प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक हालिया पॉडकास्ट की गूंज अब दूर-दूर तक सुनाई देने लगी है। एक ओर पाकिस्तान इससे बुरी तरह तिलमिला गया है, दूसरी ओर ब्यूरोक्रेसी को पाक को दो-टूक जवाब देने का हौसला और मजबूत हुआ है। उधर बलूच, खैबर और पीओके में विद्रोह करने वालों को पीएम मोदी की दहाड़ से आजादी की उम्मीद बंधी है। दरअसल, पॉडकास्ट के अगले ही दिन तिलमिलाए पाकिस्तान ने आनन-फानन में प्रतिक्रिया दी थी। भारत ने इसे एकबारगी खारिज कर दिया। इसके साथ ही पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र में भारत की दो-टूक से मुंह की खानी पड़ी है। यूएन की सुरक्षा परिषद में शांति बनाए रखने के मुद्दे पर हो रही चर्चा में पाक ने एक बार फिर से जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया। हालांकि भारत ने पड़ोसी देश को आईना दिखाते हुए जमकर लताड़ पिलाई। भारत ने साफ शब्दों में ये भी कहा कि पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्सों पर अवैध रूप से कब्जा किया है और उसे PoK को हर हाल में छोड़ना ही होगा। पाकिस्तान पहले ही बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में विद्रोहियों की बढ़ती ताकत से परेशान है। पाकिस्तान में बलूच इतने हावी रहे हैं कि 24 घंटे में ही 72 हमले कर दिए हैं। अब भारत के दबाव और पीओके में भी बगावत से पाक चारों ओर से घिर गया है। ख़ैबर और पीओके में भी बिगड़े हालातों से पाक सरकार इतना घबरा गई है कि उसके प्रभावित इलाकों में राजमार्ग ही बंद करने के आदेश दनदना दिए हैं।
बलूच की आजादी की लड़ाई पाक सरकार को घुटनों पर लाई
आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह विफल पाकिस्तान को बलूचिस्तान की आजादी की लड़ाई ने पाक सरकार को बुरी तरह घुटनों पर ला दिया है। बलूचिस्तान में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लोगों की पहचान कर हत्याएं की जा रही हैं। जिससे पंजाब के लोग बलूचिस्तान से भागने लगे हैं। वहीं अब सरकार ने कई प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों पर रात के समय यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया है। पाकिस्तानी अखबार द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक बलूचिस्तान के कई जिलों के कमिश्नरों ने सरकार के आदेश के बाद अध्यादेश जारी कर दिए हैं। कच्छी, नोशकी, मूसा खेल, ग्वादर और झोब सहित कई जिलों के प्रमुख मार्गों पर रात के वक्त यात्रा करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस प्रतिबंध को सार्वजनिक परिवहनों पर भी लागू किया गया है। इसके तहत नेशनल हाईवे से शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक यात्रा पर प्रतिबंध लगाया है। प्रतिबंध कई महत्वपूर्ण राजमार्गों पर लगाए गये हैं, जिनमें क्वेटा-ताफ्तान रोड, लोरलाई-डेरा गाजी खान रोड, सिबी रोड, कोस्टल हाईवे और झोब-डेरा इस्माइल खान रोड शामिल हैं।
पाकिस्तान के नियंत्रण से तेजी से बाहर निकलता जा रहा है बलूचिस्तान
पाकिस्तान के नियंत्रण से बलूचिस्तान तेजी से बाहर निकलता जा रहा है. वहां हालात दिन-ब-दिन गंभीर होते जा रहे हैं। हजारों बलूच नागरिक सड़कों पर उतरकर पाकिस्तान से आजादी की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना इस विद्रोह को दबाने के लिए क्रूरता पर उतर आई है। The Bolan News के मुताबिक, छोटे बच्चों तक को गोली मारकर उनकी हत्या की जा रही है। बलूचिस्तान की प्रमुख नेता महरंग बलूच समेत कई महिला नेताओं को पाकिस्तानी सेना ने अगवा कर लिया है। उनकी रिहाई की मांग को लेकर बलूचिस्तान के कई शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं। इस बीच बलूच विद्रोहियों ने तुर्बत शहर पर कब्जा कर लिया है। इसके अलावा कुछ अन्य शहरों पर भी विद्रोहियों के कब्जे की खबरें आ रही हैं।
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के के घातक हमलों से सहमा पाकिस्तान
हाल के दिनों में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के एक के बाद एक घातक हमलों व एक ट्रेन के अपहरण से पाकिस्तान सहमा हुआ है। जिसका नजला शांतिपूर्ण ढंग से बलूचिस्तान की आजादी की मांग कर रहे संगठनों पर गिर रहा है। पिछले दशकों में सुनियोजित ढंग से आजादी की मांग कर रहे हजारों राष्ट्रवादी बलूचों के लापता होने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। क्वेटा से लेकर इस्लामाबाद तक लगातार आंदोलन करके अपनों की हकीकत जानना चाहते हैं। इन्हीं में शामिल हैं डॉ. महरंग बलूच, जिनसे पाकिस्तान सरकार खौफ खाती है। जो शांतिपूर्ण ढंग से पाक का निरंकुश एजेंडा विफल बना रही है। सहमी पाक सरकार ने पिछले दिनों महरंग बलूच को हिरासत में ले लिया। दरअसल, बीएलए के लगातार बढ़ते हमलों के बाद पाक सरकार ने शांतिपूर्ण आंदोलन का दमन तेज कर दिया है, जिसकी चपेट में शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन करने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. महरंग भी आई है।
महरंग की गिरफ्तारी पाक हुक्मरानों की हताशा का ही नतीजा
यहां याद दिला दें कि डॉ. महरंग के पिता अब्दुल गफ्फार लैंगोव एक राष्ट्रवादी बलूच नेता थे। सुरक्षा बलों ने 2009 में उनका अपहरण कर लिया। जिसके तीन साल बाद उनकी क्षत-विक्षत लाश मिली थी। पिता की मौत के बाद सुरक्षा बलों ने उनके भाई को भी वर्ष 2017 में उठा लिया था। उन्हें तब तीन माह तक हिरासत में रखकर यातनाएं देने के बाद छोड़ा गया। आज महरंग पाक दमन के खिलाफ एक मुखर आवाज बन चुकी है। बीएलए के एक के बाद एक ताबड़तोड़ हमलों ने सबका ध्यान खींचा है। खासकर ट्रेन अपहरण के मामले ने, जिसने बलूचों की अस्मिता के संघर्ष की आवाज को दुनिया को सुनाया है। वास्तविकता यह है कि बलूच की नई पीढ़ी की आवाज बन चुकी नेता महरंग की गिरफ्तारी पाक हुक्मरानों की हताशा का ही नतीजा है। महरंग ने तय किया है कि वह गैरकानूनी तरीके से लोगों को उठाने और उनकी हत्या के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ेंगी।
खनिज संपदा के भरपूर बलूचिस्तान पर चीन की भी नजर
दरअसल, बलूचिस्तान भू-भाग के मामले में पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है। यह गैस, सोना व तांबा आदि दुर्लभ खनिजों व प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। जिस पर चीन समेत दुनिया के देशों की नजर है। वास्तव में जब भारत विभाजन हुआ तो पाक हुकमरानों ने बलूचिस्तान के कबाइली नेताओं को स्वायत्तता देने का वायदा किया। लेकिन बाद में राष्ट्रवादी बलूच नेताओं को धोखा देकर वहां सेना के बल पर दमन शुरू कर दिया। कालांतर में दमन के विरोध में कुछ प्रतिरोधियों ने बंदूके उठा ली। उनका आरोप था कि पाकिस्तान ने यहां के प्राकृतिक संसाधनों का निर्मम दोहन तो किया लेकिन समृद्धि, शेष पाक व पाकिस्तानी पंजाब में आई। इसके विरोध में ही बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी जैसे संगठनों का उदय हुआ। वास्तव में इस सबसे अमीर प्रांत की जनता पाकिस्तान सरकार की नीति और नीयत के चलते निरंतर शोषित हो रही है।पाकिस्तान की सरकार ही दे रही आतंकवादी घटनाओं को अंजाम
बलूचिस्तान के लोगों का आरोप है कि पाकिस्तान की सरकार ने उनकी शांतिपूर्ण रैलियों में आत्मघाती हमलावरों को भेजना शुरू कर दिया है। मस्तुंग के लाक पास में बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम) की रैली के पास आत्मघाती बम विस्फोट हुआ है। बलूचों ने कहा है कि पाकिस्तान की सरकार आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दे रही है। दूसरी तरफ बलूच विद्रोही पंजाब के लोगों की हत्याओं में जुटी है। पाकिस्तान ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सप्ताह कलात और नोशकी जिलों में चार मजदूरों और चार पुलिसकर्मियों सहित कम से कम आठ लोगों की हत्या कर दी गई। इसके अलावा, दो दिन पहले ग्वादर के कलमात इलाके में कराची जाने वाली एक बस को हथियारबंद लोगों ने रोक लिया और पंजाब के लोगों को जबरन उतारने के बाद पहले उनकी पहचान की और पांच लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
पाक के खिलाफ आर-पार की जंग, 200 पाक जवान मारे : BLA
पाकिस्तान ट्रिब्यून ने बताया है कि इसके अलावा नुश्की-दलबंदिन राजमार्ग पर अर्धसैनिक बलों के काफिले पर हमला किया गया, जिसमें 5 जवानों की मौत हो गई और 35 लोग घायल हो गये। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) से जुड़े फ्रीडम फाइटर्स ने ने इस महीने जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक किया था और उसके बाद से बलूचिस्तान की स्थिति काफी बिगड़ गई है। जाफर एक्सप्रेस में करीब 440 यात्री थे। बीएलए के लड़ाकों ने एक रेलवे ट्रैक को उड़ा दिया और 440 से ज्यादा यात्रियों को बंधक बना लिया। बीएलएन ने कम से कम 200 से ज्यादा पाकिस्तानी सेना के जवानों को मारने का दावा किया था।भारत ने दो-टूक लहजे में कहा- पाकिस्तान को पीओके छोड़ना ही पड़ेगा
पाकिस्तान के कई इलाकों में विद्रोह के बीच भारत ने कुछ ही समय पहले पाकिस्तान को उसकी नापाक हरकत के लिए एक बार फिर कड़ी फटकार लगाई है। दरअसल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने कश्मीर का मुद्दा उठाया। इस पर भारत के स्थायी प्रतिनिधि परवथानेनी हरीश ने कहा-‘पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि वह जिस पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) में बैठा है, उसे छोड़ना ही होगा। अगर पाकिस्तान शांति चाहता है तो उसे पहले आतंकवाद और नफरत फैलाना बंद करना होगा। पाकिस्तान बार-बार हमारे जम्मू और कश्मीर पर बेबुनियाद और अनावश्यक बयान देता है। ऐसे बयान न तो पाकिस्तान के झूठे दावों को सही ठहरा सकते हैं, न ही आतंकवाद फैलाने की उसकी नीति को।’ हरीश ने पाक को नसीहत दी कि वह अपनी छोटी सोच और देश को बांटने वाली नीतियों को छोड़कर शांति की दिशा में कदम बढ़ाए। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा।
पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है भारत, बशर्ते…
भारत ने ये भी कहा कि वह पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है, लेकिन यह जिम्मेदारी पाकिस्तान की है कि वह पहले आतंकवाद को खत्म करे और शांति का माहौल बनाए, ताकि दोनों देशों के बीच किसी तरह की बातचीत संभव हो सके। भारत ने पाकिस्तान को यह भी सलाह दी कि वह संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर अपनी छोटी-मोटी राजनीति न करे। यहां हमें शांति की बात करनी है, न कि पुराने विवादों को तूल देना है। कुल मिलाकर, भारत ने पाकिस्तान को फिर से याद दिलाया कि PoK पर उसका अवैध कब्जा किसी भी हालत में जारी नहीं रह सकता। भारत ने पाक को यह भी सलाह दी कि वह इस मंच का ध्यान भटकाने और अपने संकीर्ण और विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश न करे। हरीश ने कहा कि भारत इस मंच पर पाक के दावों का विस्तार से जवाब देने से परहेज करेगा। भारत का रुख स्पष्ट है और वह पाकिस्तान के भ्रामक प्रचार में नहीं फंसेगा।
PoK में पाक से नाराजगी और भारत को समर्थन की ये 6 वजह
1. शोषण: पीओके से पैदा होने वाली 1,000 मेगावॉट बिजली का 80% पंजाब (पाकिस्तान) को दिया जाता है, जबकि पीओके को बिजली कटौती झेलनी पड़ती है। (स्रोतः पाकिस्तान वाटर एंड पावर डेवलपमेंट अथॉरिटी)
2. बेरोजगारी : 40 लाख आबादी वाले पीओके में बेरोजगारी 24%। (स्रोतः पाक लेबर फोर्स सर्वे, 2023)
3. अत्याचार: 2001 से अब तक 5,000 लोग सेना/ISI द्वारा गायब किए गए। (स्रोतः एमनेस्टी इंटरनेशनल)
4. चुनाव का दिखावा : 2023 के पीओके चुनाव में 70% सीटें पाक समर्थित पार्टियों को, स्थानीय दलों को धमकाया। (स्रोतः एशियन नेटवर्क फॉर फ्री इलेक्शंस)
5. शिक्षा-स्वास्थ्य : बदहाल साक्षरता दर 58% है। प्रति 1 लाख पर 2 ही डॉक्टर।
6. भारत के साथ: 2022 के गोपनीय सर्वे में 62% पीओके निवासियों ने भारत से जुड़ने को बेहतर विकल्प माना। (स्रोतः जर्नल ऑफ साउथ एशियन स्टडीज) पाक ने 40 लाख की आबादी वाले पीओके की दुर्दशा कर रखी है। जबकि यहां नीलम वैली, अयून घाटी जैसे कई पर्यटन स्थल हैं। 2023 में 11 लाख पर्यटक आए।पीओके भारत का अभिन्न था, है और हमेशा रहेगा – राजनाथ
पाकिस्तान पर शानदार विजय के 23वें कारगिल दिवस के मौके पर पिछले साल जम्मू में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना के बलिदान को याद किया था। इस मौके पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर, भारत का अभिन्न हिस्सा था, भारत का हिस्सा है और हमेशा-हमेशा रहेगा। रक्षा मंत्री ने कहा कि ऐसा कैसे संभव है कि बाबा अमरनाथ शिव के रूप में हमारे साथ हैं तो मां शारदा की शक्तिपीठ LOC के दूसरी तरफ कैसे रह सकती है? कश्मीरी पंडितों की कुलदेवी मां शारदा की इस पीठ पर हिंदू देवी सरस्वती का मंदिर है, जिन्हें शारदा भी कहा जाता है। रक्षा मंत्री राजनाथ ने शारदा पीठ का जिक्र करते हुए कहा कि संसद में PoK के पक्ष में एक प्रस्ताव पारित हो चुका है।धार्मिक मान्यता है कि यहां सती का दायां हाथ गिरा था, यह शक्तिपीठों में से एक है
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के इस बयान के बाद मां शारदा शक्ति पीठ के इस मंदिर को लेकर चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई, जो 75 सालों से PoK में है। यह हिंदू धर्म की देवी सरस्वती का एक प्राचीन मंदिर है, जो अब खंडहर में तब्दील हो रहा है। इस पीठ का इतिहास सदियों पुराना है और शारदा पीठ को महाशक्ति पीठों में से एक माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि यहां माता सती का दायां हाथ गिरा था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती की मृत्यु के बाद शोकाकुल भगवान शिव सती के शरीर को लेकर तीनों लोकों में घूम रहे थे। सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को सुदर्शन चक्र से 51 हिस्सों में काट दिया था। ये सभी हिस्से धरती पर जहां गिरे, वे सभी पवित्र स्थल बन गए और शक्ति पीठ कहलाए।
बंटवारे से पहले तीन प्रमुख तीर्थस्थलों में शामिल था शारदा पीठ
यह पीठ नीलम, मधुमती और सरगुन नदी की धाराओं के संगम के पास हरमुख पहाड़ी पर करीब 6500 फीट की ऊंचाई पर है, जो PoK के मुजफ्फराबाद से 140 किलोमीटर और कश्मीर के कुपवाड़ा से 30 किलोमीटर की दूरी पर है। भारत और पाकिस्तान के बंटवारे से पहले शारदा पीठ, मार्तंड सूर्य मंदिर और अमरनाथ गुफा के साथ जम्मू-कश्मीर के तीन प्रमुख तीर्थस्थलों में शामिल था। अब मंदिर खंडहर हालत में है बिना किसी साज-सज्जा वाले मंदिर में अब बस पत्थरों के स्लैब ही बचे हैं। 2009 में प्रकाशित हुई किताब ‘कल्चरल हेरिटेज ऑफ कश्मीरी पंडित्स’ में कश्मीरी लेखक अयाज रसूल नाजकी ने शारदा पीठ से जुड़ी एक लोक कथा का जिक्र किया है। इस कथा के अनुसार- अच्छाई और बुराई के बीच युद्ध के दौरान देवी शारदा ने ज्ञान के पात्र की रक्षा की थी। शारदा देवी ये पात्र लेकर घाटी में गईं और उसे एक गहरे गड्ढे में छिपा दिया। इसके बाद उन्होंने उस पात्र को ढंकने के लिए खुद को एक ढांचे में बदल लिया। अब यही ढांचा शारदा पीठ के रूप में खड़ा है।कश्मीर के हिंदू राजा ललितादित्य ने बनवाया था शारदा पीठ मंदिर
ऐतिहासिक दृष्टि से देखें तो इस मंदिर के निर्माण हजारों साल पुराना है। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि शारदा पीठ का निर्माण 5 हजार साल पहले 273 ईसा पूर्व में सम्राट अशोक के समय में हुआ था। एक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण पहली सदी में कुषाण वंश के शासन के दौरान हुआ था। शारदा मंदिर पर केस स्टडी करने वाले फैज उर रहमान का कहना है कि शिक्षाविदों के मुताबिक शारदा पीठ का निर्माण कश्मीर पर शासन करने वाले कर्कोटा राजवंश के ताकतवर हिंदू शासक ललितादित्य मुक्तपीड ने कराया था। ललितादित्य ने कश्मीर पर 724 ईस्वी से 760 ईस्वी तक शासन किया था। इस दावे को इसलिए भी सही माना जाता है कि क्योंकि राजा ललितादित्य बड़े-बड़े मंदिरों के निर्माण में माहिर थे।
11-12वीं सदी के कवियों की पुस्तकों में भी है मां शारदा पीठ का उल्लेख
शारदा पीठ मंदिर आर्किटेक्चर, डिजाइन और कंस्ट्रक्शन स्टाइल में अनंतनाग स्थित मार्तंड सूर्य मंदिर से काफी मिलता-जुलता है। मार्तंड मंदिर का निर्माण भी ललितादित्य ने ही कराया था। 11वीं सदी में कश्मीरी कवि बिल्हण ने शारदा पीठ के अध्यात्म और शिक्षा की अहमियत के बारे में लिखा था। 11वीं सदी में भारत आने वाले फारसी विद्धान अल-बरूनी ने मुल्तान सूर्य मंदिर, स्थानेश्वर महादेव मंदिर और सोमनाथ मंदिर के साथ ही शारदा पीठ का जिक्र भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे चर्चित मंदिरों के रूप में किया था। 12वीं सदी में प्रसिद्ध कश्मीरी कवि कल्हण की पुस्तक राजतरंगिणी में शारदा पीठ का जिक्र एक प्रमुख पूजा स्थल के रूप में किया गया था।
शंकराचार्य और कश्मीरी कवि कल्हण समेत कई विद्वानों ने की शारदा यूनिवर्सिटी में पढ़ाई
शारदा पीठ का सबसे पुराना लिखित जिक्र छठी से आठवीं सदी के दौरान नीलमत पुराण में मिलता है। नीलमत पुराण, कश्मीर के इतिहास के बारे में सबसे प्राचीन पुस्तक है। छठी से 12वीं शताब्दी के दौरान शारदा पीठ न केवल एक मंदिर,बल्कि शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र भी था। शारदा पीठ के परिसर में शारदा यूनिवर्सिटी थी, जहां पढ़ने के लिए देश-विदेश से छात्र आते थे। इसी में शंकराचार्य और कश्मीरी कवि कल्हण भी पढ़े हैं। शारदा यूनिवर्सिटी में करीब 5 हजार छात्र पढ़ते थे और वहां दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी थी। उस समय शारदा यूनिवर्सिटी की गिनती नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षा के चर्चित केंद्रों में होती थी।
धर्म-अध्यात्म और शिक्षा का केंद्र शारदा पीठ खंडहर में कैसे हुआ तब्दील?
इतिहासकारों का कहना है कि भारत में मुस्लिम शासन के दौरान शारदा पीठ को लगातार नजरअंदाज किया गया और मंदिर के विकास को दबाने की कोशिशें हुई थीं। शारदा पीठ में हर साल तीर्थ यात्रियों का एक सालाना मेला लगता था, जो 1947 में मंदिर के PoK में जाने के बाद बंद हो गया था। इसके अलावा ये मंदिर जिस इलाके में है, वहां काफी भूकंप आते हैं। मंदिर के खंडहर होने की एक वजह यहां आने वाले भूकंपों को भी माना जाता है। अक्टूबर 2005 में PoK में आए एक जोरदार भूकंप में मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा था। इसकी देखरेख का जिम्मा पाकिस्तान ऑर्कियोलॉजिकल डिपार्टमेंट के पास है, लेकिन पाक सरकार ने इसके जीर्णोद्धार के लिए कभी कोई काम नहीं किया है।आदि शंकराचार्य ने खोला था शारदा पीठ का चौथा द्वार
14वीं सदी में लिखे गए माधवीय शंकर विजयम में ‘सर्वजन पीठम’ नाम की परीक्षा का जिक्र है। शारदा पीठ के चार द्वार थे और कोई विद्वान ही इन्हें खोल सकता था। ये द्वार पहले भी खोले जा चुके थे, मगर दक्षिणी द्वार को कोई नहीं खोल सका था। शंकराचार्य ने चुनौती स्वीकार कर ली। केरल से पैदल चलकर कश्मीर पहुंचे। लोगों ने उनका स्वागत किया, मगर विद्वान तुनक गए। जैसे ही वह दक्षिणी द्वार के पास पहुंचे, उन्हें न्याय दर्शन, बौद्ध, दिगंबर जैन के विद्वानों ने रोक लिया। फिर आदि शंकराचार्य ने उन सबको शास्त्रार्थ में पराजित कर दिया। जैसे ही शंकराचार्य प्रवेश करने को थे, उन्हें देवी शारदा ने चुनौती दी। उस आवाज ने कहा कि प्रवेश के लिए केवल सर्वज्ञानी होना पर्याप्त नहीं, पवित्र भी होना चाहिए और चूंकि शंकराचार्य राजा अमरूक के महल में रहे थे, पवित्र नहीं हो सकते। शंकराचार्य ने जवाब दिया कि उनके शरीर ने कभी कोई पाप नहीं किया है और किसी और के पाप उन पर नहीं लादे जा सकते। मां शारदा ने शंकराचार्य का तर्क स्वीकार कर लिया और उन्हें अनुमति दे दी। दक्षिण भारत के ब्राह्मण आज भी शारदा पीठ को नमन करके कर्मकांड करते हैं।
करतारपुर कॉरिडोर के साथ तेज हुई शारदा पीठ के दर्शन की अनुमति देने की मांग
भारतीय तीर्थयात्रियों को शारदा पीठ जाने की अनुमति दिए जाने की मांग अतीत में भी उठ चुकी है। ये मांग नवंबर 2019 में करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद और तेज हो गई। करतारपुर कॉरिडोर बनने से भारतीय सिखों के पाकिस्तान स्थित गुरद्वारा दरबार साहिब जाने का रास्ता खुल गया। साल 2007 में देश के पूर्व गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने पाकिस्तान सरकार से शारदा पीठ के जीर्णोद्धार की मांग की थी। 2019 में कई मीडिया रिपोर्ट्स में पाकिस्तानी सरकार के भारतीयों के शारदा पीठ दर्शन के लिए एक कॉरिडोर बनाने की खबरें आई थीं, लेकिन बाद में पाकिस्तानी सरकार ने इस दिशा में आगे कोई प्रयास नहीं किया।