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LIES AGAINST MODI: बिहार को सवा लाख करोड़ का पैकेज नहीं दिया   

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उनके विरोधी अपनी साजिश में किस हद तक जा सकते हैं इसका पता बिहार के विशेष पैकेज को लेकर फैलाई जा रही अफवाह से भी चलता है। बिहार में सत्तारूढ़ जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस गठबंधन के कुछ नेता आरोप लगाते हैं कि बीजेपी बिहार की सत्ता में नहीं आ सकी इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार को सवा लाख करोड़ रुपये का विशेष पैकेज नहीं दिया। लेकिन ये आरोप लगाते हुए वो सच को नजरअंदाज कर जाते हैं क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के वादे के मुताबिक बिहार को ना सिर्फ पैकेज मिला है, बल्कि उस पैकेज से बिहार में चल रहे विकास के कार्यों पर केंद्र की नजर भी बनी हुई है।

प्रधानमंत्री मोदी के विजन से बिहार का विकास

बिहार में विकास से जुड़े कई बड़े कामकाज आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिये उसी विशेष पैकेज से हो रहे हैं। 54,713 करोड़ रुपये के खर्च से गंगा, कोसी और सोन नदी पर आठ मेगापुल और कई पुलियों के साथ रोड कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है। 2,700 करोड़ रुपये के खर्च से पटना में एक नये हवाई अड्डे के निर्माण के साथ रक्सौल, गया एवं पूर्णिया में हवाई अड्डे के विकास पर काम जारी है। 600 करोड़ रुपए की लागत से पटना, भागलपुर और गया मेडिकल कॉलेज का जीर्णोद्धार विशेष पैकेज की मदद से ही हो रहा है। 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से बांका में 4,000 मेगावाट और बक्सर में 1,300 मेगावाट के बिजली संयंत्र और दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत कृषि एवं घरेलू कार्यों से जुड़ी कई फीडर योजनाओं पर भी काम चल रहा है।

इनके अलावा 3,094 करोड़ रुपये की लागत से किसान कल्याण की योजनाओं पर काम जारी है जिनमें राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय में नये अनुसंधान केंद्र का निर्माण और मत्स्य पालन का विकास करने जैसी योजनाएं शामिल हैं। भागलपुर के नजदीक केंद्रीय विश्वविद्यालय और बोधगया में आईआईएम जैसी शिक्षा की योजनाओं के मद में 1000 करोड़ रुपये, तो ग्रामीण सड़कों के निर्माण पर 13,820 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं। सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क और ग्रामीण बीपीओ के साथ डिजिटल बिहार की योजना पर 449 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं, वहीं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 600 करोड़ रुपये की योजना है जिसके तहत सात पर्यटन सर्किट का निर्माण भी होना है।

आइये चार्ट के जरिए भी देखते हैं कि प्रधानमंत्री के विशेष पैकेज से किस योजना पर कितनी राशि खर्च हो रही है:

तीन महीने पहले राज्य के योजना एवं विकास मंत्री राजीव रंजन सिंह ने विधान परिषद में ये स्वीकार किया कि विशेष पैकेज मद में राशि मिली है। उनकी बातों से यह भी जाहिर हुआ था कि विशेष पैकेज से जुड़ी योजनाओं पर राज्य सरकार की ओर से तेजी में कमी है। सवाल है कहीं राज्य सरकार की ओर से ये धीमी चाल इसलिए तो नहीं कि उसे इन योजनाओं का क्रेडिट मोदी सरकार के खाते में जाने का डर लग रहा है।

पैकेज से जुड़ी योजनाओं पर पीएमओ की निगरानी

प्रधानमंत्री ने 18 अगस्त, 2015 को आरा जिले में बिहार के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की थी। इस पैकेज से जुड़े कामकाज के क्रियान्वयन से जुड़े हर पहलू पर पीएमओ की नजर रहती है –

प्रधानमंत्री कार्यालय में एक विशेष सेल बिहार में हो रहे विकास कार्यो की निगरानी करता है।

– घोषित योजनाओं के लिए धन का आवंटन समयानुसार कार्य की प्रगति के आधार पर किया जाता है।

– जिन विभागों को विकास कार्यो के क्रियान्यवयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है वे हर माह कार्य की प्रगति की समीक्षा रिपोर्ट इस विशेष सेल को देते हैं।

जनता की भलाई के लिए मोदी सरकार प्रतिबद्ध

प्रधानमंत्री की ओर से हुई इस पैकेज की घोषणा का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था फिर भी कुछ समय बाद बिहार में विधानसभा चुनाव था तो विरोधियों ने इस घोषणा का राजनीतिकरण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विधानसभा चुनावों के बाद बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनी। लोकतंत्र में चुनाव होते हैं, पार्टियों की जीत-हार होती रहती है लेकिन हर हाल में जनता का भला हो, ये सरकार का दायित्व होता है। केंद्र की मोदी सरकार अपने इस दायित्व के निर्वाह में कभी भी पीछे नहीं हटी।

मोदी सरकार में किसी भी राज्य से भेदभाव नहीं   

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही केंद्र सरकार का मूल मंत्र है-सबका साथ सबका विकास। मोदी सरकार ने अपने हर कदम को इस मापदंड पर कसकर उठाया है। उन राज्यों से भी अब कोई भेदभाव नहीं होता जहां सरकार किसी और पार्टी या गठबंधन की हो। विकास को राजनीति से ऊपर रखने की ऐसी मिसाल पूर्ववर्ती सरकार के दौर में नहीं देखी जाती थी। तब विकास की धारा वहीं तक बहती थी जहां तक तैरने वाले अपने होते थे। कांग्रेस शासन में केंद्र के इस रुख से ऐसे राज्य पिछड़े रहने को मजबूर होते थे जहां दूसरी पार्टियों की सरकार होती थी।

मोदी सरकार में विकास का आधार वोट बैंक नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब सवा सौ करोड़ देशवासियों की बात करते हैं तो इस दायरे में तमाम राज्यों के लोग आते हैं किसी भी जाति-धर्म से ऊपर और किसी भी राजनीतिक नेतृत्व के ऊपर। हमें वोट दो तभी तुम्हारा विकास होगा, पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की इस सोच को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बदला है। देश की आजादी के बाद पहली बार ऐसा कोई उदाहरण सामने आया है जब किसी प्रधानमंत्री ने राज्य में दूसरे दल की सरकार होने के बावजूद उसके लिए केंद्र का खजाना खोलकर दिखाया है।    

 

 

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