Home तीन साल बेमिसाल मोदी सरकार अभियान- हर घर हो जल, घर-घर शौचालय का हो निर्माण

मोदी सरकार अभियान- हर घर हो जल, घर-घर शौचालय का हो निर्माण

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सुरक्षित पेयजल और ग्रामीण भारत में हर समय सभी के लिए बेहतर साफ-सफाई के विजन के साथ पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय बुनियादी आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान दे रहा है। इन बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं को प्रदान करने के लिए अपने प्रयास में राज्य के लिए समर्थन प्रदान करके सभी ग्रामीण परिवारों के लिए उपयोग और सुरक्षित और टिकाऊ पीने के पानी के उपयोग और बेहतर स्वच्छता सुविधाओं को सुनिश्चित करने के उद्देश्य के साथ मंत्रालय अपने अभियान में आगे बढ़ रहा है।

ग्रामीण भारत में स्वच्छता कवरेज का कायाकल्प
पिछले तीन वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की सरकार अपने विजन को साकार रूप देने में दिन रात लगी हुई है। पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय के किए कार्य अब धरातल पर भी नजर आने लगे हैं। इसी का परिणाम है कि ग्रामीण भारत स्वच्छता कवरेज अक्टूबर 2014 के 42 प्रतिशत से बढ़कर वर्तमान में 62 प्रतिशत तक पहुंच चुका है।

बापू के विजन को समर्पित स्वच्छ भारत मिशन
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ‘स्वच्छ भारत’ का सपना देखा था, जो अब तक अधूरा है। पीएम मोदी के नेतृत्व में जब नई सरकार बनी तो उन्होंने सबसे पहले जन सरोकारों से जुड़ी योजनाओं पर विशेष बल दिया। इन्हीं योजनाओं में से एक प्रमुख योजना स्वच्छ भारत अभियान भी है। बापू के सपने को साकार रूप देने के प्रयास के साथ आगे बढ़ रहे इस मिशन का संकल्प 2019 तक संपूर्ण भारत को स्वच्छ करने का है। 

पीएम मोदी का आह्वान, घर-घर हो शौचालय का निर्माण
15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस के दिन जब प्रधानमंत्री ने स्वच्छता और शौचालय की बात कहीं थी, तो आलोचकों ने उनपर जमकर निशाना साधा कि लाल किले की प्राचीर से किसी प्रधानमंत्री को शौचालय का जिक्र करना शोभा नहीं देता, लेकिन आलोचनाओं पर ध्यान दिए बिना पीएम मोदी का ये अभियान अपनी सफलता की ओर बढ़ रहा है। इसके सकारात्मक नतीजे सबके सामने हैं :-

  • देश में ओडीएफ (खुले में शौच मुक्‍त) जिलों की संख्‍या अब 136 तक पहुंच चुकी है।
  • 1, 95,207 गांव से ऊपर गांव अब ओडीएफ (खुले में शौच मुक्‍त) हो गये हैं।
  • नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा के किनारे बसे 5,000 गांवों को शौच मुक्त करने के लक्ष्य के करीब पहुंचते हुए, 4058 गांवों ओडीएफ (खुले में शौच से मुक्त) हो गये हैं।
  • स्वच्छ भारत मिशन ( ग्रामीण) के तहत अब तक 3 करोड़ 99 लाख 43 हजार 7 सौ 17 शौचालयों का गांवों में निर्माण हो चुका है। इनमें घरेलू शौचालयों की संख्या 3.47 करोड़ है।
  • खुले में शौचमुक्त ग्राम पंचायतों की संख्या फरवरी 2017 तक 74673 हो चुकी है, जबकि खुले में शौचमुक्त जिलों की संख्या 96 है।

तीन राज्यों में अब घर-घर शौचालय युक्त
स्वच्छ भारत अभियान का नतीजा है कि अब तक देश के तीन राज्य-सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और केरल खुले में शौच से मुक्त राज्य घोषित हो चुके हैं। सिक्किम में 6 लाख, हिमाचल प्रदेश 70 लाख के बाद करीब 3.5 करोड़ की ग्रामीण आबादी के साथ खुले में शौच से मुक्ति का दर्जा प्राप्त करने वाला केरल सबसे बड़ा राज्य है।
मंडी और सिंधुदुर्ग सबसे स्वच्छ जिले
स्वच्छ सर्वेक्षण में मंडी और महाराष्ट्र का सिंधुदुर्ग देश के सबसे स्वच्छ जिले हैं। 8 सितम्बर 2016 को जारी किए गये ‘स्‍वच्‍छ सर्वेक्षण’ में 22 पहाड़ी जिलों और 53 मैदानी जिलों को शामिल किया गया था। पहाड़ी जिलों में मंडी को सबसे अधिक स्‍वच्‍छ और मैदानी जिलों में सिंधुदुर्ग सबसे अधिक स्‍वच्‍छ जिले घोषित किए गए। इस सर्वेक्षण के लिए क्‍वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्‍यूसीआई) को जिम्‍मेदारी सौंपी गई थी।
100 जगहों पर विशेष स्वच्छता अभियान
स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश के 100 प्रतिष्ठित धरोहर, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जगहों को ध्यान में रखते हुए विशेष सफाई योजना है। इन 100 जगहों की सूची के पहले चरण में 10 महत्वपूर्ण स्थान जहां स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है वे हैं :-
1. अजमेर शरीफ दरगाह 2. सीएसटी मुंबई 3. स्वर्ण मंदिर, अमृतसर 4. कामख्या मंदिर, असम 5. मणिकर्णिका घाट, वाराणसी 6. मीनाक्षी मंदिर, मदुरै 7. श्री माता वैष्णो देवी, कटरा, जम्मू-कश्मीर 8. श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी 9. ताज महल, आगरा 10. तिरुपति मंदिर, तिरुमला।

इन स्थानों के अतिरिक्त 10 अन्य स्थानों की घोषणा 25 अप्रैल 2017 को की गई। ये महत्वपूर्ण स्थान हैं :-
1. गंगोत्री, 2. यमुनोत्री 3. महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन, 4. चार मीनार, हैदराबाद, 5. चर्च एंड कॉन्वेंट ऑफ सेंट फ्रांसिस ऑफ असीसी, गोवा, 6. आदि शंकराचार्य निवास, कालडी एर्नाकुलम में, 7. श्रवणबेलगोला में गोमतेश्वर, 8. बैजनाथ धाम, देवघर, 9. बिहार में गया तीर्थ और 10. गुजरात में सोमनाथ मंदिर हैं।

स्वच्छ भारत अभियान से जुड़े ‘खिलाड़ी’ कुमार
फरवरी, 2017 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के अंतर्गत तेलंगाना के वारंगल जिले में इसी तरह की कवायद की सराहना की थी। उन्होंने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से सम्बद्ध विख्यात व्यक्तियों का आह्वान किया था कि वे ‘वेस्ट टू वेल्थ’ यानी ‘कचरे से सम्पदा’ शौचालय प्रौद्योगिकी के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए आगे आएं। इसी आह्वान पर फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार इस अभियान का हिस्सा हो गए हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश के खरगौन जिले के रेघवन गांव में शौचालयों के गर्त खाली करने के अभियान की शुरुआत 1 अप्रैल से की। गांव के एक घर में जाकर शौचालय के भरे हुए गर्त को खाली करने का काम किया। उन्होंने अपने हाथों से यह दिखाया कि शौचालय से कैसे कम्पोस्ट बनता है। उन्होंने ग्राम निवासियों को समझाया कि दो गर्त शौचालय मॉडल का यह प्रयोग पूरी तरह सुरक्षित है और इसके साथ कोई कलंक नहीं जुड़ा हुआ है।


क्लीन इंडिया मिशन से जुड़े बिग बी और ‘क्रिकेट के गॉड’
स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ऑडियो-विजुअल अभियान के विज्ञापनों में ब्रांड एम्बेसडर अमिताभ बच्चन और सचिन तेंदुलकर को बनाया गया है। इन विज्ञापनों के माध्यम से लोगों का समर्थन जुटाकर अभियान को सफल बनाने का प्रयास है।

स्वच्छ भारत के लिए आगे आया विश्व बैंक
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लिए विश्व बैंक की 1,500 मिलियन डॉलर वाली परियोजना को 23 मार्च 2016 मंजूरी दे दी गई। यह परियोजना मूल रूप से मौजूदा एसबीएम-जी में राज्यों को उनके प्रदर्शन के आधार पर प्रोत्साहित करती है। अनुमोदित परियोजना के तहत राज्यों के प्रदर्शन को निश्चित मापदंडों के आधार पर मापा जाएगा, जिसे डिसबर्समेंट-लिंक्ड इंडीकेटर्स (डीएलआई) कहा जाता है। तीन डीएलआई इस प्रकार हैं:-
1. पिछले साल की तुलना में राज्यों में ग्रामीण परिवारों के बीच खुले में शौच के मामलों में कमी के आधार पर राज्यों को धन जारी किया जाएगा।
2. गांवों में खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) की स्थिति को कायम रखना। इसके तहत ओडीएफ गांवों में रहने वाली अनुमानित जनसंख्या के आधार पर फंड जारी किया जाएगा।
3. उन्नत ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (SLWM) द्वारा ग्रामीण आबादी के प्रतिशत में वृद्धि: इस DL1 के तहत धन का आवंटन जनसंख्या के आधार पर किया जाएगा।
राष्ट्रीय स्वच्छता केन्द्र की स्थापना
दिल्ली में राजघाट पर राष्ट्रीय स्वच्छता केन्द्र को बनाये जाने की योजना सरकार ने बनायी है। इस केन्द्र से देश भर में चल रहे स्वच्छता कार्यक्रम को सुचारु ढंग से चलाने में और मदद मिलेगी। पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय, गांधी स्मृति व दर्शन समिति पर यह केन्द्र स्थापित करेगा।
स्वच्छ भारत अभियान के लिए विशेष बजटीय प्रावधान
स्वच्छ भारत मिशन के लिये वित्तवर्ष 2016-17 में रु. 11,300 करोड़ का प्रावधान किया गया था लेकिन इसमें लगभग 12800 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। वर्ष 2017-18 में इसमें रु. 16248 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

2030 तक ‘हर घर जल’ का लक्ष्य
प्रत्येक ग्रामीण को बाढ़ और सूखे सहित सभी परिस्थितियों में पीने, भोजन बनाने एवं अन्य घरेलू आवश्यकताओं तथा मवेशियों हेतु पर्याप्त जल उपलब्ध कराने के लक्ष्य के साथ केंद्र सरकार अपनी योजनाओं पर कार्य कर रहा है। इसी के तहत पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय ने 2030 तक हर घर जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।

साल के अंत तक 55 प्रतिशत घरों में पानी
वर्ष 2017 तक देश के कम-से-कम 55 प्रतिशत ग्रामीण घरों तक नल-जल पहुंचाया जाएगा। कम-से-कम 35 प्रतिशत घरों तक सीधे नल की सुविधा होगी, 20 प्रतिशत से कम लोगों को ही सार्वजनिक नल का उपयोग करना पड़ेगा, जबकि हैण्डपम्प का उपयोग करने वालों की संख्या को 45 प्रतिशत से नीचे लाने का लक्ष्य है। यह भी लक्ष्य रखा गया था कि ग्रामीण घरों, विद्यालयों एवं आंगनबाड़ी में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हो सके।

 

कठिन लक्ष्य, लेकिन इरादा पक्का
देश में लगभग 17 लाख 14 हजार ग्रामीण बस्तियां हैं, जिनमें से लगभग 77 फीसदी बस्तियों को प्रतिदिन प्रति व्‍यक्‍ति 40 लीटर से भी ज्‍यादा सुरक्षित पेयजल मुहैया दिया जाता है, जिनमें से लगभग 4 फीसदी बस्‍तियां जल गुणवत्‍ता की समस्‍याओं से जूझ रही हैं। संयुक्‍त राष्‍ट्र के सतत विकास लक्ष्‍यों के अनुरूप वर्ष 2030 तक प्रत्‍येक घर को निरंतर नल का पानी उपलब्ध कराने की भी चुनौती है, जिसके लिए लक्ष्‍य पूरा होने तक हर वर्ष 23000 करोड़ रुपये के केंद्रीय कोष की जरूरत पड़ेगी। इसके साथ ही देश में लगभग 2000 ब्‍लॉक ऐसे हैं जहां सतह एवं भूमिगत जल स्रोतों की भारी किल्‍लत है, जहां ‘मनरेगा’ जैसी योजनाओं के बीच समुचित सामंजस्‍य बैठाते हुए युद्ध स्‍तर पर जल संरक्षण करने की योजना चल रही है।
राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उपमिशन
पानी की खराब गुणवत्ता से निपटने के लिये सरकार ने वरीयता क्रम में आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों को ऊपर रखा है। सरकार ने 25,000 करोड़ रुपये की योजना के साथ मार्च 2021 तक देश में लगभग 28000 प्रभावित बस्तियों को सुरक्षित पेयजल मुहैया कराने के लिए 22 मार्च 2017 को आर्सेनिक और फ्लोराइड पर राष्‍ट्रीय जल गुणवत्‍ता उपमिशन शुरु कर दिया है।

 

ग्रामीण पेयजल के लिए विशेष बजटीय प्रावधान
राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के लिए वित्तवर्ष 2016-17 में रु. 6000 करोड़ (संशोधित) का प्रावधान रखा गया है जिसे 2017-18 में बढ़ाकर रु. 6050 करोड़ कर दिया गया है। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल के उपमिशन के हिस्से के रूप में अगले 4 वर्षों के लिये आर्सेनिक एवं फ्लोराइड प्रभावित 28000 से अधिक बस्तियों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया गया है।

 

‘स्वजलधारा’ से दूर होगी पानी की किल्लत
गांवों और बस्तियों में पेयजल सुरक्षा-स्तर बहाली के लिये वर्षाजल, सतही जल तथा भूजल के उचित उपयोग की व्यवस्था की गई है। गांवों में पेयजल उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये प्रबन्धन, कार्यान्वयन और मरम्मत का ग्रामीण-स्तर पर विकेन्द्रीकृत, मांग आधारित और समुदाय प्रबन्धित योजना ‘स्वजलधारा’ प्रारम्भ की गई थी।

 

सामूहिक प्रयास से बदलेगी सूरत
ग्रामीण स्वच्छता एवं पेयजल आपूर्ति में कई संस्थानों की सहभागिता होती है। ग्रामसभा, ग्राम पंचायत जैसी संस्थाओं के साथ पानी समिति और ग्राम जलापूर्ति समिति की महत्वूर्ण भूमिका है। ग्राम जलापूर्ति समिति ग्राम पंचायत की एक स्थायी समिति है एवं ग्राम पेयजल सुरक्षा हेतु नियोजन, क्रियान्वयन, संचालन रख-रखाव एवं प्रबन्धन के लिये उत्तरदायी है जिसमें एक प्रमुख दायित्व है जल गुणवत्ता मॉनीटरिंग और निगरानी।


भूमिगत जल के संरक्षण की योजना
आयरन, खारापन, नाइट्रेट और अन्य तत्वों से प्रभावित पानी की समस्या से निपटने का लक्ष्य बनाया गया है। एक बार जिन बस्तियों को पेयजल आपूर्ति की उपलब्धता सुनिश्चित की जा चुकी है उन्हें पुनः ऐसी समस्या का सामना न करना पड़े, इसके लिये जलस्रोतों के संरक्षण को विशेष महत्त्व दिया गया है। गांवों और बस्तियों में पेयजल सुरक्षा-स्तर बहाली के लिये वर्षाजल, सतही जल तथा भूजल के उचित उपयोग की व्यवस्था की गई है। सरकार देश के ग्रामीण क्षेत्रों 23 लाख और शहरी क्षेत्रों में 88 लाख संरचनाओं के माध्यम से वर्षा के जल के संरक्षण की योजना बनायी है।

2 COMMENTS

  1. CG सर हमने शौचालय बनबाने के लिए 18000 रुपया कर्ज लिया और शौचालय का निर्माण करवाया।इस्कु राशि मुझे अब तक प्राप्त नहीं नगर पंचायत का चक्कर लगा लगा कर

  2. सर हमने शौचालय बनबाने के लिए 18000 रुपया कर्ज लिया और शौचालय का निर्माण करवाया।इस्कु राशि मुझे अब तक प्राप्त नहीं

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