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विदेशी जमीन से ‘नासमझ’ राहुल को गंभीर बताने का प्रयास क्यों कर रही है कांग्रेस?

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कांग्रेस के ‘युवराज’ अमेरिका दौरे पर हैं। वहां कई संस्थान में गए, छात्रों से मिले और कई पत्रकारों को साक्षात्कार भी दे चुके हैं, लेकिन इन सबमें एक बात कॉमन है कि वे भारत की वर्तमान सरकार को घेरने का प्रयास अवश्य करते हैं। अब सवाल उठता है कि यह सब तो देश में भी हो सकता था, इसके लिए विदेशी प्रवास क्यों? आखिर विदेश जाकर देसी ज्ञान देने की क्या आवश्यकता है?

 

दरअसल राहुल गांधी ‘युवराज’ से कांग्रेस के ‘किंग’ बनने की तैयारी में हैं। संभव है कि अक्टूबर में उनकी ताजपोशी भी हो जाए। शायद यही वजह है कि एक नासमझ और नाकाबिल व्यक्ति के तौर पर स्थापित उनकी छवि को नये सिरे से संवारने की कवायद है!

बहरहाल अमेरिकी दौरे के आखिरी दिन राहुल ने न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वॉयर में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया, जहां देश के गंभीर और बड़े मुद्दों पर बात की, लेकिन इस दौरान ऐसी बातें करते रहे जिससे देश की छवि को गहरा धक्का लगा है। इतना ही नहीं इस क्रम में वे तमाम वैसे मुद्दे उठाते रहे जो कांग्रेस की ही नाकामियों का कच्चा चिट्ठा खोलती रहीं।  आइये हम उनके द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दे देखते हैं:-

राहुल ने कहा असहिष्णुता से विदेशों में बिगड़ी भारत की छवि!
कांग्रेस कभी भी भारत की छवि की परवाह नहीं करती है। अपने ही देश को नीचा दिखाने के लिए विदेशी जमीन पर असहिष्णुता का मुद्दा उठाया।  भारत की प्राचीन सहिष्णु परंपरा पर आघात किया। क्या राहुल को इतना भी नहीं पता कि दुनिया का अकेला ऐसा देश भारत ही है जो सर्वसमावेशी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वसुधैव कुटुंबकम के सूत्र वाक्य को अपनी सरकार की नीति में शामिल किए हुए है। युवराज अब कांग्रेस के किंग बनने वाले हैं, लेकिन क्या उन्हें इतना भी ज्ञान नहीं कि वे ऐसा कहकर देश को नीचा दिखाने का काम कर रहे हैं!

राहुल ने कहा अहिंसा के रास्ते पर ही भारत आगे बढ़ेगा! 
कांग्रेस के उपाध्यक्ष ने विदेश में देश के बार में ये किस तरह की छवि बनाने की कोशिश की। क्या भारत में हिंसा हो रही है? क्या आग लगी हुई है? क्या भारत सीरिया बन गया है? क्या पाकिस्तान बन गया है? आखिर भारत में हिंसा कहां दिख रही है राहुल गांधी को। देश की छोटी-मोटी घटनाओं के आधार पर विदेश में अपने ही भारत को नीचा दिखाने की ये कांग्रेस की कैसी नीति है? क्या राहुल गांधी को ये नहीं पता है कि केरल उनकी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं ने गोवध कर हिंसा का खुलेआम प्रदर्शन किया था? आखिर देश की ये कैसी छवि बना रहे हैं युवराज।

राहुल ने कहा भारत में सहिष्णुता को क्या हुआ? कहां गई वो सद्भावना?
राहुल गांधी को क्या यह नहीं पता है कि सहिष्णुता पर अगर इस देश में सबसे अधिक किसी पार्टी ने आघात किया है तो वह कांग्रेस है। 1975 का आपातकाल राहुल गांधी भूल गए हैं क्या? क्या ये असहिष्णुता नहीं थी। 1984 का दंगा तो कांग्रेस पार्टी की असहिष्णुता की स्मारक के तौर पर है। हजारों सिखों को कांग्रेसियों ने किस तर मौत के घाट उतार दिया था। 1989 का भागलपुर दंगा तो कांग्रेस की कथनी और करनी का भारी अंतर दिखाता है। किस तरह कांग्रेस की सरकार के नाक के नीचे वहां लोगों का कत्लेआम किया गया था। 1992 का मुंबई के दंगे में कांग्रेसियों के कारनामे भूले जा सकते हैं क्या? जाहिर तौर पर ये सब सहिष्णुता के उदाहरण तो नहीं हैं। बहरहाल ये हमारे देश के आंतरिक मामले हैं इन्हें विदेशों उठाना क्या देश को नीचा दिखाना नहीं है। आखिर कांग्रेस के युवराज को समझ कब आएगी?

राहुल ने कहा कश्मीर में हालात खराब हैं?
कश्मीर का मुद्दा विदेशी जमीन से उठाना किसी भी कोण से उचित है क्या? राजनीति और कूटनीति की अगर किसी को थोड़ी भी समझ होगी तो वो ये कहेगा कि कश्मीर का मुद्दा विदेशी जमीन पर नहीं उठाया जाना चाहिए। अगर उठे भी तो वह पाकिस्तान के प्रायोजित आतंकवाद पर प्रहार करने के लिए उठे, लेकिन कांग्रेस के ‘कमअक्ल’ युवराज को यह भी नहीं पता कि कश्मीर का मसला संवेदनशील है, इसपर विश्व समुदाय की भी दृष्टि है। भारत की स्पष्ट नीति भी है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है। ऐसे में विदेशी जमीन से कश्मीर का जिक्र करने की सोचा भी कैसे जा सकता है? राहुल गांधी के पूर्वज जवाहर लाल नेहरू ने कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश की थी, बड़ी मुश्किल से भारत इससे निकल पाया है, अब राहुल गांधी फिर वही गलती कर रहे हैं। वह भी सिर्फ खुद को गंभीर बताने के लिए।

राहुल gandhi in times square के लिए चित्र परिणाम

राहुल ने कहा रोजगार देने में नाकाम रही सरकार! 
राहुल गांधी ने रोजगार के मुद्दे पर वर्तमान केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं, लेकिन 2009 के यूपीए सरकार के घोषणा पत्र के वादों पर गौर करें तो हर दिन 30 हजार रोजगार देने का वादा अधूरा रहा।  10 करोड़ युवाओं को कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध कराने का वादा भी पूरा नहीं हुआ। आलम यह था कि 2014 में काम करने लायक 1000 लोगों में से 27 लोग बेरोजगार थे। जबकि मोदी सरकार ने तीन साल में सिर्फ मुद्रा योजना के तहत ही 8.19 करोड़ रोजगार मुहैया कराए हैं। इसके अतिरिक्त आइटी सेक्टर में करीब छह लाख और औपचारिक क्षेत्र में भी पांच लाख रोजगार के अवसर पैदा किए हैं।

बहरहाल राहुल गांधी की समझ कितनी है यह देश के लोग जानते हैं। भले ही आज के युवराज कल कांग्रेस के किंग भी बन जाएं, लेकिन उन्हें ये समझ विकसित करना आवश्यक है कि विदेशी जमीन से अपने ही देश को नीचा दिखाकर वे अपना भला कैसे कर पाएंगे? कांग्रेस के थिंक टैंक को भी यह सोचना जरूरी है कि देश को बदनाम करने की कोशिश कर क्या वे राहुल गांधी को देश का नेता बनाने में कामयाब हो पाएंगे?

राहुल gandhi in times square के लिए चित्र परिणाम

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