प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि Talent, Temperament और Technology की ताकत भारत को सफलता के शिखर तक लेकर जाएगी। आज मंगलवार 29 अप्रैल को नई दिल्ली के भारत मंडपम में युग्म सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ”टैलेंट, टेंपरामेंट और टेक्नोलॉजी की ट्रिनिटी ही भारत के भविष्य को ट्रांसफर्म करेगी। इसके लिए हम भारत के बच्चों को बचपन में ही जरूरी एक्पोजर दे रहे हैं। हमने अटल टिंकरिंग लैब्स जैसे पहल शुरू किए हैं। अभी तक देश में 10 हजार अटल टिंकरिंग लैब्स खोली जा चुकी हैं। इस बजट में सरकार ने 50 हजार और अटल टिंकरिंग लैब्स खोलने की घोषणा की है। विद्यार्थियों को फाइनेंशियल सपोर्ट देने के लिए पीएम विद्यालक्ष्मी योजना भी शुरू की गई है। हमारे छात्र अपनी लर्निंग को अनुभव में तब्दील कर सकें, इसके लिए हमने 7 हजार से ज्यादा इंस्टीट्यूशंस में इंटर्नशिप सेल्स स्थापित किए हैं। युवाओं में नए स्किल्स विकसित करने के लिए आज हर संभव प्रयास किया जा रहा है। इन युवाओं के टैलेंट, टेंपरामेंट और टेक्नोलॉजी की ये ताकत ही भारत को सफलता के शिखर तक लेकर जाएगी।’
युग्म सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘हमारे शास्त्रों में कहा गया है- परं परोपकारार्थं, यो जीवति स जीवति। अर्थात्, जो दूसरों की सेवा और परोपकार के लिए जीवन समर्पित करता है, वही वास्तविक जीवन जीता है। इसीलिए, हम साइंस और टेक्नोलॉजी को भी सेवा का ही माध्यम मानते हैं। जब मैं हमारे देश में वाधवानी फाउंडेशन जैसी संस्थाओं को देखता हूं। जब मैं रोमेश जी और उनकी टीम के प्रयासों को देखता हूं। तो मुझे खुशी होती है कि हम भारत में साइंस और टेक्नोलॉजी को सही दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं।’
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने YUGM कॉन्क्लेव में कहा, “हमारे शास्त्रों में कहा गया है। ‘परं परोपकारार्थं यो जीवति स जीवति’, अर्थात, जो दूसरों की सेवा और परोपकार के लिए जीवन समर्पित करता है वही वास्तविक जीवन जीता है। इसलिए हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी को सेवा का माध्यम… pic.twitter.com/5mU6dyoK80
— IANS Hindi (@IANSKhabar) April 29, 2025
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘दुनिया के टॉप 500 हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में भारतीय संस्थानों की संख्या भी पिछले 10 वर्षों में तेजी से बढ़ी है। अब विदेशों में हमारे प्रमुख संस्थानों के कैंपस खुल रहे हैं। अबु धाबी में में आईआईटी दिल्ली, तंजानिया में आईआईटी मद्रास के सेंटर्स खोले गए हैं। दुबई में आईआईएम अहमदाबाद का कैंपस खोले जाने की तैयारी है। ऐसा नहीं कि हमारे टॉप संस्थान ही बाहर कदम रख रहे हैं। बाहर के भी टॉप संस्थान भारत आ रहे हैं। भारत में दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटीज के कैंपस खुलने की शुरुआत हो चुकी है। इससे अकेडमिक एक्सचेंज बढ़ेगा। रिसर्च की फ़ील्ड में कोलेबरेशन बढ़ेगा। हमारे छात्रों को क्रास कल्चरल लर्निंग का एक्सपोजर भी मिलेगा।’
#WATCH दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी ने YUGM इनोवेशन कॉन्क्लेव 2025 में कहा, “अब विदेशों में हमारे प्रमुख संस्थानों के कैम्पस खुल रहे हैं। भारत में दुनिया के टॉप संस्थानों के कैंपस खुलने की शुरुआत हो चुकी है… टैलेंट, टेम्परामेंट और टेक्नोलॉजी ही भारत के भविष्य को ट्रांसफॉर्म… pic.twitter.com/fZdlwaag4d
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 29, 2025
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘किसी भी देश का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी पर निर्भर होता है। इसलिए, ये जरूरी है कि हम अपने युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करें। इसमें बड़ी भूमिका देश के एजुकेशन सिस्टम की भी होती है। इसीलिए, हम देश के एजुकेशन सिस्टम को 21वीं सदी की जरूरतों के मुताबिक आधुनिक बना रहे हैं। देश में नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी लाई गई है। इसे शिक्षा के ग्लोबल स्टैंडर्ड्स को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। नई एजुकेशन पॉलिसी आने के बाद हम भारतीय एजुकेशन सिस्टम में बड़ा बदलाव भी देख रहे हैं।’
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘भारत ने जिन लक्ष्यों को तय किया है, उसे निरंतर गति देने के लिए देश के रिसर्च इकोसिस्टम को मजबूती देना आवश्यक है। पिछले एक दशक में इस दिशा में तेजी से काम हुआ है, जरूरी संसाधनों को बढ़ाया गया है। 2013-14 में R&D पर कुल खर्च केवल 60 हजार करोड़ रुपए था। हमने इसे डबल से भी ज्यादा बढ़ाकर सवा लाख करोड़ रुपए से भी ऊपर कर दिया है। देश में कई स्टेट ऑफ द आर्ट रिसर्च पार्क भी स्थापित किए गए हैं। लगभग 6 हजार उच्च शिक्षा संस्थानों में R&D सेल्स की स्थापना की गई है। देश में इनोवेशन कल्चर तेजी से विकसित हो रहा है। 2014 में भारत से 40 हजार के आसपास पेटेंट फाइल हुए थे। अब ये संख्या बढ़कर 80 हजार से ज्यादा हो गई है।’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘हमने विकसित भारत के लक्ष्य के लिए अगले 25 वर्षों की समय सीमा तय की है। हमारे पास समय सीमित है, लक्ष्य बड़े हैं। इसलिए, ये जरूरी है कि हमारे आइडिया की प्रोटोटाइप से प्रोडक्ट तक की यात्रा भी कम से कम समय में पूरी हो। जब हम लैब से मार्केट तक की दूरी को कम कर देते हैं, तो रिसर्च के परिणाम लोगों तक तेजी से पहुंचने लगते हैं। इससे रिसर्चर्स को भी मोटिवेशन मिलता है, उनके काम, उनकी मेहनत का इंसेटिंव उन तक पहुंचता है। इससे, रिसर्च, इनोवेशन और वैल्यू एडिशन के व्हील को और गति मिलती है। इसके लिए जरूरी है कि हमारा पूरा रिसर्च इकोसिस्टम,अकेडमिक संस्थान से लेकर इन्वेस्टर्स और इंडस्ट्री तक, हर कोई रिसर्चर्स के साथ खड़ा हो, उन्हें गाइड करे। इंडस्ट्री लीडर्स इस दिशा में एक कदम और आगे ला सकते हैं, और वो हमारे युवाओं का मार्गदर्शन कर सकते हैं, फंड की व्यवस्था कर सकते हैं, और साथ मिलकर नए सोल्युशन्स डेवलप कर सकते हैं। इसलिए सरकार रेग्युलेशन को सिप्लीफाई करने, अप्रुवल को फास्टट्रैक करने के प्रयासों को भी गति दे रही है।’
देखिए प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन का वीडियो-