आखिरकार पीएम मोदी को ‘पीस फ्रेम’ से अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप कब तक दूर रखते? रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति प्रयासों के लिए रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी सहित कई विश्व नेताओं का आभार व्यक्त किया है। पीएम मोदी की मध्यस्थता की भूमिका को इस संघर्ष के समाधान में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पुतिन ने एक झटके में दुनिया को बता दिया कि भारत और पीएम मोदी की कितनी ज्यादा अहमियत है। इसके साथ ही पीएम मोदी की वैश्विक नेता के रूप में छवि और मजबूत हुई है। फरवरी 2022 में यूक्रेन में संघर्ष शुरू होने के बाद से प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन के साथ-साथ यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से कई बार बात की है। उन्होंने कहा कि दुनिया में जब तलवार के जोर पर साम्राज्य बढ़ाने का दौर था, तब हमारे सम्राट अशोक ने यहां शांति का रास्ता चुना था। हमारी इस विरासत का यही बल है जिसकी प्रेरणा से आज भारत दुनिया को कह पाता है कि भविष्य युद्ध में नहीं है, बुद्ध में है। मोदी के इसी संदेश का नतीजा है कि आज दोनों देश युद्ध की बजाए शांति का मार्ग अपनाने की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
यूक्रेन-रूस युद्ध के खात्मे के प्रयासों के लिए पीएम मोदी का आभार-पुतिन
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कीव के युद्ध विराम प्रस्ताव पर अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी करते हुए यूक्रेन-रूस संघर्ष को सुलझाने के प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा आदि नेताओं को धन्यवाद किया है। बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के साथ एक जॉइंट स्टेटमेंट में बोलते हुए व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस दुश्मनी खत्म करने के प्रस्तावों से सहमत है। वह इस उम्मीद से आगे बढ़ता है कि इस समाप्ति से दीर्घकालिक शांति आएगी और संकट के मूल कारणों का उन्मूलन होगा।
वाशिंगटन और यूक्रेन ने 30 दिन के अस्थायी युद्धविराम का किया समर्थन
पीएम मोदी ने कई बार की पुतिन और जेलेंस्की से युद्ध विराम की बात
फरवरी 2022 में यूक्रेन में संघर्ष शुरू होने के बाद से प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन के साथ-साथ यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से कई बार बात की है। पिछले महीने ‘व्हाइट हाउस’ में ट्रंप के साथ बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया था कि रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष में भारत ‘तटस्थता’ का रुख नहीं अपनाए है। प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘‘भारत शांति का पक्षधर है। मैं राष्ट्रपति पुतिन से पहले ही कह चुका हूं कि यह युद्ध का युग नहीं है। मैं राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा किए गए प्रयासों का समर्थन करता हूं।’ अब राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि हम सभी के पास निपटने के लिए पर्याप्त मुद्दे हैं। लेकिन कई राष्ट्राध्यक्ष, भारत के प्रधानमंत्री, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीकी गणराज्य के राष्ट्रपति इस मुद्दे से निपटने में अपना मूल्यवान समय लगा रहे हैं। हम उन सभी के आभारी हैं। सऊदी अरब में अपने-अपने प्रतिनिधिमंडलों के बीच बैठक के बाद वाशिंगटन और यूक्रेन दोनों ने 30 दिन के अस्थायी युद्धविराम का समर्थन किया है।
युद्धकाल में दोनों देशों की यात्रा करने वाले मोदी पहले प्रधानमंत्री
भारत और अमेरिका के प्रयासों से रूस-यूक्रेन युद्ध में अब शांति की राह तलाशी जा रही है। पीस यानी शांति पर बातचीत की कोशिशें जारी हैं। ट्रंप के राज में अमेरिका इसका अगुवा बनना चाहता है। ट्रंप चाहते हैं कि वह रूस और यूक्रेन के बीच शांति कराकर चौधरी बन जाए। हालांकि, यह भी हकीकत है कि अमेरिका ही वह देश है, जिसने सबसे अधिक युद्ध वाली आग में घी डाला। आज जो अमेरिका कर रहा है, वह महीनों पहले से भारत कर रहा है। पीएम मोदी काफी समय से यूक्रेन और रूस के बीच जंग खत्म कराने में जुटे हैं। पीएम मोदी ने इसके लिए तो दोनों देशों की यात्रा तक की। युद्ध काल में ऐसा करने वाले वह पहले नेता हैं। मगर जैसे ही अमेरिका में ट्रंप की सरकार आई, उसने अमेरिका की नीति में बदलाव किया।
रूस-यूक्रेन जंग के पीस फ्रेम से भारत को दूर रखने की कोशिश नाकाम
अमेरिका अब रूस-यूक्रेन के बीच शांति कराने में जुटा है। मगर उसने एक चीज यहां गलत कर दी। शांति की राह तलाशने में वह भारत और उसकी कोशिशों को भूल गया। रूस-यूक्रेन जंग के पीस वाले फ्रेम से भारत को दूर करने की कोशिश की। मगर दिल से की गई भारत की कोशिश कैसे जाया जाती। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने दोस्ती की लाज रखी। व्लादिमीर पुतिन ने एक झटके में अमेरिका समेत पूरी दुनिया को भारत और पीएम मोदी की अहमियत बता दी। अब आपके मन में सवाल होगा कि आखिर ऐसा क्या हुआ। कैसे पीएम मोदी की अचानक चर्चा होने लगी। तो आपको पुतिन का वह बात जाननी चाहिए, जो उन्होंने बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के साथ कही है।
रूस ने बताई भारत की अहमियत, पीएम मोदी की किया शुक्रिया अदा
दरअसल, व्लादिमीर पुतिन सीजफायर डील पर सहमत हो गए हैं। जब वह रूस-यूक्रेन युद्ध पर बात कर रहे थे तो वह उन देशों का नाम लेना नहीं भूले जो काफी समय से शांति की राह तलाशने में जुटे हैं। अमेरिका की तरफ से यूक्रेन में 30 दिन के सीजफायर के प्रस्ताव पर पहली बार पुतिन ने शुक्रवार को प्रतिक्रिया दी। सीजफायर डील पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत और पीएम मोदी के काफी समय से किए जा रहे प्रयासों का दिल से जिक्र किया। इतना ही नहीं, उन्होंने पूरी दुनिया के सामने प्रधानमंत्री मोदी को यूक्रेन संघर्ष पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद दिया। हालांकि, इस दौरान उन्होंने ब्राजील और साउथ अफ्रीका का भी नाम लिया।
अस्थायी युद्धविराम से स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त होना चाहिए
व्लादिमीर पुतिन ने कहा, ‘मैं यूक्रेन मामले पर इतना ध्यान देने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति मिस्टर ट्रंप का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं। हम सभी के पास अपने-अपने काम हैं, लेकिन कई राष्ट्राध्यक्षों ने, जैसे भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीकी गणराज्य के राष्ट्रपति, इस मुद्दे पर बहुत समय दिया है और हम उनके आभारी हैं। क्योंकि यह सब युद्ध को रोकने और मानव हताहतों को रोकने के नेक काम के लिए है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यह भी कहा कि वह यूक्रेन में 30 दिन के युद्धविराम के अमेरिकी प्रस्ताव से सैद्धांतिक रूप से सहमत हैं, मगर शर्तों पर काम करने की ज़रूरत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इससे स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त होना चाहिए।
भारत तटस्थ नहीं है, बल्कि वह शांति का पक्षधर है – पीएम मोदी
रूस-यूक्रेन जंग पर पुतिन का पूरी दुनिया के सामने भारत और पीएम मोदी का आभार जताना बड़ी बात है। इसकी बड़ी वजह यह भी है कि अमेरिका सीजफायर डील का क्रेडिट खुद ही लेने में लगा था। रूसी राष्ट्रपति से साफ किया कि अमेरिका उन प्रयासों को दरकिनार नहीं कर सकता, जो भारत महीनों से कर रहा है। अलग-अलग मंचों पर पीएम मोदी भारत का स्टैंड रख चुके हैं. यूक्रेन जंग पर पीएम मोदी बार-बार दोहरा चुके हैं कि भारत तटस्थ नहीं है, बल्कि वह शांति का पक्षधर है। पीएम मोदी रूस और यूक्रेन में जाकर भी कह चुके हैं कि दुनिया का भविष्य युद्ध में नहीं, बल्कि बुद्ध में है। पीएम मोदी जब पिछले साल पुतिन और जेलेंस्की से अलग-अलग मिले तब भी उन्होंने जंग खत्म करने को लेकर खूब समझाया। इसका असर ही है कि पुतिन जंग खत्म करने को तैयार हो गए हैं।
युद्ध खत्म होने भारत की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव
इस युद्ध के कारण तेल, गैस और अन्य वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है। जो कई भारतीय व्यवसायों के लिए आवश्यक हैं। इससे उत्पादन लागत पर दबाव बढ़ा है और कई भारतीय व्यवसायों, विशेष रूप से विनिर्माण और कृषि क्षेत्रों में लाभप्रदता कम हुई। युद्ध खत्म होने का सकारात्मक प्रभाव इन सारे सेक्टर पर पड़ेगा। युद्ध ने आपूर्ति शृंखलाओं को भी बाधित कर दिया है, जिससे भारतीय व्यवसायों के लिए आवश्यक कच्चे माल और घटकों को प्राप्त करना अधिक कठिन हो गया है। वार की समाप्ति से इसका उत्पादन और लाभप्रदता पर प्रभाव पड़ेगा। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के कारण भारतीय संपत्तियों की बिक्री हुई है और रुपये का अवमूल्यन हुआ है। इससे भारतीय व्यवसायों के लिए वस्तुओं और सेवाओं का आयात करना अधिक महंगा हो गया है और वैश्विक बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता भी कम हो गई है। युद्ध खत्म होने से रुपये का मूल्य बढ़ेगा। युद्ध के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता और अस्थिरता बढ़ी, जिसका कुछ प्रभाव भारत में भी दिखा। इस संकट के खत्म होने के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता और अस्थिरता भी खत्म होगी। इससे भारतीय व्यवसायों के लिए भविष्य की योजना बनाना और निवेश का निर्णय लेना आसान होगा। युद्ध के कारण भारत समेत कई देशों से निर्यात की मांग में भी कमी आई। अब रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म होने से निर्यात की मांग बढ़ेगी।