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योग दिवस विशेष: यूएन में योग पर प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्ताव को चीन और कई मुस्लिम देश भी क्यों ना नहीं कर पाए

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अपने पहले संबोधन में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से संबंधित प्रस्ताव को बेहद प्रभावी तरीके से रखा था। यही वजह थी कि सदस्य देशों के इसके समर्थन में आने का सिलसिला शुरू हो गया। इसमें गौर करने वाली दो विशेष बातें थीं। एक तो ये कि इसमें चीन भी शामिल था, जो आम तौर पर सभी प्रस्तावों पर भारत के खिलाफ खड़ा नजर आता था। दूसरी यह कि भारत के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र में इस्लामिक सहयोग संगठन के 47 सदस्य देशों का समर्थन भी प्राप्त हुआ।

चीन के समर्थन के पीछे एक बैकग्राउंड भी था!
संयुक्त राष्ट्र में योग पर प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान से कुछ ही दिन पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग अपनी पत्नी पेंग लियुआन के साथ भारत आए थे। अपनी यात्रा में जिंगपिंग की पत्नी ने दिल्ली में टैगोर इंटरनेशनल स्कूल के बच्चों को योग और शंघाई से जिनयुआन सीनियर हाई स्कूल के बच्चों को वीडियो लिंक पर ताई-ची करते हुए एक साथ देखा था। ताई-ची में भी कुछ खास मुद्राएं होती हैं जिनमें ध्यान केंद्रित करके लंबी सांस लेना और छोड़ना होता है। बस फिर क्या था, अधिकारियों को विचार आया कि क्यों ना चीन से योग के लिए सह प्रस्तावक बनने पर चर्चा की जाए। भारत के राजदूत ने यूएन में मौजूद चीन के राजदूत के सामने इसका प्रस्ताव रखा। चीन के राजदूत ने अपनी सरकार से बातचीत की और जल्दी ही चीन इसके लिए तैयार हो गया।

प्रधानमंत्री ने स्थापित किया सीमाओं से परे है योग
संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी योग पर प्रस्ताव रखते हुए यह स्थापित करने में सफल रहे कि योग किसी धर्म विशेष की विधा नहीं, बल्कि इसे अपनाना पूरी मानव जाति के हित में है। प्रधानमंत्री ने इसे स्‍वास्‍थ्‍य व कल्‍याण का समग्र दृष्टिकोण बताते हुए कहा था कि योग केवल व्‍यायाम भर न होकर अपने आप से तथा विश्व व प्रकृति के साथ तादात्म्‍य को प्राप्त करने का माध्यम है। यही कारण था कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को जिन 177 देशों ने स्वीकार किया उनमें 47 मुस्लिम राष्ट्र भी शामिल रहे। यानि ये सभी देश इससे सहमत थे कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर मनाया जाए। मुस्लिम राष्ट्रों में बांग्लादेश, अफगानिस्तान, तुर्की, ईरान, इंडोनेशिया, यूएई, कतर और ओमान जैसे देशों ने भारत के योग संबंधी प्रस्ताव का समर्थन किया था।  

मुस्लिम देशों में भी बढ़ी योग की लोकप्रियता
संपूर्ण मानवता के विकास के विचार के साथ चलने वाले राष्ट्रों ने योग के साथ अपने लिए एक बेहतर भविष्य को देखा है। यहां न धर्म है ना जाति है, यहां है तो बस पूरे विश्व समुदाय को सेहतमंद बनाने का लक्ष्य जिसमें देश की सीमाएं और मजहब से ऊपर उठकर लोग योग को अपना रहे हैं। पहले योग दिवस से लेकर अब तक मुस्लिम राष्ट्रों में भी योग ने अपनी खासी पहचान बनाई है। योग दिवस पर यूएई से लेकर मिस्त्र तक एक अद्भुत नजारा दिखता है। मिस्र में योग का प्रशिक्षण देने वाले स्कूलों एवं केंद्रों की संख्या पिछले कुछ वर्षों में बढ़कर करीब 50 हो गई है।  

अरब देशों में योग दिवस पर विशेष आयोजन
अरब देशों में सबसे अधिक आबादी वाले मिस्र में पिछले वर्ष योग दिवस पर इफ्तार से पहले बड़ी संख्या में लोग बैरन पैलेस में एकत्र हुए जहां उन्होंने पेशेवर ट्रेनरों के साथ योगाभ्यास किया। बैरन पैलेस हेलियोपोलिस में भारत से प्रेरित एक विशिष्ट ऐतिहासिक भवन है। वहीं यूएई की राजधानी अबु धाबी में आयोजित एक योग सत्र में 4000 से अधिक लोगों ने भाग लिया जहां विभिन्न योग संघों ने अपनी अलग अलग शैलियों का प्रदर्शन किया। इस दौरान लाफ्टर योग का भी आयोजन किया गया था।

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