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ऊर्जा सेक्टर को प्रोत्साहन: अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के लिए 35 करोड़ डॉलर का कोष स्थापित

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अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के तहत पूंजी जुटाने के अभियान को आगे बढ़ाते हुए सरकार सौर परियोजनाओं को वित्तीय मदद मुहैया कराने के लिए 35 करोड़ डॉलर का एक वित्तीय कोष बनाएगी। विभिन्न कंपनियों और बैंकों ने नौ सौर परियोजनाओं के विकास के लिए वित्तीय सहायता देने के लिए अपनी सहमति जताई है। आईएसए के अंतरिम महानिदेशक उपेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि अप्रैल 2018 तक आईएसए के अंतर्गत 100 से अधिक परियोजनाओं पर हस्ताक्षर किये जाएंगे।

अन्तर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन मंच के तहत आईएसए मंत्रियों के पूर्ण मंत्रीस्तरीय सत्र में यस बैंक ने पांच बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि सौर परियोजनाओं को वित्तीय मदद के रूप में देने की घोषणा की। इसके साथ ही मैसर्स सीएलपी और मैसर्स एनटीपीसी लिमिटेड ने आईएसए के साथ भागीदारी की घोषणा की और दोनों ने आईएसए निधि के लिए एक-एक मिलियन अमेरिकी डॉलर का स्वैच्छिक योगदान देने का ऐलान भी किया। आईए और जीसीएफ ने भी आईएसए के साथ भागीदारी में प्रवेश करने की घोषणा की। कार्य आधारित संगठन होने के कारण आईएसए, सौर परियोजनाओं के जमीनी स्तर पर प्रारंभ में सहयोग प्रदान करता है।

भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। भारत ने फ्रांस के साथ मिलकर इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA) के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। ISA ने पिछले छह दिसंबर को भारत में अपने मुख्यालय के साथ कानूनी इकाई के तौर पर कार्य करना शुरू कर दिया है। 

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी का सपना है कि भारत का भविष्य स्वच्छ ऊर्जा से भरा हो। प्रधानमंत्री के इस सपने को साकार करने की दिशा में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय-Ministry of New and Renewable Energy (MNRE) ने कई कदम उठाए हैं।

2022 तक 175 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य
भारत सरकार ने 2022 के आखिर तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा संस्‍थापित क्षमता का लक्ष्‍य निर्धारित किया है। इसमें से 60 गीगावाट पवन ऊर्जा से, 100 गीगावाट सौर ऊर्जा से, 10 गीगावाट बायोमास ऊर्जा से एवं पांच गीगावाट लघु पनबिजली से शामिल है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पिछले  दो वर्षों के दौरान सोलर पार्क, सोलर रूफटॉप योजना, सौर रक्षा योजना, नहर के बांधों तथा नहरों के ऊपर सीपीयू सोलर पीवी पॉवर प्‍लांट के लिए सौर योजना, सोलर पंप, सोलर रूफटॉप के लिए बड़े कार्यक्रम शुरू किये गए हैं।

सौर ऊर्जा क्षमता-स्थापना का लक्ष्य बढ़ाया
राष्‍ट्रीय सौर मिशन के तहत सौर ऊर्जा क्षमता स्‍थापित करने के लक्ष्‍य को 20 गीगावाट से बढ़ाकर वर्ष 2021-22 तक 100 गीगावाट कर दिया गया है। वर्ष 2017-18 के लिए 10,000 मेगावाट का लक्ष्‍य रखा गया है, जिसकी बदौलत 31 मार्च, 2018 तक संचयी क्षमता 20 गीगावाट (GW) से अधिक हो जाएगी।

कुरनूल सोलर पार्क विश्व का सबसे बड़ा सोलर पार्क बना
21 राज्‍यों में कुल मिलाकर 20,514 मेगावाट क्षमता के 35 सोलर पार्कों को मंजूरी दी गई है। आंध्र प्रदेश में 1,000 मेगावाट क्षमता के कुरनूल सोलर पार्क को पहले ही चालू किया जा चुका है और इसका परिचालन जारी है। एक ही स्‍थान पर 1000 मेगावाट क्षमता के सोलर पार्क के चालू हो जाने से कुरनूल सोलर पार्क अब दुनिया के सबसे बड़े सोलर पार्क के रूप में उभर कर सामने आया है।

सोलर लाइटिंग सिस्टम की स्थापना में तेजी
30 नवम्‍बर, 2017 तक देश भर में 41.80 लाख से भी ज्‍यादा सोलर लाइटिंग प्रणालियां, 1.42 लाख सोलर पम्‍प और 181.52 MWEQ के पावर पैक स्‍थापित किये गए हैं। इनमें से 18.47 लाख सोलर लाइटिंग प्रणाली, 1.31 लाख सोलर पम्‍प और 96.39 MWEQ के पावर पैक पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान स्थापित किये जाने की जानकारी मिली है।

सोलर रूफटॉप और छोटे सौर ऊर्जा संयंत्र कार्यक्रम
मंत्रालय ग्रिड कनेक्‍टेड रूफटॉप और छोटे सौर ऊर्जा संयंत्र कार्यक्रम क्रियान्वित कर रहा है। इसके तहत आवासीय, सामाजिक, सरकारी और संस्‍थागत क्षेत्रों में प्रोत्‍साहन के जरिए 2100 मेगावाट की क्षमता स्‍थापित की जा रही है।  विश्‍व बैंक,  एशियाई विकास बैंक और नव विकास बैंक की ओर से लगभग 1375 मिलियन अमेरिकी डॉलर के रियायती ऋण सोलर रूफटॉप परियोजनाओं के लिए भारतीय स्‍टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और केनरा बैंक को उपलब्‍ध कराए गए हैं।

पवन ऊर्जा क्षमता-स्थापना में भारत दुनिया में चौथे नंबर पर
भारत में पवन ऊर्जा उपकरण निर्माण का मजबूत आधार है। भारत में बनाई जाने वाली पवन टर्बाइन विश्‍व गुणवत्‍ता मानको के अनुरूप है और यूरोप, अमेरिका तथा अन्‍य देशों से आयातीत टर्बाइनों में सबसे कम लागत की है। वर्ष 2016-17 के दौरान पवन ऊर्जा में 5.5 गीगावाट की क्षमता जोड़ी गई जो देश में अब तक एक वर्ष में जोड़ी गई क्षमता में सबसे अधिक है। पवन ऊर्जा क्षमता की स्‍थापना में भारत विश्‍व में चीन, अमेरिका और जर्मनी के बाद चौथे स्‍थान पर है।

2016-17 में 5502.39 मेगावाट की अब तक की सबसे अधिक पनबिजली क्षमता सृजन दर्ज की गई, जो लक्ष्‍य की तुलना में 38 प्रतिशत अधिक है। लघु पन बिजली संयंत्रों से पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान ग्रिड कनेक्‍टेड नवीकरणीय ऊर्जा के तहत 0.59 गीगावाट का क्षमता सृजन किया गया है।

महंगे आयातित फॉसिल ईंधनों पर निर्भरता में कमी
नवीकरणीय स्वदेशी संसाधनों के बढ़ते उपयोग से महंगे आयातित फॉसिल ईंधनों पर भारत की निर्भरता में कमी आने की उम्‍मीद है। लगभग 3 प्रतिशत बंजर भूमि के अनुमान के साथ भारत के पास 1096 गीगावाट की वाणिज्यिक अक्षय ऊर्जा स्रोतों से अनुमानित अक्षय ऊर्जा क्षमता है, जिसमें पवन – 302 गीगावाट; लघु हाइड्रो – 21 गीगावाट; जैव ऊर्जा 25 गीगावाट; और 750 गीगावाट सौर ऊर्जा शामिल है।

49.8 लाख तक पहुंचे पारिवारिक बायोगैस संयंत्र  
राष्‍ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंधन कार्यक्रम (NBMMP) के तहत मुख्‍य रूप से ग्रामीण एवं अर्द्धशहरी परिवारों के लिए पारिवारिक स्तर के बायोगैस संयंत्र स्‍थापित किए जाते हैं। 2017-18 के दौरान 0.15 लाख बायोगैस प्‍लांट की स्‍थापना की गई है जिससे 30 नवंबर 2017 तक कुल संचयी उपलब्धि 49.8 लाख बायोगैस संयंत्र तक पहुंच गई है।

साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऊर्जा सेक्टर को रौशन करने पर लगे हुए हैं। 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण के समय तक देश में बिजली की हालत बहुत ही खराब थी, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में देश आज बिजली निर्यात भी करने लगा है।

पहली बार बिजली निर्यातक बना देश
तीन साल पहले देश अभूतपूर्व बिजली संकट झेल रहा था, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि अब देश में खपत से अधिक बिजली उत्पाद होने लगा है। केंद्रीय विधुत प्राधिकरण के अनुसार भारत ने पहली बार वर्ष 2016-17 ( फरवरी 2017 तक) के दौरान नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार को 579.8 करोड़ यूनिट बिजली निर्यात की, जो भूटान से आयात की जाने वाली करीब 558.5 करोड़ यूनिटों की तुलना में 21.3 करोड़ यूनिट अधिक है। 2016 में 400 केवी लाइन क्षमता (132 केवी क्षमता के साथ संचालित) मुजफ्फरपुर – धालखेबर (नेपाल) के चालू हो जाने के बाद नेपाल को बिजली निर्यात में करीब 145 मेगावाट की बढ़ोत्तरी हुई है।

बदल गई पॉवर सेक्टर की तस्वीर
मोदी सरकार की नीतियों के चलते आज पारंपरिक और गैर-पारंपरिक ऊर्जा का भी भरपूर उत्पादन होने लगा है। सबसे बड़ी बात भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर ही नहीं बना है, सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा बाजार उभर कर सामने आया है। उर्जा क्षेत्र में इस कायापलट के पीछे उन योजनाओं के क्रियान्यवन में बेहतर तालमेल रहा है जिस पिछले तीन सालों में सरकार ने लागू किया है। उर्जा क्षेत्र की छोटी-छोटी समस्याओं को दूर करने के लिए लागू की गई इन योजनाओं से बहुत बड़े परिणाम सामने आए हैं। देश के हर घर को चौबीसों घंटे बिजली देने का लक्ष्य 2022 है, लेकिन जिस गति से काम चल रहा है उससे अब यह प्राप्त कर लेना आसान लगने लगा है, पहले यह कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि देश में ऐसा भी हो सकता है।

2018 तक हर गांव होगा रोशन
मोदी सरकार इस साल अक्टूबर तक देश के सभी गांवों में बिजली पहुंचा देने का वादा किया है। दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत जिस गति से ग्रामीण विद्युतीकरण का काम हो रहा है उससे यह असंभव सा लगने वाला काम संभव लग रहा है। तीन साल पहले मोदी सरकार के गठन के समय देश के 18,452 गांव बिजली से वंचित थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक हजार दिन के भीतर इन गांवों के हर घर तक बिजली पहुंचाने का वायदा किया था।

बिजली उत्पादन बढ़ा, बर्बादी रुकी
मोदी सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का असर है कि देश में लगातार बिजली उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो रही है। इसकी दो बड़ी वजहें हैं। एक तरफ वितरण में होने वाला नुकसान कम हुआ है। दूसरी ओर सफल कोयला एवं उदय नीति से उत्पादन बढ़ा है। जैसे- 2013-14 में बिजली उत्पादन 96,700 करोड़ यूनिट हुआ था, जो 2014-15 में बढ़कर 1,04,800 करोड़ यूनिट हो गया। ये दौर आगे भी जारी रहा और 2015-16 में बिजली उत्पादन 1,10,700 करोड़ यूनिट हो गया, जिसकी वजह ऊर्जा नुकसान में 2.1 प्रतिशत की कमी रही। ऊर्जा नुकसान 2015-16 में जहां 2.1 प्रतिशत थी जो अब घटकर 0.7 प्रतिशत (अप्रैल-अक्टूबर, 2016) रह गई है। 2015-16 की तुलना में अब राष्ट्रीय पीक पावर डिफिसिट घटकर आधा यानि 1.6 प्रतिशत रह गया है।

नई कोयला नीति
नरेंद्र मोदी सरकार की कोयला नीति काम करने लगी है। इसके चलते देश अब उर्जा संकट से लगभग उबर चुका है । पिछली यूपीए सरकार की गलत कोयला नीति की वजह से अधर में फंसे दर्जनों ताप बिजली घरों में फिर से काम शुरू होने की उम्मीद बढ़ गई है। हाल ही में ‘शक्ति’ नाम से एक नई कोल लिंकेज पॉलिसी को मंजूरी दी गई है जो नए ताप बिजली घरों को आसानी से कोयला ब्लॉक उपलब्ध कराएगा। साथ ही पुराने एवं अटके पड़े बिजली घरों को भी कोयला उपलब्ध हो सकेगा। इससे कम से कम 30 हजार मेगावाट क्षमता का अतिरिक्त उत्पादन शुरू हो सकेगा। यानि अगर उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी तो बिजली की दरों भी कटौती की संभावना रहेगी। यूपीए सरकार ने वर्ष 2007 में कोल लिंकेज नीति लाई थी जिसके तहत 1,08,000 मेगावाट क्षमता की बिजली परियोजनाओं को कोयला देने का समझौता किया गया था, लेकिन उस दौरान कोयला उत्पादन नहीं बढ़ पाने की वजह से इनमें से अधिकांश परियोजनाएं अटकी हुई थी। इसके बाद कई परियोनजाओं को कोयला आयात करने की अनुमति भी दी गई, लेकिन घोटाले और मुकदमों के कारण वो लागू न हो सकीं। अब जब देश में कोयला उत्पादन की स्थिति सुधरी है तो इन परियोजनाओं को भी नए सिरे से कोयला आवंटित करने की तैयारी की गई है।

परमाणु बिजली उत्पादन में भी आत्मनिर्भरता
मोदी सरकार ने 10 नए Pressurized Heavy-Water Reactors (PHWR) के निर्माण का फैसला किया है। सबसे बड़ी बात ये है कि ये काम अपने वैज्ञानिक करेंगे और कोई भी विदेशी मदद नहीं ली जाएगी। इन दस नए स्वदेशी न्यूक्लियर पावर प्लांट से 7,000 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकेगी। इस निर्णय का सबसे बड़ा प्रभाव यह होगा कि भारत भी विश्व के अन्य देशों को Pressurized Heavy-Water Reactors की तकनीक देने वाला देश बन जायेगा, जो मेक इन इंडिया योजना को बहुत अधिक सशक्त करेगा। इसके अतिरिक्त 2021-22 तक 6,700 मेगावाट परमाणु ऊर्जा पैदा करने के लिए अन्य न्यूक्लियर पावर प्लांट के निर्माण का भी काम चल रहा है। इस समय देश में कुल 22 न्यूक्लियर पावर प्लांट बिजली पैदा कर रहे हैं जिनसे कुल 6,780 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है।

सौभाग्य योजना: देश का हर घर होगा रोशन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 सितंबर, 2017 को प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना ‘सौभाग्य’ की शुरुआत की। इसके तहत मार्च 2019 तक सभी घरों को बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना का फायदा उन लोगों को मिलेगा जो पैसों की कमी के चलते अभी तक बिजली कनेक्शन हासिल नहीं कर पाए हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत हर घर को रोशनी में समेट कर प्रगति के पथ पर ले जाना है। इस योजना पर 16 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च आएगा। यह उन चार करोड़ परिवारों के घर में नयी रोशनी लाने के लिए है जिनके घरों में आजादी के 70 साल के बाद भी अंधेरा है।

UDAY से देश का भाग्योदय
देश की बिजली वितरण कंपनियों की खराब वित्तीय स्थिति में सुधार करके उनको पटरी पर लाने के लिए Ujwal DISCOM Assurance Yojana (UDAY)लागू किया गया। सभी घरों को 24 घंटे किफायती एवं सुविधाजनक बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करना ही इस योजना का मूल उद्देश्य है। यह योजना 20 नवंबर, 2015 से शुरू की गई इससे विरासत में मिली 4.3 लाख करोड़ रुपये के कर्ज की समस्या का मोदी सरकार ने स्थायी समाधान निकाल लिया। आज देश के सभी राज्य इस योजना से जुड़ चुके हैं।

उत्तर प्रदेश अंतिम राज्य था जो 14 अप्रैल 2017 को इस योजना में शामिल हुआ है। इसी साल जनवरी से UDAY वेब पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन की शुरुआत भी की गई है। इसे विभिन्न राज्यों के DISCOM में हो रहे कार्यों और वित्तीय स्थिति पर निगरानी रखने के लिए तैयार किया गया है। इसका काम डाटा को राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर में एकीकृत करके रखना है। इससे केन्द्रीय मंत्रालय स्तर पर DISCOM के काम पर निगरानी रखना आसान हो गया है। जिससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिला है, और गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।

सड़कें हो रही हैं ‘उजाला’
प्रधानमंत्री मोदी ने 5 जनवरी 2015 को 100 शहरों में पारंपरिक स्ट्रीट और घरेलू लाइट के स्थान पर LED लाइट लगाने के कार्यक्रम की शुरूआत की थी। इस राष्ट्रीय स्ट्रीट लाइटिंग कार्यक्रम (NSLP) का उद्देश्य 1.34 करोड़ स्ट्रीट लाइट के स्थान पर LED लाइट लगाना है। अब तक देशभर में पुरानी लाइट्स बदलकर 21 लाख नए LED लाइट लगाई जा चुकी हैं। इससे 29.5 करोड़ इकाई KWH बिजली की बचत हुई है। यही नहीं इसके चलते 2.3 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आई है। यह परियोजना 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलाई जा रही है। सबसे बड़ी बात है कि इसके चलते खर्च और बिजली की तो बचत हो ही रही है प्रकाश भी पहले से काफी बढ़ गया है। यही नहीं भारी मात्रा में LED बल्बों की खरीद होने के चलते उसकी कीमत भी 135 रुपये के बजाय 80 रुपये प्रति बल्ब बैठ रही है।

रीयल टाइम मिलेगी पॉवरकट की सूचना
केंद्र सरकार ने 24×7 किफायती और बिना बाधा के देश को बिजली देने के लिए ‘ऊर्जा मित्र एप’ लांच किया है। ऐसी सुविधा बिजली उपभोक्ताओं को पहली बार मुहैया कराई जा रही है। लोग www.urjamitra.com तथा ‘ऊर्जा मित्र एप’ पर देश के शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटने की सूचना पा सकते हैं। ये जानकारी उपभोक्ताओं तक रीयल टाइम में पहुंच जाती है और वो इससे जुड़ी शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं।

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