जीवन को जी भर कर जीने की जड़ी बूटी है योग। योग न तो पहुंच और विस्तार देखता है और न ही जाति-धर्म के अंतर को। योग शब्द में ही जुड़ने का अद्भुत अहसास है। हमारे देश की सनातन संस्कृति भी तो यही कहती है… जोड़ो… शामिल करो…। दरअसल योग ऐसी व्यवस्था है जो स्वयं में एक आस्था है। अगर आस्था के अहसास के साथ योग को अपनाया जाए तो सारा संसार एक हो जाए। इसी विजन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुनर्स्थापित करने की ठानी और दुनिया ने उनकी बात मानी। 192 देशों ने समर्थन दिया और अब हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा।
प्रधानमंत्री की नीतियों में भी ‘योग’
दरअसल प्रधानमंत्री की सोच, आचार-व्यवहार और जीवन जीने का आधार सबकुछ योग ही तो है। ‘सबका साथ-सबका विकास’ जैसी नीतियों में भी योग का विस्तार ही है। ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ नीति का मूल आधार भी तो योग है। इन नीतियों में भी जुड़ने की बात है, शामिल करने की बात है, समाज को साथ लेकर चलने की बात है। पीएम मोदी ने एक कदम और बढ़कर सोचा… संसार को साथ ले चलने का, विश्व को जोड़ने का।
आज हर कोई जीवन को जी भर कर जीना चाहता है, जीवन में संतुलन चाहता है। जिस तरह से दुनिया के दूसरे देशों में लोगों ने योग को अपनाया है, यह हमारे दिल और दिमाग को और करीब लाता है। स्पष्ट है कि योग भारत की तरफ से विश्व को दिया गया सबसे बड़ा उपहार है।
अब तक दो अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन हो चुका है। देश में इन दोनों योग दिवस का आयोजन प्रधानमंत्री की अगुआई में किया गया है। पहले योग दिवस का मुख्य कार्यक्रम दिल्ली के राजपथ पर तो दूसरे का आयोजन चंडीगढ़ में किया गया। आइए देखते हैं योग और इससे जुड़े आयोजनों से जुड़ी कुछ खास तस्वीरें-