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किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने किसानों के हित में इतने कदम उठाए हैं, जितने पहले किसी सरकार ने नहीं उठाए। मोदी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प के साथ काम कर रही है। किसानों की आर्थिक हालत सुधारने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में 24 फरवरी,2019 को पीएम-किसान सम्मान निधि योजना की औपचारिक शुरुआत की थी। यह किसानों के लिए अब तक की सबसे बड़ी योजना है और यह किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस महत्‍वाकांक्षी योजना ने उत्तर प्रदेश में इतिहास रच दिया है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत राज्य के 2.14 करोड़ से ज्‍यादा किसानों को फायदा मिला है। देश में इसके कुल लाभार्थियों की संख्या 10 करोड़ है। इस योजना के तहत देश भर को 10 करोड़ किसानों को अबतक 90 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा रकम दिए जा चुके हैं।

बिचौलिए खत्म, सीधे किसानों के खाते में रकम
इस योजना के तहत पात्र किसानों को साल में 2-2 हजार रुपये की तीन किस्तों में छह हजार रुपये की मदद दी जाती है। ये तीन किस्त हर चार-चार महीने के अन्‍तराल में दी जाती हैं। यह रुपया सीधे किसान के खाते में डाला जाता है। इस योजना की एक सबसे महत्‍वपूर्ण बात है क‍ि इसमें कोई बिचौलिया नहीं होता हैं। सरकार जो भी रुपए देती वो सीधा किसान को मिलता है।

दोहरे भुगतान और भ्रष्टाचार रोकने के उपाय
कृषि मंत्रालय की ‘पीएम किसान’ वेबसाइट के अनुसार, योजना के तहत  चिन्हित किसानों को छह किस्तों में योजना की राशि दी गई है। 1 दिसंबर, 2019 को या उसके बाद मिलने वाली सभी किस्तों का भुगतान लाभार्थियों को केवल आधार प्रमाणीकृत बैंक डेटा के आधार पर ही किया जा रहा है ताकि वास्तविक लाभार्थियों को सुनिश्चित करने के साथ-साथ दोहरे भुगतान से बचा जा सके।

कृषि को टुकड़ों के बजाए पूरी समग्रता में देखने का प्रयास
जनवरी 2020 में कर्नाटक के तुमकुर में पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 8 करोड़वें किसान के खाते में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से पैसा जमा किया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में एक वो दौर भी था, जब गीरब के लिए दिल्ली से एक रुपया भेजा जाता था, तो सिर्फ 15 पैसे पहुंचते थे, बाकी के 85 पैसे बिचौलिए मार जाते थे। आज दिल्ली से भेजे गए पूरे पैसे गरीब, किसान के खाते में पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों की आवश्यकता, चिंताओं, जरूरतों को समझ कर योजनाओं को लागू करने का प्रयास किया है। कृषि को टुकड़ों के बजाए पूरी समग्रता से देखा और चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर प्रयास किया।

किसानों को सक्षम बनाती योजना
देशभर में किसानों के परिवार को आय में मदद करने के लिये और उन्हें कृषि कार्यों समेत घरेलू खर्च में सक्षम बनाने के लिए इस योजना की शुरुआत की गयी थी। असम, मेघालय, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को छोड़कर देश के सभी हिस्सों में एक दिसंबर, 2019 के बाद की सभी किस्त आधार नंबर से सत्यापित बैंक खातों में ही भेजी जा रही है।

किसानों को मिलेगा किसान क्रेडिट कार्ड
आम बजट 2020 में किसानों के कल्याण के लिए 16 सूत्रीय एक्शन प्लान का ऐलान करने वाली मोदी सरकार ने किसान सम्मान निधि योजना से जुड़े सभी किसानों को क्रेडिट कार्ड की सुविधा देने का फैसला लिया है। इस स्कीम के तहत किसानों को बिना किसी गारंटी के 1,60,000 रुपये तक का कर्ज मिल सकेगा। यही नहीं इस पर ब्याज भी सिर्फ 4 प्रतिशत का ही लगेगा। सरकार का मानना है कि इससे किसानों की साहूकारों पर निर्भरता घटेगी और उन्हें खेती के लिए आसानी से पैसा मिल सकेगा। साफ है कि पहले राउंड में इन किसानों को क्रेडिट कार्ड दिए जाएंगे। इस तरह शुरुआत में करीब 10 करोड़ किसानों को क्रेडिट कार्ड स्कीम से जोड़ा जाएगा।

योजना से जुड़े किसानों को तुरंत मिलेगा लाभ 
अब 1 लाख 60 हजार रुपये का कर्ज बिना किसी गारंटी के किसान को मिल सकेगा। पहले यह सीमा 1 लाख रुपये तक की ही थी। इसके अलावा किसान सम्मान निधि स्कीम से इसे जोड़े जाने से किसानों के लिए इसको हासिल करना भी आसान हो गया है।

बैंकों के पास नहीं होगा कोई बहाना
दरअसल सरकार की ओर से कई बार हिदायतें दिए जाने के बाद भी बैंकों की ओर से किसानों को क्रेडिट कार्ड देने में दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही थी। अब किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थियों को इस स्कीम से जोड़े जाने पर बैंकों के पास उन्हें न जोड़ने का कोई बहाना नहीं होगा। यही नहीं यह भी सुनिश्चित हो सकेगा कि जरूरतमंद किसानों तक ही किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम का लाभ पहुंचे।

लाभार्थियों को अपना स्टेटस जानना बहुत आसान
अगर किसी किसान ने इस स्कीम का फायदे लेने के लिए अप्लाई किया है और अब तक बैंक खाते में पैसा नहीं आया है तो आसानी से इसके बारे में पता कर सकता है। साथ ही, इसका स्टेटस जानना बहुत आसान हो गया है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बताया कि पीएम किसान पोर्टल पर जाकर कोई भी किसान भाई अपना आधार, मोबाइल और बैंक खाता नंबर दर्ज करके इसके स्टेटस की जानकारी ले सकता है कि उसे कितना पैसा मिला। नहीं मिला तो क्या दिक्कत है।

कैसे और किसे मिलेंगे 6000 रुपये
योजना के तहत एमपी, एमएलए, मंत्री और मेयर को लाभ नहीं दिया जाएगा, भले ही खेती करते हो तो भी उन्हें इस स्कीम का फायदा नहीं मिलेगा। सेंट्रल और राज्य सरकार में अधिकारी एवं 10 हजार से अधिक पेंशन पाने वाले किसानों को भी इसका फायदा नहीं मिलेगा। पेशेवर, डॉक्टर, इंजीनियर, सीए, वकील, आर्किटेक्ट, जो कहीं खेती भी करता हो उसे लाभ नहीं मिलेगा। पिछले वित्तीय वर्ष में इनकम टैक्स का भुगतान करने वाले किसान इस लाभ से वंचित होंगे। हालांकि, केंद्र और राज्य सरकार के मल्टी टास्किंग स्टाफ/चतुर्थ श्रेणी/समूह डी कर्मचारियों को फायदा मिलेगा।

सभी छोटे-बड़े सीमांत किसान योजना के पात्र
यह योजना दिसंबर 2018 से लागू है। लाभार्थियों की पहचान करने की समयसीमा एक फरवरी 2019 रखी गयी थी। यह काम राज्य सरकारों के जिम्मे था। इस योजना के तहत शुरुआत में सिर्फ उन छोटे किसानों को लाभ मिलना था, जिनके पास दो एकड़ या इससे कम खेत हैं। हालांकि बाद में 01 जून, 2019 से इसके दायरे को विस्तारित करते हुए देश के सभी खेतीहर किसान परिवारों को इसमें शामिल किया गया। अब देश के सभी किसान जिनके पास 1 से 5 हेक्टेयर तक खेती की जमीन है वह इस योजना के अंतर्गत आवेदन करने के लिए और योजना का लाभ उठाने के लिए पात्र है। योजना के तहत पूर्वोत्तर राज्यों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, जहां भूमि स्वामित्व के अधिकार समुदाय आधारित हैं, वन निवासी और झारखंड, जिनके पास भूमि के अद्यतन रिकॉर्ड और भूमि हस्तांतरण पर प्रतिबंध नहीं है।

3 लाख से ज्यादा सीएससी में हो रहा रजिस्ट्रेशन
देश में इस वक्त करीब 3 लाख से ज्यादा कॉमन सर्विस सेंटर खोले गए हैं, जो पीएम-किसान योजना के लिए किसानों का रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं। कृषि मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय के तहत एक विशेष उद्देशीय कंपनी, सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज के साथ करार किया है, जो भारत भर में 14 करोड़ सीमांत किसानों के रजिस्ट्रेशन का लक्ष्य पूरा करेगी।

जिन किसानों ने अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, वे नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर जाकर नाम जुड़वा सकते हैं। इसके अलावा वेबसाइट www.pmkisan.gov.in पर जाकर भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।

किसानों रजिस्ट्रेशन के लिए पोर्टल 
अब किसी किसान को इस योजना में रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए अधिकारियों के पास नहीं जाना पड़ेगा। कोई भी इसके पोर्टल पर जाकर खुद ही अपना रजिस्ट्रेशन कर सकता है। इसका मकसद सभी किसानों को स्कीम से जोड़ना और रजिस्टर्ड लोगों को समय पर लाभ पहुंचाना है। इस सुविधा के शुरू होने के बाद राज्य सरकारों को किसानों के ब्योरे में आई गलतियों को ठीक करने और सत्यापन में अब समय पहले से काफी कम लगेगा। पोर्टल में फारमर्स कॉर्नर के माध्यम से किसान अपने आधार डेटाबेस कार्ड के अनुसार पीएम-किसान डेटाबेस में अपने नाम में सुधार कर सकते हैं। पोर्टल में फारमर्स कॉर्नर के माध्यम से किसान अपने भुगतान की स्थिति भी जान सकते हैं। लाभार्थियों के ग्राम-वार विवरण भी फारमर्स कॉर्नर पर उपलब्ध हैं।

किसानों के लिए पीएम-किसान हेल्प डेस्क
अगर लेखपाल और कृषि अधिकारी किसी असली किसान को इसका लाभ देने में आनाकानी कर रहे हैं तो सोमवार से शुक्रवार तक पीएम-किसान हेल्प डेस्क (PM-KISAN Help Desk) के ई-मेल Email (pmkisan-ict@gov.in) पर संपर्क कर सकते हैं। वहां से भी न बात बने तो इस सेल के फोन नंबर 011-23381092 पर फोन करें। यह केंद्रीय कृषि मंत्रालय की हेल्पलाइन है। इस पर किसानों की बात जरूर सुनी जाती है।

प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक व्यापक निगरानी तंत्र
इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक व्यापक निगरानी तंत्र बनाया गया है। केंद्र के स्तर पर योजना में आवश्यक संशोधन के लिए केंद्रीय वित्त, कृषि और भूमि संसाधन मंत्रियों से युक्त एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। व्यय विभाग (डीईए), कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग (डीएसी एंड एफडब्ल्यू), भूमि संसाधन और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिवों के साथ कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्तर पर एक समीक्षा समिति समय-समय पर सदस्यों के रूप में योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा और निगरानी करती है। संयुक्त सचिव स्तर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के तहत केन्द्रीय परियोजना निगरानी इकाई (पीएमयू) इस योजना के कार्यान्वयन और प्रचार आदि की निगरानी करती है। राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के स्तर पर, नोडल विभाग और पीएमयू योजना के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करते हैं, जबकि राज्य और जिला स्तर की निगरानी समितियों का भी गठन किया गया है।

ग्रामीण क्षेत्रों में क्रय-शक्ति में बढ़ोतरी 
प्रत्येक किसान को 6 हजार रुपये मिलने से ग्रामीण क्षेत्रों में तत्काल क्रय-शक्ति में बढ़ोतरी हुई और खर्च बढ़ने से मांग बढ़ी है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस धन के अतिरिक्त प्रवाह का अर्थव्यवस्था पर एक गुणक प्रभाव पड़ा है, जिससे अर्थव्यवस्था को तीव्र गति से बढ़ाने में मदद मिली है। इस प्रकार से पीएम-किसान पर खर्च की गई अतिरिक्त धनराशि बढ़े हुए टैक्स के रूप में सरकार के पास वापस आ सकती है। इससे राजकोषीय घाटा को कम करने में मदद मिल सकती है। 

पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का सपना होगा साकार 
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से ग्रामीण आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा मिला है। पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सपना ग्रामीण भारत में बसने वाली 70 प्रतिशत आबादी के आर्थिक सशक्तीकरण से ही संभव है। मोदी सरकार ग्रामीण इलाकों में आय बढ़ाने पर फोकस कर रही है। ऐसा होने से खर्च में बढ़ोतरी होगी। मनरेगा और ग्रामीण इलाकों में निर्माण गतिविधियां बढ़ायी जा रही है। इसके अलावा मौजूदा योजनाओं को ज्यादा प्रभावी बनाने पर जोर दिया जा रहा है। पीएम किसान सम्मान निधि पर खर्च बढ़ाने का विकल्प भी खुला है।

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