Home विशेष गुजरात की अर्थव्यवस्था के टॉप 10 फैक्टर, जिसने जीता जनता का भरोसा

गुजरात की अर्थव्यवस्था के टॉप 10 फैक्टर, जिसने जीता जनता का भरोसा

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22 साल बाद भी गुजरात की जनता को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और उनकी पार्टी पर भरोसा कायम है, ये बात बार-बार साबित हो चुकी है। ये भरोसा नारों-वादों से नहीं, 22 साल के संघर्ष और राज्य की लगातार बेहतर हुई अर्थव्यवस्था से पैदा हुआ है। कहने वाले कुछ भी कहें, लेकिन वोट देते समय मतदाता आखिरकार सरकार का काम देखकर ही मतदान करते हैं। हम यहां वो 10 प्रमुख आर्थिक कारण गिनाएंगे, जिससे गुजरात में आमतौर पर समृद्धि दिखती है और जिसने साढ़े 6 करोड़ गुजरातियों का दिल जीता है।

उद्योगों में आगे
गुजरात देश का एक सबसे विकसित औद्योगिक राज्य है। केमिकल, पेट्रोकेमिकल, डेयरी, दवा एवं फार्मास्यूटिकल, सीमेंट, जेम्स एवं ज्वेलरी, कपड़ा और इंजीनियरिंग उद्योग में गुजरात देश का अगुवा राज्य है। यहां 800 से अधिक बड़े और 4,53,339 छोटे, मझोले और मध्यम उद्योग लगे हुए हैं। 2016-17 में यहां 46.1 लाख टन क्रूड पेट्रोलियम का उत्पादन हुआ। यह विश्व का 72 % और भारत का 80% हीरे का प्रोसेस करता है। इस साल नवंबर में इसके पास देश के 101.9 MMTPA रिफाइनिंग की क्षमता थी, जो देश का 41.57 प्रतिशत है। राज्य की नई कपड़ा नीति के तहत एक लाख नए रोजगार के अवसर दिए जाने का भी लक्ष्य तय किया गया है। जापान के साथ अहमदाबाद से मुंबई के बीच हाई स्पीड रेल कॉरिडोर पर करार ने राज्य में औद्योगिक विकास की संभावना को नई ऊंचाइयां दी हैं।

निर्यात में आगे
भारत की जनसंख्या के मात्र 5% जनसंख्या वाला राज्य गुजरात देश से होने वाले सामानों के निर्यात का 25% भागीदार है। क्षेत्रफल के हिसाब से SEZ में यह देश का प्रथम राज्य है। यही नहीं, यहां 29,423.9 क्षेत्र में SEZ के विकास का काम चल रहा है जो भारत में सबसे बड़ा है।

विदेशी निवेश का बड़ा ठिकाना
किसी देश की आर्थिक प्रगति का एक बड़ा पैमाना अकेले उसकी एफडीआई क्षमता से आंकी जा सकती है। गुजरात एफडीआई को किस तरह से आकर्षित कर रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन साल में वहां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश दोगुना बढ़ गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2015 में गुजरात में कुल एफडीआई 1.53 अरब डॉलर था, जो 2016-17 में बढ़कर 3.36 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इससे पहले वित्त वर्ष यानी 2015-16 में गुजरात में एफडीआई का प्रवाह 2.24 अरब डॉलर था।

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी आगे
अगर जीडीपी विकास के हिसाब से देखें तो इस क्षेत्र में भी गुजरात देश का एक अव्वल राज्य बना हुआ है। नीति आयोग के मुताबिक मौजूदा दर पर साल 2004-05 में गुजरात का जीडीपी विकास दर 20.34% थी, जो कि वर्तमान में भी दूसरे राज्यों की तुलना में बहुत अधिक यानी दहाई अंकों में है।

निर्माण क्षेत्र में भी अव्वल
गुजरात में मौजूदा समय में इंफ्रास्ट्रक्चर के 502 बड़े प्रोजेक्टर पर काम चल रहे हैं। इन प्रोजेक्ट पर कुल 2.90 लाख करोड़ की लागत आने वाली है। 30 अप्रैल के नीति आयोग के आंकड़ों के अनुसार इन प्रोजेक्ट में पीपीपी मॉडल, सरकारी और निजी क्षेत्र के प्रोजेक्ट शामिल हैं।

व्यापारिक बंदरगाहों में आगे
एक बड़े और 44 साधारण बंदरगाहों ने गुजरात से निर्यात को भी सशक्त बनाया है। विश्वस्तरीय मुंद्रा बंदरगाह समेत कई और नए बंदरगाह के शुरू होने के बाद राज्य से निर्यात की क्षमता और बढ़ने वाली है। अकेले मुंद्रा बंदरगाह की क्षमता 2000 लाख टन प्रति वर्ष रखी गई है।

बिजली उत्‍पादन में भी आगे
बिजली उत्‍पादन के क्षेत्र में भी गुजरात ने पिछले 10 सालों में दूसरे राज्यों के मुकाबले बहुत बेहतर काम किया है। नीति आयोग के अनुसार 2006 में वहां 70,669 मेगावॉट प्रति घंटे की दर से बिजली का उत्पादन हुआ जो 2015 तक बढ़कर 1.39 लाख मेगावॉट प्रति घंटा तक पहुंच गया।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में पहली बार देश टॉप 100 स्थान पर पहुंचा है। वहीं पूरे देश की बात करें तो ईज ऑफ डूइंग बिजनेस मानकों में गुजरात का स्कोर 71.2 रहा है। मौजूदा समय में इस क्षेत्र भी गुजरात देश का एक अगुवा राज्य बना हुआ है।

जीएसटी अपनाकर आगे बढ़ता गुजरात
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर देश में जीएसटी के तहत एक टैक्स की व्यवस्था लागू हुई है। गुजरात ने इसे भी बहुत शानदार तरीके से अपना लिया है। यूं तो पूरा गुजरात कारोबारी माहौल के लिए विख्यात है, लेकिन इसके बिजनेस कैपिटल सूरत में लोगों ने जिस तरह से जीएसटी को अपनाया है वो इसकी सफलता को बयां कर रहा है। सूरत जिले की 16 में से 14 सीटें जीतकर बीजेपी ने साबित किया है कि व्यापारियों ने इसे अपना लिया है।

नोटबंदी से नहीं आई कारोबार में रुकावट
गुजरात चुनाव का परिणाम भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी सरकार के नोटबंदी जैसे फैसले पर भी मुहर है। अगर नोटबंदी के चलते कारोबार जगत को किसी तरह का ज्यादा नुकसान होता तो वो बीजेपी को इस तरह से कभी भी गले नहीं लगाते, जैसा कि वहां का परिणाम आया है। अलबत्ता कुछ समय के लिए नोटबंदी के फैसले ने व्यापार जगत को परेशानी में जरूर डाला, लेकिन वे जल्दी संभल गए और राज्य में विकास की गाड़ी को आगे बढ़ाने के लिए पहले की तरह ही जुटे रहने का निर्णय लिया।

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