प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक बार फिर देश की बागडोर संभालने जा रहे हैं। एक गरीब चायवाले के परिवार से प्रधानमंत्री बनने तक की यात्रा में नरेन्द्र मोदी ने हर पड़ाव पर एक खास छाप छोड़ी है। प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए श्री मोदी ने जिस कर्मठता, साहस और संकल्प के साथ विकास के निर्णय लिए हैं और उसे लागू किए हैं, उससे हम सफलता के गुर सीख सकते हैं। आइए, प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व से सफलता के सूत्र समझने का प्रयास करते हैं-
स्वयं को अच्छी तरह समझते हैं प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि वह स्वयं को अच्छी तरह से समझते हैं। जीवन की परिस्थितियों और सामाजिक ताने-बाने को वास्तविक रूप में समझने के लिए यह जरुरी है कि पहले अपने आप को अच्छी तरह से समझा जाए। स्वयं को समझने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आप को अच्छा खासा समय दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अंतिम चरण का लोकसभा चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद केदारनाथ धाम के एक गुफा में 17 घंटे तक एकांत में ध्यान लगाया। हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अक्सर वह दीपावली के सम23य 5 से 6 दिनों के लिए जंगलों के एकांत में चले जाया करते थे। जहां सिर्फ जंगल की शांति और नदी के जल का प्रवाह होता था। वह कहते हैं कि ऐसे माहौल में, मैं मुझसे मिलता था। ऐसा करने से उन्हें अपने विचारों को समझने का भरपूर मौका मिलता था। वह अपने आप से परिचित होते थे।
अपने आपको समझना एक प्रक्रिया है। इसे स्वयं करना पड़ता है और जब इस प्रक्रिया से हम गुजरते हैं तो हमें अपने अंदर की शक्तियों का अहसास होता है, समझ सूक्ष्म स्तर तक पहुंच जाती है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने अज्ञातवास के दिनों में अपने अंदर की शक्तियों को पहचाना और उनका विवेक के अनुसार उपयोग करने की समझ पैदा की। सफलता का यह पहला सूत्र, अन्य किसी भी सूत्र से बहुत महत्वपूर्ण है। जरूरी नहीं है कि हम अपने को समझने के लिए जंगल के एकांत में जाएं, लेकिन अपने को समझने के लिए हमें स्वयं के साथ एकांत में अच्छा खासा समय देना होगा।
आत्मविश्वास से भरे हैं प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मोदी की दूसरी सबसे बड़ी खासियत है कि वह आत्मविश्वास से पूर्ण हैं। उनमें यह आत्मविश्वास, स्वयं को समझने से पैदा होता है। जब आप अपने आप को अच्छी तरह से समझते हैं तो किसी भी परिस्थिति या सामाजिक ताने-बाने में संतुलन सरलता के साथ स्थापित हो जाता है। प्रधानमंत्री मोदी किसी भी परिस्थिति या व्यक्ति के साथ बड़ी ही सरलता के साथ संतुलन और अपनापन स्थापित कर लेते हैं। विश्व के किसी भी राष्ट्राध्यक्ष के साथ मिलना हो या किसी भी फोरम पर अंग्रेजी या हिन्दी में अपनी बात कहनी हो वह बड़ी ही सरलता और संतुलन के साथ करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी का व्यवहार और बातचीत बच्चों के साथ हो, किसान के साथ हो, महिलाओं के साथ हो, वैज्ञानिकों के साथ हो, दिग्गज व्यापारियों के साथ या विशेषज्ञों के साथ, सभी के साथ संतुलित और सटीक होता है।
निडर और साहसी हैं प्रधानमंत्री मोदी
जब आप अपने आप को समझते हैं तो आप में आत्मविश्वास तो पैदा होता ही है साथ ही निडरता और साहस भी आ जाता है। प्रधानमंत्री मोदी का अपने आप को समझने से आत्मविश्वास तो पैदा हुआ ही, उनमें साहस और निडरता का भाव भी प्रखर हुआ। नरेन्द्र मोदी ने 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया उसके बाद से जो भी निर्णय लिया उसमें स्पष्ट रूप से उनका साहस दिखता है। स्वच्छ भारत मिशन जैसे कार्यक्रम को समयबद्ध तरीके से लागू करने के लिए स्वयं अपने ऊपर जिम्मेदारी लेना, जीएसटी को लागू करने के लिए निडरता के साथ निर्णय लेना हो या विदेश नीति के मामले में चीन से लेकर पाकिस्तान से निपटने के लिए साहस और निडरता से भरे निर्णयों को लागू करना उनकी सफलता का तीसरा सबसे बड़ा कारण है।
स्पष्ट और सटीक विचार करते हैं प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मोदी को अपने आपको समझना, आत्मविश्वास से पूर्ण होना और साहसी होने के साथ साथ स्पष्ट और सटीक विचार करने की क्षमता का होना उनकी सफलता का चौथा बड़ा कारण है। किसी विषय, परिस्थिति या व्यक्ति के बारे में उनकी विचार प्रक्रिया में कोई गांठ नहीं होती है। उनकी विचार प्रक्रिया सटीक और स्पष्ट होती है। स्पष्ट विचार करना ही तार्किक शक्ति है, जो उनके पास प्रचुर मात्रा में है। 26 मई, 2014 से पहले जब देश में नकारात्मकता और अनिर्णय का माहौल था तो ऐसे समय में अपनी इस तार्किक शक्ति के बल पर ही उन्होंने माहौल को सकारात्मकता में बदल दिया और यह सिद्ध कर दिया कि इस देश में इसी व्यवस्था के तहत भी बदलाव किया जा सकता है। 8 करोड़ गरीब परिवारों को गैस का कनेक्शन देना, 12 करोड़ किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड देना, हर गांव हर घर में बिजली पहुंचाना, सड़कों के निर्माण की रफ्तार को दोगुना करना, देश में विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना -आयुष्मान भारत से पचास करोड़ लोगों को सीधे लाभ पहुंचाना, प्रधानमंत्री मोदी के तार्किक शक्ति का ही परिणाम है।
अंतर्दृष्टि रखते हैं प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मोदी की तार्किक शक्ति से उन्हें एक ऐसी अंतर्दृष्टि मिलती है जो किसी भी परिस्थिति या विषय की वास्तविकता को बिना किसी रंग के अनुभव कर सकते हैं और उसके सभी पहलुओं को समझ सकते हैं। इसी अंतर्दृष्टि का ही परिणाम है कि उन्होंने भारत की सांस्कृतिक विरासत को अपनी विदेशी नीति का अहम हिस्सा बनाया। इसी अंतर्दृष्टि का ही नतीजा रहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी हर विदेश यात्रा पर प्रवासी भारतीयों से सीधा संबंध बनाया। यही अंतर्दृष्टि थी कि उन्होंने अपनी पहली सबसे अहम विदेश यात्रा अमेरिका की की, जिसने उन्हें वीसा देने से मना कर दिया था और उसी देश के राष्ट्रपति को गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि भी बनाया। यह प्रधानमंत्री मोदी की अंतर्दृष्टि ही है कि आज विश्व के सभी राष्ट्राध्यक्ष उनके मुरीद ही नहीं बल्कि उनके अच्छे व्यक्तिगत मित्र हैं।
अनुशासित हैं प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मोदी में सफलता का सबसे विशेष गुण यानि अनुशासन भरपूर है। वह अपने आप को समझते हैं, निडर हैं, आत्मविश्वास से भरे है, उनके पास अंतर्दृष्टि है इसलिए वह अनुशासित हैं। अनुशासन का अर्थ है वह व्यक्ति जिसका स्वंय के विचारों और व्यवहार पर शासन हो, जो परिस्थितियों के अनुरूप समय सीमा में अपने विचारों और व्यवहारों को लागू कर सके। ऐसा ही व्यक्ति किसी भी योजना को एक समय सीमा में पूरा करने का लक्ष्य पूरा कर सकता है। प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद से नरेन्द्र मोदी ने जो भी योजनाएं लागू की हैं, उसके लक्ष्य को एक समय सीमा के अंदर पूरा किया है। 38 करोड़ लोगों के जन धन खाते को रिकार्ड समय में खुलवाना, 8 करोड़ गैस कनेक्शन रिकॉर्ड तीन साल में देना, 9 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण चार सालों में करवाना, 1000 से कम दिनों में देश के हर गांव में बिजली पहुंचाने का काम करवाना, प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व के अनुशासन का ही परिणाम है।
प्रधानमंत्री मोदी परिस्थितियों में लक्ष्य का सटीक निर्धारण करते हैं
प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व के गुण उन्हें किसी भी परिस्थिति में लक्ष्य के सटीक निर्धारण करने की शक्ति देते हैं। 26 मई, 2014 को प्रधानमंत्री मोदी ने देश की खस्ताहाल स्थिति मेें बदलाव करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया वह आज बहुत ही सटीक लगते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने देश में सकारात्मक बदलाव करने के लिए सबसे पहले स्वच्छता मिशन को लक्ष्य बनाया। इससे देश में बदलाव का माहौल बना, साथ में ही उन सभी लोगों के बैंक में खाते खुलवाने का काम किया, जिनके पास बैंक में खाते नहीं थे। ऐसे ही कुछ सटीक लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ने का काम किया। लक्ष्य के लिए मेहनत करते हैं प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपनी पूरी शक्ति और समय लगा देते हैं। उनके लिए लक्ष्य अराध्य बन जाता है। लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के अंदर मेहनत करने का जो उत्साह आता है, वह उनको अपनी अंतर्दृष्टि के कारण मिलता है। यही अंतर्दृष्टि उनको किसी भी कार्य को करने में आनंद देता है और दिन के 16-17 घंटे काम करने में भी कोई परेशानी नहीं होती है।
नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री तो हैं ही साथ में वह देश की युवा पीढ़ी के लिए एक उदाहरण है, जो उनसे जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए एक फार्मूला सीख सकती है।