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आर्टिकल 370 पर पीएम मोदी के साथ खड़ी पूरी दुनिया, अब यूरोपियन आयोग के पूर्व निदेशक ब्रायन टोल ने किया समर्थन

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार के जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के ऐतिहासिक फैसले का समर्थन दुनिया भर में किया जा रहा है। अमेरिका, रूस, जर्मनी, फ्रांस, यूएई, इजरायल समेत विश्व के तमाम छोटे बड़े देश इसे भारत के अंदरूनी मामला बताकर प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़े हैं और उनके साहसिक फैसले की सराहना कर रहे हैं। अब यूरोपियन आयोग के पूर्व निदेशक ब्रायन टोल ने जिनेवा में अनुच्छेद 370 पर भारत का समर्थन करते हुए कहा कि इसे हटाए जाने से कश्मीर में लोगों को सामान्य रूप से आर्थिक अवसर मिलेगा।

यूरोपियन आयोग के पूर्व निदेशक ब्रायन टोल यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके तकनीकी रूप से भारत का हिस्सा है। ब्रायन टोल ने कहा कि, यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर आर्थिक विकास के लिए अवसरों की आवश्यकता है। यहां के लोगों को प्रासंगिक राजनीतिक निकायों में प्रतिनिधित्व करने की आवश्यकता है, इस क्षेत्र में आर्थिक मजबूती के लिए आवाज उठानी चाहिए।

इससे पहले भी संयुक्त राष्ट्र से लेकर दुनिया के तमाम देश आर्टिकल 370 पर प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ कर चुके हैं। डालते हैं एक नजर-

अनुच्छेद 370 पर भारत को संयुक्त राष्ट्र में मिली जीत
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के मुद्दे पर पूरी दुनिया भारत और मोदी सरकार से साथ खड़ी नजर आ रही है। इस मुद्दे को लेकर विवाद पैदा करने की पाकिस्तान की हर कोशिश को झटका लग रहा है। पाकिस्तान को ताजा झटका संयुक्त राष्ट्र में लगा है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की मीटिंग एजेंडा में शामिल करने की मांग की थी। लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान की मांग को खारिज कर दिया है। इस मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की अध्यक्ष जोआना रोनेका ने प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। इसे भारत की बड़ी सफलता माना जा रहा है। जाहिर है कि भारत सरकार अपना पक्ष मजबूत करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हर कदम उठा रहा है। भारत कश्मीर मामले में UNSC के सभी सदस्यों से बातचीत कर रहा है।

अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान, अब रूस ने भी दिया झटका
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पाकिस्तान को दुनिया भर में अलग-थलग करने की कूटनीति अब पूरी तरह सफल साबित हो रही है। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने और पुनर्गठन से बौखलाए पाकिस्तान को अब रूस से भी झटका लगा है। रूस ने जम्मू-कश्मीर पर भारत के फैसले का समर्थन किया है। रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने जम्मू-कश्मीर को दो भागों में विभाजित और केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला संविधान के अनुसार ही लिया है। रूस को उम्मीद है कि इस फैसले पर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में वृद्धि नहीं होगी। रूस का खुलकर साथ आना भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत भी है।

तालिबान ने भी दिया झटका
इससे पहले तालिबान ने भी पाकिस्तान को लताड़ा था। पाकिस्तान की ओर से अफगानिस्तान और कश्मीर मुद्दे को जोड़ने का विरोध करते हुए तालिबान के प्रवक्ता जबीहउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि कश्मीर के मुद्दे को कुछ पक्षों की ओर से अफगानिस्तान से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इससे संकट से निपटने में कोई मदद नहीं मिलेगा क्योंकि अफगानिस्तान के मुद्दे का इससे कोई लेना-देना नहीं है। इसके अलावा अफगानिस्तान अन्य देशों की प्रतिस्पर्धा के बीच नहीं फंसना चाहता।

अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने भी कहा कि वह क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने के लिए हिंसा का इस्तेमाल न करे। करजई ने कहा कि अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया को कश्मीर में अपने उद्देश्य से जोड़ना, यह बताता है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान को महज एक रणीनीतिक उपकरण के तौर पर देखता है। मैं पाकिस्तान सरकार से कहना चाहता हूं कि वह क्षेत्र में हिंसा को अपने हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना बंद करे। हम उम्मीद करते हैं कि जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत सरकार का फैसला राज्य और भारत के लोगों की बेहतरी वाला साबित होगा।

चीन ने भी खींचा पाकिस्तान से हाथ
चीन ने भी दोनों से अपने विवादों को सुलझाने के लिए बातचीत करने का आग्रह किया। चीन विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम पाकिस्तान और भारत से बातचीत के जरिए विवाद को सुलझाने और संयुक्त रूप से शांति एवं स्थिरता को कायम रखने का आह्वान करते हैं। चीन ने कहा कि प्राथमिकता यह है कि प्रासंगिक पक्ष को चाहिए कि वह यथास्थिति को एकतरफा बदलने से बाज आए और तनाव न बढ़ाए।

भारत के समर्थन में UAE
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को भारत का आंतरिक मामला बताया है। यूएई ने कहा है कि भारत की मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 के दो प्रावधानों को हटाया है, जिस पर यूएई ने संज्ञान लिया है। भारत में यूएई के राजदूत डॉ. अहमद अल बन्ना ने कहा कि अनुच्छेद 370 के अलावा हमने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर भी संज्ञान लिया है, जिससे लद्दाख और जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेश बन जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों का पुनर्गठन आजाद भारत के इतिहास में कोई अजीब घटना नहीं है। इसका मकसद क्षेत्रीय असमानता को कम करना और दक्षता में सुधार लाना है। उनका मानना है कि जम्मू-कश्मीर को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार ने जो फैसला लिया है, वह उसका आंतरिक मसला है, जो भारतीय संविधान द्वारा निर्धारित है।

श्रीलंका ने किया भारत का समर्थन
जम्मू-कश्मीर से लद्दाख क्षेत्र के अलग होने पर श्रीलंका की काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया आई है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसंघे ने ट्वीट कर कहा कि जम्मू-कश्मीर से लद्दाख के अलग होने का रास्ता साफ हो गया है। लद्दाख की 70 फीसदी आबादी बौद्ध धर्म से संबंध रखती है। ऐसे में लद्दाख पहला भारतीय राज्य होगा, जहां बौद्ध बहुमत है। लद्दाख का पुनर्गठन भारत का आंतरिक मामला है. यह एक सुंदर क्षेत्र है, जो यात्रा के लायक है।

अमेरिका ने अंदरूनी मामला बताया
जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार के फैसले पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागस ने कहा कि हम बहुत बारीकी से जम्मू-कश्मीर में होने वाली हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं। हमने भारत के उस घोषणा पर संज्ञान लिया है, जिसके जरिए उन्होंने अपने संविधान में जम्मू-कश्मीर की यथास्थिति में बदलाव किया है। मोर्गन ओर्टागस ने इसे भारत का अंदरूनी मामला बताया है। जाहिर है कि कुछ दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अगर भारत चाहेगा तो वो भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे कश्मीर मुद्दे को सुलझाने में मदद करेंगे।

संयुक्त राष्ट्र ने संयम की अपील की
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में हुए शिमला समझौते को याद किया जिसमें कश्मीर में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इनकार किया गया है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा दुनिया की नजर कश्मीर में होने वाली हर गतिविधि पर है। हम उस क्षेत्र में हो रही हर हलचल पर नजर रख रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने भारत और पाकिस्तान से अपील की है, दोनों राष्ट्र सीमा पर संयम बरतें।

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