कभी आपने सोचा है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार को सूट-बूट की सरकार या उद्योगपतियों की सरकार कहते हैं तो उसके पीछे उनका मकसद क्या होता है? मकसद होता है मोदी सरकार को गरीब विरोधी सरकार बताना। मगर, ये मकसद कभी पूरा नहीं हुआ। जनता ने राहुल की बात पर भरोसा नहीं किया। क्यों? आखिर जनता राहुल की बात पर भरोसा क्यों नहीं कर पायी? क्योंकि, न मोदी सरकार कभी उन्हें सूट-बूट वाली लगी और न ही जनता को महसूस हुआ कि उद्योगपतियों के लिए गरीबों का हक छीना जा रहा है।
पीएम मोदी ने सूट तक कर दी नीलाम
पहले चर्चा सूट-बूट की कर लें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के व्यवसायी के दिए हुए महंगे सूट को तब पहना था जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत आए थे। बाद में यह सूट नीलाम कर दी गयी। नीलामी ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह बनायी, पर रकम खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने नहीं ली।
सूट-बूट में दिखता रहा है गांधी नेहरू परिवार
वहीं खुद गांधी परिवार की बात करें तो राहुल गांधी से लेकर जवाहर लाल नेहरू तक के सूट पहनने का लम्बा इतिहास रहा है। न सिर्फ नेहरू-गांधी परिवार सूट पहनता रहा है बल्कि उनके नजदीकी भी इसी संस्कृति में पले बढ़े हैं। यही वजह है कि राहुल के मुंह से मोदी सरकार के लिए सूट-बूट की सरकार गले नहीं उतरती है।
गलत निकला राहुल का आरोप
मोदी सरकार को उद्योगपतियों की सरकार बताते हुए बैड लोन का सवाल उठाया जाता है। हालांकि राहुल तो दो कदम आगे बढ़कर ये कहते रहे हैं कि मोदी सरकार ने उद्योगपतियों का कर्ज ही माफ कर दिया। लेकिन, अब ये बात साबित हो चुकी है कि राहुल का आरोप गलत है। उद्योगपतियों का कोई कर्ज मोदी सरकार ने माफ नहीं किया है।
कुल लोन का 56.4 फीसदी बैड लोन
बैड लोन की बात करें तो आज स्थिति ऐसी जरूर है कि दिसंबर 2016 तक सरकारी बैंकों का NPA 6,14,872 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह रकम सरकारी बैंकों द्वारा दिए गये लोन का 56.4 फीसदी है।
पूर्ववर्ती सरकार है बैड लोन के लिए जिम्मेदार
लेकिन इसके लिए जिम्मेदार कौन है? मोदी सरकार? – कतई नहीं। ये बैड लोन पूर्ववर्ती सरकारों की देन हैं। मोदी सरकार ने इतना जरूर किया है कि बैड लोन लेने वालों के खिलाफ 1724 प्राथमिकियां दर्ज करायी हैं, उन पर लोन लौटाने का दबाव बनाया है। इतना ही नहीं 5 मई, 2017 को एक अध्यादेश के जरिए सरकार ने RBI को सशक्त बनाया है कि वह NPA संकट से निकलने के लिए सख्त कार्रवाई करे। मोदी सरकार का ध्यान उन 50 कंपनियों पर भी है जिन पर 80-85 फीसदी रकम है। सरकार उन पर भी शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है।
किन कंपनियों पर है हजारों करोड़ का बकाया
कंपनियां बकाया (करोड़ में)
भूषण स्टील 90 हजार करोड़
वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज 58 हजार करोड़
जयपी ग्रुप 55 हजार करोड़
एस्सार ग्रुप 50 हजार करोड़
जिन्दल ग्रुप 38 हजार करोड़
आलोक इंडस्ट्रीज 25 हजार करोड़
लांको 19 हजार करोड़
एबीजी शिपयार्ड 15 हजार करोड़
पुंज लॉयड 14 हजार करोड़
इलेक्ट्रो स्टील स्टील्स 14 हजार करोड़
अबन होल्डिंग्स 13 हजार करोड़
मोनेट इस्पात 12 हजार करोड़
प्रयागराज पावर 12 हजार करोड़
एरा ग्रुप 7 हजार करोड़
मोदी सरकार में कसा अम्बानी-अडानी पर शिकंजा
इस लिस्ट में कहीं अम्बानी-अडानी का नाम नहीं है, जिनके नाम लेकर राहुल या केजरीवाल मोदी सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाते रहे हैं, सरकार को बदनाम करते रहे हैं। ऐसा कोई उदाहरण नहीं कि मोदी सरकार ने किसी उद्योगपति को खास तौर से लाभ पहुंचाया हो या किन्ही का नुकसान किया हो। सच तो ये है कि मोदी सरकार ने ओएनजीसी के ब्लॉक से गैस चोरी के मामले में मुकेश अम्बानी की रिलायंस कंपनी पर भारी जुर्माना लगाया। 10 हजार करोड़ मुआवजा देने को कहा। एक अन्य मामले में सेबी ने रिलायंस कंपनी पर 1000 करोड़ का जुर्माना लगाया और 1 साल के लिए उसके वायदा कारोबार करने पर रोक लगा दी। वहीं गौतम अडानी के एनजीओ का रजिस्ट्रेशन तक रिन्यू करने से सरकार ने इनकार कर दिया।
बैड लोन में फंसे हैं बैंक
31 मार्च 2015 तक बैड लोन लेने वाले रकम
एसबीआई समूह 1628 16,834 करोड़
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 722 4428.62 करोड़
पीएनबी 410 7282.25 करोड़
ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स 382 3877.44 करोड़
यूको बैंक 594 3677.08 करोड़
यूपीए सरकार ने किए थे 1.14 लाख करोड़ के डूबे कर्जे माफ
यूपीए सरकार के रहते 2013-14 में 29 राष्ट्रीय बैंकों ने 1 लाख 14 हजार करोड के डूबे कर्जों को माफ कर दिया था। ये रकम उनके पिछले 9 सालों में डूबे हुए कर्ज के रिकॉर्ड से कहीं ज्यादा है।
इस तरह जो आरोप यूपीए सरकार पर लगने चाहिए कि वह उद्योगपतियों की समर्थक, भ्रष्ट और आम लोगों की विरोधी सरकार रही है, वही आरोप कांग्रेसी पलट कर मोदी सरकार पर लगा रहे हैं। जबकि सच्चाई ये है कि किसानों को ऋण माफ करने का काम सबसे ज्यादा मोदी सरकार ने किया है। इतना नहीं फसल बीमा योजना के तहत किसानों की फसल का बीमा कराना हो या किसानों को ऋण देने की बात मोदी सरकार इसमें भी आगे रही है।