प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विजनरी नीतियों का दूरगामी असर हर क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। केंद्र की व्यापक नीति, निर्णय और वेलफेयर स्कीम्स के चलते पिछले एक दशक में 25 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। इसमें सबसे ज्यादा 5.94 करोड़ उत्तर प्रदेश के हैं। उसके बाद बिहार में 3.77 करोड़, मध्य प्रदेश में 2.30 करोड़ और राजस्थान में 1.87 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं। राजस्थान में गरीबी से बाहर आए या अन्य कारणों से जीवन स्तर बेहतर होने के चलते 22 लाख से ज्यादा लोगों ने स्वेच्छा से खाद्य सुरक्षा योजना से नाम हटवाया है। इसके लिए उन्हें सरकार के गिव-अप अभियान ने भी प्रेरित किया। इन लाखों लोगों को लगता है कि जीवन स्तर बेहतर होने और सक्षम होने के चलते अब उन्हें खाद्य सुरक्षा योजना का पात्र नहीं बनना चाहिए, ताकि दूसरे गरीबों को इसका लाभ मिल सके। लाखों लोगों के गिव-अप से उत्साहित राजस्थान सरकार अब एक और नई पहल करने जा रही है। इसके तहत उन लोगों को स्वेच्छा से सामाजिक सुरक्षा पेंशन सरेंडर करने के लिए कहा जाएगा, जिन्हें सालाना आय बढ़ने से अब इसकी जरूरत नहीं है या जो इसके पात्र नहीं रहे हैं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग भी स्वेच्छा से सामाजिक पेंशन सरेंडर कराने के लिए गिवअप अभियान शुरू करेगा।
असर: राजस्थान के 1.87 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए
विश्व बैंक और नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गरीबी दर 2013-14 में 29.17 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 11.28 प्रतिशत रह गई है। यानी करीब एक दशक में 17.89 प्रतिशत की कमी आई है। इस दौरान 25 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं, इनमें राजस्थान के 1.87 करोड़ लोग हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2015-16 से 2019-21 के बीच गरीबी में गिरावट की गति 10.66 प्रतिशत रही, जो कि 2005-06 से 2015-16 की तुलना (7.69 प्रतिशत) में बहुत तेज थी। आंकड़ों पर नजर डालें, तो MPI (मल्टीडाइमेंशिनल पोवर्टी इंडेक्स) के सभी 12 इंडिकेडर में महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिला है। पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत जैसी पहलों ने स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच में उल्लेखनीय वृद्धि की है। गरीबी में सुधार का आंकलन बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवनशैली जैसे मानदंडों के आधार पर किया जाता है। जिसमें बाल पोषण, मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, घर, संपत्ति और बैंक अकाउंट जैसे फैक्टर शामिल होते हैं।
मोदी सरकार की इन पांच बड़ी योजनाओं से मिला गरीबों को लाभ
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना: इसकी शुरुआत 1 मई 2016 को हुई थी। अब तक 10 करोड़ से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिल चुका है। इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को मुफ्त में गैस कनेक्शन दिया जाता है। साथ ही कनेक्शन लेने पर 1600 रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जाती है ताकि वे गैस कनेक्शन से जुड़ी अन्य जरुरी चीजें भी खरीद लें।
प्रधानमंत्री जन धन योजना : इस योजना की शुरुआत 28 अगस्त 2014 को हुई थी। लगभग 100% परिवारों को इस सुविधा के तहत लाया जा चुका है। खोले गए खातों में से 60% खाते ग्रामीण क्षेत्रों में और 40% खाते शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं। जनधन की वेबसाइट के अनुसार 51. 42 करोड़ अकाउंट होल्डर हैं। और उनके खातों में 2 लाख करोड़ रुपए जमा हैं।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को 2020 में शुरू किया गया था। अब इसे 2029 तक बढ़ा दिया गया है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत देश की करीब 81.35 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज दिया जाता है। इस योजना में परिवार के हर सदस्य को 5 किलो गेहूं या चावल हर महीने मिलता है साथ ही एक किलोग्राम साबुत चना दिया जाता है।
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना: केंद्र सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 30 करोड़ आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। इसके जरिए भारत के नागरिक अपना 5 लाख तक का इलाज फ्री में करा सकते हैं। इस योजना की शुरुआत 25 सितंबर, 2018 को हुई थी।
जल जीवन मिशन : इस योजना की शुरुआत 15 अगस्त 2019 को हुई थी। 2024 तक देश के सभी गांवों में हर घर तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य है। अब तक 14 करोड़ घरों तक कनेक्शन पहुंचाया जा चुका है। कुल 19 करोड़ घरों तक यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
खाद्य सुरक्षा योजना से 22.32 लाख लोगों ने स्वेच्छा से गिव-अप किया
गरीबों की संख्या में कमी आने का सकारात्मक असर सरकारी योजनाओं पर भी देखने को मिल रहा है। देश के 25 करोड़ लोगों में से राजस्थान में 1.87 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने वाले ऐसे लाभार्थी, जिनके जीवनस्तर में गरीबी से निकलने के कारण सुधार आया है और उन्हें अब सस्ते खाद्य की जरूरत नहीं है। ऐसे लोगों के लिए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने 3 दिसम्बर, 2024 से ’गिव अप’ अभियान शुरू किया था। इस अभियान के तहत खाद्य सुरक्षा योजना से 30 जून तक नाम हटवाने का प्रावधान किया गया। अधिकारियों को तब सुखद आश्चर्य हुआ, जबकि करीब छह माह की अवधि में ही 22.32 लाख लोग स्वेच्छा से योजना से गिव-अप करने के लिए आगे आए। दरअसल, योजना में सम्मिलित परिवारों के लिए नियम था कि ऐसे परिवार जिनका कोई भी एक सदस्य सरकारी, अर्द्ध सरकारी, स्वायत्तशासी संस्थाओं में नियमित कर्मचारी या अधिकारी हो अथवा 1 लाख रुपए वार्षिक से कम पेंशन प्राप्त करता हो अथवा जिसके सभी सदस्यों की कुल आय 1 लाख रुपए वार्षिक से कम हो वही सम्मिलित हो सकता है। डबल इंजन सरकार की नीतियों और योजनाओं के चलते इनकी आय बढ़ी है। इसलिए वे स्वेच्छा से योजना से गिव-अप कर रहे हैं।
योजना में पात्र परिवारों को प्रति सदस्य 5 किलोग्राम गेहूं देने का प्रावधान
राजस्थान खाद्य सुरक्षा योजना का प्रमुख उद्देश्य राज्य के उन नागरिकों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना है जो आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं। यह योजना भारत सरकार की एक पहल के तहत संचालित की जाती है, जिसका मुख्य लक्ष्य है कि देश के सभी नागरिकों को पर्याप्त और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाए। इस योजना के तहत, पात्र परिवारों को प्रति सदस्य 5 किलोग्राम गेहूं और अन्य आवश्यक खाद्य सामग्री 2 रुपये प्रति किलो की रियायती दर पर उपलब्ध कराई जाती है। इस योजना के माध्यम से सरकार का लक्ष्य है कि राज्य के गरीब और वंचित वर्ग के लोगों को भूख से बचाया जाए और उनके जीवन स्तर में सुधार लाया जाए। हालांकि कोविड के बाद भारत सरकार द्वारा ये निशुल्क प्रदान किया जा रहा है। यह योजना न केवल भूखमरी को रोकती है बल्कि लोगों के स्वास्थ्य और पोषण में भी सुधार करती है। इससे लोगों की जीवन प्रत्याशा बढ़ती है और वे अधिक उत्पादक बन पाते हैं। साथ ही, यह योजना सामाजिक समरसता को बढ़ावा देती है और समाज के कमजोर वर्गों का उत्थान करती है।
अब सामाजिक पेंशन सरेंडर करने के लिए चलेगा गिव-अप अभियान
राजस्थान के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के ’गिव अप’ अभियान से मिले उत्साहवर्धक नतीजों के बाद अब इसी तर्ज पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग भी स्वेच्छा से सामाजिक पेंशन सरेंडर कराने के लिए गिवअप अभियान शुरू करेगा। इसमें ऐसे लोगों को भी चिह्नित किया जाएगा, जिन्होंने उम्र बढ़ाकर बुजुर्ग पेंशन उठाई है। मुख्यमंत्री वृद्धजन सम्मान पेंशन योजना और मुख्यमंत्री एकलनारी सम्मान पेंशन योजना में पात्र परिवारों की अधिकतम आय 48 हजार रुपए सालाना होनी चाहिए। इसी प्रकार मुख्यमंत्री विशेष योग्यजन सम्मान पेंशन योजना में परिवार की अधिकतम आय 60 हजार रुपए सालाना का प्रावधान है। अब प्रदेश में 1.81 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर आने के कारण उनकी सालाना आय बढ़ी है। ऐसे में 48 या 60 हजार से अधिक सालाना आय करने वाले गिव-अप अभियान में शामिल हो सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक पहले अभियान के पहले फेज में 3 से 5 लाख पेंशनभोगियों की सामाजिक पेंशन सरेंडर हो सकती है। इसमें वृद्धजन, – एकल नारी, विशेष योग्यजन श्रेणी शामिल है। इससे सालाना 500 से 600 करोड़ रुपए बचेंगे।