प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यातायात साधनों को मजबूत बनाने के लिए विशेष बल देते हैं। उसी का परिणाम है कि सड़क से रेलवे तक अपने कार्यों में तेजी ला रहा है। रेलवे नेटवर्क में ट्रैक नवीनीकरण का काम भी काफी महत्वपूर्ण होता है। एक लंबे अंतराल के बाद रेलवे विभाग ने रिकॉर्ड स्तर पर रेलवे ट्रैक के नवीनीकरण के लक्ष्य को न केवल पूरा किया बल्कि लक्ष्य से ज्यादा किमी ट्रैक का नवीनीकरण किया। इसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ नरेन्द्र मोदी की सरकार को जाता है।
वित्तीय वर्ष 2017-18 में रेलवे ट्रैक के नवीनीकरण का लक्ष्य 4,389 किमी था। प्रधानमंत्री की पहल पर रेलवे ने अपना लक्ष्य हासिल करते हुए एक साल में 4,405 किमी रेलवे ट्रैक का नवीनीकरण किया। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है क्योंकि इससे पहले वर्ष 2004-05 में सबसे अधिक किमी रेलवे ट्रैक का नवीनीकरण हुआ। तब भी 4,175 किमी रेलवे ट्रैक का नवीनीकरण हो पाया था। यह रिकॉर्ड भी भारतीय जनता पार्टी के नेता व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहल पर हुआ था। तब पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने अलग से फंड की व्यवस्था की थी।
एक रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे ट्रैक का देशभर में 1,14,907 किमी का नेटवर्क है। इतने बड़े रेल नेटवर्क को देखते हुए हर साल कम से कम 4,500 किमी रेलवे ट्रैक में बदलाव होना चाहिए था लेकिन 2004 से 2014 के बीच यूपीए-1 और यूपीए-2 के शासन काल में रेलवे को इस काम के लिए वित्तीय संकट के दौर से गुजरना पड़ा था। इसके कारण ट्रैक नवीनीकरण का काम पीछे होता चला गया और इस वजह से रेल दुर्घटनाओं में समय के साथ वृद्धि हुई थी।
Indian Railways sets new safety record! First time in decades, less than 100 accidents recorded in a year.https://t.co/LylKE0RcAu
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) April 2, 2018
नए रेल बजट में भी प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर एक लाख करोड़ रुपए का राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष बनाया है जिसे पांच साल में खर्च किया जाना है। सरकार की पहल पर रेल सुरक्षा के लिए किए गए उपायों का असर दिखने लगा है। पिछले वित्तीय वर्ष 2016-17 में रेल दुर्घटनाओं की संख्या 104 थी जो 2017-18 में घटकर 73 रह गई है। 35 सालों में पहली बार रेल दुर्घटनाओं की संख्या 100 से कम रही है। ये भी अपने आप में रिकॉर्ड है।
पीएम मोदी की पहल पर रेल के विकास के लिए कई काम हुए हैं। इन कामों पर एक नजर –
भारतमाला की तर्ज पर हाई-स्पीड ट्रेन कॉरिडोर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए भारतमाला सड़क परियोजना की तरह ही देश के सभी प्रमुख शहरों को जोड़ने के लिए एक हाई-स्पीड ट्रेन कॉरिडोर बनाने जा रही है। 10 लाख करोड़ रुपये की लागत से भारतमाला हाइवेज डिवेलपमेंट प्रोग्राम की तर्ज पर बनाया जाने वाला यह कॉरिडोर लगभग 10,000 किलोमीटर लंबा होगा। इन रेल लाइनों पर ट्रेनें 200 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से चल सकेंगी।
11,661 करोड़ की 6 परियोजनाओं को मंजूरी
केद्र सरकार ने 11,661 करोड़ लागत वाली रेलवे की 6 परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की है। इन परियोजनाओं में यूपी, बिहार, एमपी और ओडिशा के दूर-दराज के इलाकों में रेल नेटवर्क का विस्तार, 881 किलोमीटर रेल लाइन का विद्युतीकरण और दोहरीकरण शामिल हैं। इन परिजोनाओं के पूरा होने में 211 लाख मानव दिवस के बराबर रोजगार का सृजन होगा।
बिहार में 2,729 करोड़ के दो प्रोजेक्ट
रेल नेटवर्क के विस्तार की इन परियोजना के तहत बिहार के मुजफ्फरपुर-सगौली व सगौली-वाल्मिकी नगर रेलवे लाइन का विद्युतीकरण व दोहरीकरण होगा। 100.6 किलोमीटर और 109.7 किलोमीटर की इन दोनों परियोजनाओं पर 2,729.1 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा 116.95 किलोमीटर लम्बे भटनी-औंड़िहार रेलवे लाइन का दोहरीकरण और विद्युतीकरण होगा भी होगा। 1,300.9 करोड़ रुपये की लागत से यह काम 2021-22 तक पूरा होने की उम्मीद है। इससे मुगलसराय व इलाहाबाद के बीच रूट के कंजेशन को कम करने के साथ ही वाराणसी को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। इस परियोजना के पूरा होने से बिहार, पश्चिम बंगाल व उत्तर-पूर्व जाने वाले यात्रियों को लाभ पहुंचेगा।
बुंदेलखंड में 5 हजार करोड़ के रेलवे प्रोजेक्ट मंजूर
उत्तर प्रदेश के पिछड़े इलाके बुंदेलखंड में 425 किलोमीटर लंबी झांसी-मानिकपुर और भीमसेन-खैरार लाइन के दोहरीकरण और विद्युतीकरण को भी मंजूरी दी गई है। 4,955.72 करोड़ से ये काम 2022-23 तक पूरा होने की संभावना है। इस परियोजना के पूरा होने से उत्तर प्रदेश के झांसी, महोबा, बादा, चित्रकूट और मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में विकास को गति मिलेगी। डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से कनेक्टिविटी देने के साथ ही, खजुराहो के पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा ओडिशा में 130 किलोमीटर लंबी जैपोर-मलकानगिरी नई लाइन परियोजना के 2,676.11 करोड़ की लागत से 2021-22 तक पूरा होने की संभावना है। यह परियोजना ओडिशा के कोरापुट और मलकानगिरि के जिलों को कवर करेगी। इस परियोजना से नक्सलवाद प्रभावित मलकानगिरि और कोरापुट जिलों में न सिर्फ बुनियादी ढांचे का विकास होगा, बल्कि नक्सलवाद पर लगाम लगाने में भी मदद मिलेगी।
देश में 600 रेलवे स्टेशन बनेंगे हाईटेक
रेलवे स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं को बढ़ाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए रेलवे मंत्रालय ने निजी कंपनियों को शामिल करने की योजना बनाई है। आम बजट 2018 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश के 600 स्टेशनों के पुनर्विकास करने का ऐलान किया था। इन स्टेशनों को दोबारा बनाने में एक लाख रुपये की लागत आएगी। रेलवे ने अपनी इस महात्वाकांक्षी योजना में निजी कंपनियों को शामिल करने का फैसला किया है। इसके तहत रेलवे इन स्टेशनों का 25 से 50 प्रतिशत काम करने के बाद निजी कंपनियों को 99 साल की लीज पर सौंप देगी। कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। पहले फेज में इंडियन रेलवे स्टेशन डेवेलपमेंट कॉरपोरेशन (IRSDC) 130 स्टेशनों पर काम शुरू करेगा। 1 लाख करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट पर कार्य प्रारंभ करने के लिए केंद्र सरकार ने बजट में 3300 करोड़ की रकम दी है।
रेल बजट में भी दिखा था इंफ्रास्ट्रक्चर विकास का मंत्र
आम बजट 2018 में भी रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर खासा जोर दिखा था। दूसरी बार आम बजट के साथ पेश किए गए रेल बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किसी भी नई ट्रेन का ऐलान नहीं किया। 1 लाख 48 करोड़ के रेल बजट में रेलवे के ढांचे मजबूत करने के लिए कई घोषणाएं की गईं। इसमें पूरे देश में रेलवे को ब्रॉड गेज करना और 18 हजार किलोमीटर रेल लाइन का दोहरीकरण जैसी अहम घोषणाएं शामिल थीं। रेल बजट में मोदी सरकार ने माल ढुलाई के लिए 12 वेगन बनाए जाने, मुंबई में 90 किलोमीटर तक पटरी का विस्तार करने, मुंबई में लोकल नेटवर्क का दायरा बढ़ाने, दो साल में 4,267 मानवरहित रेलवे क्रासिंग को खत्म करने, 700 नए रेल इंजन तैयार करने समेत कई दूसरी महत्वपूर्ण घोषणाएं शामिल थीं।
रेलवे अपना रही सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में रेल मंत्रालय ने सुरक्षा मानकों पर तेजी से काम किया है। जहां तकनीक की जरूरत है, रेल मंत्रालय तकनीक का इस्तेमाल करने में पीछे नहीं है। हाल ही में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की भीड़ को मैनेज करने के लिए द्रोण कैमरे का इस्तेमाल किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की पहल का ही असर है कि पिछले वर्ष की तुलना में चालू वित्त वर्ष में समान अवधि के दौरान एक अप्रैल 2017 से 30 नवंबर 2017 के बीच ट्रेन हादसों में काफी कमी आई है। ट्रेन हादसों की संख्या 85 से घटकर 49 रह गई है। रेल पटरी के नवीनीकरण के काम में भी तेजी आई। चालू वित्त वर्ष में नवंबर 2017 तक 2,148 किलोमीटर पुरानी रेल पटरियों को बदला जा चुका है। अब तक 2,367 मार्ग किलोमीटर के इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन की रिकॉर्डिंग की गई। रेल परिचालन की गति बढ़ाने के लिए अर्ध हाई स्पीड और हाई स्पीड ट्रैक को लेकर काम जारी है।
वर्ष 2017 में रेल मंत्रालय के कार्यों का लेखा-जोखा
यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा पर काम हो रहा है। उसका असर अब दिखने लगा है। देश में पहला स्वदेश निर्मित 12 कोच की पहली ब्रॉड गेज वातानुकूलित इएमयू मुंबई उपनगरीय क्षेत्र में शुरू हो गया है। 45000 कोचों में सुधार करने के लिए मिशन रेट्रो-फिमेंट की शुरुआत की गई है। जीपीएस सिस्टम को लगाया गया है। टिकट बुकिंग से लेकर ट्रेन को ट्रैक करने के लिए मोबाइल एप की लांचिंग की गई है। देरी से चलने वाली ट्रेनों की जानकारी के लिए एसएमएस सेवा की शुरुआत की गई।
एसएमएस से मिलती है ट्रेनों के देरी से आने की सूचना – ट्रेन आने में देरी होने पर रेल यात्रियों को एसएमएस के जरिये इसकी सूचना देने की शुरुआत 3 नवंबर, 2017 से हुई। अब तक यह व्यवस्था सभी राजधानी, शताब्दी, तेजस, गतिमान ट्रेनों के अलावा जनशताब्दी, दुरंतो और गरीब रथ ट्रेनों के लिए भी शुरू हो गई है। यह सेवा अब तक 250 ट्रेनों के लिए उपलब्ध है।
आरक्षित सीट के लिए विकल्प व कोटे की सुविधा – सभी मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में प्रतीक्षा सूची के यात्रियों को आरक्षित सीट उपलब्ध कराने के लिए अल्टनेट ट्रेन को विकल्प के तौर पर व्यवस्थित करने की प्रक्रिया 1 अप्रैल, 2017 से शुरू की है। वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एसी 3 क्लास में दो बर्थ और स्लीपर में 4 बर्थ की व्यवस्था की गई है।
497 रेलवे स्टेशनों पर ऑनलाइन रिटायरिंग रूम बुकिंग – रिटायरिंग रूम और शयनगृह में उपलब्ध आवास का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के के लिए रात्रि बुकिंग को छोड़कर रिटायरिंग रूम की बुकिंग के साथ-साथ शयनगृह की बुकिंग के लिए निर्देश जारी किए गए जहां बुकिंग को रात्रि 9 बजे से सुबह 9 बजे तक अनिवार्य रूप से पूरा किया जाएगा। यह सेवा अभी मुंबई, अहमदाबाद, वड़ोदरा और सुरत रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध है।
रेलवे में नई खानपान नीति – नई खानपान नीति के तहत सभी श्रेणी के स्टेशनों पर प्रत्येक श्रेणी के छोटे खानपान इकाइयों के आवंटन में महिलाओं के लिए 33% का कोटा दिया गया है। पीएसयू आईआरसीटीसी की ई-कैटरिंग सेवा के जरिए स्थानीय व्यंजन उपलब्ध कराने के लिए स्व-सहायता समूह को तैयार किया गया।
स्टेशनों पर बेहतर लाइट के लिए एलईडी – बेहतर प्रकाश और यात्री सुरक्षा के लिए मार्च 2018 तक सभी स्टेशनों पर 100% प्रतिशत एलईडी प्रकाश व्यवस्था की शुरुआत की गई। अब तक 3,500 से अधिक स्टेशनों पर एलईडी लाइट का काम पूरा हो चुका है।
रेलवे प्लेटफार्म पर चार्जिंग प्वाइंट – सभी रेलवे प्लेटफार्मों पर मोबाइल और लैपटॉप के लिए चार्जिंग प्वाइंट की व्यवस्था की जा रही है।
कीट से मुक्ति के लिए मशीन – यात्रियों को क्रीड़े से मुक्त रखने के लिए रेलवे स्टेशनों पर कीट पकड़ने वाले मशीनों की व्यवस्था की जा रही है।
टिकट बुकिंग के लिए नया मोबाइल एप – आईआरसीटीसी रेल कनेक्ट ने एक नया मोबाइल एप लॉन्च किया। आधार से जुड़े यूजर आईडी को एक महीने में 12 ई-टिकट बुक करने की अनुमति दी गई, जबकि गैर आधार यूजर आईडी के लिए 6 टिकट बुक करने का प्रावधान है।
रेल सुरक्षा नया मोबाइल एप – यात्रियों की सुविधा के लिए नया इंटीग्रेटेड मोबाइल एप ‘रेल सुरक्षा’ को लांच किया गया। इसके माध्यम से रेल ई-टिकट बुकिंग, अनारक्षित टिकट, शिकायत प्रबंधन, क्लीन कोच, यात्री पूछताछ आदि की व्यवस्था की गई है।
भीम और यूपीआई से काउंटर पर भुगतान – टिकट के भुगतान के लिए आरक्षण काउंटर पर यूपीआई / बीएचआईएम ऐप का उपयोग कर सकते हैं। ई-टिकटिंग वेबसाइट के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्रोजेक्ट स्वर्ण – 14 राजधानी और 15 शताब्दी ट्रेनों की “परियोजना स्वर्ण” के तहत यात्री सुविधा में सुधार करने के लिए पहचान की गई। इसके तहत उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए ‘कर्मचारी व्यवहार’ को एक महत्वपूर्ण पैरामीटर के रूप में पहचाना गया था। इन प्रमुख ट्रेनों के अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को खानपान, प्रबंधन और सफाई जैसे विभिन्न पहलुओं में प्रशिक्षित किया गया था।
दो मार्गों पर 18 हजार करोड़ रुपए खर्च – इसमें दो मार्गों के लिए परियोजनाएं यानी नई दिल्ली-मुंबई सेंट्रल (वड़ोदरा-अहमदाबाद सहित) और नई दिल्ली-हावड़ा (कानपुर-लखनऊ सहित) 160/200 किमी प्रति घंटे की गति बढ़ाने के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 के कार्य योजना में शामिल किया गया है। इस पर लगभग 18,000 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। ट्रेन की गति बढ़ाने के लिए बाड़ लगाने, लेवल क्रॉसिंग हटाने, ट्रेन सुरक्षा चेतावनी प्रणाली (टीपीडब्लूएस), मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार (एमटीआरसी), स्वचालित और मैकेनाइज्ड डायग्नोस्टिक सिस्टम इत्यादि पर काम हो रहा है, जिसके कारण सुरक्षा और विश्वसनीयता में वृद्धि होती है। इससे प्रीमियम राजधानी प्रकार की ट्रेनों हावड़ा राजधानी के लिए यात्रा का समय 17 घंटे के बजाय 12 घंटा हो जाएगा और साथ ही मुंबई राजधानी के 15 घंटे 35 मिनट की जगह कम होकर 12 घंटे की यात्रा अवधि हो जाएगी।
लोको की स्थापना से ईएमयू ट्रेनों की औसत गति में तेजी – लोको की स्थापना से एमईएमयू / डीईएमयू ट्रेनों के साथ ही लोकल ट्रेनों की तुलना में एमईएमयू ट्रेनों की गति में 20 किमी प्रति मील की औसत वृद्धि हुई है।
अर्ध हाई स्पीड के लिए स्टडी– दिल्ली-चंडीगढ़ (244 किमी) रूट पर 200 किमी प्रति घंटे की गति से यात्रियों की ट्रेनों की गति बढ़ाने को लेकर नई दिल्ली-चंडीगढ़ कॉरिडोर की व्यवहार्यता और कार्यान्वयन की अंतिम रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। नागपुर – सिकंदराबाद (575 किमी) रूट पर जून 2016 से काम जारी है। इस पर निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार काम चल रहा है। चेन्नई – काजीपेट रूट पर ट्रेन परिचालन की गति बढ़ाने के लिए अध्ययन जारी है।