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विपक्ष का एक और पूर्व सीएम जेल जाने को तैयार! महादेव बेटिंग एप में CBI ने भूपेश बघेल के खिलाफ दर्ज की FIR

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पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन के बाद जेल जाने वाले नेता में अगला नाम भूपेश बघेल का हो सकता है। फर्क सिर्फ इतना है कि विपक्ष के पहले दोनों नेताओं ने सीएम रहते जेल की हवा खाई, लेकिन भूपेश बघेल अब पूर्व सीएम हो चुके हैं। महादेव एप मामले में उनपर शिकंजा तो सीएम रहते ही कसने लगा था, लेकिन वे जैसे-तैसे बचते रहे। प्रवर्तन निदेशालत के बाद महादेव बेटिंग एप घोटाले के मामले में सीबीआई ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल समेत 21 लोगों पर भ्रष्टाचार, ठगी और जुआ एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। सीबीआई ने इसी केस में दो आईपीएस अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार (डीओपीटी) से अभियोजन चलाने की स्वीकृति मांगी है। दोनों के खिलाफ सीबीआई को प्रारंभिक जांच में मोटी रकम के लेन-देन और खर्च के सबूत मिले हैं। दोनों अधिकारियों की कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है। राज्य सरकार के अधिकारी व कर्मचारियों पर भी छापे के बाद कार्रवाई की तैयारी कर ली गई है। सीबीआई की कार्रवाई के बाद ईडी ने भी मनी लॉड्रिंग और हवाला की जांच तेज कर दी है। सीबीआई ने जिन अधिकारियों के घर पर छापेमारी की है, उसकी अब ईडी भी जांच कर रही है।

भूपेश बघेल के आवास पर हुई थी छापेमारी, ये मिले सबूत
छत्तीसगढ़ में सीबीआई ने मार्च महीने में बड़ी कार्रवाई की थी। सीबीआई ने देशभर में भूपेश बघेल समेत तमाम आरोपियों के 60 लोकेशन्स पर छापेमारी की थी। महादेव सट्टा एप मामले में सीबीआई ने छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल के अलावा, भिलाई से विधायक देवेन्द्र याद, कई राजनेता, नौकरशाह और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई के बाद राज्य की राजनीति तेज हो गई है। दरअसल, महादेव सट्टा एप का प्रमोटर सौरभ चंद्राकर है और वह दुर्ग के भिलाई का रहने वाला है। सौरभ चंद्राकर फिलहाल दुबई में है। आरोप है कि भूपेश बघेल के कार्यकाल में महादेव सट्टा एप को खुलकर संरक्षण दिया गया। इसके बदले में तत्कालीन सीएम को 508 करोड़ रुपये की प्रोटेक्शन मनी देने का दावा किया गया। हालांकि भूपेश बघेल अपने मुख्यमंत्रित्व काल में इन आरोपों से किसी तरह बचते रहे, लेकिन जनता ने उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया।

पूर्व सीएम बघेल के साथ जेल में बंद लोगों को बनाया आरोपी
महादेव सट्टा मामले में सीबीआई ने पिछले साल छापामारी की थी। सीबीआई छापे के बाद 18 दिसंबर 2024 को दर्ज एफआईआर की कॉपी अब सार्वजनिक हुई है। सीबीआई ने कांग्रेस नेता भूपेश बघेल समेत 21 लोगों के खिलाफ 13 गंभीर धाराओं में एफआईआर किया है। इसमें पूर्व सीएम भूपेश बघेल के अलावा महादेव सट्टा के प्रमोटर रवि उप्पल, सौरभ चंद्राकर, शुभम सोनी उर्फ पींटू, चंद्रभूषण वर्मा, असीम दास, सतीश चंद्राकार, नीतिश दीवान, अनिल अग्रवाल उर्फ अतुल, विकास छापरिया, रोहित गुलाटी, विशाल अहूजा, धीरज अहूजा, अनिल दम्मानी, सुनील दम्मानी, सिपाही भीम सिंह यादव, हरीशंकर ट्रीब्लेवाल, सुरेंद्र बागड़ी, सूरज चोखानी, पुलिस अधिकारी, सीएम के ओएसडी और निजी व्यक्ति शामिल हैं।दिल्ली-मुंबई में टूर और खरीदारी, रायपुर से होता था पेमेंट
महादेव एप घोटाले में दो आईपीएस अपने टूर और खरीदारी की वजह से फंसे हैं। वे हर माह में दिल्ली, मुंबई और दूसरे बड़े शहर जाते थे। वहां होटल में ठहरते थे, लेकिन उसका पेमेंट खुद नहीं करते थे। बिल के समय उनका पेमेंट रायपुर से होता था। इसी तरह कई मॉल और शो रूम में भी दो-पांच लाख तक की खरीदारी की गई है। बिल उनके नाम से बना, लेकिन पेमेंट दूसरी जगह से हुआ है। रायपुर के एक मॉल में तो आईपीएस अधिकारी के नाम पर सबसे ज्यादा बिल बना है, लेकिन उसका पेमेंट अलग-अलग खातों व यूपीआई से हुआ है। जो मोबाइल भी खरीदा गया है, उसका भी पेमेंट कहीं और से हुआ है। सीबीआई ने अधिकारियों की यात्रा की पूरी जानकारी निकाल ली है। उनका कॉल डिटेल भी निकाल लिया गया है।

सीबीआई ने कोलकाता के भी बड़े हवाला कारोबारी के ठिकाने पर की जांच
सीबीआई को कोलकाता के बड़े हवाला कारोबारी के ठिकाने की जांच के दौरान छत्तीसगढ़ का कनेक्शन मिला है। जांच में पता चला है कि दुबई से मोटी रकम हवाला के माध्यम से कोलकाता आती थी। वहां से पैसा छत्तीसगढ़ पहुंचाया जाता था। हवाला का पैसा मुख्य तौर पर निलंबित एएसआई चंद्रभूषण वर्मा, रितेश यादव और राहुल वक्टे के पास आता था। उसके बाद अधिकारियों व नेताओं में बंटता था। हवाला का कनेक्शन मिलने के बाद ईडी अब इन अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की तैयारी में है। चर्चा है कि सीबीआई को महादेव सट्टा में 300 करोड़ रुपए से ज्यादा के हवाला का लिंक मिला है। कोलकाता से अलग-अलग समय में मोटी रकम हवाला के माध्यम से प्रोटेक्शन मनी के तौर पर भेजी गई है। इन पैसे को निचले स्तर के कर्मचारियों और अधिकारियों ने प्राप्त किया है। उन्होंने फिर अधिकारियों के बतायी जगह पर छोड़ा है। सीबीआई को ट्रांजेक्शन की लाइन मिल गई है। पैसों का लेन-देन कहीं भी ऑनलाइन नहीं किया गया है। पूरा लेन देन कैश में किया गया है। उन पैसों को कई संस्थाओं के माध्यम से दूसरे कार्यों में निवेश किया गया है। इस बीच एक आईपीएस और राप्रसे के अधिकारी के सरकारी गवाह बनने की चर्चा है। दोनों ने सीबीआई से गवाह बनने की इच्छा जाहिर की है। हालांकि सीबीआई ने किसी को अब तक गवाह बनाने की अनुमति नहीं दी है।

मास्टरमाइंड सौरभ चंद्राकर यूएई से रैकेट को करता था ऑपरेट
महादेव बेटिंग एप के मास्टरमाइंड सौरभ चंद्राकर है। मिली जानकारी के अनुसार सौरभ चंद्राकर यूएई में बैठकर इस पूरे रैकेट को चलाता था। जांच में पता चला है कि सौरभ ब्यूरोक्रेट्स और पॉलिटिशियन का एक नेक्सस तैयार कर महादेव बेटिंग ऐप को भारत में ऑपरेट कर रहा था। सौरभ के साथ उसका साथ रवि उप्पल भी इस ऐप को ऑपरेट करता था। ये दोनों ही महादेव ऐप के प्रमोटर भी थे। इनका नेटवर्क मलेशिया, थाईलैंड, भारत और यूएई के अलग-अलग शहरों तक फैला हुआ था। ये लोग अपने नेटवर्क के जरिए ही अलग-अलग सब्सिडरी ऐप बनाकर ऑनलाइन सट्टा खिलाते थे। ईडी की जांच में पता चला है कि इस ऐप के जरिए हजारों करोड़ रुपये के वारे-न्यारे किए गए हैं।

आइए, हम आपको विस्तार से समझाते हैं कि आखिर इस ऐप के जरिए ये पूरा खेल होता कैसे था…

जूस बेचने से लेकर सट्टेबाजी के घोटाले तक का सफर
ईडी की जांच में पता चला है कि महादेव बेटिंग ऐप का मास्टमाइंड सौरफ चंद्राकर एक समय में जूस बेचने का काम करता था। धीरे-धीरे करके सौरभ चंद्राकर सट्टेबाजी के खेल में घुसा और देखते ही देखते उसने अपने दोस्त रवि के साथ मिलकर महादेव बेटिंग ऐप को ग्लोबल बना दिया। छत्तीसगढ़ समेत देश के कई अलग-अलग राज्यों में महादेव बेटिंग ऐप के करीब 30 कॉल सेंटर थे। इन सभी कॉल सेंटर्स को बकायदा एक चेन बनाकर बेहद शातिर तरीके से चलाया जा रहा था। हिन्दुस्तान में इसे बेटिंग ऐप को ऑपरेट करने की जिम्मेदारी सौरभ और रवि ने अपने ही करीबी दोस्त अनिल दम्मानी और सुनील दम्मानी को दी थी। ये आरोपी सट्टेबाजी से मिलने वाले पैसे को कुछ इस तरह से ठिकाने लगाया जाता था कि उसकी खबर किसी को ना चल सके। ईडी की जांच में पता चला है कि सौरभ और रवि अपने दोस्तों की मदद से KYC के जरिए बड़ी संख्या में बेनामी बैंक एकाउंट खोलते थे। मेन प्रमोटर सौरभ चंद्राकर,रवि उप्पल और पैनल ऑपरेटर (कॉल सेंटर ऑपरेटर) इन सभी की मिली भगत से इस बैटिंग ऐप सिंडिकेट को चलाया जा रहा था। इस सिंडिकेट को चलाने के लिए पुलिस, पॉलीटिशियन और ब्यूरोक्रेट्स को भी हिस्सेदारी दी गई थी। अनिल दम्मानी का रोल इस सिंडिकेट में सिर्फ ऑनलाइन बेटिंग एप को ही चलाना नहीं, बल्कि बड़े स्तर पर हवाला के जरिए आने वाले पैसे को बेटिंग एप में इस्तेमाल करने के साथ-साथ पुलिस, पॉलिटिशियन और ब्यूरोक्रेट्स जो इस ऐप से लाभान्वित होते थे उन तक पैसा पहुंचाने का भी था। ताकि उनपर कोई उंगली ना उठा सके।ऑनलाइन सट्टेबाजी कराता था महादेव बेटिंग ऐप
महादेव बेटिंग ऐप एक ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए बनाया गया ऐप है। इस पर साइन इन करने वाले यूजर्स पोकर, चांस गेम्स और कार्ड गेम्स जैसे कई गेम खेल सकते थे। इस ऐप के जरिए क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल जैसे खेलों में सट्टेबाजी भी की जाती थी। इस ऐप ने अपने तमाम प्रमोशन के जरिए महज कुछ महीने में ही 12 लाख से ज्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ लिया था। ईडी की जांच में पता चला है कि इस ऐप से जुड़ने वाले लोगों में ज्यादातर छत्तीसगढ़ से थे। इस ऐप पर क्रिकेट मैच से लेकर चुनाव के परिणाम तक पर भी सट्टा लगाया जाता था। कहा जाता है कि इस ऐप के कारोबार ने खास तौर पर कोरोना के दौरान और रफ्तार पकड़ी थी।शातिर तरीके के काम करता था महादेव एप का नेटवर्क
ये कंपनी बेहत शातिर तरीके से ऑपरेट करती थी। लोगों को सट्टेबाजी के जरिए पैसे कमाने का लोभ देकर इनके एजेंट और लोगों को अपने साथ जोड़ते थे। कंपनी के साथ जुड़ने के लिए यूजर बताए गए नंबर पर संपर्क करते थे। जिसके बाद इन यूजर्स को व्हाट्सएप के एक प्राइवेट ग्रुप से जोड़ दिया जाता था। इसके बाद उन्हें कुछ वेबसाइट्स पर अपनी आईडी क्रिएट करने के लिए कहा जाता था। एक बार आईडी बन जाने के बाद यूजर्स को दो फोन नंबर दिए जाते थे। एक फोन नंबर के माध्यम से ये यूजर्स आईडी में पैसे के साथ प्वाइंट जमा करते थे, जबकि दूसरा नंबर आईडी के प्वाइंट को भुनाने और वेबसाइट से संपर्क करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता था। इसके बाद ये यूजर्स बेनामी खाते में पैसा जमा कराते थे। जीतने के बाद उसी खाते से वह अपना पैसा निकाल भी लेते थे।जांच में खुली पोल, हवाला के जरिए भेजा जाता था कैश
इसकी जांच में पता चला है कि हवाला के जरिए मोटा कैश UAE में बैठे प्रमोटर छत्तीसगढ़ में अनिल और सुनील दम्मानी को भेजते थे। उसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस के एक ASI चन्द्र भूषण वर्मा तक ये पैसा पहुंचाया जाता था जिसकी जिम्मेदारी थी कि छत्तीसगढ़ पुलिस में तैनात पुलिस अधिकारी ब्यूरोक्रेट्स और राजनीतिक प्रभाव वाले लोगों तक इस पैसे को बतौर रिश्वत पहुंचाना। यह पैसा रायपुर के सदर बाजार में एक ज्वेलर के यहां हवाला के जरिए भेजा जाता था। पूछताछ में अनिल दम्मानी ने बताया पिछले दो-तीन साल में वह अपने भाई सुनील के साथ मिलकर रवि उप्पल के कहने पर 60 से 65 करोड रुपए का ट्रांजैक्शन हवाला के जरिए कर चुका है। जिसमें से उसे 6 लाख रुपए मिले। अनील दम्मानी ने ये भी बताया कि ये दोनों अपनी ज्वेलरी की शॉप के जरिए हवाला का कारोबार भी चलाते है।

बॉलीवुड और मुख्यमंत्री के पीए विनोद वर्मा का कनेक्शन
दुबई में महादेव ऑनलाइन गेमिंग एप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर की शादी थी, जिसमें चार्टर्ड प्लेन से तकरीबन 17 बॉलीवुड हस्तियों को बुलाया गया था। जहां पर उनका स्टेज परफॉर्मेंस भी था। आरोप है कि इस परफॉर्मेंस के बदले में तमाम कलाकारों को हवाला के जरिए उन्हें परफॉर्मेंस के बदले करोड़ों रुपए दिए गए थे। बॉलीवुड के कई कलाकारों पर महादेव बेटिंग ऐप की सपोर्टिंग एप को प्रमोट करने का भी आरोप लगा है। पुलिस इन तमाम कलाकारों से पूछताछ कर रही है। ईडी की जांच में यह भी पता चला है कि सुनील और अनील यूएई में बैठे रवि उप्पल के संपर्क में रहते थे। इसका खुलासा उनकी कॉल डिटेल से हुआ है। इस पूरे खेल में पुलिस का एक एएसआई भी शामिल था, जिसकी पहचान अब चंद्रभूषण वर्मा के रूप में की गई है। वर्मा के संबंध मुख्यमंत्री के पीए विनोद वर्मा से थे। और वह उसी संबध के दम पर महादेव ऑनलाइन बेटिंग एप को ऑपरेट करने के लिए तमाम पुलिस अधिकारी और ब्यूरोक्रेट और पॉलिटिशयन को मैनेज कर रहा था।चुनावी खर्च की वसूली के लिए घोटाले में आया था भूपेश बघेल का नाम
काबिले गौर है कि महादेव एप घोटाले में केंद्रीय एजेंसी ने बड़ा दावा किया था। ईडी ने कहा था कि 2 नवंबर को उसे खुफिया जानकारी मिली कि 7 और 17 नवंबर 2023 को होने वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के संबंध में महादेव एप के प्रमोटरों द्वारा छत्तीसगढ़ में बड़ी मात्रा में नकदी ले जाई जा रही है। ईडी के मुताबिक, उसकी एक टीम ने होटल ट्राइटन और भिलाई में एक अन्य स्थान पर तलाशी ली और एक कैश कूरियर असीम दास को पकड़ा, जिसे विशेष रूप से सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के चुनावी खर्चों के लिए बड़ी मात्रा में नकदी पहुंचाने के लिए यूएई से भेजा गया था। ईडी ने 5.39 करोड़ रुपये की नकद राशि असीम की कार और उनके आवास से बरामद किए। पूछताछ में असीम दास ने स्वीकार किया है कि जब्त की गई धनराशि महादेव एप प्रमोटरों द्वारा छत्तीसगढ़ में आगामी चुनाव खर्चों के लिए बड़े नेता ‘बघेल’ को देने की व्यवस्था की गई थी। ईडी ने महादेव एप के कुछ बेनामी बैंक खातों का भी पता लगाया है जिनमें 15.59 करोड़ रुपये की शेष राशि फ्रीज कर दी गई है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हुआ लगभग 508 करोड़ रुपये का भुगतान
ईडी ने असीम दास को गिरफ्तार कर लिया। असीम दास से पूछताछ और उसके पास से बरामद फोन की फोरेंसिक जांच और महादेव नेटवर्क से जुड़े अहम व्यक्ति और घोटाले के आरोपियों में से एक शुभम सोनी द्वारा भेजे गए ईमेल की जांच से कई चौंकाने वाले आरोप सामने आए हैं। ईडी ने दावा किया था कि अब तक महादेव एप प्रमोटर्स द्वारा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लगभग 508 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। ईडी ने यह भी कहा कि ये जांच का विषय है और आगे की जांच के दौरान उसने पुलिस कांस्टेबल भीम यादव से भी पूछताछ की और उसे गिरफ्तार कर लिया। भीम ने एप के निर्माता और प्रमुख प्रमोटर रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर से मुलाकात की थी। ईडी ने कहा कि दोनों प्रमोटर्स को पीएमएलए विशेष न्यायाधीश रायपुर के समक्ष पेश किया गया। एजेंसी ने उनके चौंकाने वाले बयान की स्वतंत्र रूप से पुष्टि करने और मनी लॉन्ड्रिंग के सबूतों का पता लगाने के लिए कवायद तेज कर दी है।

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