Home विचार कांग्रेस के साथ जजों का ये रिश्ता क्या कहलाता है!

कांग्रेस के साथ जजों का ये रिश्ता क्या कहलाता है!

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कांग्रेस पार्टी जब सत्ता में रहती है तो मनमानी करती है। विपक्ष में रहने पर भी साम, दाम, दंड, भेद के जरिए सत्ता हासिल करने की जुगत में लगी रहती है। इस क्रम में वह न्यायपालिका और न्यायाधीशों का राजनीतिकरण करने से भी नहीं चूकती है।

12 जून को हाई कोर्ट के जज रहे अभय महादेव थिप्से ने जब कांग्रेस पार्टी का दामन थामा तो इसके स्पष्ट प्रमाण भी सामने आ गए। जाहिर है सवाल उठने लगे हैं कि हाई कोर्ट के जज के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान जज अभय महादेव थिप्से कितने निष्पक्ष रहे होंगे?

रिटायर जज महादेव थिप्से ने थामा कांग्रेस का हाथ
राहुल गांधी के साथ जज अभय महादेव थिप्से की ये तस्वीरें कांग्रेस और जजों के पर्दे के पीछे के रिश्तों की कहानी कहती है। गौरतलब है कि इससे पहले भी कई जजों ने रिटायर होने के बाद ऐसे पद लिए जिन्हें राजनीतिक माना जाता रहा है। लेकिन किसी हाई कोर्ट के जज का इस तरह से किसी राजनीतिक दल की सदस्यता ग्रहण करने का संभवत: यह पहला मामला है।

कांग्रेस की लाइन लेंथ पर चलते रहे हैं पूर्व जज अभय महादेव थिप्से

बेस्ट बेकरी केस में गवाहों के मुकरने के बाद भी चार आरोपियों को दोषी करार दिया
2004 में कहा, “मुझे एक चिट्ठी लिखकर कहा गया कि मैं एक हिंदू की तरह पेश आऊं”
थिप्से ने अपने कार्यकाल में कई माओवादियों-आतंकवादियों को जमानत दी
थिप्से ने 5600 करोड़ के NSE घोटाले में जिग्नेश शाह को जमानत दी थी
थिप्से महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी कानून मकोका के भी विरोधी हैं
थिप्से ने कहा था, ”सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के मामले में न्याय नहीं हुआ’’
थिप्से ने कहा था, ”अदालतें मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करती हैं’’

 

कांग्रेस के कहने पर चार जजों ने किया था प्रेस कान्फ्रेंस!
जनवरी, 2018 में सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों चेलमेश्वर, मदन लोकुर, रंजन गोगोई और कुरियन जोसेफ ने मीडिया के सामने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की कार्यशैली पर प्रश्न खड़े किए। केंद्र सरकार ने इसे कोर्ट का अंदरूनी मामला बताया, लेकिन कांग्रेस ने इस मुद्दे को राजनीतिक पार्टियों के बीच की लड़ाई बनाने की कोशिश की। चारों जजों के प्रेस कांफ्रेंस के आयोजक 10 जनपथ से करीबी ताल्लुक रखने वाले पत्रकार शेखर गुप्ता थे। जाहिर है कि इसके पीछे कांग्रेस की मिलीभगत थी।

जस्टिस के एम जोसेफ की नियुक्ति के लिए तोड़ी मर्यादा
उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस नहीं बनाने पर भी कांग्रेस ने राजनीति की। दरअसल केंद्र सरकार ने कोलेजियम की सिफारिश को पुनर्विचार के लिए वापस लौटा दिया था। केंद्र ने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही जस्टिस कुरियन जोसेफ हैं, जिन्हें केरल हाई कोर्ट से पदोन्नत किया गया है। ऐसे में केरल हाई कोर्ट से एक और पदोन्नति सुप्रीम कोर्ट में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व की सरंचना के हिसाब से ठीक नहीं होगी।

इंदु मलहोत्रा के जज बनने पर कांग्रेस ने उठाए थे बेतुके सवाल
वरिष्ठ महिला वकील इंदु मल्होत्रा ने 23 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली। ये अवसर ऐतिहासिक इसलिए बना कि देश में पहली किसी महिला वकील को सीधे सुप्रीम कोर्ट की जज के रूप में नियुक्त किया गया। लेकिन कांग्रेस की करीबी वकील इंदिरा जय सिंह ने इस पर भी सवाल उठा दिए और जस्टिस जोसेफ की नियुक्ति से इस मामले को जोड़ दिया। हालांकि चीफ जस्टिस ने उनके विरोध को अनैतिक और बेतुका कहकर खारिज कर दिया।

ओछी सियासत के लिए चीफ जस्टिस को कांग्रेस ने बनाया निशाना
जस्टिस लोया मामले में मनमुताबिक फैसला नहीं आने के कारण कांग्रेस पार्टी ने देश के चीफ जस्टिस के खिलाफ असंवैधानिक तरीके से महाभियोग का नोटिस दे दिया था। देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के विरुद्ध महाभियोग का प्रस्ताव लाने की कोशिश हुई। उपराष्ट्रपति ने गैरकानूनी महाभियोग प्रस्ताव को खारिज किया तो कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने खारिज कर दिया।

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