प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक दशक पहले सत्ता संभालने से पूर्व भारत रक्षा सहित कई क्षेत्रों में आयात पर निर्भर था, लेकिन पिछले दस वर्षों पीएम मोदी के दूरदर्शी विजन के चलते मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान की बदौलत देश रक्षा जैसे अहम क्षेत्र में अपनी जरूरत पूरी करने के साथ ही निर्यात में लंबी छलांग लगाई है। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पहले रूसी मीडिया और अब अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की तैयारी में दिख रही है। बड़ा सवाल यह है कि यदि जंग के हालात बनते हैं तो भारत की सामरिक ताकत के आगे पाकिस्तान कितने दिन टिक पाएगा? भारत की सैन्य ताकत के आगे पाकिस्तान बेहद कमजोर है। ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक 145 देशों की लिस्ट में अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथे नंबर पर है, जबकि पाकिस्तान टॉप टेन से भी बाहर 12वें नंबर पर है। आर्थिक बदहाली के चलते पाकिस्तान की सैन्य ताकत लगातार घट रही है। इस लिस्ट में 2023 में पाकिस्तान 7वें स्थान पर था। 2024 में फिसलकर 9वें पर पहुंच गया और 2025 में टॉप 10 देशों की लिस्ट से बाहर हो गया। यानी भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना है, जबकि पाकिस्तान 8 नंबर पीछे है। डिफेंस एक्सपर्ट के मुताबिक अगर युद्ध हुआ तो पाकिस्तान बमुश्किल आठ-दस दिन टिक पाएगा।
कभी रक्षा उत्पाद आयात करने वाला भारत आज निर्यातक बना
आजादी के बाद से कई दशकों तक भारत दुनिया में रक्षा उत्पादों के सबसे बड़े आयातकों में से एक था। लेकिन पीएम मोदी के दूरदर्शी सोच और दृढ़ इच्छाशक्ति ने इस स्थिति को बदल दिया है। अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश भी भारत की तकनीकी सफलता का लोहा मानने लगे हैं और अपनी नौसेना के जंगी जहाज को मरम्मत के लिए भारत भेज रहे हैं। आज भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के साथ ही दूसरे देशों को भी निर्यात कर रहा है। रक्षा उत्पादों का बाजार बहुत बड़ा है। आत्मनिर्भर होते भारत की कहानी देखिए कि आज से कुछ साल पहले तक समुद्री पनडुब्बियों में इस्तेमाल होने वाली बैटरी लोडिंग ट्राली एक बहुतायत से इस्तेमाल होने वाला उपकरण है। इसे मैसर्स नेवल ग्रुप फ्रांस से आयात किया जाता था, जिसे अब हैदराबाद की स्टार्टअप कंपनी एसईसी इंडस्ट्रीज द्वारा तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा पनडुब्बियों में इस्तेमाल होने वाले वातानुकूलन संयंत्र का आयात मैसर्स सनोरी फ्रांस से हो रहा था, जिसे कारद स्थित श्री रेफ्रीजरेशन ने तैयार कर लिया है। इसी प्रकार वेंटीलेसन वालव्स का आयात ब्रिटेन से किया जा रहा था, जिसका निर्माण अहमदाबाद की कंपनी मैसर्स चामुंडा वालव्स द्वारा किया जा रहा है। रिमोट कंट्रोल वालव्स का आयात ब्रिटेन की कंपनी थामपसन से किया जा रहा था, जिसका निर्माण पुणे की कंपनी मैसर्स डेलवाल ने शुरू कर दिया है। पीएम मोदी की संकल्पशक्ति और विजन से आज दुनिया भर में भारत दबदबा बढ़ा है।
पीएम का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि आतंकियों को छोड़ने वाले नहीं
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत-पाक में तनाव के बीच पिछले दिनों पीएम मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ हाई-लेवल मीटिंग की है, जिसमें NSA अजित डोभाल, CDS अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के मुखिया मौजूद रहे। मीटिंग में PM मोदी ने कहा, ‘आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का तरीका, लक्ष्य और समय सेना तय करे।’ उधर गृह मंत्री अमित शाह ने भी NSG, BSF, CRPF और SSB के सीनियर अधिकारियों के साथ बैठक की है। पीएम मोदी के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए यह तो आसानी से कहा जा सकता है कि वे आतंकी हमलावरों को छोड़ने वाले नहीं हैं। इससे पहले सर्जिकल और एयर स्ट्राइक करके उन्होंने अपने मंसूबे एकाधिक बार जाहिर कर दिए हैं। ऐसे में निर्दोष पर्यटकों का धर्म पूछकर निर्दयता से नरसंहार करने वालों को पीएम मोदी पाताल से खोजकर भी सजा देंगे। इसी परसैप्शन के चलते पाकिस्तान हमले की आशंका से डरा-दुबका बैठा है। उसे लग रहा है कि आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान पर हमला जरूर होगा। और यह जंग की शक्ल अख्तियार कर सकता है।
ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स में भारत के सामने पाक बेहद कमजोर
भारत-पाक के बीच जहां तक जंग की शुरुआत का सवाल है तो भारत की सैन्य और सामरिक क्षमता के आगे पाकिस्तान बेहद कमजोर देश है। ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक 145 देशों की लिस्ट में अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथे नंबर पर है, जबकि पाकिस्तान 12वें नंबर पर है। 2023 में पाकिस्तान 7वें स्थान पर था। 2024 में फिसलकर 9वें पर पहुंच गया और 2025 में टॉप 10 देशों की लिस्ट से बाहर हो गया। यानी भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना है, जबकि पाकिस्तान 8 नंबर पीछे है। दरअसल, ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स में 60 अलग-अलग पैरामीटर्स पर देशों की ताकत को परखा जाता है। किसी देश की ताकत उसके स्कोर पर निर्भर करती है। जिस देश का स्कोर जितना ज्यादा होता है, उसकी ताकत उतनी ही कम आंकी जाती है। भारत का स्कोर 0.1184 है, जबकि पाकिस्तान का स्कोर 0.2513 है।कारगिल की लड़ाई एक सीमित जंग थी, अब फुल फ्लेज्ड वॉर होगी!
भारत-पाक युद्ध के मसले पर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) रामेश्वर रॉय के मुताबिक ‘कोई भी देश जंग का ऐलान करके जंग नहीं लड़ता है। किसी एक देश की कार्रवाई के बदले में दूसरी तरफ से जैसा रिएक्शन आता है, उसके हिसाब से तय होता है कि आगे का एक्शन कितना सख्त होगा। इसके लिए हम लोग अंग्रेजी का मुहावरा ‘Escalate the ladder’ इस्तेमाल करते हैं।’ यानी अगर दोनों तरफ से कार्रवाई बढ़ती है तो कहा जाता है कि अब संघर्ष बढ़ रहा है। इस संघर्ष में जब आर्मी, एयरफोर्स और नेवी यानी सेना के तीनों अंग शामिल हो जाते हैं तो इसे फुल फ्लेज्ड वॉर यानी ‘पूरी तरह से शुरू हो चुकी जंग’ कहा जाता है। रॉय के मुताबिक 1999 में हुई कारगिल की लड़ाई एक सीमित जंग यानी लिमिटेड वॉर थी। हमारे टारगेट्स तय थे कि हमें अपनी जमीन को वापस पाना है। लड़ाई में हमने अपने पॉइंट्स वापस पा लिए और जंग में जीत की घोषणा की। अभी ऐसा नहीं लग रहा कि जंग छिड़ जाएगी, लेकिन अगर दोनों तरफ से जवाबी कार्रवाई बढ़ी तो बात जंग तक पहुंच सकती है।
पाकिस्तान के मुकाबले भारत के पास हथियारों का बहुत बड़ा जखीरा
पीएम मोदी के दूरदर्शी विजन के चलते पाकिस्तान के मुकाबले भारत के पास हथियारों का बहुत बड़ा जखीरा है। ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स के मुताबिक भारत के पास पाकिस्तान की तुलना में करीब 3 गुना ज्यादा बड़ा हथियारों का जखीरा है। भारत के पास मिसाइल अटैक, ड्रोन अटैक या समुद्री, जमीनी लड़ाई के लिए हथियारों का बड़ा जखीरा और हर तरह के युद्धपोत हैं। जमीनी जंग में भारत मजबूत, रात में लड़ाई करने के हथियार भारत के पास टी-90 भीष्म और अर्जुन जैसे ताकतवर टैंक हैं। हालांकि, स्वचालित आर्टिलरी यानी तोपों के मामले में पाकिस्तान के पास कुछ बढ़त है, लेकिन मोबाइल आर्टिलरी यानी एक जगह से दूसरी जगह ले जाई जा सकने वाली तोपें भारत के पास बहुत ज्यादा हैं। पाकिस्तान के मुकाबले भारत के पास 1.6 गुना ज्यादा तोपें हैं। भारत के पास रात में लड़ाई करने के लिए अपग्रेडेड हथियार हैं। वहीं डिजिटल वॉरफेयर के मामले में भारत बहुत आगे है।राफेल और सुखोई जैसे फाइटर जेट से इंडियन एयरफोर्स बहुत मजबूत
भारत के पास राफेल और सुखोई जैसे फाइटर जेट पाकिस्तान के मुकाबले इंडियन एयरफोर्स कहीं ज्यादा मजबूत है। राफेल और सुखोई जैसे भारतीय फाइटर जेट के आगे पाकिस्तानी F-16 जैसे जेट्स कमजोर हैं। भारत के पास हेरॉन, हारोप और हर्मीस जैसे इजराइली ड्रोन हैं, जो 450 किमी. से लेकर 1000 किमी. तक वार कर सकते हैं। भारत के पास अमेरिकी MQ-9B रीपर जैसे बड़े और सबसे ताकतवर ड्रोन हैं, जो INS विक्रांत युद्धपोत से समुद्र में उड़कर टारगेट पर हमला कर सकते हैं। हेरॉन, हारोप और हर्मीस जैसे इजराइली ड्रोन भी हैं। भारत के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर, मजबूत समुद्री बेड़ाकैरियर, मजबूत समुद्री बेड़ा भारत के पास INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत जैसे भारी विमानवाहक युद्धपोत हैं, जबकि पाकिस्तान के पास कोई विमानवाहक युद्धपोत नहीं है। भारत और पाकिस्तान के बीच लंबी कोस्टल लाइन यानी समुद्री तटरेखा है, ऐसे में ये युद्धपोत भारत के लिए समुद्र से फाइटर जेट्स लॉन्च करने में मददगार होंगे। इसके अलावा भारत के पास न्यूक्लियर सबमरीन्स हैं, जो अभी पाकिस्तान के पास नहीं हैं। पाकिस्तान तो अभी बाबर जैसी मिसाइल्स को पनडुब्बियों से लॉन्च करने की तकनीक डेवलप करने में लगा है।
न्यूक्लियर पावर में भी भारत आगे, हमारे पास बेहतर मिसाइल्स
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट की स्टेटस ऑफ वर्ल्ड न्यूक्लियर फोर्सेस रिपोर्ट, 2025 के मुताबिक, भारत के पास पाकिस्तान से ज्यादा 180 परमाणु हथियार हैं। यानी न्यूक्लियर पावर के मामले में भी भारत की ताकत पाकिस्तान से ज्यादा है। न्यूक्लियर वेपन्स को भारत पृथ्वी और अग्नि सीरीज की मिसाइल्स (रेंज 700 से 8000 किमी.) से लॉन्च कर सकता है। INS अरिहंत और INS अरिघात जैसी न्यूक्लियर सबमरीन से K-15 सागरिका और K-4 मिसाइल्स लॉन्च कर न्यूक्लियर अटैक किया जा सकता है। वहीं मिराज-2000 और जगुआर जैसे जहाज न्यूक्लियर मिसाइल लॉन्च कर सकते हैं। भारत के पास S-400 एयर डिफेंस सिस्टम है जो पाकिस्तान की दागी हुई मिसाइल्स को ट्रैक करके हवा में ही खत्म कर सकता है। वेपन्स को भारत पृथ्वी और अग्नि सीरीज की मिसाइल्स (रेंज 700 से 8000 किमी.) से लॉन्च कर सकता है।
कंगाल और खस्ताहाल पाक के पास युद्ध लड़ने के लिए नहीं है पैसा
पाकिस्तान की माली हालत भी ऐसी नहीं है कि वह किसी देश से लंबा युद्ध लड़ सकता है। दरअसल, फुल फ्लेज्ड वॉर में दोनों देशों को बहुत पैसा खर्च करना पड़ता है। फुल फ्लेज्ड वॉर की स्थिति में रोजाना का खर्च सेना की तैनाती, हथियारों के इस्तेमाल, लॉजिस्टिक्स, ईंधन, रखरखाव और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर करता है। सरकारें कभी भी जंग में रोजाना के खर्च का ऑफिशियल ब्योरा जारी नहीं करतीं। हालांकि, रक्षा बजट, सैन्य संसाधनों और युद्ध की लागत से अनुमान लगा सकते हैं। जंग के मुहाने पर भारत की इकोनॉमी पाकिस्तान से बेहद मजबूत है। 2024 में भारत की प्रति व्यक्ति आय, पाकिस्तान से 1.7 गुना ज्यादा थी। इस साल भारत में प्रति व्यक्ति सालाना आय 2.26 लाख रुपए और पाकिस्तान में 1.32 लाख रुपए रही। आज भारत की अर्थव्यवस्था कई और पैरामीटर्स पर भी पाकिस्तान से कई गुना बेहतर है।कारगिल युद्ध में भारत ने पाक से चार गुना ज्यादा खर्च किया था
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान भारत ने रोजाना करीब 1400 करोड़ रुपए, जबकि पाकिस्तान ने सिर्फ 370 करोड़ रुपए खर्च किए थे। यानी भारत ने करीब 4 गुना ज्यादा पैसा जंग में खर्च किया। अब 26 साल बाद अगर फुल फ्लेज्ड वॉर की स्थिति बनती है, तब भी भारत, पाकिस्तान से कहीं ज्यादा पैसा खर्च करने की क्षमता रखता है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो भारत जंग में करीब 1500 से 2000 करोड़ रुपए प्रतिदिन खर्च कर सकता है और पाकिस्तान 400 से 600 करोड़ रुपए खर्च कर सकता है। हालांकि यह अनुमानित खर्च है। जरूरत पड़ने पर भारत फॉरेक्स रिजर्व, कर्ज और इमरजेंसी पड़ने पर अलग से पैसा जुटा सकता है।
बदहाल पाकिस्तान ने पैसे की कमी से रोके दिए थे युद्धाभ्यास
पाकिस्तान की खराब माली हालत का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि इस समय पाकिस्तान में डीजल की कीमत 280 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा है। यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई 2023 में पाकिस्तान ने पूरे साल के लिए सभी युद्धाभ्यास रोक दिए थे, उसकी वजह थी कि रिजर्व फ्यूल और लुब्रिकेंट्स की कमी। कर्नल (रिटायर्ड) दानवीर सिंह के मुताबिक, ‘पाकिस्तान के पास ईंधन नहीं है। पाकिस्तानी टैंक T-80 एक किमी. चलने में 2 लीटर फ्यूल खाता है। 1990 के दशक में अर्थव्यवस्था चरमराने से भारतीय सेना ने ऐसा ही महसूस किया था। युद्धाभ्यास में हमें गोला-बारूद चलाने की अनुमति नहीं थी।’ इसके अलावा, 2022 में पाकिस्तान ने शुक्रवार को ‘ड्राई डे’ घोषित किया था। इस दिन सरकारी गाड़ियां सिर्फ इमरजेंसी में चलती थीं। पाक सेना को कोविड फंड और हथियार खरीदने के लिए मिले 300 करोड़ रुपए भी पाकिस्तान सरकार को वापस करने पड़े थे।आर्मी चीफ ने माना कि पाकिस्तान के टैंक और व्हीकल जंग खा चुके
फरवरी 2021 में पाक आर्मी चीफ जनरल कमर बाजवा ने भी पत्रकारों के सामने माना था कि पाकिस्तान के टैंक और व्हीकल जंग खा चुके हैं और उनकी सेना के पास जंग लड़ने के लिए पर्याप्त रसद नहीं है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ा, तो पाक कितने दिन टिक पाएगा? मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत के पास 40 (I) लेवल का गोला-बारूद है। इसका मतलब है कि ‘फुल फ्लेज्ड वॉर’ यानी पूरी तरह जंग छिड़ जाए तो भारत का गोला-बारूद 40 दिन तक चलेगा। जबकि पाकिस्तान के पास ऐसी वाल के लिए बमुश्किल आठ-दस दिन का गोला-बारूद ही है। रिस्क और फाइनेंस ऑडिट करने वाली फर्म KPMG और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) ने 2024 में ‘Ammo India 2024’ नाम की एक रिपोर्ट जारी की थी। इसके मुताबिक, बीते सालों में भारत से गोला-बारूद का निर्यात बढ़ा है।
भारत गोला-बारूद के मामले में 88 प्रतिशत से ज्यादा आत्मनिर्भर
वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत ने 837 करोड़ रुपए के 47 लाख एम्यूनिशन यानी गोला-बारूद दूसरे देशों को खरीदा था, जबकि इसी साल भारत ने 1,230 करोड़ रुपए का गोला-बारूद बेचा। दिसंबर 2024 में एक अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत गोला-बारूद के मामले में 88 प्रतिशत तक आत्मनिर्भर हो चुका है। अलग-अलग साइज और टाइप के कुल 175 तरह के गोला-बारूद में से भारत 154 तरह के गोला-बारूद खुद बना रहा है। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि भीषण जंग की स्थिति में पाकिस्तान के पास करीब 7 दिन तक लड़ने का गोला-बारूद है। इसके अलावा महंगाई की मार झेल रहे पाकिस्तान के लिए जंग के दौरान दूसरे खर्च उठाना भी मुश्किल है। ले. जन. (रि.) रामेश्वर रॉय के मुताबिक, जब सेना के सारे फ्रंट खुल जाते हैं तब ये आंकड़े देखे जाते हैं। हालांकि, फुल फ्लेज्ड वॉर के दौरान चाहे पाकिस्तान हो या भारत, दोनों ही अपनी सैन्य ताकत और गोला-बारूद बढ़ा सकते हैं। दूसरे देशों से भी मदद ले सकते हैं।इस साल एक लाख 75 हजार करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले दिनों कहा था कि भारत 2025 तक एक लाख 75 हजार करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करके रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर लेगा। इस लक्ष्य में 35 हजार करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आत्मनिर्भरता का मतलब अलग-थलग रहने से नहीं है, बल्कि भारत का संकल्प विश्व को आशा और राहत प्रदान करने से है। सिंह ने कहा कि देश का रक्षा निर्यात पूर्व के एक हजार नौ सौ करोड़ रुपये की तुलना में 13 हजार करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत का दृष्टिकोण भारत को विश्व में सबसे मजबूत और सबसे सम्मानित देशों में से एक बना रहा है। सरकार आत्मनिर्भर नये भारत की जरूरतों, विशेष रूप से सुरक्षा से संबंधित आवश्यकताओं को पूरा करने के सपनों को साकार करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इन फैसलों से भारत के रक्षा क्षेत्र में एक दावेदार और प्रदाता के रूप में छवि को बदलने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि भारत में नवीनतम रक्षा मंच का विनिर्माण करने की क्षमता और योग्यता है।