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राहुल गांधी के बनावटी दलित प्रेम पर एजेंडा प्रेस का सच आया सामने

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी के साथ-साथ अपने वजूद को बचाने के लिए नकारात्मक शक्तियों की आराधना कर रहे हैं। इसके लिए वह समाज में एक जाति को दूसरी जाति से और एक धर्म को दूसरे धर्म से लड़ाने पर आमादा हैं। 2 अप्रैल को अपने कांग्रेसी गुंड़ों के बल पर एक अफवाह के सहारे देश में हिंसा का तांडव किया तो दूसरे दिन 09 अप्रैल को दलितों अपना समझने का नाटक करने के लिए राजघाट पर भूख हड़ताल पर बैठ गये।

राहुल गांधी का दिखावटी दलित प्रेम- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि स्थल पर भूख हड़ताल बैठने के लिए आये कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की पोल उनके साथियों ने सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर करके खोल दी। इस वायरल फोटो से देश को पता चला कि राहुल गांधी अपने साथियों के साथ मजे से छोले-भठूरे खाकर, फिर उपवास करने के लिए समाधि स्थल पर आये थे। दलित प्रेम के लिए राहुल गांधी और कांग्रेस के सभी नेता कुछ घंटो के उपवास का दर्द भी न सह सके।

राहुल गांधी का यह दिखावटी दलित प्रेम 10 अप्रैल के हर समाचार पत्र में एक बड़ी खबर बनना चाहिए था, लेकिन एजेंडा पत्रकारों ने इस खबर को समाचार पत्र के अंदर के पन्नों की खबर बनाया। आइये आपको कुछ समाचार पत्रों की इस मुद्दे पर की गयी रिपोर्टिंग दिखाते है-

टाइम्स ऑफ इंडिया- टाइम्स ऑफ इंडिया ने सोशल मीडिया पर वायरल इस खबर को पेज संख्या 5 पर सबसे नीचे प्रकाशित किया। अखबार ने समाचार की हेडलाइन से इस घटना को सामान्य चूक बताने की कोशिश की

हिन्दुस्तान टाइम्स- हिन्दुस्तान टाइम्स ने इस खबर को पहले पेज पर प्रकाशित तो किया लेकिन राहुल गांधी के झूठ की पूरी घटना को भूला देने वाला रंग दिया-

इंडियन एक्सप्रेस- इंडियन एक्सप्रेस ने भी इस खबर को पेज संख्या 5 पर प्रकाशित किया। खबर की हेडलाइन ऐसी दी गई कि राहुल गांधी का झूठ एक चूक की तरह से नजर आये।

पंजाब केसरी- पंजाब केसरी ने राहुल गांधी के इस झूठे दलित प्रेम के बारे में कोई खबर नहीं दी, लेकिन राहुल गांधी के प्रधानमंत्री मोदी पर लगाये गये आरोप को हेडलाइन बना दिया

नवभारत टाइम्स- नवभारत टाइम्स ने ऱाहुल गांधी के झूठे दलित प्रेम को सामान्य चूक औऱ घटना की खबर बनाई।

 

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