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प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर महिला नेतृत्व पर भरोसा बढ़ा, बनासबाड़ी रेलवे स्टेशन की कमान महिलाओं के हाथ में

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार निरंतर महिलाओं के हाथों में एक के बाद एक क्षेत्र में कमान सौंप रही है। महिला सशक्तीकरण के नारे को व्यवहार में लाने के लिए महिलाओं की नेतृत्व क्षमता पर भरोसा जताया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा महिलाओं को उचित मौका देने और उन पर भरोसा जताने से न केवल महिलाओं में आत्मविश्वास जगा है, बल्कि वे आत्मनिर्भर भी हो रही हैं। उसकी एक बानगी रेलवे परिचालन में भी देखने को मिल रहा है।

केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बैंगलुरू (कर्नाटक) के बनासबाड़ी रेलवे स्टेशन का परिचालन पूरी तरह महिलाओं द्वारा चलाने की घोषणा की। यह देश का छठा रेलवे स्टेशन है, जहां की सारी गतिविधियां महिलाओं द्वारा चलाई जा रही है। इससे पहले पूरी तरह महिलाओं द्वारा संचालित देश के रेलवे स्टेशनों में मुंबई (महाराष्ट्र) का माटुंगा, जयपुर (राजस्थान) का गांधीनगर, नागपुर (महाराष्ट्र) का अजनी, अहमदाबाद (गुजरात) का मणिनगर और आंध्र प्रदेश का चंद्रागिरी और शामिल है। आने वाले समय तमिलनाडु के तिरुपति, आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के फिरंगीपुरम और तेलंगाना के हैदराबाद जिले के बेगमपट रेलवे स्टेशन की कमान भी महिलाओं को मिलेंगी।

महिलाओं द्वारा संचालित पहला रेलवे स्टेशन है माटुंगा
माटुंगा भारतीय रेलवे का पहला स्टेशन है जो केवल महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा है। यह मुंबई उपनगर में आता है। इस स्टेशन पर स्टेशन मास्टर से लेकर टिकट कलेक्टर, यहां तक कि सफाईकर्मी, आरपीएफ जवान भी महिलाएं हैं। इसके कारण इस स्टेशन का नाम लिम्का बुक में 2018 में दर्ज किया है। यह स्टेशन 12 जुलाई, 2017 से केवल महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा है। स स्टेशन पर 41 महिलाकर्मी तैनात हैं।

महिलाओं द्वारा संचालित देश का दूसरा रेलवे स्टेशन गांधी नगर
जयपुर का गांधी नगर रेलवे स्टेशन महिलाओं द्वारा संचालित देश का दूसरा रेलवे स्टेशन है जबकि प्रमुख रेलवे स्टेशनों में पहला है जहां रेलवे का पूरा स्टॉफ महिलाकर्मचारी हैं। यहां रोजाना 7 हजार से अधिक यात्रियों का आना-जाना रहता है। यह जयपुर के सबसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में से एक है। यहां 40 महिलाकर्मी तैनाती है।

नागपुर का अजनी स्टेशन की कमान भी महिलाओं के हाथ में
महाराष्ट्र के नागपुर का अजनी रेलवे स्टेशन भी केवल महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा है। अजनी नागपुर का सेटेलाइट स्टेशन है, जो मध्य रेलवे के नागपुर खंड का हिस्सा है और महत्वपूर्ण चेन्नई-दिल्ली रूट का हिस्सा है। इस स्टेशन पर रोजाना 6 हजार से अधिक यात्रियों का आना-जाना होता है। यहां कुल 22 महिला रेलकर्मियों की तैनाती की गई है।

मणिनगर रेलवे स्टेशन महिलाओं द्वारा संचालित देश का चौथा रेलवे स्टेशन
अहमदाबाद का मणिनगर रेलवे स्टेशन देश का चौथा और गुजरात का पहला रेलवे स्टेशन है, जो केवल महिलाओं द्वारा संचालित है। यहां पर 23 वाणिज्यिक क्लर्क, 3 परिचालन कर्मी, 10 रेलवे सुरक्षा बल के जवानों की तैनाती की गई है। सभी महिला कर्मचारी हैं। इसके अलावा 36 अन्य कर्मियों में भी महिलाएं ही नियुक्त हैं।

आंध्र प्रदेश का चंद्रागिरी रेलवे स्टेशन की कमान भी महिलाओं के हाथ में
आंध्र प्रदेश का चंद्रागिरी रेलवे स्टेशन मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू के गृह जिले चित्तूर में स्थित है। इस स्टेशन पर कुल 12 रेलकर्मी हैं, जिसमें स्टेशन मास्टर, बुकिंग क्लर्क, प्वाइंट्स मैन, सुरक्षा और सफाईकर्मी शामिल हैं और सभी महिलाएं हैं। 

लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला बनी अवनी
इंडियन एयर फोर्स की फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। अवनी ने अकेले मिग-21 उड़ाकर एक नया इतिहास रच दिया है। 19 फरवरी को अवनी चतुर्वेदी ने गुजरात के जामनगर एयरबेस से अकेले ही फाइटर एयरक्राफ्ट मिग-21 से उड़ान भरी। अवनि चतुर्वेदी भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलटों में से एक है। अवनी के साथ मोहना सिंह और भावना कंठ के साथ पहली बार लड़ाकू पायलट घोषित किया गया था।

एयरफोर्स में पहली बार महिला फाइटर पायलट शामिल
इससे पहले देश की वायु सेना में फाइटर पायलट के रूप में तीन महिलाओं की नियुक्ति ने पूरे देश को गर्व से भर दिया था। अवनी चतुर्वेदी, भावना कंठ और मोहना सिंह भारतीय वायु सेना के उस लड़ाकू बेड़े में शामिल की गई थीं। यह अपने-आप में बहुत बड़ी उपलब्धि भी है और बहुत बड़ी मिसाल भी।

राजपथ पर महिला कमांडो का हैरतअंगेज करतब
इस साल गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार बाइक पर हैरतअंगेज करतब दिखाने के लिए महिला कमांडो के दस्ते को शामिल किया गया। अब तक ऐसा सेना के जवान करते रहे हैं। ऐसा पहली बार हुआ कि बुलेट पर महिला कमांडो पिरामिड, उल्टे-सीधे खड़े होकर अखबार पढ़ते और चाय पीते नजर आईं। महिला दस्ता में शामिल 106 महिला कमांडो ने 26 बाइक पर विजय चौक से इंडिया गेट तक (तीन किलोमीटर) अलग-अलग हैरतअंगेज करतब का प्रदर्शन किया। दस्ते में शामिल महिला कमांडो नेपाल, म्यांमार, भूटान, बांग्लादेश सीमा पर तैनात हैं। साहस और जोखिम उठाने के मामले में ये किसी से कम नहीं हैं। इस दस्ते का नाम सीमा भवानी रखा गया है। बीएसएफ की देशभर की यूनिट में से चयनित 106 महिला कमांडो को 15 महीने का विशेष प्रशिक्षण सीमा सुरक्षा बल अकादमी, टेकनपुर स्थित केंद्रीय मोटर गाड़ी प्रशिक्षण में दिया गया।

राजपथ पर पहली बार महिला सशक्तीकरण का प्रदर्शन
इसके पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महिला सामर्थ्य पर अटल विश्वास की झलक उसी समय दिख गई थी, जब राजपथ पर देश के 66वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर पहली बार तीनों सेनाओं के एक विशेष महिला दस्ते ने मार्च करके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का गौरव बढ़ाया। इस अवसर पर अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

नेवी की मिली पहली महिला पायलट
शुभांगी स्वरूप के रूप में नेवी को पहली महिला पायलट मिला। यह ऐतिहासिक क्षण नेवी के लिए तब आया जब नेवी में महिलाओं को शामिल करने का निर्णय पहली बार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में लिया गया था। अब टोही विमानों में भी महिलाओं की तैनाती के रास्ते खुलेंगे। शुभांगी के साथ-साथ आस्था सहगल, रूपा ए. और शक्तिमाया को भी नेवी के Armament यानी शस्त्र विभाग की इंस्पेक्शन ब्रांच में पहली बार ही नियुक्त किया गया है।

पहली बार बनी पूर्णकालिक महिला रक्षा मंत्री
निर्मला सीतारमण ऐसी पहली पूर्णकालिक महिला रक्षा मंत्री बनी हैं, जिन्होंने अत्यंत चुनौतियों और संवेदनशीलता से भरे इस पद की कमान संभाली है। जिस इकाई के कंधों पर देश की सीमाओं की सुरक्षा से जुड़े दिशानिर्देशों का दायित्व हो, उसका प्रत्येक निर्णय देश की अस्मिता के लिए अत्यधिक महत्त्व का होता है। निर्मला सीतारमण ने इस कमान को पूरी सामर्थ्य और साहस के साथ थामा है।

नाविक सागर परिक्रमा पर निकली महिला अधिकारी
नाविक सागर परिक्रमा नामक यह मिशन आईएलएसवी नौका तारिणी के द्वारा पूरा होगा और इस मिशन पर निकली हैं नौसेना की 6 साहस से भरी महिला अधिकारी। इस मिशन से जुड़ी सभी सदस्य महिलाएं हैं। यह बहुत बड़े साहस का प्रमाण है। इस दल को प्रधानमंत्री मोदी की शुभकामनाओं के रूप में उनका विश्वास प्राप्त है। इस दल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी कर रही हैं। 

‘नारी’ से मिलेगी महिलाओं को शक्ति
महिलाओं को सशक्त बनाने की ऐतिहासिक पहल के तहत एक ऑनलाइन पोर्टल ‘नारी’ का शुभारंभ किया गया। इस पोर्टल को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने विकसित किया है। इस पोर्टल के माध्यम से महिलाएं सरकारी योजनाओं और पहलों की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकेंगी।

केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाएं अब एक पोर्टल पर
महिलाओं को समान अधिकार, आर्थिक अवसर, सामाजिक सहयोग, कानूनी सहायता, आवास आदि उपलब्ध कराने के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों ने विभिन्न योजनाएं लागू की हैं, परंतु इनके प्रति जागरूकता का अभाव है। महिला केंद्रित योजनाओं की जानकारी विभिन्न वेबसाइट पर बिखरी हुई हैं। इन सारी सूचनाओं को एक स्थान पर सुलभ कराने के उद्देश्य से ‘नारी’ पोर्टल में महिलाओं के कल्याण के लिए 350 सरकारी योजनाओं से संबंधित व अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई गई हैं। पोर्टल में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के लिए महत्वपूर्ण लिंक दिए गए हैं। ‘नारी’ पोर्टल में महिलाओं के जीवन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर जानकारी उपलब्ध कराई गई है। पोषण, स्वास्थ्य जांच, बीमारी, नौकरी, साक्षात्कार, निवेश और बचत सलाह, महिलाओं के खिलाफ अपराध, कानूनी सहायता उपलब्ध कराने वालों के नम्बर, गोद लेने की सरल प्रक्रिया आदि विषयों पर टिप्स दिए गए हैं। यह पोर्टल महिलाओं को जानकारियों की शक्ति प्रदान करेगा। मंत्रालय से एनजीओ और सिविल सोसायटी के संवाद के लिए एक ई-संवाद पोर्टल भी विकसित किया गया है। 

हर कदम पर महिलाओं के साथ खड़ी है मोदी सरकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार में ऐसी तमाम योजनाएं बना चुके हैं, जिनके बल पर आज देश की महिलाओं खुद का आत्मनिर्भर और सुरक्षित महसूस कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी की पहल ने महिलाओं में विश्वास भरने के साथ ही भरोसा भी उत्पन्न किया है। प्रधानमंत्री महिलाओं को यह यकीन दिलाने में भी सफल रहे हैं कि सम्मान और विकास के बारे में सोचने और कुछ कर गुजरने वाला एक व्यक्ति सरकारी तंत्र के उच्च शिखर पर बैठा है जो नारी शक्ति के साथ खड़ा है। चाहे बात मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के मुद्दे पर सदियों से चली आ रही कुप्रथा से मुक्ति दिलाने की हो, या फिर हज जाने के लिए बगैर ‘महरम’ के मुस्लिम महिलाओं के जाने का मामला, सभी फैसलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति दिखाई पड़ती है। इतना ही नहीं केंद्र सरकार बगैर किसी भेदभाव के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान से लेकर सुकन्या समृद्धि योजना, मातृत्व लाभ, मातृत्व अवकाश योजनाओं के जरिए महिलाओं को उनका हक दिलाने का काम कर रही है।

हज के लिए ‘महरम’ (पुरुष अभिभावक) की अनिवार्यता खत्म
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिलाओं से जुड़ी ऐसी सभी समस्याओं को खत्म करने में लगे हैं, जिससे उनके अस्तित्व को चुनौती मिलती है या फिर जो उनके मौलिक अधिकारों का हनन करती हैं। 31 दिसंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल के आखिरी ‘मन की बात’ में मुस्लिम महिलाओं को बहुत ही बड़ी खुशखबरी दी। प्रधानमंत्री ने बताया है कि अब भारतीय मुस्लिम महिलाएं बिना ‘महरम’ के हज यात्रा पर जा सकती हैं। गौरतलब है कि आजादी के 70 वर्षों बाद प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर भारत की मुस्लिम महिलाओं को अकेले भी हज यात्रा पर जाने का हक मिला है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि उनकी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के इस हक पर ध्यान दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि, “70 साल से चली आ रही परंपरा को नष्ट कर के इस रेस्ट्रिक्शन को हमने हटा दिया। आज मुस्लिम महिलाएं, ‘महरम’ के बिना हज के लिए जा सकती हैं और मुझे खुशी है कि इस बार लगभग 1300 मुस्लिम महिलाएं ‘महरम’ के बिना हज जाने के लिए अप्लाई कर चुकी हैं और देश के अलग-अलग भागों से; केरल से ले करके उत्तर तक महिलाओं ने बढ़-चढ़ करके हज-यात्रा करने की इच्छा जाहिर की है।” इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि भारत की विकास यात्रा, नारी-शक्ति के बल पर, उनकी प्रतिभा के भरोसे आगे बढ़ी है और आगे बढ़ती रहेगी। इसलिए हमारा निरंतर प्रयास होना चाहिए कि महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर और समान अधिकार मिले।

तीन तलाक की ‘पापी प्रथा’ से मुक्ति दिलाने का बिल लोकसभा में पास
मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की कुप्रथा से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से 28 दिसंबर को विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकार सुरक्षित करने से संबंधित ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 लोकसभा से ध्वनिमत से पारित हो गया। अब इसे कानून का स्वरूप लेने में सिर्फ दो कदम की दूरी बची है, पहला कदम राज्यसभा में पारित होना और दूसरा कदम राष्ट्रपति से मंजूरी। प्रधानमंत्री मोदी सत्ता में आने के बाद से ही सदियों से चली आ रही इस कुप्रथा से मुस्लिम महिलाओं को मुक्ति दिलाने के प्रयास में लगे हुए थे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में भी मोदी सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ जोरदार पैरवी की थी, और उसी का नतीजा था कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय खंडपीठ ने बहुमत के साथ इस प्रथा को गैरकानूनी और इस्लाम विरोधी घोषित किया था। उसके बाद से ही केंद्र सरकार इसे कानूनी जामा पहनाने की कोशिश कर रही थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल ने उन्हें देश की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं का शुभचिंतक बना दिया है। प्रधानमंत्री ने बगैर किसी भेदभाव के, मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को उनका हक दिलाने का काम किया है। इस बिल के पास होने के बाद मुस्लिम महिलाओं को बराबरी का हक मिलेगा और तलाक की स्थित में वो अपने पति पर अपने तथा नाबालिग बच्चों के गुजारा भत्ता का दावा ठोक सकेंगी। इतना ही नहीं इस गैरकानूनीकृत्य पर पति को तीन वर्ष की जेल का भी प्रावधान है।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना
सरकार ने पूरे देश में महिला भ्रूण हत्या, लिंग भेद की रोकथाम और महिला शिक्षा के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना शुरू की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन मंत्रालय के समन्वित प्रयासों से चलाए गए इस अभियान के बेहद सकारात्मक परिणाम सामने आए। 

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से महिलाओं को मिला रसोई के धुंए से मुक्ति 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीब महिलाओं को बीमारी से मुक्ति दिलाने और उनके चेहरे पर खुशी लाने के लिए 1 मई, 2016 को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरूआत की थी। दिसंबर, 2017 तक 3 करोड़ 22 लाख परिवारों को इस योजना का लाभ मिल चुका था। हालांकि इस योजना तहत पांच करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी गैस चूल्हा और कनेक्शन देने का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन इस योजना की सफलता को देखते हुए सरकार ने इसका दायरा बढ़ाकर आठ करोड़ का फैसला किया है। 

मातृत्व अवकाश, मातृत्व लाभ
वर्तमान सरकार ने नया मातृत्व लाभ संशोधित कानून एक अप्रैल 2017 से लागू कर दिया है। संशोधित कानून के तहत सरकार ने कामकाजी महिलाओं के लिए वैतनिक मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ा कर 26 सप्ताह कर दी है। इसके तहत 50 या उससे ज्यादा कर्मचारियों वाले संस्थान में एक तय दूरी पर क्रेच सुविधा मुहैया कराना अनिवार्य है। महिलाओं को मातृत्व अवकाश के समय घर से भी काम करने की छूट है। मातृत्‍व लाभ कार्यक्रम के 1 जनवरी 2017 से लागू है। योजना के अंतर्गत गर्भवती और स्‍तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो जीवित शिशुओं के जन्‍म के लिए तीन किस्‍तों में 6000 रुपये का नकद प्रोत्‍साहन दिया जाता है।

महिला उद्यमिता और महिला कौशल को बढ़ावा
स्टैंड-अप इंडिया के अंतर्गत महिलाओं को अपना व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए हर बैंक शाखा को 10 लाख से लेकर 1 करोड़ तक के ऋण कम से कम एक महिला को उपलब्ध कराने का नियम बनाया गया है। वहीं प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत महिलाओं को रोजगार योग्य बनाने के लिए 11 लाख से अधिक महिलाओं को अलग-अलग तरह के हुनर में प्रशिक्षित किया गया है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना महिला सशक्तिकरण का एक बहुत बड़ा जरिया बन चुकी है। इस योजना के लाभार्थियों में 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। 

सुकन्या समृद्धि योजना
केंद्र सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना के माध्यम से देश की बेटियों के भविष्य को सुरक्षित करने का कार्य किया है। योजना के अंतर्गत 0-10 साल की कन्याओं के खाते डाकघर में खोले जाएंगे। इन खातों में जमा राशि पर 8.1 प्रतिशत की दर से वार्षिक ब्याज दिया जाएगा। सुकन्या समृद्धि योजना अभिभावकों के लिए वरदान सिद्ध हो रही है। इस योजना के तहत अभिभावकों को एक हजार रुपया प्रतिमाह 14 वर्ष तक जमा करना होगा।21 वर्ष के बाद खाता परिपक्व होने पर उन्हें 6,41,092 की धनराशि वापस मिलेगी। आकलन के अनुसार 14 वर्ष में खाते में जमा होंगे 1.68 लाख रुपये और 21 वर्ष बाद 6,41,092 रुपये की वापसी होगी। योजना के माध्यम से सरकार ने बेटियों की शिक्षा और समृद्धि दोनों को सुनिश्चित किया है।

मुद्रा योजना में महिलाओं की भागीदारी
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना महिला सशक्तिकरण का एक बहुत बड़ा जरिया बन चुकी है। इस योजना के तहत 29 दिसंबर, 2017 तक 10,17,24,494 लोग लाभ ले चुके हैं, इनमें 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। यानि सात करोड़ से अधिक महिलाओं ने इसका लाभ उठाया है।

महिलाओं के पासपोर्ट बनाना आसान
विदेश मंत्रालय ने महिलाओं को विदेश जाने के लिए पासपोर्ट बनाने के काम को आसान कर दिया गया, इसके लिए शादी या तलाक के सर्टिफिकेट की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई अब वे अपने पिता या मां का नाम लिख सकती हैं। पहले महिलाओं को पासपोर्ट बनवाने में खासी दिक्कत आती थी, लेकिन इस बदलाव के बाद महिलाओं के लिए पासपोर्ट बनवाना आसान हो गया है।

महिला जनप्रतिनिधियों को प्रशिक्षण
इस कार्यक्रम का उद्देश्य पंचायतों की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की क्षमता, शासन संचालन और उनका कौशल बढ़ाना है, ताकि वो गांवों का प्रशासन बेहतर तरीके से चला सकें। पंचायती संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को कई बार काम में मुश्किलें पेश आती हैं। इसलिए महिला सरपंचों तथा निचले स्तर पर महिला प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित करने के लिए देशव्यापी कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। इसका सीधा लाभ शासन-प्रशासन में महिलाओं की भागीदारी के रूप में मिल रहा है। 

यौन उत्पीड़न से निवारण के लिए ई-प्लेटफॉर्म
कार्यालयों में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न की घटनाएं रोकने के लिए ई-प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया गया है। इस ई-प्लेटफॉर्म की सुविधा के माध्यम से केंद्र सरकार की महिला कर्मचारी ऐसे मामलों में ऑनलाइन ही शिकायत दर्ज करा सकेंगी। केंद्र सरकार में करीब 30 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं। 2011 के जनगणना के अनुसार केंद्रीय कर्मचारियों में महिलाओं का प्रतिशत 10.93 है।

इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश का महत्वपूर्ण संसाधन मानते हैं। ज्ञान-विज्ञान, खेलकूद, सूचना-प्रौद्योगिकी, कला-संगीत से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली महिलाओं को प्रधानमंत्री अपनी कई महत्वपूर्ण योजना से जोड़ चुके हैं। कामकाजी से लेकर ग्रामीण और आदिवासी महिलाओं के कल्याण और उनके हितों की रक्षा के लिए सरकार ने सतत प्रयास किये हैं। प्रधानमंत्री स्वयं किसी भी क्षेत्र में कुशल नेतृत्व या उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली महिलाओं की सराहना करके महिलाओं को प्रोत्साहित करने का कार्य करते हैं।

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