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जानिए राफेल पर झूठ बोलने वाले राहुल गांधी के आर्म्स डीलर संजय भंडारी से संबंध की सच्चाई

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राफेल डील पर लगातार झूठ बोलने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की काली करतूत की पोल खुलने लगी है। आर्म्स डीलर संजय भंडारी के साथ राहुल गांधी के सीधे संबंध होने के राज से पर्दा उठ गया है। आरोप तो यहां तक लगाया जा रहा है कि राहुल गांधी राफेल डील का इसलिए विरोध कर रहे थे क्योंकि उन्होंने यूरोफाइटर से डील करने की चर्चा कर ली थी। इतना ही नहीं राहुल गांधी का आर्म्स डीलर संजय भंडारी के साथ सीधा संबंध भी सामने आ गया है।

मालूम हो कि काफी दिनों से राहुल गांधी राफेल डील को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करने के लिए चोरी का आरोप लगाते रहे हैं। उन्होंने मोदी पर रिलायंस डिफेंस के मालिक अनिल अंबानी को लाखों करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया। अपने मूड के हिसाब से कभी एक लाख तीस हजार करोड़ तो कभी एक लाख करोड़ रुपये तो कभी तीस हजार करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाने को लेकर सवाल पूछते रहे हैं।

झूठा साबित हुआ आरोप
राहुल गांधी के यह आरोप उसी दिन झूठा साबित हो गया जब यह खुलासा हुआ कि राफेल डील के तहत डसॉल्ट कंपनी ने रिलायंस के साथ महज 800 करोड़ रुपये का ऑफसेट समझौता किया है। राफेल डील को लेकर राहुल गांधी के सारे आरोप काल्पनिक साबित हुए। लेकिन अब समय का चक्र घूम गया है। जिस प्रकार राहुल गांधी का आर्म्स डीलर संजय भंडारी के साथ लिंक सामने आया है। ऐसे में अब खुद राहुल गांधी सवालों के घेरे में आ गए हैं। अब तो राहुल गांधी को ही कई सवालों का जवाब देना होगा।

ध्यान रहे कि तत्कालीन केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पार्लियामेंट में यह संकेत दिया था कि यूपीए के समय में जब एमएमआरसीए की नीलामी प्रक्रिया चल रही थी उसी दौरान घूस के लिए अंदरखाने यूरोफाइटर से फाइटर प्लेन खरीदने के लिए बातचीत की जा रही थी। अंतिम दौर में राफेल और यूरोफाइटर ही पहुंचे लेकिन सौदा हाथ लगा राफेल लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट को। मालूम हो कि उसी समय यह अफवाह उड़ी थी कि राहुल गांधी यूरोफाइटर के अधिकारियों के साथ जर्मनी में मिले थे। 

रॉबर्ट वाड्रा के अच्छे दोस्त हैं संजय भंडारी
गौरतलब है कि संजय भंडारी न केवल राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा के अच्छे दोस्त हैं बल्कि वह एक आर्म्स डीलर भी हैं। यह वही संजय भंडारी है जो 2012 से 2015 तक राफेल डील के साथ ऑफसेट पार्टनर बनने के लिए लॉबी कर रहा था। लेकिन भंडारी को ऑफसेट पार्टनर के लिए राफेल तथा डसॉल्ट कंपनियों ने मना कर दिया था। इसके पीछे कारण यह था कि 126 राफेल जेट विमान खरीदने को लेकर तैयार की गई एक फाइल रक्षा मंत्रालय से गुम हो गई थी, जो बाद में सड़क पर पड़ी मिली। आरोप है कि संजय भंडारी ने उस डील को अपने पक्ष में करने के लिए ही वह फाइल चुराई थी। कहा तो यहां तक जाता है कि संजय भंडारी उस फाइल की फोटो कॉपी अपने ठेकेदार मित्रों को दिया करता था। जहां तक संजय भंडारी के ठेकेदारों से रिश्ता की बात है तो अभी तक रॉबर्ट वाड्रा से उसका संबंध सामने आया है। इसी लिंक से बाद में राहुल गांधी और संजय भंडारी का संबंध परवान चढ़ा। एचएल पाहवा से जमीन खरीद मामले में भी राहुल गांधी और संजय भंडारी का संबंध उजागर हुआ है। पाहवा और राहुल गांधी के बीच हुई लैंड डील को सीसी थंपी ने फंड किया था। मालूम हो कि सीसी थंपी का संजय भंडारी के साथ नजदीकी आर्थिक रिश्ता रहा है। यह खुलासा तब हुआ जब प्रवर्तन निदेशालय ने तीन और चार मई 2017 को एचएल पाहवा के यहां सर्च किया था।

राहुल गांधी ने एचएल पाहवा से खरीदी थी जमीन
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा एच एल पाहवा के यहां सर्च के दौरान जब्त दस्तावेज से पता चलता है कि राहुल गांधी ने पाहवा से हरियाणा के पलवल स्थित हसनपुर में साढ़े छह एकड़ जमीन महज साढ़े 26 लाख रुपये में खरीदी थी। ये जमीन चेक पेमेंट के माध्यम से खरीदी गई थी। 24 लाख रुपये 12 जनवरी 2008 को तथा शेष रकम 17 मार्च 2008 को दिए गए थे। जमीन की सेल डीड पर एचएल पाहवा और राहुल गांधी ने हस्ताक्षर किया था। आरोप है कि इस जमीन की खरीददारी के लिए सीसी थंपी ने फंड दिया था। यानि कहने का तात्पर्य यह है कि इस जमीन खरीदवाने में पाहवा का पूरा हाथ रहा है।   

आर्म्स डीलरों के साथ रहा है गांधी परिवार का रिश्ता
यह पहला मौका नहीं है जब राहुल गांधी का आर्म्स डीलर संजय भंडारी के साथ संबंध का खुलासा हुआ है। इससे पहले भी आर्म्स डीलरों के साथ गांधी परिवार के अन्य सदस्यों का नाम जुड़ता रहा है। वह चाहे बोफोर्स तोप सौदे के दौरान क्वात्रोची हो या फिर अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाले में क्रिश्चेन मिशेल हो। अपने एक बयान में मिशेल ने तो अपने पिता के साथ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अच्छे संबंध होने की बात कही है। या फिर राहुल गांधी और उसके जीजा रॉबर्ट वाड्रा का संजय भंडारी जैसे आर्म्स डीलर के साथ नजदीकी रिश्ता हो। इससे साफ जाहिर हो जाता है कि राहुल गांधी राफेल डील पर सिर्फ आरोप लगाकर अपना उल्लू सीधी करने में जुटे थे।

राहुल गांधी का नीरव मोदी के साथ रहा है संबंध
राहुल गांधी को लेकर एक खुलासा यह भी हुआ कि उनका नीरव मोदी के साथ भी काफी याराना रहा है। ध्यान रहे कि जो राहुल गांधी एनडीए सरकार पर नीरव मोदी को देश से भगाने का आरोप लगा रहे हैं असल में उनका अपना रिश्ता काफी याराना रहा है। राहुल गांधी नीरव मोदी के कॉकटेल पार्टी के हिस्सा रहे हैं। मालूम हो कि राहुल गांधी जिस समय नीरव मोदी से मिले थे उसी समय उनकी यूपीए सरकार उसे लोन दिलाने को लेकर मेहरवान थी। यह वाकया साल 2013 के सितंबर महीने का है। दिल्ली के इंपिरियल होटल में नीरव मोदी ने एक कॉकटेल पार्टी का आयोजन किया था। नीरव मोदी ने अपनी इस कॉक टेल पार्टी में राहुल गांधी को बुलाया था। और राहुल गांधी उस पार्टी में न केवल शिरकत की थी बल्कि काफी इंज्वाय भी किया था। गौर हो कि नीरव मोदी और मेहुल चौकसी को बैंको से हजारों करोड़ का ऋण मिला था। नीरव और राहुल की दोस्ती का और क्या सबूत चाहिए।

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