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प्रधानमंत्री मोदी की ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी से चीन को मिल रहा ‘जैसे को तैसा’ वाला जवाब!

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वर्ष 2014 से पहले देश कई स्तरों पर ‘पॉलिसी पैरालाइसिस’ से जूझ रहा था। एक ओर जहां देश के अंदरूनी हालात बदतर थे, वहीं विदेश नीति भी दिशाहीन थी। अमेरिका, रूस, चीन समेत आसियान देशों से भारत के संबंध मृतप्राय हो गए थे। इन्हीं चुनौतियों के बीच जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की कमान संभाली तो स्थितियों में बदलाव आना शुरू हुआ। बीते चार वर्षों में पीएम मोदी ने जहां भारत को विश्व की महाशक्तियों की कतार में खड़ा कर दिया है, वहीं पड़ोसी देशों के साथ सुधारने के साथ भारत के ‘लुक ईस्ट’ नीति को ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी में भी बदल दिया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 29 मई से 2 जून तक इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर के दौरे पर हैं। उनके इस दौरे का महत्व जितना आर्थिक है, उतना ही रणनीतिक, सामरिक और सांस्कृतिक भी है। दरअसल भारत को जो काम वर्षों पहले करना चाहिए था, वह नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हो रहा है।

गौरतलब है कि 1950 के दशक में भारत ने एशिया का नेतृत्व करने की ठानी थी, लेकिन कमजोर नेतृत्व के कारण भारत ने यह अवसर गंवा दिया था। परिणाम यह रहा कि चीन ने वहां अपना पांव जमा लिया, परन्तु नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इसके लिए एक्शन प्लान तैयार किया।

बीते चार वर्षों के दौरान पीएम मोदी ने आसियान देशों से संबंधों को नये आयाम पर पहुंचा दिया है। बड़ी उपलब्धि यह है कि आज आसियान देश चीन से अधिक भारत पर भरोसा करने लगे हैं।

इंडोनेशिया के ‘सबांग’ बंदरगाह का आर्थिक और सामरिक इस्तेमाल करेगा भारत
प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर इंडोनेशिया ने सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण ‘सबांग’ बंदरगाह के आर्थिक और सैन्य इस्तेमाल की स्वीकृति भारत को दे दी है। यह चीन के लिए बड़ा झटका है। दरअसल ‘सबांग’ अंडमान निकोबार द्वीप समूह से 710 किलोमीटर की दूरी पर है। यह महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि चीन भी इस बंदरगाह को लेना चाहता था। दरअसल ‘सबांग’ बंदरगाह सुमात्रा द्वीप के उत्तरी छोर पर है और मलक्का स्ट्रैट के भी निकट है। गौरतलब है कि यह जिस इलाके में यह पड़ता है उससे भारत का 40 प्रतिशत समुद्री व्यापार होता है।

चीन की विस्तारवादी नीति को एक्ट ईस्ट से मात दे रहे पीएम मोदी
‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी से प्रधानमंत्री मोदी चीन के विस्तारवाद को दे रहे मात
पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, मालदीव और म्यांमार में चीन अपना दखल बढ़ा रहा है। ऐसे में भारत उन देशों से अपने संबंधों को बढ़ा रहा है जो चीन की विस्तारवादी नीतियों से परेशान हैं।

गौरतलब है कि जापान, फिलीपीन्स, ताईवान, ब्रूनेई, मलेशिया, इंडोनेशिया और वियतनाम के साथ दक्षिणी चीन सागर को लेकर चीन का विवाद चल रहा है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में चीन के विरुद्ध फैसला आने के बाद भी वह नहीं मान रहा है और अपना दखल बढ़ाता जा रहा है। ऐसे में भारत की यह नीति सही है कि इन आसियान देशों से सहयोग बढ़ाकर चीन के विरुद्ध एक मत तैयार करे।

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘लुक अप ईस्ट’ नीति को ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी में बदल डाला
प्रधानमंत्री मोदी ने यूपीए सरकार की ‘लुक अप ईस्ट’ की पॉलिसी को ‘एक्ट ईस्ट’ में बदल डाला। इस नीति के तहत पूर्वोत्तर के राज्यों को पूर्वी और दक्षिणी पूर्वी एशिया के देशों- म्यांमार, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लावोस, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम से व्यापार करने के लिए फ्रंटलाइन राज्य माना गया। मोदी सरकार की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का उद्देश्य एशिया प्रशांत क्षेत्र में ध्यान केंद्रित करना है। हालांकि इसमें महत्वपूर्ण पहलू सामरिक और रणनीतिक गठजोड़ बनाना भी है। इसी पॉलिसी के तहत बांग्लादेश के साथ संबंध सुधारने को प्रधानमंत्री मोदी ने प्राथमिकता दी, और बांग्लादेश से कई समझौते करके सबंधों को एक ठोस मजबूती दी। पूर्वोत्तर राज्यों के विकास को मजबूती देने के लिए ही प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान देशों की पिछले चार सालों में यात्राएं की और सामारिक महत्व के कई समझौते किये।

प्रधानमंत्री मोदी के आमंत्रण पर आसियान के सभी 10 राष्ट्रप्रमुखों का भारत आगमन
26 जनवरी, 2018 को नई दिल्ली के राजपथ पर विश्व ने एक और अनोखा दृश्य तब देखा जब आसियान देशों के 10 राष्ट्राध्यक्ष भारत की जमीन पर एक साथ दिखे। थाइलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और ब्रुनेई आसियान के नेताओं ने भारत को अपनी इस इच्छा से अवगत कराया कि रणनीतिक तौर पर अहम भारत-प्रशांत क्षेत्र में ज्यादा मुखर भूमिका निभाए। साफ है कि आसियान देशों के नेताओं का पीएम मोदी पर भरोसा व्यक्त किया जाना विश्व राजनीति में भारत के दबदबे को दिखा रहा है।

भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक हैं प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारतीय संस्कृति के सबसे बड़े ध्वजवाहक हैं। वे जहां भी जाते हैं अपने देश की सांस्कृतिक विरासत का प्रसार जरूर करते हैं। 21 जून के अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने की शुरुआत भी प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से ही संभव हो पाया। जब वे इंडोनेशिया की अपनी पहली यात्रा पर गए तो वहां भी अपनी मिट्टी की सांस्कृतिक महक बिखेर आए।

30 मई को जब प्रधानमंत्री मोदी ने जकार्ता में ‘पतंग प्रदर्शनी’ महोत्सव का उद्घाटन किया तो यह बेहद खास था। दरअसल इसे रामायण-महाभारत की थीम पर आयोजित किया गया। इस प्रदर्शनी के जरिए भारत-इंडोनेशिया के बीच मजबूत सांस्कृति रिश्तों को दर्शाने की कोशिश की गई। इंडोनेशियाई आयोजकों ने जहां महाभारत की थीम पर पतंगें प्रदर्शनी में लगाईं तो वहीं भारतीय पक्ष ने रामायण की थीम पर पतंगें डिजाइन की थीं।

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