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कोयला उत्पादन में भारत ने हासिल किया ऐतिहासिक मुकाम, प्रधानमंत्री ने कहा -देश के लिए गौरव का क्षण

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भारत ने कोयला उत्पादन के मामले में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। भारत ने मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 में एक अरब टन कोयला उत्पादन का आंकड़ा पार कर ऐतिहासिक मुकाम हासिल कर लिया है। भारत ने ये उपलब्धि 20 मार्च, 2025 को हासिल की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे देश के लिए गौरव का क्षण बताया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने देश की एक अरब टन कोयला उत्पादन की ऐतिहासिक उपलब्धि की सराहना की है। उन्होंने केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी के एक एक्स पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि ‘भारत के लिए गर्व का क्षण! एक अरब टन कोयला उत्पादन को पार करना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, जो ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को उजागर करती है। यह उपलब्धि इस क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों के समर्पण और कड़ी मेहनत को भी दर्शाती है।’

देश के लिए यह खुशखबरी पिछले वित्त वर्ष के 997.83 मिलियन टन (एमटी) कोयला उत्पादन से 11 दिन पहले आई है। यह भारत की अपनी ऊर्जा मांगों को सुनिश्चित करने और औद्योगिक, कृषि और समग्र आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाती है। यह उपलब्धि प्रधानमंत्री मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

रिकॉर्ड तोड़ कोयला उत्पादन मोदी सरकार के रणनीतिक सुधारों और नीतियों को दर्शाता है। मोदी सरकार ने खान और खनिज अधिनियम में संशोधन कर और कोयला ब्लॉकों की वाणिज्यिक नीलामी के माध्यम से कोयला क्षेत्र को निजी खिलाड़ियों के लिए खोल ये मार्ग प्रशस्त किया है। केंद्र सरकार की इन पहलों से घरेलू कोयले की उपलब्धता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इससे विदेश से होने वाले आयात में भी कमी आई है और विदेशी मुद्रा की बचत भी हो रही है।

देश की यह उपलब्धि सिर्फ कोयला उत्पादन के बारे में नहीं है। यह दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और देश के समग्र विकास को गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कोयला क्षेत्र देश के ऊर्जा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और आर्थिक लचीलापन बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है।

भारत अपनी ऊर्जा के लगभग 55 प्रतिशत के लिए कोयले पर निर्भर है। देश की लगभग 74 प्रतिशत बिजली कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से पैदा की जाती है। यह भारत की अर्थव्यवस्था को शक्ति प्रदान करने और ऊर्जा सुरक्षा को बनाए रखने में कोयले के महत्व को दर्शाता है। यह उपलब्धि भारत को ऊर्जा क्षेत्र में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने की स्थिति में लाती है।

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