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महिला सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध मोदी सरकार, बच्चियों से दुष्कर्म पर होगी फांसी, लोकसभा में संशोधित विधेयक पास

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महिला सुरक्षा मोदी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। बीते चार वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने महिलाओं के भीतर सुरक्षा की भावना जगाने के लिए कई कदम उठाए हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चियों से ज्यादिती करने वालों को फांसी की सजा दिलाए जाने का कड़ा कानून बनाने की बात कही थी। अब लोकसभा में बच्चियों से दुष्कर्म के मामलों में फांसी की सजा के प्रावधान वाले विधेयक को पारित कर दिया गया है। मोदी सरकार ने आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2018 में महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी प्रावधान किए हैं।

अब बच नहीं सकेंगे रेप के आरोपी
इस संशोधित विधेयक में 16 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार के मामले में न्यूनतम सजा 10 साल से बढ़ाकर 20 वर्ष सश्रम कारावास किया गया है। इस मामले में अधिकतम सजा उम्र कैद और जुर्माना होगा। इसी तरह से 12 साल से कम उम्र की बालिकाओं के साथ बलात्कार के दोषियों को भी कम से कम 20 साल सश्रम कारावास की सजा का प्रावधान है। इन मामलों में मृत्युदंड देने का भी प्रवाधान है। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार 16 साल से कम उम्र की बालिकाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म की स्थिति में न्यूनतम सजा उम्र कैद और जुर्माना होगी। 12 साल से कम उम्र की बालिकाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म की स्थिति में न्यूनतम सजा उम्र कैद और जुर्माना होगी। इन मामलों में भी मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है। रेप के अन्य मामलों में भी न्यूनतम सजा 7 साल से बढ़ाकर 10 साल की गयी है।

2 महीने के भीतर पूरी करनी होगी जांच
मोदी सरकार ने संशोधित कानून में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद दो महीने के भीतर जांच पूरी करने का प्रावधान किया गया है, पहले यह अवधि तीन महीने थी। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि बलात्कार से संबंधित मामले महिला अधिकारी ही दर्ज करे। जांच का काम भी महिला अधिकारी को ही सौंपा जाएगा। नए कानून के अनुसार अब सभी अस्पतालों के लिए बलात्कार पीड़िता का नि:शुल्क इलाज करना आवश्यक होगा। इसके साथ ही सुनवाई के दौरान कोई वकील पीड़िता के चरित्र पर सवाल नहीं कर सकेगा। मोदी सरकार बलात्कार से जुड़े मामलों में फॉरेंसिक जांच के लिए हर शहर में विशेष प्रयोगशालाएं स्थापित करेगी। इस कानून में यह भी प्रावधान किया गया है कि 12 साल और 16 साल से कम उम्र की बालिकाओं के साथ बलात्कार के मामलों में अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी। आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश 2018 का स्थान लेगा जो 21 अप्रैल को लागू किया गया था।

आइए अब देखते हैं जानिए मोदी सरकार की वो नीतियां, जिनसे आसान बना महिलाओं का जीवन-

1. निर्भया फंड के तहत उठाए कई कदम
मोदी सरकार ने महिला सुरक्षा के लिए निर्भया फंड के तहत कई कदम उठाए हैं। वर्ष 2017 में 2,000 करोड़ से ज्यादा की रकम इसके लिए खर्च की गई है। निर्भया के तहत रेलवे द्वारा Integrated Emergency Response Management परियोजना चलाई जा रही है। देश के 983 प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहा हैं, इनके माध्यम से 24 घंटे महिला यात्रियों को सुरक्षा प्रदान की जाएगी। पांच राज्यों में महिला पुलिस स्वयंसेवक तैनात किए गए हैं, जो महिलाओं को उनके खिलाफ होने वाले अपराध की रिपोर्ट दर्ज कराने में मदद करती हैं। निर्भया के तहत ही Central Victim Compensation Fund बनाया गया है, जिसके जरिए पीड़ित महिलाओं को समय पर मदद दी जाती है। महिला सुरक्षा के लिए मोदी सरकार ने New Taxi Policy Guidelines बनाई है और यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा के कई प्रावधान किए हैं।

2. मोबाइल में पैनिक बटन
मोदी सरकार महिला सुरक्षा को लेकिर प्रतिबद्ध है। केंद्र सरकार ने देश में बनने वाले या आयात किए जाने वाले सभी मोबाइल फोन में एक पैनिक बटन को अनिवार्य कर दिया है। इससे संकट में फंसी महिलाओं को मदद मिल सकेगी। इस पैनिक बटन की सुविधा को पुलिस की आपतकालीन सेवा से जोड़ गया है।

3. महिलाओं के लिए वन स्टॉप सेंटर
पहले हिंसा की शिकार हुई महिलाओं को पुलिस और दूसरे विभागों से मदद के लिए भटकना पड़ता था। अब ऐसी महिलाओं की मदद के लिए देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 168 ‘वन स्टॉप सेंटर्स’ खोले गए हैं। इन केंद्रों को महिला हेल्पलाइन के साथ जोड़ा गया है और ये पीड़ित महिलाओं को 24 घंटे आपातकालीन सेवा मुहैया करा रहे हैं। इन केंद्रों के माध्यम से पीड़ित महिलाओं को पुलिस, चिकित्सा, कानूनी सहायता, मनोवैज्ञानिक सहायता और जरूरत पड़ने पर आश्रय भी प्रदान किया जा रहा है। दिसंबर 2017 तक इन वन स्टॉप सेंटरों में 70,000 से अधिक महिलाओं की मदद की गई है।

4. महिलाओं की सहायता के लिए हेल्पलाइन 181
महिलाओं की मदद के लिए केंद्र सरकार ने वुमन हेल्पलाइन 181 शुरू की है। यह हेल्पलाइन नंबर देश के 28 राज्यों को कवर कर रहा है। पिछले एक वर्ष में इस हेल्पलाइन के जरिए 11 लाख महिलाओं ने शिकायत दर्ज कराई हैं, और उनका निस्तारण किया गया है।

5. ऑनलाइन शिकायत की सुविधा- She Box
कार्यस्थल पर महिला कर्मचारियों के यौन उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने और ऐसी महिलाओं की मदद के लिए ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने की सुविधा प्रदान की गई है। अब चाहे सरकारी क्षेत्र की महिला कर्मचारी हों या निजी क्षेत्र की, वह बिना की डर के ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकती हैं।

6. एसिड अटैक की पीड़िताओं को दिव्यांगों जैसी मदद
देश में एसिड अटैक से पीड़ित महिलाओं के लिए कोई योजना नहीं थी, पहले की किसी भी सरकार ने इसके बारे में नहीं सोचा। मोदी सरकार ने एसिट अटैक से पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए The Rights of Persons with Disabilities Act, 2016 में परिवर्तन कर एसिड अटैक को दिव्यांगता की श्रेणी में शामिल किया है। अब एसिड अटैक से पीड़ित महिलाएं को दिव्यांगों को मिलने वाली आर्थिक और दूसरी मदद जी जा सकती है।

7. मृत्यु प्रमाणपत्र में विधवा का नाम दर्ज करना जरूरी
पति की मृत्यु होने पर पत्नी का नाम विधवा के रूप में मृत्यु प्रमाण पत्र पर लिखना अनिवार्य कर दिया गया है। देखने में यह बहुत छोटी सी बात लगती है, लेकिन महिलाओं को अपने अधिकार पाने के लिए इससे बहुत मदद मिलेगी। अक्सर देखा जाता है कि पति की मृत्यु होने के बाद महिलाओं को अपने अधिकार पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता था, इस बदलाव के बाद महिलाओं को मदद मिलेगी।

8. स्वाधार गृह
समाजिक और आर्थिक सहयोग नहीं मिलने से परेशानी में रहने वाली महिलाओं को आश्रय, भोजन, कपड़ा, चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए देश भर में स्वाधार गृह स्थापित किए गए हैं। दिसंबर 2017 तक देश में 561 स्वाधार गृह स्थापित हो चुके हैं और 17,291 महिलाओं को इनका लाभ मिल रहा है। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के वृंदावन में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से एक Widow Home का निर्माण कराया गया है, जिसकी क्षमता एक हजार महिलाओं को आश्रय देने की है।

9. महिलाओं के लिए पासपोर्ट नियमों में बदलाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोकस हमेशा महिलाओं को दैनिक जीवन में आने वाली दिक्कतों को दूर करने और उन्हें आत्मसम्मान के साथ जीने का अवसर प्रदान करने पर रहा है। पिछले वर्ष मोदी सरकार ने महिलाओं पासपोर्ट में शादी के पूर्व का उपनाम रखने की छूट प्रदान की। यानी अब महिलाओं को शादी के बाद पासपोर्ट में अपना सरनेम नहीं बदलना पड़ता है। इसके साथ ही एकल महिलाओं के लिए भी पासपोर्ट के नियम में बदलाव किया गया है। अब पासपोर्ट फार्म में या तो मां या फिर पिता का नाम लिखना जरूरी है। इसके साथ ही पासपोर्ट आवेदन के समय मैरिज सर्टिफिकेट या फिर तलाक का प्रमाण देने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। इससे महिलाओं को सम्मानजनक पहचान मिली है।

10. कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल
केंद्र सरकार की Working Women Hostel Scheme का मकसद कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित और कम खर्चीला आवास उपलब्ध कराना है। इन हॉस्टर में बच्चों के लिए Day care सुविधा भी होती है। इस योजना के तहत पिछले साढ़े तीन वर्षों ऐसे हॉस्टल के 69 प्रस्ताव मिले हैं, जिनमें से 54 नए हॉस्टल बनाने के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है।

11. देह व्यापार से बचाई गईं महिलाओं को आश्रय
केंद्र सरकार उज्ज्वला योजना के तहत देह व्यापार में फंसी महिलाओं को बचाने और उनके पुनर्वास के लिए चलाई जा रही 286 परियोजनाओं की वित्तीय सहायता कर रही है। महिलाओं के कल्याण के लिए चलाई जा रही उज्जवला योजना के तहत इस कार्य के लिए 2014-15 से 2016-17 तक 33.2 करोड़ रुपये आवंटित किए जा चुके हैं। 2014 से 2017 तक कुल 24,390 महिलाओं की मदद की जा चुकी है।

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