Home विपक्ष विशेष अपने ही विधायकों को बिकाऊ क्यों मानती है कांग्रेस?

अपने ही विधायकों को बिकाऊ क्यों मानती है कांग्रेस?

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गुजरात में गांव-घर सब बारिश और बाढ़ में बह रहे हैं। अब तक 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। एक तरफ गुजरात में बाढ़ का प्रलय है तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने अपने ही विधायकों को पीड़ित जनता से दूर कर रखा है। कांग्रेस ने अपनी ही पार्टी के विधायकों को कर्नाटक के होटल में कैद कर रखा है। इस वक्त जब विधायकों को बाढ़ग्रस्त इलाके में रहना चाहिए था तो कांग्रेस अपने विधायकों को नजरबंद कर खुश हो रही है। इतना ही नहीं कांग्रेस के गुजरात के सबसे बड़े नेता अहमद पटेल ने कहा, “विधायक बेंगलुरु से स्थिति पर नजर बनाए रखे हैं और हर मुमकिन मदद भी कर रहे हैं।” दरअसल कांग्रेस और अहमद पटेल गुजरात में बारिश और बाढ़ से ज्यादा उस राजनीतिक सैलाब से परेशान हैं जिसमें गुजरात कांग्रेस के डूब जाने का खतरा है।

कांग्रेस की विभाजन कारी नीतियां के लिए चित्र परिणाम

कांग्रेस की नीति, नीयत और सिद्धांत पर सवाल
08 अगस्त को गुजरात में राज्यसभा चुनाव होने वाले हैं जिसमें अहमद पटेल कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। इस चुनाव को जीतने के लिए पटेल को 46 वोटों की आवश्यकता है। जबकि कांग्रेस के पास 183 सदस्यों वाली गुजरात विधानसभा में अब 51 विधायक हैं। लेकिन इनमें से 10-12 विधायकों के पार्टी से नाराज होने की खबरें हैं, जो पार्टी लाइन से अलग वोट कर सकते हैं। हालांकि अहमद पटेल की जीत सुनिश्चित करने को लेकर पार्टी ने अपने 44 विधायकों को बेंगलुरु के एक रिजॉर्ट में ‘कैद’ कर रखा है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर कांग्रेस को अपने ही विधायकों से खतरा महसूस क्यों हो रहा है? क्या पार्टी को ये लगता है कि उनके नेता बिकाऊ हैं और पाला बदल लेंगे? कांग्रेस नीति और सिद्धांतों की दुहाई देती रही है तो क्या कांग्रेस ये सोचती है कि उनके विधायकों का कोई सिद्धांत नहीं है?

कांग्रेस को खुद पर भरोसा नहीं के लिए चित्र परिणाम

कांग्रेस को अपने नेतृत्व पर भरोसा नहीं
दरअसल अपने विधायकों को गुजरात से बेंगलुरु भगाकर कांग्रेस पार्टी ने साबित कर दिया है कि उसे ना तो अपनी नेतृत्व क्षमता पर भरोसा है और ना ही अपने विधायकों पर। अगर कांग्रेस पार्टी चाहती तो एक मीटिंग करके विधायकों को अपने साथ रहने के लिए मना सकती थी। मान-मनौव्वल भी करना पड़ता तो वह भी कर लेती। लेकिन सभी विधायकों को बेंगलुरु ले जाकर और उन्हें वहां के एक रिजॉर्ट में बंद करके कांग्रेस से साबित कर दिया है कि न तो उसे अपने विधायकों पर भरोसा है और न ही उसे अपनी नेतृत्व क्षमता पर।

कर्नाटक के होटल में कैद के लिए चित्र परिणाम

अहमद पटेल को जिताने में लगी पूरी मशीनरी
कांग्रेस ने अपने विधायकों पर शक करते हुए उन्हें बैंगलोर रिजॉर्ट में बंद कर दिया गया है। उनके फोन तक जब्त कर लिए गए हैं ताकि वे किसी से फोन पर बात ना कर पाएं। कांग्रेस ने यह सब सिर्फ इसलिए किया है क्योंकि उन्हें अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है। कांग्रेस पार्टी के नेता के इस रिजॉर्ट में फुल प्रूफ व्यवस्था है कि कोई भी बाहरी आदमी इसमें न जा पाए। ऐसा करके क्या कांग्रेस पार्टी अपने ही विधायकों के लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन नहीं कर रही?

अहमद पटेल बलवंत सिंह राजपूत के लिए चित्र परिणाम

कांग्रेस के सिद्धांतों पर सवाल
कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी GST विरोध किया लेकिन उनके ही विधायकों ने जीएसटी के पक्ष में वोट दे दिया। पार्टी के 11 विधायकों ने राष्ट्रपति चुनाव में भी क्रॉस वोटिंग कर दी। जाहिर है कांग्रेस के कई विधायकों को पार्टी की नीतियां पसंद नहीं हैं। वे नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक और GST बिल जैसे देशहित के मुद्दों पर पार्टी लाइन से अलग खड़े रहे हैं। लेकिन कांग्रेस की सोच इस स्तर की है कि ये अपने विधायकों को खुद ही बिकाऊ समझ रहे हैं। ऐसे में पार्टी के सिद्धांतों को लेकर सवाल तो खड़े होंगे ही।

अहमद पटेल Vs बलवंत सिंह राजपूत का मुकाबला
गुरुवार को कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामने वाले विधायकों में बलवंत सिंह‍ राजपूत भी शामिल हैं। बलवंत सिंह राजपूत कांग्रेस से हाल ही में अलग हुए शंकर सिंह वाघेला के समधी हैं और बीजेपी ने बलवंत सिंह राजपूत को ही अपना तीसरा राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में अहमद पटेल के सामने बलवंत सिंह राजपूत खड़े हैं। कद्दावर नेता राजपूत उत्तर गुजरात के उन नेताओं में से हैं जो कांग्रेस के टिकट पर बरसों इलेक्शन जीतते रहे हैं। ऐसे में उनका पार्टी छोड़ना और अहमद पटेल के मुकाबिल खड़ा होना कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब है।

वाघेला अहमद पटेल के लिए चित्र परिणाम

वाघेला को दरकिनार करना कांग्रेस पर भारी पड़ेगा !
शंकर सिंह वाघेला के कांग्रेस छोड़ने के पीछे एक बड़ा कारण अहमद पटेल की दखलअंदाजी रही है। पटेल वह नेता हैं जो गुजरात में कांग्रेस को एक भी चुनाव जीतने में मदद नहीं कर पाए। लेकिन उनके वर्चस्व पर सवाल उठाने वाले परास्त हो गए। जमीन से जुड़े नेता शंकर सिंह वाघेला उन परास्त हुए नेताओं में से एक हैं। कहा जा रहा है कि अहमद पटेल के कारण ही वाघेला ने पार्टी छोड़ी है। बहरहाल अब वे पटेल के सामने आ खड़े हुए हैं। जाहिर है शंकर सिंह वाघेला अपने समधी बलवंत सिंह राजपूत के साथ हैं और उनकी जीत सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं।

अहमद पटेल की इतनी अहमियत क्यों?
दरअसल अहमद पटेल गुजरात की राजनीति का वह चेहरा हैं जो दिखते कहीं नहीं हैं पर होते हर जगह हैं। पटेल कभी राजीव गांधी के नजदीकी थे और 2001 से वह सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव हैं। माना जाता है कि पार्टी के हर छोटे-बड़े फैसले में उनकी मुहर से ही हुआ करते हैं। पटेल 1993 से हर बार गुजरात से राज्यसभा में जीतते रहे हैं। लेकिन इस बार अपने ही विधायकों के बागी तेवर के कारण उनकी राह मुश्किल लग रही है।

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