Home समाचार रामपुर की घटना पर ‘दलितों की देवी’ और भीम आर्मी की चुप्पी...

रामपुर की घटना पर ‘दलितों की देवी’ और भीम आर्मी की चुप्पी पर सवाल

SHARE

उत्तर प्रदेश में रामपुर के टांडा थाना क्षेत्र में कुछ मनचलों ने दो युवतियों से छेड़छाड़ की। छेड़छाड़ ऐसी कि उसे सरेराह बलात्कार कहें तो अतिशियोक्ति नहीं होगी। युवतियों को एक के बाद एक चौदह शोहदों ने छुआ, अभद्रता की, शीलहरण करने प्रयास किया, वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर अपलोड भी कर दिया। युवतियां दलित थीं और शोहदे… एक खास समुदाय के। जाहिर है यहां क्यों हल्ला मचाया जाता? इसकी जड़ में सियासत जो है!

यहां सोचने की बात है कि यहां अगर बहुसंख्यक समाज की ही दो जातियां होतीं तो फिर देखते यूपी की राजनीति… ठाकुर बनाम दलित, अतिपिछड़ा बनाम दलित, दलित बना पिछड़ा, सवर्ण बनाम दलित। लेकिन दलितों पर इन शोहदों के अत्याचार पर न तो सेकुलर जमात बोल रही है… न ‘दलितों की देवी’ मायावती और न ही चंद दिनों पहले तक दलितों के लिए सबकुछ करने का दावा करने वाली भीम आर्मी !

शोहदों ने यह वीडियो रिकॉर्ड किया और खुद ही सोशल मीडिया पर शेयर भी किया। इस वीडियो में साफ है कि 5-6 मनचले सुनसान रास्ते का फायदा उठाते हुए दो लड़कियों को पकड़ लेते हैं और उनके साथ छेड़छाड़ करने लगते हैं। दोनों लड़कियां उनसे खुद को छोड़ देने की प्रार्थना कर रही हैं लेकिन इन मनचलों पर कोई असर नहीं होता है। ये मनचले कभी लड़की को पकड़ते हैं तो कभी उसके मुंह को दबाते हैं। जबकि दूसरा कह रहा है कि इसकी वीडियो बनाओ। लड़की एक बार किसी तरह से इनके चंगुल से छूटती है तो ये उसे दोबारा पकड़ लेते हैं, और फिर इसे गोद में उठा लिया जाता है। अभद्रता की जाती है और मनचले मजे लेते हैं।

मीडिया ने छिपा लिए थे रामपुर के शोहदों के नाम
बेखौफ मनचलों ने वीडियो वायरल कर तो दी, लेकिन यूपी पुलिस की सक्रियता से मुख्य आरोपी शाहनवाज समेत 9 को तो पकड़ लिया गया। लेकिन मीडिया ने इनके नाम नहीं बताए थे। तथाकथित सेकुलर मीडिया को यहां पत्रकारिता की शुचिता नजर आ रही थी। लेकिन यही शुचिता दलितों और ठाकुरों के बीच संघर्ष के समय याद नहीं रहती है। बहरहाल हम आपको बाकी आरोपियों के नाम जरूर बताएंगे। … सद्दाम, फाजिल, दानिश, नवेद, भूरा, नदीम, बाबू, कासिम, फरमान, रईश, जाने आलम और फिरोज… सब के सब एक ही समुदाय के हैं… और पीड़ित कौन… दलित । जाहिर है जो बहुसंख्यकों में फूट डालने की राजनीति कर रहे हैं उन्हें कम से कम रामपुर की इस घटना को जरूर देखना-समझना चाहिए।

कहां छिप गईं दलितों की देवी मायावती?
सहारनपुर में शांत हो रहे माहौल के बावजूद दलितों की देवी प्रकट हुईं और एक बार फिर जिले को जाति संघर्ष की आग में धकेल दिया। मामला बहुसंख्यक समाज की दो जातियों के संघर्ष का जो था। लेकिन उसी सहारनपुर के बगल में दूसरे समुदाय के लोग दलित लड़कियों की प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाते हैं लेकिन दलितों की देवी चुप हैं। अभी तक न तो उनकी तरफ से या फिर उनकी पार्टी की तरफ से घटना की निंदा की गई है। हां ये जरूर है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार की आलोचना जरूर की है। जाहिर है दलितों की देवी मायावती का दलित प्रेम सबके सामने है।

भीम आर्मी की निकल गई ठसक, दुबक गए आजाद!
यूपी पुलिस एक्शन में है, आरोपियों को जेल भी भेजा गया गया है। लेकिन भीम आर्मी कहां है? वही भीम आर्मी जो सहारनपुर में बहुसंख्यक समुदाय में जाति संघर्ष को लेकर सड़क पर थी। सहारनपुर से सटा हुआ है रामपुर लेकिन भीम आर्मी की आवाज नहीं निकल रही है। छोटी-मोटी बात पर भी ठाकुरों की ईंट से ईंट बजा देने वाली भीम आर्मी दो दलित युवतियों के साथ छेड़छाड़ पर कहां दुबक गई है? आखिर क्यों आवाज नहीं निकल रही है?

राहुल गांधी के दौरे का इंतजार कर रहे हैं दलित!
बहुसंख्यक समुदाय के बीच दो जातियों के संघर्ष के बीच अपनी सियासत चमकाने के लिए राहुल गांधी सहारनपुर पहुंचे थे। मामला दलित और ठाकुर समुदाय के बीच मनमुटाव का था। लेकिन रामपुर में दलितों पर अत्याचार पर राहुल गांधी चुप हैं। जाहिर है जिस वोट बैंक की राजनीति करते हैं राहुल गांधी यहां वही समुदाय कठघरे में है। लेकिन इस घटना से तो साफ है कि राहुल गांधी के लिए दलित प्रेम दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं है।

समाजवादी पार्टी की चुप्पी और आजम के बेतुके बोल
समाजवादी पार्टी ने न तो इस घटना की निंदा की और न ही दलित परिवारों से मिलकर उन्हें सांत्वना दी। पार्टी के नेता आजम खान जरूर बोले वो भी बेतुका। उन्होंने कहा कि योगी राज में महिलाएं घर से न निकलें। लेकिन आजम खान को भला कौन समझाए इसी रामपुर में जब पुलिस आपकी भैंस खोजने में लगी रहेगी तो वहां तो शोहदों का मन बढ़ेगा ही। यही नहीं उस क्षेत्र के विधायक भी तो आजम खान ही हैं और उनके सुपुत्र भी तो इसी जिले से चुनाव जीते हैं। जाहिर है आजम खान को ये समझना पड़ेगा कि आखिर उन्होंने रामपुर की क्या गत बना दी है।

सेकुलर जमात क्यों नहीं पहुंचा रामपुर?
रामुपुर की घटना पर सेकुलर राजनीति के अगुवा कहे जाने वाले अरविंद केजरीवाल, सीताराम येचुरी, शरद यादव, ममता बनर्जी जैसी नेताओं के लब बंद हैं। आखिर क्या वजह है जो दलित-सवर्ण की राजनीति करने वाले नेता छोटी बात में दखल देने, सियासत करने प्लॉट पर पहुंच जाते हैं। लेकिन दलितों पर मुसलमानों के अत्याचार पर चुप हो जाते हैं?

रामपुर की हकीकत जान लीजिए
रामपुर यूपी का मुस्लिम बहुल इलाका माना जाता है। यहां की पचपन फीसदी आबादी मुसलमानों की है। दूसरी हकीकत ये कि यहां समाजवादी पार्टी के आजम खान का ही परोक्ष शासन चलता है। इस मामले में भी आजम खान बोले लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार को कठघरे में खड़ा करने की नीयत से। लेकिन यूपी और रामपुर की असलियत आपके सामने है। जाहिर है समाजवादी पार्टी और मायावती की सरकार यूपी को किस गर्त में लेकर चली गई है ये घटना उसकी बानगी भर है।

रामपुर पुलिस ने स्वत: लिया संज्ञान
रामपुर के एसपी विपिन टांडा के मुताबिक छेड़छाड़ का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेते हुए आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया। गौरतलब है कि इस मामले में वादी यूपी पुलिस ही है। इस घटना के ज्यादातर आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। जाहिर है योगी आदित्यनाथ की सरकार दलितों पर हुए अत्याचार के मामले में संवेदनशील है और उन पीड़िताओं को जरूर न्याय दिलाएगी।

बहरहाल यूपी में किस तरह की राजनीति चल रही है ये तो सबके सामने है। पीएम मोदी का विरोध करना हो तो सभी दल एक मंच पर आ जाएंगे। सीएम योगी आदित्यनाथ के विरोध में सब एक हो जाएंगे। राष्ट्रदोह की घटना पर कार्रवाई होगी तो सेकुलर जमात सड़कों पर होगी। दो व्यक्तियों के बीच होने वाले झगड़े को भी सवर्ण और दलित के नाम पर राजनीति से जोड़ दिया जाएगा। लेकिन इतना तो तय है कि अब ये राजनीति ज्यादा दिन चलने वाली नहीं है। बहुसंख्यक समाज ने यूपी में हुए बीते चुनाव में जिस तरह से ऐसे दलों को सबक सिखाया है वो आने वाले वक्त में भी सिखाया जाएगा। क्योंकि बहुसंख्यक समाज को तोड़ने की राजनीति को अब आम लोग भी समझ चुके हैं।

Leave a Reply