Home विपक्ष विशेष चीन के ग्लोबल टाइम्स की भाषा बोल रहे हैं राहुल गांधी!

चीन के ग्लोबल टाइम्स की भाषा बोल रहे हैं राहुल गांधी!

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-डॉ. हरीश चन्द्र बर्णवाल

राहुल गांधी का आज का भाषण न केवल निराशाजनक है, बल्कि देश हित के विरुद्ध भी है। इस भाषण का विश्लेषण करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इस बहाने वो न केवल चीन की भाषा बोलते हैं और चीन के पक्ष में अपने तर्क रखते हैं, बल्कि देश का मनोबल तोड़ने की भी कोशिश करते हैं। राहुल गांधी पर इस आरोप की पड़ताल में आगे बढ़ने से पहले जरा उनके आज के भाषण के कुछ मुख्य बिंदुओं को जरूर समझ लीजिए:

  • भाषण की अवधि – 3 मिनट 38 सेकेंड
  • कुल इस्तेमाल किए गए शब्द – 558
  • कुल कैमरों का इस्तेमाल – 3
  • वीडियो में कट्स – 37
  • वीडियो एडिटिंग में लगा समय – 5 दिन
  • वीडियो के कंटेंट में लगा समय – गुप्त
  • वीडियो शूट करने में लगा समय – गुप्त
  • चीन शब्द का जिक्र – 6 बार
  • भारत शब्द का जिक्र – 8 बार
  • चीन पर हमला – एक बार भी नहीं
  • भारत पर हमला – 25 बार

ये सब पढ़ने के बाद आपको समझ में आ जाएगा कि मैंने राहुल गांधी के एक-एक शब्द को पन्ने पर उतारा है और फिर उसका विश्लेषण करने की कोशिश की है। वो पूरी ट्रांसक्रिप्ट भी आगे रखता जाऊंगा। लेकिन राहुल गांधी को ये समझना होगा कि प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करने का मतलब यह नहीं है कि आप देश पर हमला करना शुरू कर दें। और सिर्फ कांग्रेस का हित ही भारत का हित नहीं है। भारत नेहरू, मोदी से ऊपर है… अगर प्रधानमंत्री मोदी चीन को नीचा दिखा रहे हैं, तो क्या आप सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने और प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करने के लिए इस नीचता पर उतर आएंगे?
राहुल गांधी ने क्या कहा 
भारत की स्थिति में अभी ऐसा क्या है? जिसने चीन को आक्रामक होने का मौका दिया। इस समय ऐसा विशेष क्या है? जिससे चीन को यह विश्वास हुआ कि वह भारत के विरुद्ध दुस्साहस कर सकता है।

सच्चाई 
इन शुरुआती वाक्यों से स्पष्ट है कि राहुल गांधी चीन का पक्ष रखने के लिए आए हैं। आज चीन प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति की वजह से पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ा हुआ है। क्या यह राहुल गांधी को नहीं पता कि कुछ दुष्ट राष्ट्र जैसे पाकिस्तान, नॉर्थ कोरिया जैसे देशों को छोड़कर आज कोई भी देश चीन के साथ खड़ा नहीं है। लेकिन इसकी बात करने की जगह राहुल यह बताने आए हैं कि चीन की कार्रवाई क्यों इस समय जरूरी थी। दरअसल राहुल गांधी चाहते हैं कि मोदी की कमजोरी को सामने लाया जाए… लेकिन इस चक्कर में वे खुद एक्सपोज हो रहे हैं। क्या कभी राहुल गांधी ने उन परिस्थितियों का आकलन किया कि 1962 में ऐसी क्या मजबूरी थी कि चीन ने लगातार जमीन छीनने और फिर हमला करने का दुस्साहस कर दिया। अगर वे ऐसा करते तो निश्चित रूप से इससे भारत को लाभ होता।

राहुल गांधी ने क्या कहा
इसे समझने के लिए आपको कई अलग-अलग पक्षों को समझना होगा, देश की रक्षा किसी एक बिंदु पर टिकी नहीं होती, बल्कि यह कार्य कई शक्तियों के संगम पर होता है। यह समायोजन कई प्रकार की व्यवस्थाओं का होता है। अत: देश की रक्षा, विदेश संबंधों से होती है, इसकी रक्षा पड़ोसी राष्ट्रों से होती है, इसकी रक्षा अर्थव्यवस्था से होती है। इसकी रक्षा जनता की भावनाओं से होती है। इस संदर्भ में जनता का जो दृष्टिकोण है। पिछले छह वर्षों में ऐसा क्या हुआ? उन सभी क्षेत्रों में भारत क्षतिग्रस्त एवं संकटग्रस्त हुआ। और मैं यहां प्रत्येक विषय पर चर्चा करूंगा।

सच्चाई
राहुल गांधी का ये स्टेटमेंट पूरी तरह से भ्रामक है। इसमें कहीं कोई तथ्य नहीं है, सिर्फ और सिर्फ नैरेटिव सेट करने के लिए शब्दों का मायाजाल फेंकने की कोशिश कर रहे हैं। इसे अपने समर्थकों के जरिए व्यवस्था के खिलाफ अराजकता पैदा करने की कोशिश कहा जा सकता है। इतना सब कुछ कहते हुए राहुल गांधी 1 मिनट 11 सेकेंड का समय निकाल देते हैं। मतलब अब सिर्फ 2 मिनट 48 सेकेंड बचे हैं… इसमें वो सभी विषय पर अपना ज्ञान बघारने वाले हैं। जरा आगे सुनिए-

राहुल गांधी ने क्या कहा
चलिए प्रारंभ करते हैं विदेश नीति से, हमारे विदेश संबंध विश्व के कई राष्ट्रों से बेहतर रहे हैं। हमारे रिश्ते अमेरिका से रहे हैं, मैं इसे रणनीतिक साझेदारी कहूंगा, जो काफी महत्वपूर्ण है। हमारे रिश्ते रूस से थे, हमारे संबंध यूरोपीय राष्ट्रों से थे, और ये सारे राष्ट्र हमारे सहयोगी थे, विश्व में भारत का संबंध बेहतर बनाने में। आज हमारे विदेश संबंध मतलबपरस्त हो गए हैं, अमेरिका से भी वर्तमान संबंध लेन-देन पर आधारित है। रूस से भी हमारा संबंध संकटग्रस्त हुआ है। यूरोपीय राष्ट्रों से भी हमारे संबंध मतलबपरस्त हो गए हैं।

सच्चाई
इतना कहते हुए राहुल गांधी का 1 मिनट 45 सेकेंड खत्म हो चुका है। यानि 35 सेकेंड में राहुल गांधी ने इसका बखान कर दिया कि अमेरिका, रूस, यूरोप के देशों से भारत के संबंध खराब होते चले गए हैं। अब जब राहुल गांधी ने अपनी आंख और कान बंद कर लिए हैं, तो उन्हें कैसे पता चलेगा कि इस समय दुनिया की महाशक्तियों से, अमेरिका, यूरोप से भारत के संबंध सुनहरे दौर में है। आज ये महाशक्तियां भारत की हां में हां मिलाती हैं। चीन के खिलाफ मोदी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। और ये बात तो खुद चीन कह रहा है।

  • अमेरिका ने G-7 की बैठक इसलिए रद्द कर दी, क्योंकि वो चाहता है कि अब इसमें भारत का भी प्रतिनिधित्व हो।
  •  ब्रिटेन ने भारत को जोड़कर D-10 बनाने की पेशकश की है।
  • रूस ने चीन की आपत्ति को दरकिनार कर भारत को तमाम सैन्य उपकरण देने की बात कही है।
  • आस्ट्रेलिया ने इस महामारी के दौर में भारत के साथ Strategic Partnership की है। आज भारत एकमात्र एक ऐसा देश है, जिसकी रूस, अमेरिका जर्मनी और सऊदी अरब के साथ Strategic Partnership है। ऐसा भारत के इतिहास में कभी नहीं रहा।
  • कुछ देशों को छोड़कर दुनिया का ऐसा कौन सा देश है, जो आज भारत के साथ नहीं है।
  • पिछले महीने ही जब सुरक्षा परिषद के लिए अस्थायी सदस्य चुनने की बारी आई तो 192 में से 184 देशों ने भारत के समर्थन में वोट दिया। ये एक ऐतिहासिक घटना थी, लेकिन राहुल गांधी शायद ये पढ़ना भूल गए।

राहुल गांधी ने क्या कहा
अब हम पड़ोसी राष्ट्रों पर आते हैं। नेपाल पहले हमारा करीबी दोस्त था, भूटान भी करीबी दोस्त था, श्रीलंका करीबी दोस्त था, पाकिस्तान को छोड़कर सभी पड़ोसी देश भारत के साथ मिलकर कार्य करते थे। और वे सभी पड़ोसी राष्ट्र सभी संदर्भ में, भारत को अपना साझेदार मानते थे। आज नेपाल हमसे नाराज एवं उग्र है, आप नेपाल जाएं एवं नेपाली नागरिकों से बात करें, जो हुआ उससे वे काफी गुस्से में हैं, श्रीलंका ने तो चीन को बंदरगाह तक दे दिया, मालदीव भी परेशान है, भूटान भी परेशान है। इस प्रकार हमने अपने करीबी विदेशी साझेदारों से रिश्ते बिगाड़ लिए।

सच्चाई
अब तक राहुल गांधी 2 मिनट 23 सेकेंड की बात कह चुके हैं। भारत के सभी पड़ोसी देशों के साथ इस बातचीत को उन्होंने 38 सेकेंड में समेट दिया है। यानि इस 38 सेकेंड में उन्होंने पड़ोसी देशों के सामने भारत की धज्जियां उड़ाकर रख दी हैं। लेकिन हकीकत देखिए-

  • सार्क सैटेलाइट के जरिए भारत ने सभी पड़ोसी देशों को जोड़ा, सबने भारत का आभार जताया। लेकिन पाकिस्तान एक्सपोज हो गया।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड फंड बनाया और सारे पड़ोसी भारत के नेतृत्व में शामिल हए।
  • बांग्लादेश के साथ 41 सालों से चला आ रहा सीमा विवाद सुलझ गया।
  • 2014 में जब प्रधानमंत्री नेपाल गए तो 17 साल बाद कोई प्रधानमंत्री नेपाल गया था। नेपाल के साथ अभी जो कड़वाहट आई है, वो सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री ओली चीन की गोद में खेल रहे हैं। लेकिन इसका वहां के सभी राजनीतिक दल और आम जनता भी विरोध कर रही है।
  • आपने श्रीलंका का नाम लिया तो आपको ये नहीं पता कि ये बंदरगाह जिस समय चीन ने लिया, उस समय आपकी ही सरकार थी।

राहुल गांधी ने क्या कहा
अब हम अपनी अर्थव्यवस्था पर आते हैं। हमारा गर्व! कुछ ऐसी विशेषताओं पर, जिसकी चर्चा भारत पूरे विश्व में करता था, गर्व करते थे, अभी आर्थिक समृद्धि पिछले 50 वर्षों के अंतर्गत अपने निकृष्टतम दौर में है। ना स्पष्ट दिशा है ना दृष्टिकोण, अर्थात अर्थव्यवस्था का संपूर्ण विनाश! 40-50 वर्षों में बेरोजगारी, अपने उच्चतम बिंदु पर है। तो हमारी मजबूती अचानक हमारी कमजोरी कैसे बन गई? हमने सरकार से कई बार कहा देखिए, कृपया ध्यान दीजिए, समझिए इस बात को दिन प्रतिदिन हम असुरक्षित हो रहे हैं यह सभी मुद्दे आपस में जुड़े हुए हैं, वे अलग-अलग नहीं है। जब आप किसी राष्ट्र को देखते हैं, तब सभी चीजों को एक साथ लेकर चलना होता है। हमने कहा, भगवान के लिए अर्थव्यवस्था में पैसा झोंकिए, जिससे अर्थव्यवस्था में तेजी आ सके और यह तुरंत कीजिए। बचाइए, छोटे और मध्यम व्यापार को, उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। इस प्रकार आज हमारा राष्ट्र आर्थिक रूप से संकट में है।

सच्चाई
राहुल गांधी ने अपने भाषण में 2.24 मिनट से 3.18 मिनट तक अर्थव्यवस्था पर बात की है यानि कुल मिलकर 54 सेकेंड। लेकिन ध्यान से देखिए तो पता चलेगा कि इसमें वही बातें हैं, जो बार-बार टेप रिकॉर्डर की तरह बजता रहता है। आप जहां भी राहुल गांधी को भाषण देने दीजिएगा, यही बातें चलनी शुरू हो जाएंगी। हालांकि इसमे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि जब आप इन्हीं मुद्दों को लेकर लोकसभा चुनाव में जनता के पास जा चुके हैं और जनता ने आपको बुरी तरह से खारिज कर दिया है… तो फिर इन्हीं बातों को बार-बार दोहराकर आप देश का क्या फायदा करना चाहते हैं। लेकिन आपको देश की अर्थव्यवस्था के बारे में ये बातें जरूर जानना चाहिए-

  • देश की अर्थव्यवस्था 2014 तक महज 1.85 ट्रिलियन डॉलर की थी, जिसे मोदी जी ने 5 साल में 2.7 ट्रिलियन डॉलर का बना दिया। और अब तो 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य लेकर चले हैं।
  • आज भारत में विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के पार चला गया है। अब भारत टॉप 5 देशों में शामिल हो गया है।
  • Ease of doing Business के सूचकांक को ही देख लीजिए। 2014 में भारत जहां 142 वें स्थान पर था, वहीं आज 63वें स्थान पर है।
  • आज देश विश्व के अधिकतर सूचकांकों में ऐतिहासिक रूप से सबसे ऊपर है, जो कभी राहुल गांधी की कांग्रेस सरकार के दौरान न हो सका था। आज भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
  • आज सालों बाद भारत का निर्यात, आयात से अधिक हो गया है।
  • कोरोना संकट काल में भारत ने 150 देशों की दवाइयों से मदद की। क्या कोई कमजोर अर्थव्यवस्था वाला देश ऐसा कर सकता है?
  • भारत पहले जहां एक भी पीपीई नहीं बनाता था, आज हम हर रोज 4.5 लाख पीपीई किट बना रहे हैं। मास्क, मेडिकल उपकरणों में भी भारत ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। जहां पहले इसके नाम मात्र के कारखाने थे, आज हम पूरी दुनिया में नंबर 2 तक पहुंच गए हैं। क्या ये किसी कमजोर अर्थव्यवस्था के लक्षण हैं ?
  • आज भारत में पहली बार किसानों, स्ट्रीट वेंडर, मजदूरों, गरीबों के लिए दुनिया की सबसे बड़ी योजनाएं न केवल शुरू की गई हैं, बल्कि सफलतापूर्वक संचालित हो रही हैं। साथ ही 100 पैसे में सिर्फ 15 पैसे नहीं, बल्कि पूरे 100 पैसे लाभार्थियों के पास जा रहे हैं।
  • किसानों के एकाउंट में पहली बार सीधे 6 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है। सबको पक्का घर दिया जा रहा है। उन्हें मुफ्त गैस सिलेंडर दिया जा रहा है। देश के हर गांव तक बिजली पहुंचा दी गई है।
  • देश में आज दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना सफलतापूर्वक चल रही है।
  • आज देश में डिजिटल क्रांति ने नए-नए क्षेत्र में युवाओं को अपार अवसर दिए हैं। मुद्रा योजना के तहत 31 मार्च, 2020 तक 6 करोड़ से भी अधिक लोगों को ऋण दिया जा चुका है, जो अपने रोजगार और व्यापार कर रहे हैं।
  • कोरोना संकटकाल के दौरान ही सरकार ने इतिहास की सबसे बड़ी आर्थिक मदद यानि 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का एलान किया है।

राहुल गांधी ने क्या कहा
विदेश नीति भी ध्वस्त होने के दौर में है, पड़ोसियों से रिश्ते खराब हैं। इसी कारण से चीन ने यह निर्णय लिया कि संभवत: बेहतर समय है। भारत के विरुद्ध कार्रवाई करने का, यही निर्णायक कारण है, उसके आक्रामक होने का।

सच्चाई
ये राहुल गांधी के भाषण का समापन अंश है… यहां तक आते- आते राहुल गांधी के एक हफ्ते की मेहनत खत्म हो जाती है। 3 मिनट 58 सेकेंड के आखिर का 30 सेकेंड। हांफते-हांफते राहुल गांधी फिर उसी बिंदु पर चले जाते हैं… जहां से शुरू किया था। मतलब घड़ी की सुई जहां से चली, वहीं लौट आती है।

अब जरा चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स का कोई भी संपादकीय उठा लीजिए… वह कमोबेश यही भाषा, यही तर्क और इसी प्रकार एक ही बात को घुमा-फिराकर कहता नजर आएगा। लेकिन राहुल गांधी कि दिक्कत ये है कि जिस प्रकार देश में संकट के समय वे विदेश घूमने चले जाते हैं, ठीक उसी प्रकार जब ग्लोबल टाइम्स भारत की ताकत के आगे गिड़गिड़ाता नजर आता है तो वे अपनी आंख-कान बंद कर लेते हैं।

  • राहुल गांधी ने क्या ग्लोबल टाइम्स के उस अंश को नहीं पढ़ा, जब 59 एप पर पाबंदी लगाने के बाद वो एक प्रकार से अपने नुकसान को गिना रहा था।
  • क्या राहुल गांधी को ये नहीं पता कि भारत की राह पर चलते हुए अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, जापान सभी देश चीन के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं।
  • क्या राहुल गांधी ने नहीं देखा कि पहली बार चीन के खिलाफ भारत को इतना प्रचंड वैश्विक समर्थन हासिल हुआ है।
  • क्या राहुल गांधी को नहीं पता कि आर्थिक मोर्चे पर भारत ने इस प्रकार चीन को करारी शिकस्त दी है कि वो संभलने के हालात में भी नहीं है।

कुल मिलाकर आज जब देश आपदा को अवसर में बदलने में लगा है तो राहुल गांधी न केवल हीनता का भाव पैदा करने में लगे हैं, बल्कि कमजोर होते दुश्मन देश चीन का भी मनोबल बढ़ाने में लगे हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि साल 2008 में राहुल गांधी ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ जो गुप्त समझौता किया, कहीं वो आज भी उसी ट्रैप में तो नहीं फंसे हुए हैं।

-डॉ. हरीश चन्द्र बर्णवाल
(लेखक वरिष्ठ टीवी पत्रकार और लेखक हैं)

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