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राहुल गांधी चुनावी चश्मा उतारकर देखते तो गुजरात में हर तरफ विकास ही दिखता

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लंबे अरसे बाद वो भी चुनावों का वक्त आया इसीलिए 47 वर्षीय युवा नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी गुजरात में ‘विकास’ को ढूंढ़ रही है। गुजरात चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए राहुल गांधी हर वो काम कर रहे हैं जो गुजरातियों को अच्छा लगता है चाहे मंदिर जाना हो, गुजराती बोलना हो या गुजराती व्यंजन खाना हो। लेकिन ताज्जुब की बात है कि इन सबके बीच राहुल को गुजरात का विकास नहीं दिखता। ऐसे में उनकी मदद के लिए हमने कुछ ऐसे आंकड़े निकाले हैं जो सीधे-सीधे गुजरात के विकास की कहानी कहते हैं।  

जीएसडीपी और प्रति व्यक्ति आय में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
गुजरात राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 1995-96 में 71,886 करोड़ था जो दो दशक में लगभग 15 गुणा बढ़ा और 2015-16 में 10,33,791 करोड़ हो गया। राज्य में प्रति व्यक्ति आय दो दशक में लगभग 11 गुना बढ़ी और यह 13,665 रुपए से बढ़कर 1,41,504 रुपए हो गई।

कृषि क्षेत्र में विकास की झलक
गुजरात के कृषि क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव आया। कपास के उत्पादन में लगभग चार गुना बढ़ोत्तरी हुई। यह उत्पादन 24.08 लाख बेल्स से बढ़कर 91.15 लाख बेल्स पर पहुंच गया। मूंगफली का उत्पादन 10.32 मीट्रिक टन से बढ़कर 20.42 लाख मीट्रिक टन पर पहुंच गया। फलों का उत्पादन 21.29 लाख से बढ़कर 85.05 लाख मीट्रिक टन पर पहुंच गया यानी इसमें भी करीब चार गुना बढ़ोतरी हुई। सब्जी उत्पादन भी 20.89 लाख से बढ़कर 126.82 लाख मीट्रिक टन पर पहुंचा यानी इसमें छह गुना बढ़ोतरी हुई। दुग्ध उत्पादन भी 46.09 लाख से बढ़कर 122.62 लाख मीट्रिक टन पर पहुंचा जो करीब तीन गुना बढ़ोतरी है। वन उत्पाद में भी तीन गुना की वृद्धि हुई।

सहकारी समितियों की संख्या में बढ़ोतरी विकास का परिचायक
वर्ष 1995-96 में दूध सहकारी समितियों की संख्या 10,695 थी। दो दशकों में 5,309 नई समितियों का गठन हुआ और 2015-16 में दूध सहकारी समितियों की संख्या बढ़कर 16,004 हो गई।

सिंचाई क्षेत्र में बढ़ोतरी और चेक डैम का निर्माण भी विकास
सिंचाई के लिए दो दशकों में इतना काम हुआ कि सिंचित क्षेत्र 35 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2014-15 में 71.05 लाख हेक्टेयर हो गया। सिंचाई के लिए 1990-91 में चेक डैमों की संख्या मात्र 3,492 थी तो 2015 आते-आते चेक डैमों की संख्या 1,65,708 हो गई।

विकास ही तो है भंडारण क्षमता में वृद्धि
गुजरात में 1995-96 में भंडारण क्षमता 6.76 लाख मीट्रिक टन ही थी जो 2015-16 में बढ़कर 11.70 लाख मीट्रिक टन हो गई।

ऊर्जा में विकास 
गुजरात में बिजली उत्पादन 1995-96 में 36,732 मिलियन यूनिट था जो 2015-16 में 1,03,137 मिलियन यूनिट हो गया। उत्पादन क्षमता  6,363 से बढ़कर 20,081 मेगावॉट हुई यानी तीन गुने से अधिक की वृद्धि हुई। प्रति व्यक्ति बिजली की खपत गुजरात में 693 किलोवॉट प्रति घंटे से बढ़कर 1,910 किलोवॉट हो गया। कृषि क्षेत्र में बिजली खपत में पौने दो गुने की वृद्धि हुई।

सड़कों के विस्तार और वाहनों की संख्या भी विकास
गुजरात में 1995-96 में सड़क मार्गों की लंबाई 71,260 किमी थी जो  2014-15 में बढ़कर 80,582 किमी हो गई। राज्य में राष्ट्रीय राजमार्ग में तीन गुना की बढ़ोतरी हुई। साफ-सुथरी और व्यवस्थित सड़कों के कारण गुजरात में वाहनों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि हुई। 1995-96 में जहां 34 लाख पंजीकृत वाहन गुजरात में थे, 2015-16 आते-आते पंजीकृत वाहनों की संख्या 204 लाख से अधिक हो गई।

स्कूल से ड्रॉप आउट छात्रों में कमी भी विकास
वर्ष 1995-96 में जहां कक्षा एक से पांच में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का स्कूल छोड़ने का प्रतिशत 36.93 था, वह 2015-16 आते-आते घटकर सिर्फ 1.54 प्रतिशत रह गया। वहीं कक्षा आठ तक में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का स्कूल छोड़ने का प्रतिशत 51.25 था जो घटकर अब केवल 6.06 प्रतिशत रह गया है।

विकास का उदाहरण स्कूल, कॉलेज और शिक्षकों की संख्या में वृद्धि
गुजरात में शिक्षकों की संख्या को 2,39,599 से बढ़ाकर 4,64,957 किया गया। स्कूलों की संख्या 41,318 से बढ़कर 58,352 हो गई। गुजरात में इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या 20 से बढ़कर 238, पॉलीटेक्नीक की संख्या 49 से बढ़कर 147 और विश्वविद्यालयों की संख्या 7 से बढ़कर 57 हो गई है।  

साक्षरता दर में बढ़ोतरी
2001 में गुजरात की साक्षरता दर 69.1 प्रतिशत थी जो 2011 में बढ़कर 78 प्रतिशत हो गई। आदिवासी साक्षरता दर 2001 में 47.74 प्रतिशत थी जो 2011 में बढ़कर 62.5 हो गई।

राज्य में डॉक्टरों की संख्या और मेडिकल सीटों की संख्या में वृद्धि
गुजरात में 1995-96 में जहां मेडिकल सीटों की संख्या मात्र 825 थी, 2015-16 में इसकी संख्या बढ़कर 3,230 हो गई। राज्य में डॉक्टरों की संख्या 26,434 से बढ़कर 61,214 हो गई।

शिशु और मातृत्व मृत्यु दर में कमी
शिशु मृत्यु दर प्रति एक 1000 जन्म पर 62 थी जो घटकर 33 हो गई। वर्ष 1999-2001 में एक लाख प्रसूता पर माता मृत्यु दर 202 थी जो कि 2011-13 में घटकर 112 रह गई है।  

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक केंद्र और उपकेंद्रों की संख्या में बढ़ोतरी
गुजरात में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या 957 से बढ़कर 1,393, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या 185 से बढ़कर 364, उपकेंद्रों की संख्या 7,274 से बढ़कर 9,157 हो गई है।

घर-घर नल कनेक्शन और शौचालय निर्माण
गुजरात में नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने से पहले 2001 में 26 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में नल का कनेक्शन था। वर्ष 2016-17 आते-आते 77 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों के घरों में नल का कनेक्शन है।
वर्ष 2012 से पहले शौचालय से वंचित घरों का प्रतिशत गुजरात में 47.3 प्रतिशत था जो कि 2017 आते-आते घटकर 1.3 प्रतिशत रह गया है।

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