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मोदी सरकार के विकास से घबराए नक्सलियों ने किया हमला – पढ़िए इनसाइड स्टोरी

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छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सोमवार दोपहर सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन पर नक्सलियों के कायराना हमले की जितनी भी निंदा की जाय बहुत कम है। मोदी सरकार के आने के बाद से शुरू हुई सुरक्षा बलों की कार्रवाई के चलते नक्सलियों में हड़कंप मचा हुआ है। अपनी खिसकती जमीन और भोली-भाली स्थानीय जनता के सामने खुल रहे पोल ने नक्सलियों और उन्हें वैचारिक समर्थन देने वालों में अजीब सी बौखलाहट पैदा कर दी है। सुकमा के हमले को उसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए। लेकिन सीआरपीएफ के 25 वीर जवानों के बलिदान ने पूरे देश को मर्माहत कर दिया है और इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भरोसा भी दिया है कि देश के सपूतों का ये अमर महान बलिदान व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा।

सीआरपीएफ की टीम पर क्यों किया हमला ?

अब हम आपको बताते हैं कि नक्सलियों और उन्हें रक्तक्रांति की घुट्टी पिलाने वाले वामपंथी विचारकों में किस बात की घबराहट है। दरअसल घने जंगलों से घिरा दक्षिण बस्तर का ये क्षेत्र नक्सलियों का गढ़ रहा है। हिंदी समाचार पत्र दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार इसके मुख्यालय जगरगुंडा को तीन ओर से घेरने के लिए तीन सड़कें बनाई जा रही हैं। सीआरपीएफ के जवान सड़क बनाने वालों को सुरक्षा देने के लिए ही तैनात किए गए हैं। दोरनापाल से जगरगुंडा के बीच जिस सड़क पर नक्सलियों ने सोमवार को घात लगाकर हमला किया वो 17 सालों से उनके कब्जे में रहा है। विकास के इसी काम से नक्सलियों के होश उड़े हुए हैं। उन्हें लगता है कि एकबार सड़क बन गई तो फिर क्षेत्र पर उनका रहा-सहा दबदबा भी खत्म हो जाएगा।

क्यों बौखलाए हुए हैं नक्सली ?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार– नक्सलियों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के 44 नक्सल प्रभावित जिलों में 5,412 किलोमीटर सड़क निर्माण की परियोजना को मंजूरी दी गई है। नक्सलियों को लगता है कि उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों में अगर विकास का सिर्फ ये एक काम भी हो गया तो उनका सारा खेल ही खत्म हो जाएगा।

क्यों सड़क नहीं बनने देना चाहते नक्सली ?

सीधा सा हिसाब है, सड़कें बनेंगी, तो विकास के द्वार चौतरफा खुलेंगे। जनता-जनार्दन का दूर-दराज के लोगों से मेल-जोल बढ़ेगा। वो नक्सलियों और माओवादियों के डर से बाहर निकल सकेंगे, उनमें विश्वास का वातावरण पैदा होगा। गांव-गांव विकास की रौशनी में नहाने लगेंगे, ज्ञान की गंगा बहने लगेगी, जिन्हें अपने वैचारिक और तथाकथित बुद्धिजीवियों के कहने पर नक्सलियों ने वहां पहुंचने नहीं दिया है।

मोदी सरकार बनने के बनने के बाद से नक्सलियों के हौसले पस्त हैं

अब आपको ग्राफिक्स की मदद से दिखाते हैं कि 2014 से केंद्र में मोदी सरकार बनने के साथ ही देशभर में किस तरह से नक्सलियों की नकेल कसी गई है और उनके हौसले कुंद किए जा रहे हैं।

आंकड़े सबूत हैं। मोदी सरकार के दौरान जितने नक्सली मारे गए हैं वो एक रिकॉर्ड है। इसी तरह नक्सली हमले में बलिदान देने वाले वीर सुरक्षा बलों की संख्या में भी साल दर साल गिरावट आई है। यही नहीं जिस संख्या में सुरक्षा बलों के दबाव में नक्सलियों ने सरेंडर किया है या उन्हें गिरफ्तार किया गया है, उससे उनकी और उन्हें वैचारिक और आर्थिक समर्थन देने वालों की बेचैनी को भी समझा जा सकता है।

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