Home विपक्ष विशेष देशद्रोहियों की तरह बात क्यों करते हैं वामपंथी?

देशद्रोहियों की तरह बात क्यों करते हैं वामपंथी?

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वामपंथी जब भी मुंह खोलते हैं देशविरोधी भाषा ही बोलते हैं। वामपंथियों के देशविरोधी कृत्यों का एक पूरा काला इतिहास है। यह किसी से छिपा नहीं है। ताजा मामला सीपीएम के पूर्व महासचिव प्रकाश करात के बयान का है। भारत-चीन के बीच सिक्किम-भूटान सीमा पर डोकलाम क्षेत्र की तनातनी पर प्रकाश करात ने चीन का पक्ष लिया और भारत सरकार को सलाह दे डाली कि ये मामला भूटान और चीन का है। करात यह बयान भारत के विरुद्ध है और ये देशद्रोह की श्रेणी में रखा जा सकता है।

क्या है डोकलाम विवाद? 
भूटान का पठारी क्षेत्र है डोकलाम सिक्किम की सीमा से सटा है। इससे चीन की भी सीमा लगती है। भूटान और भारत के बीच एक समझौता है जिसके तहत भारत, भूटान के इस क्षेत्र की निगरानी करता है और सुरक्षा मुहैया कराता है। चीन की सेना ने जबरन वहां घुसकर विवाद पैदा किया जिसका भारतीय सेना ने डटकर विरोध किया। उसके बाद वहां पर दोनों देशों के बीच स्थिति तनावपूर्ण है। भारत ने पहली बार चीन के सामने झुकने के बजाय और अधिक सेना की तैनाती कर दी है।

मोदी के आक्रामक रूख से चीन को लगा धक्का
चीन की नीति विस्तारवादी है। वह किसी क्षेत्र को विवादित बताता है। फिर उस क्षेत्र में सेना को जबरन तैनात करता है। लेकिन मोदी सरकार में ऐसा पहली बार हुआ कि चीनी सेना को भारतीय सेना ने खदेड़ दिया। भारतीय सेना चीन के सामने आक्रामक तेवर के साथ डटी है। पहली बार मोदी सरकार की नीतियों की वजह से चीन को झटका लगा है।

चीन को लगे धक्के से वामपंथी परेशान
मोदी सरकार के कारण पहली बार चीन के होश उड़े हुए हैं। दुनिया भर में उसकी किरकिरी हो रही है। इससे चीन परस्त वामपंथियों के पेट में दर्द होने लगा है। दस साल तक सीपीएम के महासचिव रहे प्रकाश करात का मोदी सरकार को चीन से नए सिरे से बातचीत की सलाह इसी ओर ही इशारा करता है।

भारत-चीन युद्ध 1962 में चीन के साथ थे वामपंथी
वामपंथियों से प्रभावित होकर नेहरू हिन्दी-चीनी भाई-भाई कर रहे थे। पंचशील का समझौता किया था और जब 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया, तब वामपंथियों को असली चेहरा देश के सामने आ गया था। कोलकाता में हुए एक अधिवेशन में तब ज्योति बसु ने कहा था कि चीन कभी भी हमलावर नहीं हो सकता है। 1962 में वामपंथियों का कहना था कि भारत-चीन के बीच युद्ध नहीं बल्कि पूंजीवाद और साम्यवाद के बीच एक संघर्ष है। वामपंथी गैंग ने युद्ध का दोष भारत पर मढ़ दिया था।

पत्थरबाजों के समर्थक हैं करात
सेना प्रमुख ने पत्थरबाज डार को जीप से बांधने के मसले पर मेजर लीतुल गोगोई की तारीफ की थी। इसके बाद सीपीएम के पूर्व महासचिव प्रकाश करात ने पार्टी के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ में लेख लिखकर सेना प्रमुख पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आर्मी चीफ का बयान मोदी सरकार के विचार को सामने ला रहा है जो कश्मीर में लोगों के राजनीतिक विरोध को सैन्य ताकत के इस्तेमाल से दबाना चाहती है। 

डायर से तुलना कर किया लाखों शहीदों का अपमान
वामपंथी इतिहासकार पार्था चटर्जी ने कश्मीर में पत्थरबाज को जीप से बांधने वाले मेजर लीतुल गोगोई के बचाव में उतरे आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत की तुलना जनरल डायर से की। जालियांवाला नरसंहार के दोषी जनरल डायर से तुलना करके पार्था चटर्जी ने 13 अप्रैल, 1919 को शहीद हुए हजारों वीरों का अपमान किया। चटर्जी ने न्यूज पोर्टल वायर में ‘जनरल डायर मोमेंट’ में लेख लिखा था। चटर्जी ने लिखा कि 1919 में ब्रिटिश आर्मी ने जो पंजाब में किया वही आज कश्मीर में इंडियन आर्मी कर रही है।

मोदी के इजरायल दौरे का करात ने किया विरोध
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पूर्व महासचिव प्रकाश करात ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इजरायल दौरे पर अफसोस जताया है। करात ने प्रधानमंत्री के इजरायल दौरे की निंदा करते हुए कहा कि यह कदम फिलिस्तीन के साथ सहयोग करने की भारत की नीति के एकदम विपरीत है और फिलिस्तीन मामले में भारत की नीति में बदलाव को दर्शाता है। भारत में विदेश नीति को लेकर कभी राजनीति नहीं होती थी लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से विदेश नीति को भी राजनीति में घसीटा जा रहा है।

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