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ब्लैकमनी के खिलाफ मोदी सरकार का वार, स्विस बैंकों में जमा रकम में आई रिकॉर्ड गिरावट

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कालेधन के खिलाफ मोदी सरकार के अभियान का असर देश ही नहीं विदेश में भी दिखने लगा है। स्विस बैंकों में जमा भारतीयों के पैसों में रिकॉर्ड गिरावट आई है। स्विटजरलैंड के बैंकों में भारतीयों की ओर से जमा राशि अब तक के सबसे निचले स्तर 4500 करोड़ रुपए पर पहुंच गई है। यह पहले के मुकाबले करीब आधी रकम है। इतना ही नहीं स्विट्जरलैंड के बैंकों का मुनाफा भी 2016 में करीब आधा घट गया है और 53,000 करोड़ रुपए के करीब आ गया है। हालांकि दुनियाभर के लोगों की जमा राशि का आंकड़ा 96 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है।

असल में स्विट्जरलैंड के बैंकों को कालेधन की पनाहगाह के रूप में देखा जाता रहा है।लेकिन अब स्विट्जरलैंड ने भारत सहित 40 अन्य देशों के साथ वित्तीय खाते की जानकारी के सीधे आदान-प्रदान की व्यवस्था को मंजूरी दे दी है। इससे अब कालेधन के बारे में जानकारी संबंध देशों को तुरंत मिल जाएंगे। इससे विदेश के रास्ते कालेधन को खपाने और मनी लांड्रिंग पर अंकुश लगाया जा सकेगा। 

कालाधन,भ्रष्टाचार मिटाने के लिए उठाए कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार और कालेधन पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं—

• कालेधन पर SIT: अपने कैबिनेट की पहली ही बैठक में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कालेधन की जांच के लिए SIT गठित की।

• जन धन योजना: इसके तहत गरीबों के 28.5 करोड़ खाते खोले गए। सरकारी योजनाओं में सब्सिडी बिचौलियों के हाथों से दिये जाने के बजाय सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंचने लगे।

• कर बचाने में मददगार देशों के साथ कर संधियों में संशोधन: मॉरीशस के साथ कर संधि में संशोधन कर लिया गया है। दूसरे देशों के साथ बातचीत चल रही है।

• कालाधन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) एवं कराधान कानून, 2015: विदेशों और कर बचाने के लिए मददगार देशों में जमा कालेधन को स्वदेश लाने के लिए यह योजना चलाई गई थी। योजना के खत्म होने के बाद पकड़े जाने वाले लोगों के खिलाफ जुर्माने और कड़ी सजा का प्रावधान किया गया।

• आय घोषणा योजना, 2016: इस योजना के तहत करीब 65,000 करोड़ रुपये की अघोषित आय का खुलासा।

• नोटबंदी: कालेधन पर लगाम लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के बाद सबसे बड़ा कदम 08 नवंबर 2016 को उठाया। नोटबंदी के जरिए कालेधन के स्रोतों का पता लगा।

• बेनामी लेनदेन रोकथाम (संशोधन) कानून: ताजा रिपोर्ट के अनुसार करीब 600 से अधिक बेनामी मामलों की जांच जारी है।

• फर्जी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई: सीबीआई ने छद्म कंपनियों के माध्यम से कालेधन को सफेद करने के कई गिरोहों का भंडाफोड़ किया है। देश में करीब तीन लाख ऐसी कंपनियां हैं, जिन्होंने अपनी आय-व्यय का कोई ब्योरा नहीं दिया है। इनमें से ज्यादातर कंपनियां नेताओं और व्यापारियों के कालेधन को सफेद करने का काम करती हैं।

• रियल एस्टेट कारोबार में 20,000 रुपये से अधिक कैश में लेनदेन पर जुर्माना: रियल एस्टेट में कालेधन का निवेश सबसे अधिक होता था। पहले की सरकारें इसके बारे में जानती थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करती थी। इस कानून के लागू होते ही में रियल एस्टेट में लगने वाले कालेधन पर रोक लग गई।

• राजनीतिक चंदा : राजनीतिक दलों को 2,000 रुपये से ज्यादा कैश में चंदा देने पर पाबंदी। इसके लिए बॉन्ड का प्रावधान।

• स्रोत पर कर संग्रह: 2 लाख रुपये से अधिक के कैश लेनदेन पर रोक लगा दी गई है। इससे ऊपर के लेनदेन चेक,ड्राफ्ट या ऑनलाइन ही हो सकते हैं।

• ‘आधार’ को पैन से जोड़ा: कालेधन पर लगाम लगाने के लिए ये एक बहुत ही अचूक कदम है। ये निर्णय छोटे स्तर के भ्रष्टाचारों की भी नकेल कसने में काफी कारगर साबित हो रहा है।

• सब्सिडी में भ्रष्टाचार पर नकेल: गैस सब्सिडी को सीधे बैंक खाते में देकर, मोदी सरकार ने हजारों करोड़ों रुपये के घोटाले को खत्म कर दिया। इसी तरह राशन कार्ड पर मिलने वाली खाद्य सब्सिडी को भी 30 जून 2017 के बाद से सीधे खाते में देकर हर साल लगभग 50 हजार करोड़ रुपये की बचत करने की पहल हो रही है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि निचले स्तर पर चल रहे भ्रष्टाचार के चक्रव्यूह को ये कैसे खत्म कर देगा।

• ऑनलाइन सरकारी खरीद: मोदी सरकार ने सरकारी विभागों में सामानों की खरीद के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया लागू कर दी है। इसकी वजह से पारर्दशिता बढ़ेगी और खरीद में होने वाले घोटले रुक जाएंगे।

• प्राकृतिक संसाधानों की ऑनलाइन नीलामी: मोदी सरकार ने सभी प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसकी वजह से पारदर्शिता बढ़ी है और घोटाले रुके हैं। यूपीए सरकार के दौरान हुए कोयला, स्पेक्ट्रम नीलामी जैसे घोटालों में देश का खजाना लुट गया था।

• आधारभूत संरचनाओं के निर्माण की जियोटैगिंग: सड़कों, शौचालयों, भवनों, या ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले सभी निर्माण की जियोटैगिंग कर दी गई है। इसकी वजह से धन के खर्च पर पूरी निगरानी रखी जा रही है।

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