले 5 दिसंबर, 2023 को सेंसेक्स 69,000 के लेवल को पार कर 69,168 के स्तर पर खुला और निफ्टी भी अपने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 20,000 के पार 20,702 पर पहुंच गया।
इसके पहले सेंसेक्स 4 दिसंबर, 2023 को 68 हजार का आंकड़ा पार करते हुए 68865.12 पर बंद हुआ। इससे पहले 19 जुलाई, 2023 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 67,097.44 के स्तर पर बंद हुआ। इसके पहले सेंसेक्स 14 जुलाई, 2023 को 66 हजार का आंकड़ा पार करते हुए 66060.90 पर बंद हुआ। इसके पहले सेंसेक्स 3 जुलाई, 2023 को 65 हजार का आंकड़ा पार करते हुए 65, 205.05 पर बंद हुआ था और 30 जून, 2023 को 64 हजार के पार पहुंच 64,718.56 के लेवल पर बंद हुआ। भारतीय शेयर बाजार के इतिहास पर नजर डालें तो सेंसेक्स पहली बार 30 नवंबर, 2022 को 63000 के पार बंद हुआ। यह 24 नवंबर,2022 को 62000 के आंकड़े के पार जाकर बंद हुआ है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स ने 01 नवंबर, 2022 को नया रिकॉर्ड कायम करते हुए 61 हजार के ऊपर बंद हुआ। इसके पहले 24 सितंबर, 2021 को सेंसेक्स 60,000 के पार, 16 सितंबर, 2021 को सेंसेक्स 59,000 के पार, 03 सितंबर, 2021 को 58,000 और 31 अगस्त, 2021 को 57,000 के पार गया था।
इसके पहले सेंसेक्स ने 18 अगस्त 2021 को 56,000 और 13 अगस्त, 2021 को 55,000 अंक के स्तर के पार किया। सेंसेक्स इसी महीने 4 अगस्त को पहली बार 54000 के आंकड़े को पार किया। यह 22 जून को 53,000 के लेवल को पार कर नए शिखर पर पहुंचा था। इसके पहले 15 फरवरी, 2021 को शेयर बाजार के बीएसई सेंसेक्स ने 52,000 के लेवल को पार कर रिकॉर्ड बनाया था। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही सेंसेक्स ने जून 2014 में पहली बार 25 हजार के स्तर को छुआ था। मोदी राज में पिछले 6 साल में 25 हजार से 50 हजार तक के सफर तय कर सेंसेक्स दो गुना हो गया है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान अप्रैल 2014 में सेंसेक्स करीब 22 हजार के आस-पास रहता था।
रोज रिकॉर्ड तोड़ता शेयर बाजार इस बात का सबूत है कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में जिस तरह देश आगे बढ़ रहा है, उससे तमाम क्षेत्रों की कंपनियों में विश्वास जगा है। नोटबंदी और जीएसटी जैसे आर्थिक सुधारों के कदम उठाने के बाद कोरोना काल में भी आर्थिक जगत में मोदी सरकार की साख मजबूत हुई है, और कंपनियां, शेयर बाजार, आम लोग सभी सरकार की नीतियों पर भरोसा कर रहे हैं। जाहिर है यह भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों के भरोसे को दिखाता है।
हांगकांग को पछाड़ भारत बना दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत हर मोर्चे पर नए-नए रिकार्ड बना रहा है। 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन भारतीय शेयर बाजार दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बााजार बन गया। भारत ने यह स्थान हांगकांग के स्टॉक मार्केट को पछाड़कर प्राप्त किया है। 22 जनवरी को बाजार बंद होने पर हांगकांग के स्टॉक मार्केट का कुल मार्केट कैप 4.29 ट्रिलियन डॉलर था। जबकि भारतीय स्टॉक एक्सचेंज का मार्केट कैप 4.33 ट्रिलियन डॉलर था। इसी के साथ भारतीय शेयर बाजार दुनिया का चौथा सबसे बड़ा इक्विटी बाजार बन गया। इसके पहले 29 नवंबर 2023 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज- BSE पर लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर के पार निकला था। भारत मई 2021 में तीन ट्रिलियन डॉलर के क्लब में शामिल हुआ था। मई 2007 में बीएसई-लिस्टेड कंपनियों ने 1 ट्रिलियन डॉलर मार्केट कैप की उपलब्धि हासिल की थी। इसे दोगुना होने में 10 साल का समय लग गया और जुलाई 2017 में मार्केट कैप 2 ट्रिलियन डॉलर पहुंचा। मई 2021 में मार्केट कैप 3 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गया था।
वैश्विक बाजारों में भारतीय शेयर बाजार मार्केट के लिहाज से अब अमेरिका, चीन और जापान के बाद चौथे स्थान पर है। अब भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। लगभग 50.86 ट्रिलियन डॉलर के मार्केट कैप के साथ अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा इक्विटी बाजार है। इसके बाद 8.44 ट्रिलियन डॉलर के साथ चीन दूसरे और 6.36 ट्रिलियन डॉलर के साथ जापान तीसरे स्थान पर है।
बैंकों का कुल एनपीए 12 साल के निचले स्तर पर
मोदी राज में वित्तीय प्रणाली के दुरुस्त होने के कारण बैंकों का सकल एनपीए (Non-Performing Asset गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) अनुपात मार्च, 2024 तक घटकर 12 साल के निचले स्तर 2.8 प्रतिशत पर आ गया है। इसके साथ ही वाणिज्यिक बैंकों का शुद्ध एनपीए अनुपात भी कम होकर 0.6 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है। भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI आरबीआई) ने 27 जून को जारी अपनी ताजा वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) में कहा कि 2024-25 अंत तक बैंकों का सकल एनपीए अनुपात और घटकर 2.5 प्रतिशत पर आ सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी श्रेणी के बैंकों में सकल एनपीए घटा है। सरकारी बैंकों के सकल एनपीए अनुपात में 2023-24 की दूसरी छमाही में 0.76 प्रतिशत कमी आई।
भारत में निवेश करना चाहते हैं दुनिया भर को अरबपति
हमास- इजरायल, रूस-यूक्रेन संकट और कोरोना महामारी के कारण जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था डांवाडोल हाल में है, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था तमाम चुनौतियों के बीच सबसे तेज गति से आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों ने अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है, जिससे विदेशी निवेशकों की भारत के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। दुनिया भर के अरबपतियों के लिए भारत एक प्रमुख इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में उभरा है। हाल ही में आई यूबीएस बिलियनेर एंबिशंस रिपोर्ट के अनुसार भारत जल्द ही निवेश का एक गढ़ बन सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर के अरबपति लोग अपना ज्यादा से ज्यादा पैसा भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में लगाना चाहते हैं क्योंकि यहां की अर्थव्यवास्था मजबूत होने के साथ उनके अनुकूल है। स्विस बैंक की यह रिपोर्ट 75 बाजारों में 2,500 से अधिक अरबपतियों के सर्वेक्षण पर आधारित है। इसमें 58 प्रतिशत अरबपतियों ने निवेश के लिए अपने चुने हुए बाजारों के रूप में भारत और दक्षिण पूर्व एशिया को चुना।
निर्यात 6.3 प्रतिशत बढ़कर 33.57 अरब डॉलर पर
मोदी राज में निर्यात के मोर्चे पर ही इस साल की सबसे बड़ी तेजी देखने को मिली है। देश के वस्तुओं का निर्यात इस साल अक्टूबर में 6.21 प्रतिशत बढ़कर 33.57 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। बुधवार 15 नवंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार औषधि और फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रॉनिक सामान, कॉटन यार्न, फैब्स मेड-अप्स, हैंडलूम उत्पाद, लौह अयस्क, सिरेमिक उत्पाद, कांच के बर्तन, मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद के निर्यात में वृद्धि हुई। गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात अक्टूबर 2023 में 24.57 अरब डॉलर रहा जो पिछले साल अक्टूबर 2022 के 21.99 बिलियन डॉलर की तुलना में 11.74 प्रतिशत ज्यादा है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर 2023 में औषधि और फार्मा निर्यात 29.31 प्रतिशत बढ़कर 2.42 बिलियन डॉलर हो गया, जो अक्टूबर 2022 में 1.87 बिलियन डॉलर था। इंजीनियरिंग सामान के निर्यात में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो अक्टूबर 2022 में 7.55 बिलियन डॉलर से बढ़कर अक्टूबर 2023 में 8.09 बिलियन डॉलर हो गयाष। इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक सामान का निर्यात अक्टूबर 2023 के दौरान 28.23 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2.38 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि अक्टूबर 2022 में यह 1.85 बिलियन डॉलर था।
11 करोड़ अधिक हुई डीमैट खातों की संख्या
देश में डीमैट खातों की संख्या 11. 82 करोड़ के पार पहुंच गई है। शेयर बाजार में तेजी और और म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वालों की संख्या में इजाफा होने के साथ ही डीमैट अकाउंट की संख्या भी तेजी से बढ़ रहे हैं। ट्रेडिंग और शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखने के लिए ये खाते जरूरी होते हैं। डिपॉजिटरी फर्म एनएसडीएल और सीडीएसएल के आंकड़ों के मुताबिक मई, 2023 में 20 लाख 10 हजार नए डीमैट खाता खोले गए, जो इस साल का सबसे अधिक है। इसके साथ ही देश में कुल डीमैट खातों की संख्या 11.82 करोड़ पहुंच गई। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें खुदरा यानी छोटे निवेशकों का योगदान सबसे अधिक है। इसी का परिणाम है कि देश में खुदरा निवेशकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ने विदेशी निवेशकों पर निर्भरता घटेगी और तेज उतार-चढ़ाव को रोकने में मदद करेगी।
विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना
ब्रिटेन को पीछे छोड़कर भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। मार्च तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 854.7 अरब डॉलर, जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर की थी। एक दशक पहले भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में 11वें स्थान पर था, जबकि ब्रिटेन 5वें स्थान पर था। लेकिन सितंबर 2022 में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया। मौजूदा आर्थिक विकास दर के हिसाब से भारत 2027 में जर्मनी को पीछे छोड़ दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। वहीं 2029 में जापान को पीछे छोड़ दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा।
दुनिया पर मंडरा रही मंदी की आशंका, लेकिन भारत को खतरा नहीं- ब्लूमबर्ग
ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए ताजा सर्वे के अनुसार अगले एक साल में दुनिया के कई देशों के सामने मंदी का संकट मंडरा रहा है। सर्वे की माने तो एशियाई देशों के साथ दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है। कोरोना लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका, जापान और चीन जैसे देशों में मंदी का खतरा कहीं ज्यादा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत को मंदी के खतरे से पूरी तरह बाहर बताया गया है। ब्लूमबर्ग सर्वे के अनुसार भारत ही ऐसा देश है जहां, मंदी की संभावना शून्य यानी नहीं के बराबर है। ब्लूमबर्ग सर्वे में एशिया के मंदी में जाने की संभावना 20-25 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका के लिए यह 40 और यूरोप के लिए 50-55 प्रतिशत तक है। रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका के अगले वर्ष मंदी की चपेट में जाने की 85 प्रतिशत संभावना है।